(वरिष्ठतम साहित्यकार आदरणीय डॉ कुन्दन सिंह परिहार जी का साहित्य विशेषकर व्यंग्य एवं लघुकथाएं ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से काफी पढ़ी एवं सराही जाती रही हैं। हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – “परिहार जी का साहित्यिक संसार” शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहते हैं। डॉ कुंदन सिंह परिहार जी की रचनाओं के पात्र हमें हमारे आसपास ही दिख जाते हैं। कुछ पात्र तो अक्सर हमारे आसपास या गली मोहल्ले में ही नज़र आ जाते हैं। उन पात्रों की वाक्पटुता और उनके हावभाव को डॉ परिहार जी उन्हीं की बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हुए अपना साहित्यिक संसार रच डालते हैं।आज प्रस्तुत है आपका एक अप्रतिम व्यंग्य – ‘परमलाल की पाप-मुक्ति‘। इस अतिसुन्दर रचना के लिए डॉ परिहार जी की लेखनी को सादर नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – परिहार जी का साहित्यिक संसार # 274 ☆
☆ व्यंग्य ☆ परमलाल की पाप-मुक्ति ☆
परमलाल की ज़िन्दगी घोर गरीबी में गुज़री। छोटे-मोटे अपराध करके ज़िन्दगी को ढकेलना नियति बना रहा। पढ़ने-लिखने का कोई वातावरण नहीं रहा। नतीजतन कल की समस्या हमेशा सामने खड़ी रही।
बड़ा होने पर बड़े अपराधियों का संग मिला। आसानी से बड़ी कमाई करने का वही ज़रिया दिखा। चोरी, सेंधमारी, सड़क पर छीन-झपट करने लगा। किस्मत अच्छी थी कि कभी पकड़ा नहीं गया।
हिम्मत बढ़ी तो एक दिन दो साथियों के साथ एक एटीएम मशीन तोड़ने में लग गया। तभी किसी ने पुलिस को सूचित कर दिया और तीनों धर लिये गये। तीन महीने बाद तीनों ज़मानत पर छूटे, लेकिन तब से पुलिस की नज़र उनकी गतिविधियों पर रहती है। हर हफ्ते थाने में हाज़िरी देनी पड़ती है। ज़िन्दगी मुश्किल हो गयी है।
इसी बीच महाकुंभ का हल्ला मचा। टीवी पर कुंभ में इकट्ठे जनसमूह की तस्वीरें दिन रात चलने लगीं। परमलाल के घर में छोटा टीवी था। उसी में वे रंग बिरंगे चित्र चलते रहते। परमलाल आंखें फाड़े उन दृश्यों को देखता रहता।
फिर एक दिन एक धर्माचार्य आये। उन्होंने बताया कि कुंभ में गंगा-स्नान से अनेकों जन्म के पाप धुल जाते हैं। परमलाल चमत्कृत हुआ। तुरन्त तैयारी करके प्रयागराज पहुंच गया। रात को एक चाय वाले की खुशामद करके उसकी दूकान में सोया। सवेरे स्नान किया। प्रमाण के तौर पर वहां उपस्थित लोगों की मदद से रील भी बना ली। और भी प्रमाण संभाल कर रख लिये। फिर खुश खुश घर लौटा।
कुंभ से लौटकर सीधा अपने वकील के पास पहुंचा। बोला, ‘वकील साहब, मैं कुंभ स्नान कर आया। ये सारे सबूत हैं। अब मेरे सारे पाप धुल गये। अब आप अदालत में अर्जी लगा दें कि मेरा केस खारिज करके मुझे बरी कर दिया जाए। अब आगे कोई पाप नहीं करूंगा।’
तब से वह वकील साहब के चक्कर काट रहा है और वकील साहब उससे पीछा छुड़ाते फिर रहे हैं।
(हमारे आग्रह पर श्री अजीत सिंह जी (पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन)हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए विचारणीय आलेख, वार्ताएं, संस्मरण साझा करते रहते हैं। इसके लिए हम उनके हृदय से आभारी हैं। आज प्रस्तुत है गणतंत्रता दिवस पर विशेष ‘संविधान गीत…’।)
(The song is based on the preamble of the Indian constitution given below)
WE, THE PEOPLE OF INDIA, having solemnly resolved to constitute India into a SOVEREIGN, SOCIALIST, SECULAR DEMOCRATIC REPUBLIC and to secure to all its citizens:
JUSTICE, social, economic and political;
LIBERTY of thought, expression, belief, faith and worship;
EQUALITY of status and of opportunity; and to promote among them all
FRATERNITY assuring the dignity of the individual and the unity and integrity of the Nation;
IN OUR CONSTITUENT ASSEMBLY this twenty-sixth day of November, 1949, do HEREBY ADOPT, ENACT AND GIVE TO OURSELVES THIS CONSTITUTION.
(“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के लेखक श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है। साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से आपको पाठकों का आशातीत प्रतिसाद मिला है।”
हम प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है इस शृंखला की अगली कड़ी। ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों के माध्यम से हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।)
☆ संजय उवाच # 275 ☆ संतत्व…
फूटी आँख विवेक की, लखे ना संत असंत।
जाके संग दस-बीस हैं, ताको नाम महन्त ||
महंत होना सरल है, संत होना कठिन। संत यात्रा करता है, संत यात्रा करवाता भी है। यात्रा में भटका ऐसा ही एक पथिक कबीरदास जी के पास पहुँचा। वह अपने गृहस्थ जीवन में रोज़ाना होने वाले कलह और तर्क-वितर्क से बहुत दुखी था। अपना दुखड़ा बयान करता हुआ कबीरदास जी से बोला, “महाराज मेरा गृहस्थ जीवन बहुत दुखी है। हम पति-पत्नी में ज़रा भी नहीं पटती। रोज़ झगड़ा, रोज़ कलह। वह भी दुखी, मैं भी दुखी। तंग आ गया हूं इस जीने से। जीवन में अंधेरा ही अंधेरा है।” कबीर ् समय सूत बुन रहे थे। पथिक की बात सुनी-अनसुनी कर अपनी पत्नी लोई से बोले,”इतना अंधेरा है कि सूत बुनने में दिक्कत हो रही है। तनिक दीया तो बाल लाओ।” लोई एक दीप प्रज्ज्वलित करके ले आई। पति के पास रखकर चली गई। कबीर के इस व्यवहार से प्रश्नकर्ता किंकर्तव्यविमूढ़-सा हो गया। वह भरी दोपहर का समय था। सूर्य सिर पर था और प्रकाश प्रखर था। आशंका व्यक्त करते हुए कबीरदास जी से बोला, “महाराज, सूरज तप रहा है। दोपहर का समय है। इतना तेज़ प्रकाश है और आपको सूत कातने के लिए दीया मंगवाना पड़ा। क्या आपकी आँखें खराब हो गई हैं?” कबीर मुस्करा कर बोले, “यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर भी है। अपनी आँखों को ठीक करो। गृहस्थ जीवन में विश्वास करना सीखो। अपने साथी के विचार का, उसकी सोच का, उसके निर्णय का सम्मान करो। व्यर्थ के तर्क-वितर्क एक दूसरे का मान समाप्त करते हैं। तुमने देखा कि दिन के प्रकाश में मैंने लोई से दीया मंगवाया। बिना कोई प्रश्न किए वह दीया रख गई। उसका विश्वास है कि मैंने दीया मंगवाया है तो कुछ सोच कर ही मंगवाया होगा। …तुम अपनी पत्नी को अपने जैसा कर देना चाहते हो। खाना-पीना तुम्हारे जैसा, बोलना-चालना तुम्हारे जैसा, सोचना-विचारना तुम्हारे जैसा। तुम्हारी आँखें खराब हो गई हैं। तुम जानते हो पर देखते नहीं कि धरती पर कोई भी दो लोग एक जैसे नहीं हो सकते।
… और सुनो, यह दीया मैंने अपने लिए नहीं तुम्हारे लिए मंगवाया था। जैसे इसकी ज्योति जल रही है अपने भीतर भी ज्योति जलाओ। अग्नि पवित्र होती है। भीतर एक बार ज्योति जल गई तो जीवन में प्रकाश ही प्रकाश होगा।”
सच्चा संत खुद जलता है, खुद तपता है आत्मदीप बनता है। वह पोथी का ज्ञान नहीं जताता, अनुभव से मिला ज्ञान बताता है। संतत्व में ‘कागज की लेखी’ नहीं बल्कि ‘आँखन की देखी’ महत्वपूर्ण है।
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆ सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, न्यू आर्ट्स, कॉमर्स एंड साइंस कॉलेज (स्वायत्त) अहमदनगर ☆ संपादक– हम लोग ☆ पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
मकर संक्रांति मंगलवार 14 जनवरी 2025 से शिव पुराण का पारायण महाशिवरात्रि तदनुसार बुधवार 26 फरवरी को सम्पन्न होगा
इस वृहद ग्रंथ के लगभग 18 से 20 पृष्ठ दैनिक पढ़ने का क्रम रखें
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈
Anonymous Litterateur of social media # 221 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 221)
Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.
Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.
Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.
In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.
He is also an IIM Ahmedabad alumnus.
His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!
English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 221
☆ – A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being, and a Meaningful Life –☆ Mr. Jagat Singh Bisht ☆
“Happiness is not something that happens. It is not the result of good fortune or random chance. It is not something that money can buy or power command. It does not depend on outside events, but rather on how we interpret them. Happiness, in fact, is a condition that must be prepared for, cultivated, and defended privately by each person. People who learn to control inner experience will be able to determine the quality of their lives, which is as close as any one of us can come to being happy.”
-Mihaly Csikszentmihalyi
What is Happiness?
Happiness is the experience of joy, contentment, or positive well-being, combined with a sense that life is good, meaningful, and worthwhile. But what is the essence of happiness? Does it reside within us or in the outside world? Is it something we can truly cultivate, or is it a fleeting emotion dictated by circumstances?
Perspectives on Happiness:
Positive psychologists tell us that people flourish when they experience a balance of positive emotions, engagement with the world, meaningful relationships, a sense of purpose, and the accomplishment of valued goals. Jonathan Haidt offers an intriguing perspective, stating that happiness comes not merely from within or from external factors, but from “between.”
The Ancient Pursuit of Happiness:
Aristotle, twenty-four hundred years ago, proclaimed that happiness is the ultimate purpose of human existence, the end toward which all our actions aim. This raises another question: how can we identify a pathway to authentic happiness, one that fosters well-being and a fulfilling life?
The Holistic Approach to Happiness:
The answer lies in nurturing the body, mind, and spirit. Like a tripod, all three must be strong and balanced to support a life of harmony. Through years of exploration, I have found that a holistic approach blending positive psychology, meditation, yoga, laughter yoga, and spirituality offers a powerful pathway to authentic happiness.
Positive Psychology: The Science of Happiness
Positive psychology provides evidence-based strategies for enhancing well-being. By adopting practices rooted in this field, we can discover activities and mindsets that resonate with our unique personalities and circumstances.
Meditation: Cultivating Inner Peace
Meditation helps us center ourselves, dispel distractions, and cultivate wisdom. Matthieu Ricard describes meditation as a skill that fosters the positive qualities essential for a fulfilling life.
Yoga: Harmony of Body and Mind
Yoga harmonizes the body and mind, offering a path to physical and mental well-being. Even a simple practice like Surya Namaskara, requiring just five to fifteen minutes daily, can yield remarkable benefits.
Laughter Yoga: The Joyful Remedy
Laughter yoga combines laughter exercises with yogic breathing techniques. It oxygenates the body, boosts the immune system, and relieves stress. Just ten minutes of laughter in the morning can transform your day.
Spirituality: Finding Deeper Meaning
Spirituality offers a deeper perspective on life. It helps us understand the value of right speech, right action, and right livelihood, steering us toward a meaningful existence.
The Transformative Power of Integration:
When these elements—positive psychology, meditation, yoga, laughter yoga, and spirituality—are integrated, they bring about a profound transformation in how we experience life. The benefits extend beyond personal well-being to enrich workplaces, communities, and future generations.
A Journey Worth Taking:
The journey toward authentic happiness is not a destination but an evolving process. By nurturing the body, mind, and spirit, you can create a life imbued with joy, peace, and purpose.
A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.
The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and training.
(ई-अभिव्यक्ति के “दस्तावेज़” श्रृंखला के माध्यम से पुरानी अमूल्य और ऐतिहासिक यादें सहेजने का प्रयास है। श्री जगत सिंह बिष्ट जी (Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker) के शब्दों में “वर्तमान तो किसी न किसी रूप में इंटरनेट पर दर्ज हो रहा है। लेकिन कुछ पहले की बातें, माता पिता, दादा दादी, नाना नानी, उनके जीवनकाल से जुड़ी बातें धीमे धीमे लुप्त और विस्मृत होती जा रही हैं। इनका दस्तावेज़ समय रहते तैयार करने का दायित्व हमारा है। हमारी पीढ़ी यह कर सकती है। फिर किसी को कुछ पता नहीं होगा। सब कुछ भूल जाएंगे।”
दस्तावेज़ में ऐसी ऐतिहासिक दास्तानों को स्थान देने में आप सभी का सहयोग अपेक्षित है। इस शृंखला की अगली कड़ी में प्रस्तुत है सौ. उज्ज्वला केलकर जी का डॉ हंसा दीप जी के जीवन से जुड़े संस्मरणों पर आधारित एक आत्मीय दस्तावेज़ “कारवां चलता रहा… – हंसा परिचय “। यह दस्तावेज़ तीन भागों में दे रहे हैं।)
डॉ. हंसा दीप
☆ दस्तावेज़ # 15 – कारवां चलता रहा… – हंसा परिचय – 2 – मराठी लेखिका – सौ. उज्ज्वला केलकर ☆ हिन्दी भावानुवाद – श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ ☆
पर्व दो
हंसा के जीवन का दूसरा पर्व आरंभ होता है, उसके विवाह से । उसके शब्दों में, ‘वहां शुरू में चिंता का सागर था।’ लकड़ियों के चूल्हे पर धुएं की जलन से आंखें मलते हुए भोजन पकाना। वह कहती है, ‘पहले दिन मैंने खाना पकाया, वह भोजन यानी फ्लॉप-फिल्म थी।’ उसे खाना पकाने की बिल्कुल आदत न थी। पढ़ाई, स्पर्धा, अन्य कार्यक्रम, दुकान का हिसाब-किताब। इनसे निबटते उसके पास खाना पकाने के लिए समय कहां था? पर ससुराल में आने के उपरांत उसके छोटे देवर, चंचल ने उसे घर के कामों में खूब सहायता की । साथ ही विवाह में ‘जीवन में सदा साथ निभाने की कसम’ खानेवाले और उसका पालन करने वाले धर्मपाल जी उसे किसी मसीहा तरह लगे। सभी ने उसे प्यार किया। उस कारण नयी चीजें सीखना आसान हो गया और वह कठिन समय बहुत आसानी से कट गया, ऐसा उसे लगता है।
श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’
धर्मपाल जी भी मेघनगर के ही। बचपन से लेकर कॉलेज की शिक्षा तक वे हंसा को देख रहे थे। पहचानते थे। वह उन्हें प्रिय लगती थी। वे भी उसे प्रिय थे। पर प्रत्यक्ष कहने की हिम्मत उन दिनों और उस पिछड़े देहात में कहां से होती? उसने अपनी निगाहों से ही अपनी पसंद को वाणी दी। धर्म जी ने उसके घर आकर अपनी बात रखी। उन दिनों उन्होंने अनेक विरह गीत लिखे और हसा को समर्पित किए ।
विवाह पूर्व दोनों परिवार परस्पर परिचित थे। उस कारण 1977 में उनका विवाह सहजता से सम्पन्न हो गया। उसके उपरांत हंसा छह माह संयुक्त परिवार में रही और एक दिन … धर्मपाल जी का तबादला उज्जैन हो गया।
उज्जैनी समान महानगर में अपनी नयी-नवेली गृहस्थी बसाने पर उसे लगा जैसे स्वर्गीय सुख प्राप्त हो गया। वह कहती है, ‘आगे चलकर इस धरती से इतना आत्मीय संबंध स्थापित हो गया कि आज भी मुंह से ‘मेरी उज्जैनी’ ही निकलता है। उसके बाद बैंक ऑफ इंडिया ने धर्म जी के साथ मध्यप्रदेश के अनेक शहरों की और गांवों की उससे पहचान करा दी।
ऑफिस जाते समय धर्म जी उसे अपना आधा-अधूरा लेखन व्यवस्थित करके विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं को प्रेषित करने को कह जाते। उसीसे उसे अपने लेखन की प्रेरणा मिली। एक बार उसने एक कहानी लिखी और आकाशवाणी इंदौर को भेज दी। ‘पहले स्वीकृति-पत्र, फिर रेकॉर्डिंग की तारीख, उसके बाद मानदेय … बड़ा रोमांचक अनुभव था’ -वह कहती है।उसके बाद आकाशवाणी से बार-बार बुलावा आने लगा। उसने आकाशवाणी इंदौर और भोपाल के लिए नाटक भी लिखे। उसके लगभग 30 नाटक आकाशवाणी से प्रसारित हुए।इसी दौरान नई दुनिया, दैनिक भास्कर, स्वदेश, नवभारत , हिन्दी हेराल्ड, सारिका, मनोरमा, योजना, शाश्वतधर्म, अमिता समान अनेक सुप्रसिद्ध और प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उसकी कहानियां प्रकाशित होने लगीं ।
हंसा कहती है, ‘समय के साथ तालमेल बिठाते हुए जीवन में आया हर बदलाव नया कुछ सीखने के लिए ही होता है ऐसा मैं महसूस करती हूं। धर्मा जी की नियुक्ति जीरापुर, खुजनेर, राजगढ़, ब्यावरा समान देहातों में हुई तब उससे लाभ ही हुआ। वह समूचा प्रदेश ‘सौंधवाड’ नाम से जाना जाता है। उसके पीएच-डी के गाइड डॉ बसंतीलाल बम ने उसे सौंधवाडी लोकसाहित्य पर काम करने के लिए कहा। एक मालवी भाषा-भाषी का सौंधवाडी बोलीपर काम करना उसे बड़ा रोमांचक लगा। इसी दौरान उसे कन्यारत्न की प्राप्ति हुई। शैला। एक ओर पुत्री की देखभाल और दूसरी ओर सौंधवाड़ी लोकगीत और लोककथा-संग्रह। दोनों काम साथ-साथ होने लगे। लोकगीत और लोककथा जुटाने वह पास-पड़ोस के गांवों में जाया करती। सात साल के अथक प्रयासों के बाद उसे ‘सौंधवाड़ की लोकधरोहर’ इस विषय पर पीएच-डी मिल गयी। लोकगीत और लोककथा प्राप्त करते, उनकी खातिर गांवों में भ्रमण करते उसे अनेक कथानक मिले। मन की माटी में, वे तिजोरी में संग्रहीत खजाने की भांति रखे रहे। उसके बाद समय-समय पर वे अंकुरित हुए। डॉ बम उसके काम से बहुत प्रसन्न हुए।
पीएच-डी प्राप्त होने के पहले ही महाविद्यालय में हिंदी के सहायक प्राध्यापक के रूप में उसकी नियुक्ति हो गयी। उस समय उसे दो छोटी कन्याएं थीं। उन्हें तैयार करके स्कूल पहुंचाने के बाद वह कॉलेज जाती। अपने मारवाड़ी परिवार में नौकरी करने वाली वह पहली ही बहू! सिरपर आंचल लेकर वह कॉलेज जाती। उस कारण ससुरालवालों को शिकायत का कभी मौका नहीं मिला। उसके लिए परम्पराएं अपनी जगह और काम अपनी जगह था। पहले-पहल कुछ छात्र ‘बहन जी’ कहकर उसे चिड़ाते। आगे चलकर सभी को उसकी आदत हो गयी।
आगे चलकर विदिशा, राजगढ (ब्यावरा) और धार महाविद्यालयों में अध्यापन का अनुभव प्राप्त हुआ। इस दौरान अनेक ख्यातनाम कवि, कहानीकार,विद्वानों के साथ काम करने का अवसर मिला। चर्चाएं होती रहीं । ‘उस कारण अनुभव- सम्पन्न होती रही’, ऐसा उनका कहना है।
अपनी पारिवारिक जिम्मेवारियों को दक्षतापूर्वक निभाते, अध्यापन का आनंद लेते, सहयोगियों से वैचारिक आदान-प्रदान करते हंसा का जीवन आनंद में व्यतीत हो रहा था कि धर्मा जी का तबादला न्यूयार्क हो गया। सब कुछ सुचारु के चलते वह सब छोड़कर, विदेश में सिरे से जीवन आरंभ करना था । फिर नयी बिसात बिछानी थी …।
क्रमशः…
डॉ हंसा दीप
संपर्क – 22 Farrell Avenue, North York, Toronto, ON – M2R1C8 – Canada
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – ग्रहों का कुंभ : ९ दोहे )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 220 ☆
☆ ग्रहों का कुंभ : ९ दोहे ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए साप्ताहिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपका आलेख – “मोनालिसा…“।)
अभी अभी # 588 ⇒ मोनालिसा श्री प्रदीप शर्मा
मोनालिसा, इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची की पेंटिंग है. यह पेंटिंग 16वीं शताब्दी में बनाई गई थी. यह दुनिया की सबसे चर्चित पेंटिंगों में से एक है. यह पेंटिंग फ़्लोरेंस के एक व्यापारी फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो की पत्नी लीज़ा घेरार्दिनी को देखकर बनाई गई थी. यह पेंटिंग फ़िलहाल पेरिस के लूवर म्यूज़ियम में रखी हुई है। इसकी रहस्यमयी मुस्कान ही इस पेंटिंग की जान है।
आज आपको घर घर में यह नाम मिल जाएगा। कहीं एक बहन का नाम अगर मोना है, तो दूसरी का लिसा। हमारे चलचित्र के खलनायक आदरणीय अजीत जी का तो आदर्श वाक्य ही मोना डार्लिंग था। ।
उधर प्रयाग राज के महाकुंभ में भी एक माला बाला प्रकट हुई है, जो अपनी मोनालिसाई मुस्कान के कारण चर्चित हुई जा रही है। सोचिए, करोड़ों साधु, संन्यासी और श्रद्धालुओं का सैलाब, और सबके हाथ में कैमरा। इतने पत्रकार, देसी विदेशी टीवी रिपोर्टर, इनकी आंखों से बच पाना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है।
काहे का कुंभ और काहे का अमृतपान, जिसे देखो वही इस मोनालिसा की तस्वीर अपने कैमरे में कैद कर रहा है, और आम और खास को परोस रहा है।
जो महाकुंभ में नहीं जा पाए, वे इसी माला वाली बाला की झील सी आंखों में डुबकी लगाना चाहता है। ।
इतना ही नहीं, महाकुंभ की इस मोनालिसा पर कविता, ग़ज़ल, कथा कहानी और व्यंग्य तक का सृजन हो चुका है। सिर्फ एक तस्वीर वायरल होती है और इंसान आम आदमी से सेलिब्रिटी बन जाता है।
मैं भी पशोपेश में हूँ, आज लोग किस मोनालिसा को देखना चाहते हैं, विंची की मोनालिसा तो हमारे लिए कब की पुरानी हो चुकी, आज तो घर घर जिसका चर्चा है, वह तो बेचारी एक साधारण सी महाकुंभ में माला बेचने वाली लड़की है। भविष्य के गर्त में क्या है, कोई नहीं जानता, लेकिन पारखी लोग महाकुंभ में से भी अनमोल रत्न निकाल ही लाते हैं। ।
यह मंथन हम बाद में करेंगे, इस महाकुंभ के स्नान से कितने श्रद्धालुओं को अमृत की बूंद प्राप्त हुई, फिलहाल आज का दिन तो, आज की मोनालिसा का ही है …!!
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (27 जनवरी से 2 फरवरी 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
जय श्री राम। मैं पंडित अनिल पांडे आज आपको 27 जनवरी से 2 फरवरी 2025 तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में बताने जा रहा हूं। मेरा दावा है कि इस साप्ताहिक राशिफल को अगर आप लग्न राशि देखेंगे तो राशिफल पूर्णतया सही मिलेगा। अगर आप इसको चंद्र राशि देखेंगे तो भी अधिकांश बातें सही होगी। अगर आपको यह राशिफल 80% से ऊपर सही नहीं मिलता है तो आप अपनी जन्म तारीख, समय और स्थान मेरे मोबाइल नंबर 8959594400 पर भेज दें। मैं आपको आपकी लग्न राशि बता दूंगा।
वर्तमान में प्रयागराज में मां गंगा और मां यमुना के संगम पर महाकुंभ का मेला चल रहा है। मोनी अमावस्या का स्नान इस सप्ताह होगा। इसके अलावा गुप्त नवरात्रि भी 30 जनवरी से प्रारंभ हो रही है जो की 6 फरवरी तक रहेगी। इस सप्ताह चंद्रमा को छोड़कर अन्य कोई ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में गोचर नहीं कर रहे हैं। इस सप्ताह सूर्य धनु राशि में, वक्री मंगल कर्क राशि में, बुध वृश्चिक राशि में, वक्री गुरु वृष राशि में, शुक्र और शनि कुंभ राशि में तथा राहु मीन राशि में रहेंगे। आई अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।
मेष राशि
इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। वक्री गुरु और शनि देव के अच्छे प्रभाव के कारण आपके पास धन आने की उम्मीद की जा सकती है। कार्यालय में आपको सतर्क होकर कार्य करना चाहिए। कचहरी के कार्यों में उच्च का शुक्र आपके द्वारा उचित एवं प्रभावी प्रयास करने पर सफलता दिलाएगा। इस सप्ताह आपके लिए 28, 29 और 30 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। 2 फरवरी को आपको कोई भी कार्य सतर्क होकर करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
वृष राशि
लाभ के भाव में उच्च का शुक्र बैठा हुआ है अतः आपको इस सप्ताह धन लाभ होगा। कार्यालय में आपको सम्मान प्राप्त होगा। आपको चाहिए कि आप भाग्य के स्थान पर परिश्रम पर ज्यादा विश्वास करें। वक्री गुरु के कारण आपको स्वास्थ्य लाभ हो सकता है। जीवन साथी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी संभव है। इस सप्ताह आपके लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल हैं। 27 और 28 जनवरी को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन स्नान करने के उपरांत तांबे के पत्र में जल अक्षत और लाल पुष्प डालकर सूर्य मत्रों के साथ भगवान सूर्य को अर्घ्य दें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
मिथुन राशि
वक्री मंगल इस सप्ताह आपको स्वास्थ्य लाभ दिलाएगा। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। आपको अपने कार्यालय में प्रसन्नता प्राप्त होगी। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाग्य आपका साथ देगा। आपको दुर्घटनाओं से सतर्क रहना चाहिए। आपके जीवन साथी को शारीरिक कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 के दोपहर तक का समय तथा 2 फरवरी किसी भी कार्य को करने के लिए लाभदायक है। 28 के दोपहर के बाद से लेकर 29 और 30 जनवरी को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गरीब लोगों के बीच में गुड का दान करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
कर्क राशि
इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा। भाग्य के कारण आपके सफलताओं में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। कचहरी के कार्यों में सफलता हो सकती है। कचहरी के कार्य आपको बहुत सावधानीपूर्वक करने होंगे। आपके जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 28 के दोपहर के बाद से 29 और 30 तारीख को लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सावधान रहकर कार्य करना है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
सिंह राशि
इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। उनको कई सफलताएं मिल सकती हैं। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिल पाएगी। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना पड़ेगा। आपको मानसिक कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी किसी भी काम को करने के लिए लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।
कन्या राशि
इस सप्ताह अविवाहित जातकों के विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। भाग्य आपका साथ देगा। कार्यालय में अगर आप कर्मचारी या अधिकारी हैं तो आपके सम्मान में वृद्धि होगी। आपको अपने संतान से सहयोग मिलने में कमी आएगी। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ सकती है। माता-पिता जी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 की दोपहर तक तथा 2 फरवरी को कोई भी कार्य करना लाभदायक रहेगा। 31 जनवरी और 1 फरवरी को आपको सावधानी पूर्वक कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
तुला राशि
इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है। जनता में आपकी प्रतिष्ठा में थोड़ी कमी हो सकती है। भाग्य से आपके सहयोग प्राप्त होगा। आपके शत्रु शांत रहेंगे तथा आपके प्रयास करने पर समाप्त भी हो जाएंगे। इस सप्ताह आपके लिए 28 की दोपहर के बाद से 29 और 30 जनवरी किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ है। 2 फरवरी को आपको सावधानीपूर्वक सचेत होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
वृश्चिक राशि
इस सप्ताह आपके माता जी और जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के गरदन या कमर में दर्द होने की शिकायत हो सकती है। आपका स्वास्थ्य भी पेट में खराबी के कारण थोड़ा खराब हो सकता है। दुर्घटनाओं से आप बाल बाल बचेंगे। इस सप्ताह आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध कम ठीक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन घर की बनी पहली रोटी गौ माता को खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
धनु राशि
इस सप्ताह अगर आप थोड़ा भी प्रयास करेंगे तो आपके प्रतिष्ठा और पराक्रम में वृद्धि होगी। थोड़ा बहुत धन आने का योग है। माता जी और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको रक्त संबंधी कोई विकार हो सकता है। अगर आपके पेट में कोई तकलीफ है तो वह समाप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 जनवरी तथा 2 फरवरी कार्यों को करने के लिए अनुकूल है। सप्ताह के बाकी दिन भी आपके अधिकांश कार्य सफल हो सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मंदिर पर जाकर गरीबों के बीच में चावल का दान करें। अगर संभव हो तो शुक्रवार को मंदिर के पुजारी को सफेद वस्त्रो का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
मकर राशि
इस सप्ताह आपके जीवनसाथी, माता जी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाग्य आपका साथ देगा। लंबी यात्रा का योग बन सकता है। भाई बहनों के साथ अच्छे संबंध रहेंगे। संतान आपके साथ सहयोग करेगी। अगर आप थोड़ा प्रयास करेंगे तो अपने शत्रुओं को आप समाप्त कर सकते हैं। धन आने का योग है। इस सप्ताह आपके लिए 29 और 30 तारीख शुभ है। 27 और 28 तारीख को आपको सचेत होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
कुंभ राशि
इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के पेट में पीड़ा हो सकती है। जीवनसाथी और माता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। धन आने की उत्तम संभावना है। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। आपको अपने संतान से सहयोग प्राप्त होगा। आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि संभव है। इस सप्ताह आपके लिए 31 जनवरी और 1 फरवरी कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। 28, 29 और 30 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
मीन राशि
अगर आप विवाहित हैं तो इस सप्ताह आपके पास विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। कचहरी के कार्यों में सावधानी रखकर अगर आप कार्य करेंगे तो आप सफल हो सकते हैं। धन आने की संभावना है। जनता में आपको प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को रक्त संबंधी कोई समस्या हो सकती है। भाग्य आपका सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 27 और 28 जनवरी तथा 2 फरवरी कार्यों को करने के लिए उपयुक्त हैं। 31 जनवरी और 1 फरवरी को आपको सावधानी पूर्वक कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।
आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखिका सुश्री राधिका भांडारकर यांना, साहित्यातील भरीव आणि प्रचंड कार्याबद्दल ‘सर्वद फाउंडेशन‘ यांच्यातर्फे राज्य पातळीवर देण्यात येणारा “कवी कुसुमाग्रज साहित्य पुरस्कार“ नुकताच प्रदान करण्यात आला आहे.
या पुरस्काराबद्दल सुश्री राधिकाताई यांचे आपल्या सर्वांतर्फे अतिशय मनःपूर्वक अभिनंदन, आणि त्यांच्या यापुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी असंख्य हार्दिक शुभेच्छा.💐
संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈