आचार्य सत्य नारायण गोयनका
(हम इस आलेख के लिए श्री जगत सिंह बिष्ट जी, योगाचार्य एवं प्रेरक वक्ता योग साधना / LifeSkills इंदौर के ह्रदय से आभारी हैं, जिन्होंने हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए ध्यान विधि विपश्यना के महान साधक – आचार्य सत्य नारायण गोयनका जी के महान कार्यों से अवगत करने में सहायता की है।)
Shri Jagat Singh Bisht
(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)
☆ ध्यान विधि विपश्यना के महान साधक – आचार्य सत्य नारायण गोयनका ☆
आचार्य सत्य नारायण गोयनका ने बुद्ध की ध्यान विधि विपश्यना को शुद्धतम रूप में सारे विश्व में पहुँचाया. उनके इस अमूल्य योगदान के लिए सम्पूर्ण मानवता उनकी हमेशा ऋणी रहेगी.
विपश्यना बुद्ध द्वारा सिखाई गयी ध्यान की महत्वपूर्ण विधि है. बुद्ध के परिनिर्वाण के पश्चात ५०० वर्ष तक उनकी वाणी और प्रयोगात्मक शिक्षा विपश्यना शुद्ध रूप में कायम रही. उसके बाद धीरे-धीरे वह क्षीण होते होते भारत से पूर्णत: लुप्त हो गयी. बाहर के कुछ देशों में बुद्ध की केवल वाणी कायम रही. लेकिन विपश्यना विद्या केवल बर्मा (अब म्यान्मार) में बहुत थोड़े से लोगों में कायम रखी गयी.
आचार्य सत्य नारायण गोयनका का जन्म बर्मा देश के मांडले शहर में २९ जनवरी १९२४ को हुआ. उन्होंने कम उम्र में ही अनेक वाणिज्यिक और औद्योगिक संस्थानों की स्थापना की और खूब धन अर्जित किया. वर्ष १९५५ में .गोयनका जी माइग्रेन के सिरदर्द से बहुत दुखी हुए विशेषकर इस दर्द को दूर करने के लिए जो मॉर्फिन के इंजेक्शन दिए जाते थे उनसे बहुत पीड़ित हुए. तब डॉक्टरों की सलाह पर वे सारे विश्व के बड़े बड़े देशों के प्रसिद्ध डॉक्टरों से इलाज कराने गए लेकिन निराशा ही हाथ लगी. उनके एक मित्र ने सुझाव दिया कि उनका यह असाध्य रोग मन से सम्बंधित है और उन्हें मानसिक शांति के लिए विपश्यना ध्यान करना चाहिए.
सयाजी ऊ बा खिन से .गोयनका जी ने विपश्यना विद्या सीखी और १४ वर्षों तक उनके चरणों में बैठकर अभ्यास करने के साथ बुद्धवाणी का भी अध्ययन किया. १९६९ में वो भारत आये और बम्बई (अब मुंबई) में पहला विपश्यना शिविर एक धर्मशाला में आयोजित किया. इसके बाद देश के अनेक स्थानों पर निरंतर शिविर होते रहे. १९७६ में इगतपुरी में पहला निवासीय विपश्यना केंद्र बना. आज सारे विश्व के ९४ देशों में, ३४१ स्थलों पर, जिनमें से २०२ स्थाई विपश्यना केंद्र हैं, १०-दिवसीय विपश्यना शिविर आयोजित किये जाते हैं. सबका संचालन नि:शुल्क होता है. भोजन, निवास आदि का खर्च शिविर से लाभान्वित साधकों के स्वेच्छा से दिए दान से चलता है.
आचार्य सत्य नारायण गोयनका ने बुद्ध की ध्यान विधि विपश्यना को शुद्धतम रूप में सारे विश्व में पहुँचाया. आज भी विश्व भर में, १०-दिवसीय विपश्यना शिविर समान रूप से, पूर्ण अनुशासन में, संचालित होते हैं. शिविर में १० दिन तक साधक मौन रहकर एक भिक्षु की तरह शील-सदाचार का पालन करते हैं, ध्यान-समाधि का गहन अभ्यास करते हैं और बुद्ध की वाणी से ज्ञान-प्रज्ञा जागते हैं. इससे बेहतर अध्यात्म की कार्यशाला शायद ही कहीं कोई और हो. १० दिन में मानो पूरा जीवन ही बदल जाता है. उनके इस अमूल्य योगदान के लिए सम्पूर्ण मानवता उनकी हमेशा ऋणी रहेगी. भारत ही नहीं, विश्व भर में विपश्यना साधना निर्बाध रूप से बढती चली जा रही है और करोड़ों मानव-मानवी इससे लाभान्वित हुए हैं. ध्यान की यह विद्या सीखने हर संप्रदाय और हर वर्ग के लाखों लोग प्रतिवर्ष आते हैं.
आचार्यजी का व्यक्तित्व अत्यंत मोहक था. एक साधारण मानवी की वेशभूषा, कोई आडम्बर नहीं. चेहरे पर हमेशा मंद-मंद मुस्कान, साधकों के लिए ह्रदय में गहन करुणा भाव लेकिन बाह्य रूप से पूर्णतः अनुशासन-प्रिय. आवाज़ बहुत बुलंद और गहरा प्रभाव डालने वाली. शिविर के दौरान सायंकालीन प्रवचन रोचक प्रसंगों से भरपूर लेकिन कुलमिलाकर धीर-गंभीर और बुद्ध वाणी का सरल भाषा में निचोड़. वैसे भी वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे – साहित्यकार, हिंदी-सेवी, समाज सेवक और उद्योगपति.
विपश्यना द्वारा धर्म-सेवा करने के लिए आचार्य सत्य नारायण गोयनका को अनेकों विशिष्ट अलंकरणों से सम्मानित किया गया. भारत सरकार ने भारत तथा विश्व में सामाजिक सेवाओं के लिए वर्ष २०११ में गोयनका जी को पद्मभूषण राष्ट्रीय पुरुस्कार से सम्मानित किया. २९ सितम्बर २०१३ को मुंबई में उनका देहावसान हुआ. हमें लगता है कि आज भी कहीं दूर से, अपनी चिर-परिचित मुस्कान और करुणा-भाव से, हम सबको देखते हुए, वो वही आशीर्वचन कहते होंगे जो प्रत्येक संबोधन के उपरांत अपनी असरदार, जादुई वाणी में गायन कर कहते थे – भवतु सब्ब मंगलम! सबका कल्याण हो! सबका मंगल हो!
प्रस्तुति – श्री जगत सिंह बिष्ट
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Master Teacher: Happiness & Well-Being; Laughter Yoga Master Trainer
Past: Corporate Trainer with a Fortune 500 company & Laughter Professor at the Laughter Yoga University.
Areas of specialization: Behavioural Science, Positive Psychology, Meditation, Five Tibetans, Yoga Nidra, Spirituality, and Laughter Yoga.
Radhika Bisht ; Founder : LifeSkills
Yoga Teacher; Laughter Yoga Master Trainer