सूचनाएँ/Information – ☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018” से सम्मानित ☆

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☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से सम्मानित 

उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 30 दिसम्बर को यशपाल सभागार में पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन पर्व स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और विधानसभा अध्यक्ष जी की गरिमामय उपस्थित रही।

इस सुअवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में डॉ राकेश चक्र जी को “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से उत्तर प्रदेश हिंदी के कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय डॉ सदानंद गुप्त जी व अन्य ख्यातिनाम साहित्यकारों की  गरिमामय उपस्थिति में उत्तरीय उढ़ाकर, सम्मान पत्र और रु 51,000 की धनराशि का चैक आदि देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर देश और विदेश के अन्य 136 साहित्यकारों को भी विभिन्न विधाओं में सम्मानित किया गया।

ई-अभिव्यक्ति की ओर से डॉ राकेश चक्र जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।

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सूचनाएँ/Information ☆ 7वां अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 ☆ प्रस्तुति -डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’

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☆ 7 वां अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडियासोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 ☆


कोटा, राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया।

प्रथम सत्र में, मंचस्थ अतिथियों में, गंगापुर एस डी एम, विकास शर्मा, संरक्षक-संयोजक (विद्यापीठ) देवेंद्र कुमावत, संत बालयोगी, श्याम पुरोहित, डॉ अरविंद त्यागी, डा रघुनाथ मिश्र सहज व विनोद बब्बर (संपादक राष्ट्र-किंकर) रहे। कार्यक्रम का संचालन विपनेश माथुर और किशोर श्रीवास्तव ने किया।

मुख्य अतिथियों द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया और मंच के सभी अतिथियों का शाल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया ।

कार्यक्रम की शुरुआत भाई-चारा गीत (टाईटल /थीम सॉंग), लखनऊ टीम के नन्हें कलाकारों के द्वारा उत्साह जनक रही। इसके बाद “हम साथ साथ” पत्रिका का विमोचन किया गया और कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इस सम्मेलन व सम्मान समारोह में देश-विदेश से लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें नेपाल से अंजली पटेल, पूनम शर्मा, फिजी से श्वेता दत्त और शिकागो रेडियो के प्रतिनिधि विशाल शर्मा शामिल हुए ।

श्री देवेन्द्र कुमावत व श्री विकास शर्मा ने सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित किया । सभी अतिथि-प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। सोशल मीडिया की सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका/विश्व बन्धुत्व को आगे बढ़ाने की भूमिका/ सोशल मीडिया के खट्टे- मीठे अनुभव पर हुई परिचर्चा में अनेक प्रतिभागियों ने अपने उदगार प्रकट किए।

सांस्कृतिक संध्या सत्र का संचालन श्री किशोर श्रीवास्तव ने किया और  गणेश वंदना से शुरुवात हुई ।  मुकेश मधुर व सतीश ने कर्ण प्रिय बासुरी वादन प्रस्तुत किये । जया श्रीवास्तव, दीपक कुमार सिंह, तौफीक, अंजली पटेल, एंजल गाँधी, आकर्ष सिंह, नितिका कौशिक, पूनम मिश्रा, रीता शर्मा ने गीत और विध्याभूषण, आदिति जैसवाल, सन्दीपिका राय, शिवांगी चौहान ने नृत्य प्रस्तुत किये ।

डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की अध्यक्षता में साकेत सुमन और कुसुम जी के मुख्य अतिथ्य व अशोक-उमा शंकर मिश्र के संचालन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि कपिल खन्डेलवाल ‘कलश’, डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’,  उमा शंकर मिश्र, विजय तिवारी सहित लगभग 40 कवियों ने काव्य पाठ किया ।

25 दिसम्बर को शेष कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में, प्रतिभा प्रदर्शन के लिये, सभी प्रतिभागियो को आकर्षक स्म्रति चिन्ह व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया ।

कोटा से प्रख्यात कवि- साहित्यकारों, डा. रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को साहित्य-कला-संस्कृति समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिये और साथ ही कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को चित्रकारिता में भी विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया गया।

प्रस्तुति : भीलवाड़ा से लौटकर डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ की संयुक्त विज्ञप्ति। 

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य # 30 – जूठन ☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

श्रीमती  सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

 

(संस्कारधानी जबलपुर की श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी की लघुकथाओं का अपना संसार है। साप्ताहिक स्तम्भ – श्रीमति सिद्धेश्वरी जी का साहित्य  शृंखला में आज प्रस्तुत हैं  – एक अत्यंत मर्मस्पर्शी जीवंत संस्मरण पर आधारित लघुकथा  “जूठन”। यह जीवन का कटु सत्य। आज भी ऐसी  मानसिकता के लोग समाज में हैं। वे नहीं जानते कि – सबको  आखिर जाना तो एक ही जगह है।

(श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’ जी को मधुशाला साहित्यिक परिवार, उदयपुर की ओर से “काव्य  गौरव सम्मान 2019”  के लिए हार्दिक बधाई । )

☆ श्रीमति सिद्धेश्वरी जी  का साहित्य # 30 ☆

☆ लघुकथा – जूठन ☆

 

कहते हैं आदमी कितना भी धनवान और रूपवान  क्यों न हो जाए, यदि उसके पास मानवता नहीं है तो वह पशु  समान है।

शहर के बीचों बीच काफी हाउस जहां पर दक्षिण भारतीय व्यंजन जैसे डोसा, इडली सांभर, बड़ा सांभर खाने के लिए काफी भीड़ लगती है। अपनी अपनी पसंद से सभी खाते हैं। काफी हाउस में लगभग सभी कुर्सियों पर व्यक्ति बैठे थे। हम भी वहां बैठे थे।

पास की पंक्ति पर एक सरकारी नौकरी और अच्छे पद पर काम करने वाली सभ्रांत लगाने वाली महिला एक बुजुर्ग महिला के साथ बैठी थी। उस महिला के पहनावे और बातचीत करने के तरीके से पता चल रहा था कि वह घर में काम करने वाली बाई है। पास में ही दो-तीन थैलों में सामान रखा हुआ था साथ ही मिनरल वाटर की चमचमाती बोतल टेबल पर रखी थी।

ऑर्डर पास करने वाला आकर खड़ा हो गया। भीड़ के कारण जल्दी-जल्दी ऑर्डर ले रहा था। उस सभ्य महिला ने कहा… “एक मसाला डोसा लेकर आओ”।  उसने हां में सिर हि दिया।  फिर खड़ा रहा और पूछा “क्या, सिर्फ एक ही लाना है?” उसे लगा उम्र में उससे दुगनी महिला साथ में बैठी है, तो शायद उसके लिए कुछ अलग मांग रही है।  परंतु उसने कहा.. “सिर्फ एक मसाला डोसा।“

थोड़ी देर में प्लेट में मसाला डोसा लेकर वेटर आ गया और  टेबिल पर रखकर चला गया। उस महिला ने मुंह बना-बना कर मसाला डोसा खाना शुरू किया। वह बात करते जा रही थी।  लिपस्टिक खराब ना हो जाए इसलिए बड़े ही स्टाइल से खा रही थी। परंतु, प्लेट में बहुत ही गंदे तरीके से सांभर टपका रही थी और वह महिला सामने बैठ उसके प्लेट को देख रही थी। शायद, भूख उसे भी लगी थी, परंतु चुपचाप देख रही थी।

अंत में उस  सभ्य महिला ने सामने बैठी अधेड़ उम्र की महिला से कहा… “यह बचा हुआ डोसा तुम खा लो तुम्हारा पेट भर जाएगा। घर जाकर खाना नहीं पड़ेगा। हम तो अभी जूस पीकर आए हैं। अब ज्यादा नहीं खा सकेंगे।“

उस प्लेट को हम  सभी देख रहे थे मुश्किल से एक तिहाई डोसा बचा था। यह कह कर वह हाथ धोने वॉशरूम की ओर चली गई। जब किसी से नहीं रहा गया तो वहां बैठे और लोगों ने पूछा… “तुम यह जूठन क्यों खा रही हो अम्मा?

उसने मुंह में निवाला डाले डाले कहा… “घर में हम रोज ही मेम साहब का जूठन खाते हैं। वह खाने के बाद उसी प्लेट पर बचा हुआ खाना हमें देती है। हमारी तो आदत है, जूठन खाने की। क्या करें? जिंदगी जो काटनी है उनके साथ!” उत्तर सुनकर सभी उसकी ओर देखने लगे।

किसी ने कुछ नहीं कहा और सब उस ऊंची सोच वाली महिला को देख रहे थे। जो वाशरूम से हाथ धो कर निकली और पर्स उठा कर बाहर की ओर चलती बनी।

कुछ तो फर्क होता है ‘बचा हुआ’ और ‘जूठन’ देने में? कैसी मानसिकता हैं यह? हम सोचते रहे, किन्तु, कुछ कर न सके।

 

© श्रीमति सिद्धेश्वरी सराफ ‘शीलू’

जबलपुर, मध्य प्रदेश

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आध्यात्म/Spiritual – श्रीमद् भगवत गीता – पद्यानुवाद – नवम अध्याय (8) प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध

श्रीमद् भगवत गीता

हिंदी पद्यानुवाद – प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

नवम अध्याय

जगत की उत्पत्ति का विषय )

 

प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः ।

भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात्‌ ।।8।।

 

अपने प्राकृत नियम वश फिर फिर रचता सृष्टि

सहज प्रकृति आधीन है यह संम्पूर्ण समष्टि।।8।।

 

भावार्थ :  अपनी प्रकृति को अंगीकार करके स्वभाव के बल से परतंत्र हुए इस संपूर्ण भूतसमुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ।।8।।

 

Animating My Nature, I again and again send forth all this multitude of beings, helpless by the force of Nature.।।8।।

 

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

ए १ ,विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर

[email protected]

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हिन्दी साहित्य – ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 19 ☆ काव्य संग्रह – लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं – सुश्री सोनिया खुरानिया ☆ – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

(हम प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’जी के आभारी हैं जिन्होने  साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक की पुस्तक चर्चा”शीर्षक से यह स्तम्भ लिखने का आग्रह स्वीकारा। इस स्तम्भ के अंतर्गत हम उनके द्वारा की गई पुस्तक समीक्षाएं/पुस्तक चर्चा आप तक पहुंचाने का प्रयास  करते हैं । आप प्रत्येक मंगलवार को श्री विवेक जी के द्वारा लिखी गई पुस्तक समीक्षाएं पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है  सुश्री सोनिया खुरानिया जी के काव्य संग्रह लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं ” पर श्री विवेक जी की पुस्तक चर्चा.  श्री विवेक जी  का ह्रदय से आभार जो वे प्रति सप्ताह एक उत्कृष्ट एवं प्रसिद्ध पुस्तक की चर्चा  कर हमें पढ़ने हेतु प्रेरित करते हैं। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक की पुस्तक चर्चा – # 19☆ 

☆ पुस्तक चर्चा – काव्य संग्रह  –  लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं 

पुस्तक –लफ्ज दर लफ्ज मैं

लेखिका –  सुश्री सोनिया खुरानिया

प्रकाशक – रवीना प्रकाशन दिल्ली

आई एस बी एन – ९७८९३८८३४६८१८

मूल्य –  200 रु प्रथम संस्करण 2019

☆ काव्य संग्रह –  लफ्ज़ दर लफ्ज़ मैं – सुश्री सोनिया खुरानिया –  चर्चाकार…विवेक रंजन श्रीवास्तव

काव्य वह विधा है जो यदि कौशल से प्रयुक्त हो तो व्यक्तिगत अनुभवो को हर पाठक के उसके अनुभव बना देने की क्षमता रखती है. सोनिया खुरानिया की इस पुस्तक में संग्रहित कवितायें अधिकांशतः इसी तरह की हैं. छंद के शिल्प में भले ही कुछ रचनायें वह पकड़ न रखती हों जो साहित्यिक दृष्टि से आवश्यक हैं किन्तु भाव की कसौटी पर रचनायें खरी अभिव्यक्ति प्रस्तुत कर रही हैं. कोई ६० से अधिक कवितायें, कुछ मुक्त छंद में कुछ छंद में संग्रहित हैं. अधिकतर रचनायें स्त्री पुरुष संबंधो के, प्रतीत होता है उनके स्व अनुभव ही हैं. कवियत्री से अनुभवो की परिपक्वता पर बेहतर साहित्य की उम्मीद साहित्य जगत को है.

 

चर्चाकार .. विवेक रंजन श्रीवास्तव , जबलपुर

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 27 – भारत का आखिरी गांव माणा गांव ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

 

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी   की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय  एवं  साहित्य में  सँजो रखा है । प्रस्तुत है साप्ताहिक स्तम्भ की  अगली कड़ी में  उनका अविस्मरणीय  संस्मरण  “भारत का आखिरी गांव माणा गांव”। आप प्रत्येक सोमवार उनके  साहित्य की विभिन्न विधाओं की रचना पढ़ सकेंगे।) \

☆ जय प्रकाश पाण्डेय का सार्थक साहित्य # 27 ☆

☆ भारत का आखिरी गांव माणा गांव 

सरस्वती नदी का उदगम स्थल भीमपुल माणा गांव भारत का अंतिम गांव कहलाता है बहुत दिनों से भारत चीन सीमा में बसे इस गाँव को देखने की इच्छा थी जो जून 2019 में पूरी हुई। यमुनेत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के दर्शन के बाद माणा गांव जाना हुआ। 20 जून 2019 को उत्तराखंड की राज्यपाल माणा गांव आयीं थीं ऐसा वहां के लोगों ने बताया। हम लोग उनके प्रवास के तीन चार दिन बाद वहां पहुंचे। हिमालय की पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव के चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्य देखकर अदभुत आनंद मिलता है पर गांव के हालात और गांव के लोगों के हालात देखकर दुख होता है अनुसूचित जाति के बोंटिया परिवार के लोग गरीबी में गुजर बसर करते हैं पर सब स्वस्थ दिखे और ओठों पर मुस्कान मिली।

बद्रीनाथ से 4-5 किमी दूर बसे इस गांव से सरस्वती नदी निकलती है और पूरे भारत में केवल माणा गांव में ही यह नदी प्रगट रूप में है इसी नदी को पार करने के लिए  भीम ने एक भारी चट्टान को नदी के ऊपर रखा था जिसे भीमपुल कहते हैं। किवदंती है कि भीम इस चट्टान से स्वर्ग गए और द्रोपदी यहीं डूब गयीं थी।

कलकल बहती अलकनंदा नदी के इस पार माणा गांव है और उस पार आईटीबीपीटी एवं मिलिट्री का कैम्प हैं जिसकी हरे रंग की छतें माणा गांव से दिखतीं है।

माणा गांव के आगे वेदव्यास गुफा, गणेश गुफा है माना जाता है कि यहीं वेदों और उपनिषदों का लेखन कार्य हुआ था। माणा गांव के आगे सात किमी वासुधारा जलप्रपात है जिसकी एक बूंद भी जिसके ऊपर पड़ती है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। कहते हैं यहां अष्ट वसुओं ने तपस्या की थी। थोड़ा आगे सतोपंथ और स्वर्ग की सीढ़ी पड़ती हैं जहां से राजा युधिष्ठिर सदेह स्वर्ग गये थे।

हालांकि इस समय भारत का ये आखिरी गांव बर्फ से पूरा ढक गया होगा और बोंटिया परिवार के 300 परिवार अपने घरों में ताले लगाकर चले गए होंगे पर उनकी याद आज भी आ रही है जिन्होंने अच्छे दिन नहीं देखे पर गरीबी में भी वे मुस्कराते दिखे।।

 

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765
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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – कवितायेँ ☆ श्री संजय भारद्वाज

श्री संजय भारद्वाज 

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। ) 

 

☆ संजय दृष्टि  –  कवितायेँ 

 

आजकल

कविताएँ लिखने पढ़ने का

दौर खत्म हो गया क्या..?

नहीं तो ;

पर तुम्हें ऐसा क्यों लगा..?

फिर रोजाना ये अनगिनत

विकृत, नृशंस कांड

कैसे हो रहे हैं..!!!

 

बाँचना, गुनना नियमित रहे, मनुष्यता टिकी रहे।

( कविता संग्रह ‘मैं नहीं लिखता कविता’ से।)
©  संजय भारद्वाज, पुणे

☆ अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार  सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय  संपादक– हम लोग  पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

[email protected]

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सूचनाएँ/Information ☆ “चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन☆ प्रस्तुति – सौ. संगिता राम भिसे ☆

☆ सूचनाएँ/Information  ☆

“चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन ☆ प्रस्तुति – सौ. संगिता राम भिसे ☆

(वरिष्ठ  मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त  ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण  उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है.  यह गर्व की बात है कि श्रीमती उर्मिला जी के  काव्य संग्रह “चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” का पूजन, प्रकाशन एवं लोकार्पण कार्यक्रम ” आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त पर प्रातः ठीक 11 बजे  थेऊर अष्टविनायक देवस्थान पर संपन्न होने जा रहा है। ई- अभिव्यक्ति  की ओर से श्रीमती उर्मिला जी को हार्दिक शुभकामनाएं। )

श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे

सुर्यगंध प्रकाशन तर्फे, सातारा येथील कवियत्री लेखिका माझी आई, श्रीमती उर्मिला उद्धवराव इंगळे यांनी लिहिलेल्या “चिंतामणी चारोळी” या श्री गणेश वर्णानाच्या तसेच चामुंडेश्वरी चरणावली या आदिशक्तीचे स्तुती वर्णन अष्टाक्षरी चारोळी संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी च्या सुमूहूर्तावर सकाळी ठिक ११ वा. थेऊर अष्टविनायक देवस्थान येथे संपन्न होत आहे.

या कार्यक्रमास अष्टविनायक देवस्थान चे प्रमुख विश्वस्त ह. भ. प. श्री. आनंद महाराज तांबे व श्री. स्वानंद देव अध्यक्ष चित्रपट व नाट्यसंस्था महाराष्ट्र राज्य तसेच कवी – कवियत्रि लेखक, चित्रपट क्षेत्रातील नामवंत इ. उपस्थित रहाणार आहेत.

माझ्या आई श्रीमती. उर्मिला इंगळे यांच्या या पूर्वी काव्यपुष्प कविता संग्रह, प्रती १५००, स्वागत मुल्य रामनाम, माझे वडील कै. उद्धवराव  इंगळे यांच्या हस्ते ५/५/२०१८ रोजी सातारा येथे प्रकाशन झाले.

चैतन्य चारोळी या पुज्य. गोंदवलेकर महाराजांच्या कृपाशीर्वादाने सुचलेल्या अध्यात्मिक चारोळ्यांनी गुंफलेल्या “सुर्यगंध प्रकाशन ने प्रकाशित केलेल्या संग्रहाचे प्रकाशन संमेलनाध्यक्ष या. श्रीपाल सबनीस यांच्या हस्ते भव्य दिव्य कार्यक्रमा द्वारे दि. २ जून २०१९ रोजी झाले.

चिरंजीवी चारोळी हा संग्रह भगद्भक्ति बलोपासना व स्वामीनिष्ठा या त्रिसूत्रीला लाभलेली प्रतिभा शक्तिची जोड या मूळे भक्ति रसाने ओतप्रोत भरलेला हा संग्रह केसरी नंदन बलभीम, हनुमान यांच्या भावभक्तिचे चरित्र गुणवर्णनाने वाचनिय ठरला आहे. यातील चारोळ्या श्रीसमर्थ रामदास स्वामी यांनी स्थापन केलेल्या ११ मारूतींचे सालंकृत दर्शन व पुज्य श्रीधर स्वामींनी सुंदर कांडातील केलेले श्रीमारूती माहात्म्य ही चारोळी रुपी फुले गुंफंण्याचे मौलिक कार्य माझ्या आईने केले आहे.

श्री समर्थ सेवा मंडळ सज्जनगड समिती तर्फे प्रतिवर्षी क्षेत्र चाफळ येथे श्रवणातल्या तिसऱ्या शनिवारी सामुदायिक हनुमान उपासना आयोजित केली जाते. त्यात महाराष्ट्रातील अनेक समर्थ भक्त येतात, त्यांना दिनांक २४/८/१९ रोजी प्रसाद म्हणून वाटप करता यावेत यासाठी अल्पवेळात लिहून लोकमंगल मुद्रणालय, सातारा यांनी अत्यल्प वेळात सुबक छापून दिल्याने ५०० प्रति चाफळ येथे एकावेळी प्रसाद म्हणून वाटल्या याचा आनंद आईला खुप झाला.

संग्रहांचे मुल्य “रामनाम” यासाठी कि माझी आई म्हणते वाचकाने फक्त एकदा हातात घेतले तरी त्याच्या मुखी रामनाम येईल व ते माझ्या श्री. ब्रम्हचैतन्य महाराजांनी उघडलेल्या ” राम रतन धन” या बॅंकेत जमा होईल, इति श्रीराम!!

©️®️ सौ. संगिता राम भिसे

दि : ३०/१२/१९

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मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 29 – विद्याधन ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

 

(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना  एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं।  सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से  जुड़ा है  एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है।  निश्चित ही उनके साहित्य  की अपनी  एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज  प्रस्तुत है अतिसुन्दर  शिक्षाप्रद कविता   “विद्याधन ” । )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य # 29 ☆ 

 ☆विद्याधन

 

जगी तरण्या साधन

असे एक विद्याधन।

कण कण जमवू या

अहंकार विसरून ।

 

सारे सोडून विकार

करू गुरूचा आदर।

सान थोर चराचर।

रूपं गुरूचे सादर ।

 

चिकाटीने धावे गाडी

आळसाची कुरघोडी।

जरी जिभेवर गोडी।

बरी नसे मनी अढी।

 

घरू ज्ञानीयांचा संग

सारे होऊन निःसंग।

दंग चिंतन मननी

भरू जीवनात रंग ।

 

ग्रंथ भांडार आपार

लुटू ज्ञानाचे कोठार।

चर्चा संवाद घडता

येई विचारांना धार।

 

वृद्धी होईल वाटता

अशी ज्ञानाची शिदोरी।

नका लपवू हो  विद्या

वृत्ती असे ही अघोरी।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

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सूचनाएँ/Information – ☆ बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 ☆

सूचनाएँ/Information

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 ☆

 

राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह के लिए प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को बालसाहित्य में विशेष योगदान के चयनित कर आमंत्रित किया गया था।

समाज में भाईचारे और विश्व बंधुत्व की भावना के विकास में सोशल मीडिया की भूमिका विषय पर आयोजित परिचर्चा में उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने और बालसाहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया। उन्हें यह सम्मान ‘हम सब साथ साथ’ के राष्ट्रीय संयोजक तथा देश और दुनिया के जाने माने शख्सियत श्री किशोर श्रीवास्तव, वीर रस के लब्धप्रतिष्ठित कवि योगेंद्र शर्मा ,समाजसेवी विनोद बब्बर ,और नामचीन साहित्यकार डॉ प्रीति समकित सुराना के करकमलों से प्राप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में देशविदेश के जाने माने प्रतिभावान कलाकारों ने हिस्सा लिया । नेपाल से अंजलि पटेल,  अमेरिका शिकागों से रेडियो प्रतिनिधि विशाल पांडेय, फिजी से स्वेता चौधरी सहित पूरे देश से पधारे हुए  कला, साहित्य एवं समाजसेवा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले अनेक प्रतिभासंपन्न साथियों ने इस में भाग लिया।
 ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”  जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।
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