श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
(सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी का हिन्दी बाल -साहित्य एवं हिन्दी साहित्य की अन्य विधाओं में विशिष्ट योगदान हैं। श्री ओमप्रकाश जी के साप्ताहिक स्तम्भ “श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं ” के अंतर्गत उनकी मानवीय दृष्टिकोण से परिपूर्ण लघुकथाएं आप प्रत्येक गुरुवार को पढ़ सकते हैं। आज प्रस्तुत है उनकी शिक्षाप्रद लघुकथा “उपहार ”। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – श्री ओमप्रकाश जी की लघुकथाएं – #4 ☆
☆ उपहार ☆
नन्ही परी का जन्मदिन मनाया जा रहा था .
उस की प्यारी टीचर भी आई हुई थी.
जैसे ही परी ने मोमबत्ती को फूंक मारा वैसे ही सभी ने एक स्वर में कहा , ” हैप्पी बर्थ डे टू यू …………… हैप्पी बर्थ डे टू परी, ” और सभी बारी-बारी से परी को केक खिलाने लगे .
अंत में पापा ने परी से पूछा , “ बोलो ! तुम्हें कौन सा उपहार चाहिए ?”
यह सुनते ही परी ने टीचर की तरफ देखा. टीचर ने मम्मी की पेट की तरफ इशारा कर दिया.
इसलिए परी ने तपाक से कहा, ” पापा ! मुझे यह बेबी चाहिए .”
यह सुन कर मम्मी-पापा दंग रह गए.
कहीं परी ने उन की बात तो नहीं सुन ली थी कि वे इस बच्ची को दुनिया में नहीं आने देंगे.
वे क्या बोलते. चुप हो गए .
और परी बार-बार यही दोहरा रही थी ,” पापा ! मुझे यह बेबी चाहिए.”
© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”
पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) मप्र
ईमेल – [email protected]
मोबाइल – 9424079675