LifeSkills wishes you a very happy and prosperous Diwali! RadhikaJagat Bisht Jagat Singh Bisht
YOGA ASANAS: STANDING POSTURES
In this video, we have demonstrated yoga asanas in the standing posture including
Tadasana, TiryakTadasana, Trikonasana, Virbhadrasana, Parsakonasana, Padottanasana, Utkatasana, Parshvotannasana, Padangushtasana, Padahastasana, Uttanasana, Utthita Hasta Padangusthasana, Mukta Hastasana, Vrikshasana and Natrajasana.
(This is only a demonstration to facilitate practice of the asanas. It must be supplemented by a thorough study of each of the asanas. Careful attention must be paid to the contra indications in respect of each one of the asanas. It is advisable to practice under the guidance of a yoga teacher.)
आज से हम सबके घर-आँगन प्रकाशोत्सव दीपावली पर्व के पावन अवसर पर जगमगाने लगे हैं। किन्तु, ऐसे भी कुछ घर-आँगन हैं जो उनकी बाट जोह रहे हैं जो सीमा पर शहीद हो गए हैं और कभी लौट के नहीं आएंगे। उन समस्त परिवारों को नमन एवं वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए मेरे काव्य संग्रह “शब्द ….. और कविता” में प्रकाशित एक कविता “दीपों की मौन अभिव्यक्ति”।
मराठी मित्र मंडल, फ़्रांकेन जर्मनी द्वारा एर्लांगेन शहर में रविवार 22 अक्तूबर 2017 को दीपावली समारोह के आयोजन के अवसर पर मेरी काव्य प्रस्तुति ‘दीपों की मौन अभिव्यक्ति’ का विडियो लिंक निम्न है:
आज अचानक माँ का फ़ोन आया “सोनी घर आ गई है ।कह रही अब वह नहीं जायेगी ।”
पर बेटा ” आशू फोन करके मना रहा है पर इसका कहना है अलग रहेंगे तो ही मैं वापस आउंगी ।”
आशू का कहना है “मैं माता-पिता को नहीं छोड़ सकता।रहेंगे तो साथ ही रहेंगे।”
यह सब सुनकर हमसे नहीं रहा गया हम उसे समझाने चले गए।
सब याद आने लगा जब हमने रिश्ता बताया था और माँ ने सब देखकर चन्द दिनों में सोनी की शादी कर दी थी।और माँ शादी करके निश्चिन्त हो गई थीं।परंतु कुछ दिनों बाद से ही माँ का फोन आता रहता सोनी खुश नहीं है आये दिन छोटी -मोटी बात पर विवाद होता रहता है ।आशू तो बस माँ का ही दामन थामे है उसे कुछ दिखाई नहीं देता।
हमने भी फोन पर कहा..” यह क्या कह रही हो ।कुछ नही होता धीरे-धीरे सब ठीक हो जायेगा।”
वह बोली “मैं बहुत एडजेस्ट कर रही हूँ दीदी।”
होली का त्यौहार था उन सबको भी बुला लिया। सास, पति, नन्द सभी आये और सबका समझौता करवा दिया। सभी खुश थे और सबसे ज्यादा हम खुश थे, हमने ही शादी करवाई थी ।जब सब चलने लगे माँ ने सोनी से कहा…” बेटा अब अच्छे से रहना छोटी-छोटी बाते तो होती रहती है इतना सुनते ही सोनी बोली .. सास की और इशारा करके “इनका मुंह बंद रहे तो सब ठीक है।”
इतना सुनते ही उन्होंने विदा का सामान पटका और बेटे को बोली …”चल बेटा अब इसको यहीं रहने दे ये हमारे लायक नहीं है।”
Gross National Happiness, or GNH, is a holistic and sustainable approach to development, which balances material and non-material values with the conviction that humans want to search for happiness. The objective of GNH is to achieve a balanced development in all the facets of life that are essential; for our happiness. LifeSkills
दीपावली से दो दिन पहले खरीदारी के लिए वो सबसे पहले पटाखा बाजार पहुंचा। अपने एक परिचित की दुकान से चौगुनी कीमत पर एक हजार के पटाखे खरीदे।
फिर वह शॉपिंग सेंटर पहुंचा, यहां मिठाई की सबसे बड़ी दुकान पर जाकर डिब्बे सहित तौली गई हजार रूपये की मिठाई झोले में डाली।
इसके बाद पूजा प्रसाद के लिए लाई-बताशे, फल-फूल और रंगोली आदि खरीदकर शरीर में आई थकान मिटाने के लिए पास के कॉफी हाउस में चला गया।
कुछ देर बाद कॉफी के चालीस रूपये के साथ अलग से बैरे की टीप के दस रूपये प्लेट में रखते हुए बाहर आया और मिट्टी के दीयों की दुकान की ओर बढ़ गया।
“क्या भाव से दे रहे हो यह दीये?”
“आईये बाबूजी, ले लीजिये, दस रूपये के छह दे रहे हैं।”
“अरे! इतने महंगे दीये, जरा ढंग से लगाओ, मिट्टी के दीयों की इतनी कीमत?”
“बाबूजी, बिल्कुल वाजिब दाम में दे रहे हैं। देखो तो, शहर के विस्तार के साथ इनको बनाने की मिट्टी भी आसपास मुश्किल से मिल पाती है। फिर इन्हें बनाने सुखाने में कितनी झंझट है। वैसे भी मोमबत्तियों और बिजली की लड़ियों के चलते आप जैसे अब कम ही लोग दीये खरीदते हैं।”
“अच्छा ऐसा करो, दस रूपये के आठ लगा लो।”
दुकानदार कुछ जवाब दे पाता इससे पहले ही वह पास की दुकान पर चला गया। वहाँ भी बात नहीं बनी। आखिर तीन चार जगह घूमने के बाद एक दुकान पर मन मुताबिक भाव तय कर वह अपने हाथ से छांट-छांट कर दीये रखने लगा।
“ये दीये छोटे बड़े क्यों हैं? एक साइज में होना चाहिए सारे दीये।”
“बाबूजी, ये दीये हम हाथों से बनाते हैं, इनके कोई सांचे नहीं होते इसलिए….”
घर जाकर पत्नी के हाथ में सामान का झोला थमाते हुए वह कह रहा था –
“ये महंगाई पता नहीं कहा जा कर दम लेगी। अब देखों ना, मिट्टी के दीयों के भाव भी आसमान छूने लगे हैं।”
इस दीवाली में ये उल्लू पता नहीं कहाँ से आ गया। पितर पक्ष में पुड़ी-साग और तरह-तरह के व्यंजन लेकर हम इंतजार करते रहे पर एक भी कौए नहीं आये। जब दशहरा आया तो नीलकंठ के दर्शन को हम लोग तरस गए थे बहुत कोशिश की थी दर्शन नहीं मिले। शहर भी कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो गया तो और नहीं दिखते। पर इधर दीवाली के दो दिन पहले से घर के सामने लगे बड़हल के पेड़ पर बिन बुलाए एक उल्लू आकर बैठ गया है। समधन ने पत्नी को डरा दिया है इसलिए पत्नी चाहती है कि इसे किसी भी तरह से यहां से भगाओ। आँगन में लगे अमरुद के पेड़ कटवाने के लिए समधन पीछे पड़ गयीं थीं, अब उल्लू के पीछे पड़ीं हैं भरी दिवाली में समधन हम पति-पत्नी के बीच झगड़ा कराने उतारू हैं।
हालांकि दीवाली जब भी आती है तो दुनिया भर के तंत्र मंत्र, भूत-प्रेत की बातों का माहौल बन जाता है। हमने पत्नी को बहुत समझाया कि पहले पता तो कर लें कि अचानक उल्लू क्यों आकर बैठ गया है, भूखा-प्यासा होगा, या किसी ने उसे सताया होगा, किसी सेठ ने उसे पकड़ने की कोशिश की होगी। या हो सकता है कि लक्ष्मी जी ने पहले से अपने घर का जायजा लेने भेजा हो,…. हो सकता है कि इस बार वो इसी उल्लू में सवार होकर अपने घर आने वालीं हों, पर पत्नी एक भी बात नहीं मान रहीं हैं समधन की बात को बार-बार दुहरा रही है।
रात भर हम आंगन में बैठे रहे… उल्लू हमें देखता रहा, हम उल्लू को देखते रहे। एक चूहा भी मार के लाए कि भूखा होगा तो पेड़ से उतर के चूहा खा लेगा पर वो भी टस से मस नहीं हुआ। हमने पहल करते हुए उससे कहा कि हम भी तो उल्लू जैसे ही हैं हर कोई तो हमें उल्लू बनाता रहता है। मी टू की धौंस देकर दोस्त की बीबी ने पांच लाख ठग लिए।
प्रेम में वो ताकत है कि हर कोई पिघल जाता है सो हमने बड़े प्यार से उल्लू से कहा – उल्लू बाबा, यहां क्यों तपस्या कर रहे हो कोई प्रॉब्लम हो तो बताओ?
उल्लू अचानक भड़क गया बोला – सुनो.. हमें बाबा – आबा मत कहना…. बाबा होगा तुम्हारा बाप… समझे, हम महालक्ष्मी जी के सम्मानजनक वाहन हैं और यहां इसलिए आये थे कि चलो इस दीवाली में तुम लोगों को कुछ फायदा करा दें.. पर ये तुम्हारी पत्नी दो दिन से मुझे भगाने के लिए बहुत बड़बड़ा रही है। दरअसल क्या है कि इस दीवाली में लक्ष्मी जी का इधर से गुजरने का श्येडूल बना है सो लक्ष्मी जी ने कहा कि रास्ते का कोई घर देख लो जिनके घर में थोड़ा देर रुक लेंगे, पर ये बड़बड़ाती पत्नी को देखकर लक्ष्मी जी नाराज हो जाएंगी।
अब बताओ क्या करना है ? हालांकि दो दिन में हमने देखा कि तुम बहुत सीधे-सादे सहनशील आदमी हो, सीधे होने के कारण हर कोई तुम्हे उल्लू बना देता है, तुम पर दया आ रही है, तो बताओ क्या करना है ?
हम हाथ जोड़ के खडे़ हो गये बोले – गुरु महराज… ऐसा न करना, पचासों साल से लक्ष्मी जी के आने के इंतजार में हम लाखों रुपये खर्च कर चुके हैं, प्लीज इस बार कृपा कर दो… लक्ष्मी जी को पटा कर येन केन प्रकारेण ले ही आओ इस बार…. प्लीज सर, –उल्लू महराज को थोड़ा दया सी आयी बोले – चलो ठीक है विचार करते हैं, पर जरा ये पत्नी को समझा देना हमारे बारे में समधन से बहुत ऊटपटांग बात कर रही थी समधन को नहीं मालूम कि हमें घने अंधेरे में भी सब साफ-साफ दिखता है रात को जहां-जहां लफड़े-झफड़े होते हैं उनका सब रिकॉर्ड हमारे पास रहता है, नोटबंदी की घोषणा के एक-दो दिन पहले सेठों और नेताओं के घर से कितने नोटों भरे ट्रक आर-पार हुए हमने रात के अंधेरे में देखा है। मोहल्ले की विधवाओं के घर कौन-कौन नेता रात को घुसते हैं वो भी हम अंधेरे में देखते रहते हैं।
तंत्र मंत्र करके बड़े उद्योगपति और नेताओं के सब तरह के लफड़े – झपड़े रात को अंधेरे में देखे हैं ये बाबा जो अपने साथ राम का नाम जोड़ के जेल की हवा खा रहे हैं इन्होंने हजारों उल्लूओं के अंगों के सूप पीकर अपनी यौन शक्ति को बढ़ा बढ़ाके रोज नित नयी लड़कियों की जिंदगी खराब की है। यों तो तरह-तरह की किस्म के उल्लू सब जगह मिलते हैं जैसे गुजरात तरफ पाये जाने वाले झटके मारने में तेज होते हैं हमें आज तक समझ नहीं आया कि लोग अपने आप को ऊल्लू के पट्ठे क्यों बोलते हैं कई लोगों की चांद में कमल का निशान बना रहता है कमल के ऊपर लक्ष्मी जी को बैठने में सुविधा होती है ऐसे लोगों के पुत्र लक्ष्मी जी को प्रसन्न करके मालामाल हो जाते हैं………
ऊल्लू पहले तो बोलता नहीं है और जब बोलना चालू होता है तो रुकता नहीं है। बीच में रोक कर हमने पूछा – महराज आप ये लक्ष्मी जी के पकड़ में कैसे आ गये और पर्मानेंट उनके वाहन बन गए?
तब पंख फड़फड़ा के उल्लू महराज ने बताया कि असल में क्या हुआ कि शेषशैय्या पर लेटे श्रीहरि आराम कर रहे थे और लक्ष्मी जी उनके पैर दबा रहीं थीं, भृगु ऋषि आये और विष्णु जी की छाती में लात मार दी, लक्ष्मी जी को बहुत बुरा लगा विष्णु जी बेचारे तो कुछ बोले नहीं पर लक्ष्मी जी तमतमायी हुई क्रोध में विष्णु जी पर बरस पड़ीं, अपमान को सह नहीं सकीं और श्रीहरि को भला बुरा कहते हुए उनको छोड़ कर मानहानि का मुकदमा दर्ज करने भूलोक पहुंच गईं, रात्रि में जब जंगल में उतरीं तो कोई वाहन नहीं मिला हम धोखे से सामने पड़ गये तो गुस्से में हमारे ऊपर बैठ गईं। मुंबई के ऊपर से गुजर रहे थे तो गुस्से में सोने का हार तोड़ कर फेंक दिया और मुंबई अचानक मायानगरी बन गई, सब जगह का रुपया पैसा और दंद-फंद मुंबई में सिमटने लगा, रास्ते भर कुछ न कुछ फेंकतीं रहीं प्यास लगी तो गोदावरी नदी में पानी पीकर किनारे की पर्णशाला में तपस्या करने बैठ गईं और तब से हम स्थायी उनके वाहन बन गए।
इनकी एक बड़ी बहिन अलक्षमी भी है दोनों बहनें आपस में झगड़ती रहतीं हैं, जहां लक्ष्मी जातीं हैं ये बड़ी बहन नजर रखती है और अपने सीबीआई वाले भाई को चुपके से मोबाइल लगा देती है और सारा कालाधन पकड़वा देती है। कभी-कभी ये अलक्ष्मी उल्लू को अपना वाहन बताने लगती है कहती है कि लक्ष्मी और विष्णु का वाहन गरुड़ है तो ये काहे उल्लू में सवार घूमती है। दीवाली में ये दोनों बहनें कई पड़ोसी औरतों को लड़वा भी देतीं हैं, दिवाली का दिया रखने के चक्कर में पड़ोसी महिलाएं मारा पीटी में उतारू हो जातीं हैं।
बहनें सगी जरूर हैं पर एक दूसरे को पसंद नहीं करतीं। जे लक्ष्मी तो धनतेरस के एक दिन पहले तंत्र साधना करके हवा में लोभ लालच और मृगतृष्णा की तरंगें छोड़ देती है, चारों तरफ धनतेरस, छोटी दिवाली, बड़ी दिवाली की रौनक चकाचौंध देख देख कर ये खूब खुश होती है, सबकी जेबें खाली कराती हुई स्वच्छता अभियान चलाती है, लोग जीव हत्या करके पाप के भागीदार बनते हैं घर के सब मच्छड़, मकड़ी, कॉकरोच, चूहे आदि की आफत आ जाती है। लोग दीपावली की शुभकामनायें देते हैं, कुछ फारमिलिटी निभाते हैं, नकली मावे की मिठाई लोग चटखारे लेकर खाते हैं फिर बात बात में सरकार को दोषी ठहराते हैं। चायना की झालरें और दिये जगमग करते हुए हिंदी चीनी भाई भाई के नारे लगाते हैं। फटाकों की आवाज से कुत्ते बिल्ली गाय भैंस दहक दहक जाते हैं, अखबार वालों की चांदी हो जाती है।
हम उल्लू ही रहे और ये लक्ष्मी हमें उल्लू ही बनातीं रहीं। हमे समझ नहीं आया ये लक्ष्मी ने हमें अमीर क्यूँ नहीं बनाया, जबकि तंत्र साधना में हमारी जाति को इतना महत्वपूर्ण माना गया।
अच्छा सुनो राज की एक बात और बताता हूं यदि दिवाली में लक्ष्मी जी को वास्तव में आमंत्रित करना है तो साथ में सरस्वती और गणेश जी को जरूर बुला लेना लक्ष्मी यदि धन देती है तो उसका विवेकपूर्ण इस्तेमाल हो इसलिए इन तीनों का समन्वय जरूरी है लक्ष्मी क्रोधी और चंचल है सरस्वती विद्या रूपी धन की देवी है। केवल लक्ष्मी के सिद्ध होने से “विकास” संभव नहीं है। सरस्वती धन की मदान्धता और धन आ जाने पर पैदा होने वाले गुण दोष को जानती है इसलिए भी छोटी-छोटी बातों पर लक्ष्मी सरस्वती से खुजड़ करने लगती है ऐसे समय गणेश जी सब संभाल लेते हैं गणेश जी के एक हाथ में अंकुश और दूसरे हाथ में मीठे लड्डू रहते हैं और वे संयमी और विवेकवान भी हैं। इतना कहते हुए उल्लू जी खर्राटे लेने लगे।
हमने सोचा यदि धोखे से लक्ष्मी जी आ गईं और पूछने लगीं कि बोलो क्या चाहिए…… तो हम तो सीधे कहं देगें…..
Shanti Mantra: Om, (O Lord) keep me not in the unreality but lead me towards the reality,Keep me not in the darkness but lead me towards the light,keep me not in the (fear of) death but lead me towards immortality,Om, (may there be) peace, peace, peace.