हिन्दी साहित्य – ई-अभिव्यक्ति संवाद – ☆ 150वीं गांधी जयंती विशेष-1 ☆ अतिथि संपादक की कलम से ……. महात्मा गांधी प्रसंग ☆ – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – 1

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। इस विशेषांक के लिए  सम्पूर्ण सहयोग एवं अतिथि संपादक के दायित्व का आग्रह स्वीकार करने के लिए हृदय से आभार। श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के सहयोग के बिना इस विशेषांक की कल्पना मेरे लिए असंभव थी.

हम अत्यंत कृतज्ञ है हमारे सम्माननीय गांधीवादी चिन्तकों, समाजसेवियों एवं सभी सम्माननीय वरिष्ठ एवं समकालीन लेखकों के जिन्होंने इतने काम समय में हमारे आग्रह को स्वीकार  किया.  इतनी उत्कृष्ट रचनाएँ सीमित समय में उत्कृष्टता को बनाये रखते हुए एक अंक में प्रकाशित करने के लिए असमर्थ पा रहे हैं अतः  आज 2 अक्तूबर 2019 को ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – तथा कल 3 अक्तूबर 2019 को  ई-अभिव्यक्ति -गांधी स्मृति विशेषांक – 2 प्रकाशित करेंगे.    

सीमित समय, साधनों एवं तकनीकी कारणों से इस विशेषांक को प्रकाशित करने में कतिपय विलम्ब के लिए हम क्षमा प्रार्थी हैं.

-हेमन्त बावनकर  

☆ ई-अभिव्यक्ति संवाद -अतिथि संपादक की कलम से ……. महात्मा गांधी प्रसंग☆ 

 

” खुशी के आंसू से 

        लिखे दो शब्द”

150 साल पहले पोरबंदर की धरती पर एक असाधारण व्यक्तित्व मोहनदास करमचंद गांधी उतरे, फिर पूरी दुनिया में अपने विचारों और कर्मों से महात्मा बनकर उभरे। यह खुशी की बात है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया है, गांधी जी के सिद्धांतों के लिए मानवता की यही सच्ची श्रद्धांजलि है।

महात्मा गांधी की प्रासंगिकता पर डॉ मार्टिन लूथर किंग ने कहा था ‘यदि मानवता की प्रगति करना है तो गांधी से बच नहीं सकते। शांति और सौहार्द की दुनिया की विकसित होती मानवता के विजन से प्रेरित होकर वे जिए और वैसे ही उन्होंने विचार और कर्म किए।’

महात्मा गांधी की 150 वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में ई-अभिव्यक्ति दैनिक साहित्यिक पत्रिका (वेब संस्कारण) का गांधी स्मृति अंक आपके सामने प्रस्तुत है। अल्प समय में देश भर से ख्यातिलब्ध गांधीवादी चिंतकों के लेख, गांधी पर क्रेदिंत संस्मरण, व्यंग्य, लघुकथा एवं कविताएँ भेजकर अंक को उत्कृष्ट बनाने में अपना योगदान दिया है, हम सभी रचनाकारों के आभारी हैं।

जबलपुर से हमने और बैंगलोर में बैठे श्री हेमन्त बावनकर ने चार दिन पहले दूरभाष पर बात करते हुए गांधी स्मृति अंक की परिकल्पना की और मात्र तीन दिन में ख्यातिलब्ध लेखकों से निवेदन कर पूरे देश से रचनाएं प्राप्त करने के प्रयास किए। हम आभारी हैं प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक एवं समाजसेवी श्री मनोज मीता जी, प्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक  श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, महानिदेशक (आयकर) हैदराबाद, व्यंग्य शिल्पी एवं संपादक श्री प्रेम जनमेजय, डॉ सुरेश कांत, डॉ कुंदन सिंह परिहार, डॉ मुक्ता जी, श्री अरुण डनायक, श्रीमती सुसंस्कृति परिहार, श्री संजीव निगम, श्रीमति समीक्षा तैलंग, श्रीमति निशा नंदिनी भारतीय, मराठी साहित्यकार श्री सुजित कदम एवं सभी रचनाकारों के जिन्होंने इस अंक को उत्कृष्ट दस्तावेज में तब्दील करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ई-अभिव्यक्ति पत्रिका के संपादक श्री हेमन्त बावनकर की कड़ी मेहनत हेतु साधुवाद।

शुभकामनाओं सहित

स्नेही

जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 40 – ☆ ई-अभिव्यक्ति में तकनीकी संवर्धन ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 40                

☆ ई-अभिव्यक्ति में तकनीकी संवर्धन ☆

 

सम्माननीय लेखक एवं पाठक गण सादर अभिवादन.

हमारा प्रयास है कि हम समय समय पर  सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों के सुझावों पर अमल करने का प्रयास करें. जैसे आवश्यकता अविष्कार की जननी है वैसे ही सायबर युग में आवश्यकता तकनीकी संवर्धन की भी जननी होती है .

काफी समय पूर्व एक मित्र लेखक ने पूछा था कि यदि मुझे अपनी कोई रचना वेबसाइट पर ढूंढना हो तो क्या करना होगा.  उस समय लगा कि हाँ यह तो जरुरी है. आखिर हजारों रचनाओं (पोस्ट्स)  में अपनी रचनाएँ कैसे ढूंढी जाये. उस समय “Search” सुविधा उपलब्ध की गई थी. यह सुविधा आपको  वेबसाइट में आपकी ही नहीं अपितु किसी भी लेखक की रचना ढूंढने में मदद करेगी.  आपको मात्र लेखक का नाम टाइप करना है.   यह सुविधा मात्र ई-अभिव्यक्ति तक ही सीमित है इससे आप गूगल सर्च में नहीं जायेंगे.

सर्च उदहारण

 

अभी कुछ समय पूर्व एक और लेखक मित्र ने चाहा कि हमारी वेबसाइट में प्रिंट की सुविधा भी होनी चाहिए वैसे यदि साधारण प्रिंट कमांड दिया जावे तो अनावश्यक विज्ञापन और स्क्रीन के अन्य तथ्य भी प्रिंट हो जाते हैं. यह वास्तव में एक अत्यावश्यक सुविधा है. अतः अब ई-अभिव्यक्ति  पर आप प्रिंट सुविधा भी पा सकेंगे. आपको प्रत्येक रचना/पोस्ट के दाहिने ऊपर (Top) ओर एवं दाहिनी नीचे (Bottom)की ओर प्रिंटर का छोटा सा चिन्ह दिखाई देगा . इस चिन्ह पर क्लिक कर आप अपनी /अपने प्रिय लेखक की कोई सी भी रचना उपरोक्त स्क्रीन से सर्च कर अथवा रचना/पोस्ट से सीधे प्रिंट कर सकते हैं.

उदहारण –  रचना/पोस्ट के दाहिने ऊपर (Top) पर प्रिंटर के चिन्ह पर क्लिक करें 

उदहारण – रचना/पोस्ट के दाहिनी नीचे (Bottom) पर प्रिंटर के चिन्ह पर क्लिक करें 

आशा है इस सुविधा का हमारे सुधि लेखक एवं पाठक गण सदुपयोग करेंगे.  आपके सुझावों का सदैव स्वागत है. हम सकारात्मक सुझावों पर कार्य करने हेतु सदैव तत्पर हैं.

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक हमारे सम्माननीय विजिटर्स की संख्या 64,000 पार कर चुकी होगी. इसके लिए आप सभी का ह्रदय से आभार.

 

आपकी शुभकामनाएं ही मुझे ऊर्जा देती है.

 

हेमन्त बावनकर

22  सितम्बर  2019

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 39 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 39

श्री गणेशाय नमः 

सम्माननीय लेखक एवं पाठक गण सादर अभिवादन.

परसाई-स्मृति अंक के पश्चात आपसे पुनः संवाद करने का अवसर प्राप्त हो रहा है.  24 अगस्त 2019 के पश्चात आप से ई-अभिव्यक्ति के माध्यम से  संपर्क  एवं रचनाएँ प्रकाशित न कर पाने का अत्यंत दुःख है.

संभवतः ई-अभिव्यक्ति या ऐसी ही किसी भी लोकप्रिय होती हुई वेबसाईट की बढ़ती हुई लोकप्रियता एवं  बढ़ती हुई विजिटर्स की संख्या के कारण वायरस/हैकिंग जैसी तकनीकी  समस्याओं और उतार चढ़ाव से गुजरना होता है.

हमारे लिए हमारे व्यक्तिगत डाटा के साथ ही हमारे सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों का डाटा भी उतना ही महत्वपूर्ण है.  इस महत्वपूर्ण तथ्य को ध्यान में रख कर हमने कुछ दिनों का विराम लेकर ई-अभिव्यक्ति को सुरक्षा की दृष्टि से और सुदृढ़ करने का प्रयास किया है. 

अब आपकी वेबसाइट https://www.e-abhivyakti.com के स्थान पर सुरक्षित वेबसाइट (Secured Website)  https://www.e-abhivyakti.com हो गई है. किन्तु, आपको अपनी ओर से तकनीकी तौर पर कुछ भी नहीं करना है और जैसा पहले ऑपरेट या प्रचालित करते थे वैसे ही करना है और आप अपनी सुरक्षित वेबसाइट पर पहुँच जायेंगे. आपको  e-abhivyakti.com के पहले एक ताले (सुरक्षा) का चिन्ह दिखाई देगा. बड़े बूढ़े कह गए हैं कि ताले शरीफों के लिए होते हैं, फिर भी लगाना तो पड़ता ही है सो लगा दिया.

आप से अनुरोध है कि कृपया [email protected]  (यह  अकाउंट डिलीट कर दिया गया है) के स्थान पर [email protected] का प्रयोग करें.   

 इस पूरी प्रक्रिया के समय आपने जिस संयम का परिचय दिया है उसका मैं ह्रदय से आभारी हूँ. अब आप से पुनः पूर्ववत सम्बन्ध बना रहेगा ऐसी गणपति बप्पा से अपेक्षा है.

हम कल श्री गणेश चतुर्थी पर्व (2 सितम्बर 2019) से पुनः आपकी सेवा में उपस्थित होने का प्रयास करेंगे.

फिर देर किस बात की. कलम उठाइये और भेज दीजिये  श्री गणेश जी से सम्बंधित रचनाएँ इस पूरे सप्ताह. सप्ताह के अंत में हम विशेषांक के समस्त लिंक एक पोस्ट पर प्रकाशित करेंगे जिसमें आप समस्त रचनाएँ एक साथ पढ़ सकेंगे.

अन्य साप्ताहिक स्तंभ यथावत चलते रहेंगे.

हमें आपकी हिंदी, मराठी एवं अंग्रेजी की चुनिंदा एवं मौलिक रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी.

 

हेमन्त बवानकर 

1  सितम्बर 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 38 – हेमन्त बावनकर

 

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 38 

 

परसाई स्मृति अंक – 22 अगस्त 2019 

 

आदरणीय गुरुवर डॉ राजकुमार सुमित्र जी और आचार्य भगवत दुबे जी के आशीर्वाद एवं मित्र द्वय श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के अथक प्रयास तथा डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ जी के सहयोग से विगत 24 घंटों के समय में यह अविस्मरणीय अंक कुछ विलंब से ही सही आपको इस आशा से सौंप रहा हूँ कि आपका भरपूर स्नेह और आशीर्वाद मिलता रहेगा।

मैं श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी का हृदय से आभारी हूँ  जिन्होने इतने कम समय पर अमूल्य सामग्री/साहित्य/अप्रकाशित/ऐतिहासिक तथ्य एवं चित्र जुटाये। साथ ही उनके अतिथि संपादकीय के आग्रह स्वीकार करने के लिए हृदय से आभार।

श्रद्धेय परसाई जी पर डिजिटल मीडिया में संभवतः यह प्रथम प्रयास होगा।

 

हेमन्त बवानकर 

22 अगस्त 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा। आप Likeके नीचे Share लिंक से सीधे फेसबुक  पर भी रचना share कर सकते हैं। )

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 37 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 37

 

मेरा सदैव प्रयत्न रहता है कि मैं ई-अभिव्यक्ति से जुड़े प्रत्येक सम्माननीय लेखक एवं पाठकों से संवाद बना सकूँ। मैं सीधे तो संवाद नहीं बना पाया किन्तु, सम्माननीय लेखकों की रचनाओं के माध्यम से अवश्य जुड़ा रहा।  एक कारण यह भी रहा कि हम  ई-अभिव्यक्ति को तकनीकी दृष्टि से और सशक्त बना सकें ताकि हैकिंग एवं संवेदनशील विज्ञापनों से बचा सकें। अंततः इस कार्य में आप सबकी सद्भावनाओं से हम सफल भी हुए।

ई-अभिव्यक्ति में बढ़ती हुई आगंतुकों की संख्या हमारे सम्माननीय लेखकों एवं हमें प्रोत्साहित करती हैं।  हम कटिबद्ध हैं आपको और अधिक उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराने  के लिए।

 

हम प्रयासरत हैं कि आपको तकनीकी रूप से आगामी अंकों को नए संवर्धित स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।

अब मेरा प्रयास रहेगा कि आपसे ई-संवाद अथवा अपनी रचनों के माध्यम से जुड़ा रहूँ ।

अंत में मैं पुनः इस यात्रा में आपको धन्यवाद देना चाहता हूँ और मजरूह सुल्तानपुरी जी की निम्न पंक्तियाँ  दोहराना चाहता हूँ :

 

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर

लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

12 अगस्त 2019

 

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा।)

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 36 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 36 

 

ई-अभिव्यक्ति में बढ़ती हुई आगंतुकों की संख्या हमारे सम्माननीय लेखकों एवं हमें प्रोत्साहित करती हैं।  हम कटिबद्ध हैं आपको और अधिक उत्कृष्ट साहित्य उपलब्ध कराने  के लिए। आपको यह जानकार प्रसन्नता होगी कि इन पंक्तियों के लिखे जाने तक इतने कम समय में 36,000 से अधिक आगंतुक गण  ई-अभिव्यक्ति में  विजिट कर चुके होंगे।  इसके लिए हम अपने सम्माननीय लेखकों एवं पाठकों के हृदयतल से आभारी हैं।

ई-अभिव्यक्ति एक ऐसा मंच है जिस पर नवोदित से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के ख्यातिलब्ध साहित्यकारों द्वारा हम पर अपना विश्वास प्रकट कर अपनी रचनाएँ पाठकों से साझा की गई हैं।  हम पर वरिष्ठ साहित्यकारों का आशीर्वाद बना हुआ है जो हमें समय-समय पर मार्गदर्शन देते रहते हैं।

हम प्रयासरत हैं ताकि साहित्यिक एवं तकनीकी रूप से आगामी अंकों को और नए संवर्धित स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।

प्रासंगिक तौर पर यह उल्लेख करना मेरा कर्तव्य है कि हमारे नियमित स्तम्भ श्री जगत सिंह बिष्ट जी की “योग साधना” में श्री अनुपम खेर का हास्य योग पर विडियो एवं प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव जी का श्रीमद भगवत गीता के भावानुवाद के अतिरिक्त  आप जिन तीन वरिष्ठ लेखकों की रचनाएँ पढ़ने जा रहे हैं वे भी अपने अपने क्षेत्र के सशक्त हस्ताक्षर हैं।

डॉ. सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’  हिन्दी साहित्य की विभिन्न  विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं।  आपकी  लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9th की  “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में  सम्मिलित है।

सुश्री प्रभा सोनवणे जी  मराठी साहित्य की वरिष्ठ साहित्यकारा हैं , जो मराठी साहित्य की लगभग सभी विधाओं की सशक्त हस्ताक्षर हैं।  आप कई राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कारों से अलंकृत हैं जिनमें कवी कालिदास, राष्ट्रगौरव, मदर तेरेसा साहित्य पुरस्कार, कवी केशवकुमार, लळित साहित्य (मृगचांदणीला), बंधुता प्रतिष्ठान साहित्य गौरव, साहित्य गौरव, गझलगौरव, काव्यदीप (साहित्यदीप संस्था), शिवांजली साहित्य गौरव, प्रियदर्शनी इंदिरा (लेखिका पुरस्कार) आदि प्रमुख हैं। 

श्रीमति समीक्षा तैलंग जी  हिन्दी साहित्य में व्यंग्य विधा की सशक्त हस्ताक्षर हैं। इसके अतिरिक्त वे  हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में दक्ष हैं । आपका पत्रकारिता में भी विशेष योगदान रहा है। श्रीमति समीक्षा तैलंग कुछ समय पूर्व ही  अबू धाबी से पुणे शिफ्ट हुई हैं।

हम अपने सभी सम्माननीय साहित्यकारों के आभारी हैं जो हिन्दी साहित्य, मराठी साहित्य एवं अङ्ग्रेज़ी साहित्य की उत्कृष्ट रचनाओं को हमारे सम्माननीय पाठकों से साझा कर रहे हैं।

इस सफर में मुझे अपनी निम्न पंक्तियाँ याद आती हैं:

 

अब तक का सफर तय किया, इक तयशुदा राहगीर की मानिंद।

आगे का सफर पहेली है, इसका एहसास न तुम्हें है न मुझको ।

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

10 जुलाई 2019

(अपने सम्माननीय पाठकों से अनुरोध है कि- प्रत्येक रचनाओं के अंत में लाइक और कमेन्ट बॉक्स का उपयोग अवश्य करें और हाँ,  ये रचनाओं के शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों के साथ शेयर करना मत भूलिएगा।)

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद-35 – कविराज विजय यशवंत सातपुते (सोशल मिडिया चा यशस्वी वापर …. अभिव्यक्ती ठरली अग्रेसर!)

कविराज विजय यशवंत सातपुते

अतिथि संपादक – ई-अभिव्यक्ति:  संवाद–35  

 

(मैं कविराज विजय यशवंत सातपुते  जी का हृदय से आभारी हूँ। उन्होने मेरा आग्रह स्वीकार कर आज के अंक के लिए अतिथि संपादक के रूप में अपने उद्गार प्रकट किए। श्री दीपक करंदीकर जी, महाराष्ट्र साहित्य परिषद, पुणे के माध्यम से आपसे संपर्क हुआ और पता ही नहीं चला कि कब मित्रता हो गई।  ई-अभिव्यक्ति के मराठी साहित्य को इन ऊंचाइयों तक पहुंचाने में आदरणीय कविराज विजय यशवंत सातपुते जी का विशेष योगदान रहा है।  आपके माध्यम से वरिष्ठ, अग्रज एवं नवोदित साहित्यकारों को ई-अभिव्यक्ति से जोड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मराठी साहित्य का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। यदि ई-अभिव्यक्ति इस यज्ञ में मराठी साहित्य और साहित्यकारों से पाठकों को कुछ अंश तक भी जोड़ने में सफल हुआ तो यह हमारा सौभाग्य होगा। – हेमन्त बावनकर)

 

? सोशल मिडिया चा यशस्वी वापर .. 

         . . . अभिव्यक्ती ठरली  अग्रेसर. !  ?

 

ई-अभीव्यक्ती डॉट कॉम हे हिंदी, मराठी व इंग्रजी भाषिक साहित्यिकांसाठी हेमंत बावनकर यांनी सुरू केलेले व्यासपीठ चांगलेच नावारूपाला आले आहे. वाचकांचे वाढते प्रमाण लक्षात घेता या  उपक्रमाचे यथोचित कौतुक व्हायला हवे.

संगणक तंत्रज्ञान विकसित झाल्याने जग एकमेकांशी जास्त जवळ आले आहे. ही जवळीक एकता,  साहित्य, संस्कृती, परंपरा आणि  इतिहास यांची सांगड घालणारी ठरावी यासाठी हेमंत बावनकर  आजही  कार्यरत आहेत.

कथा, कविता  आणि लेख यातून प्रत्येक जण व्यक्त होत आहे. आपल्या कलेतून समाज प्रबोधन करीत आहे.  आबालवृद्धांना उपयुक्त  असे लेखन मराठी, हिंदी व इंग्रजी भाषेतून या साईटवरून प्रसारित होत आहे.  सोशल नेटवर्किंग साईट वर ही  उपलब्धी साहित्याचा प्रचार  आणि प्रसार करण्यात  अग्रेसर ठरली आहे.

मराठी भाषिकांना सुरू केलेले हे नियमित साप्ताहिक स्तंभलेखन मराठी भाषा संवर्धनाचे महत्त्व पूर्ण कार्य करीत आहे.  अनेक  उत्तम कविता,  कथा, लेख वाचकांसमोर येत  आहेत. माणूस विचारांनी  एकमेकांशी जोडला जातोय ही घटना सामान्य नसून जागतिक  आहे. या लेखन संघटनाबद्दल त्यांचे मनापासून आभार.   मराठी, हिंदी भाषिकांना प्रकाशझोतात आणण्यासाठी त्यांनी  उभारलेल्या या साहित्य चळवळीस,  अभिनव साहित्य  उपक्रमास दिवसेंदिवस उत्तम यश मिळते  आहे. भाषा कोणतही असो, प्रतिभावंत साहित्यिकाची अभिव्यक्ती रसिकांपर्यत पोहोचविण्याचे महत्त्व पूर्ण कार्य  हेमंत जी करीत आहेत.

विविध प्रकारच्या विषयावर प्रसारित होणाऱ्या लेखातून समाजप्रबोधन तर होतेच  आहे. या  उपक्रमात लिहिणा-या लेखकांना प्रसिद्धी तर मिळतेच  आहे पण त्यांना रसिकांच्या प्रतिसादातून मिळणारे प्रोत्साहन त्यांचा दैनंदिन लेखन कला व्यासंग वाढवतो आहे. कौटुंबिक प्रांतिक,  प्रादेशिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक विचारांनी हे व्यासपीठ ज्ञानदान करते आहे. माणूस माणसाच्या जवळ आणण्याचे काम त्याचे साहित्य करीत  असते.

आपण काय लिहतो? कसे लिहितो? का लिहितो याचे आकलन  आपोआपच होते  आहे. या  उपक्रमातील लेखक जास्तीत जास्त लोकांपर्यत पोहोचावा. जागतिक स्तरावर कवी, कवयित्री लेखक यांचे  लेखन  अनुवादित व्हावे या हेतूने सुरू झालेला हा  उपक्रम  अतिशय स्तुत्य  आणि प्रशंसनीय आहे.

हेमंत बावनकर यांनी माणूस जोडण्याचे  अभियान हाती घेतले आहे .या  अभियानात लेखकांनी दिलेले योगदान तितकेच प्रशंसनीय आहे.  वाचन संस्कृती टिकविण्यासाठी उचलेले हे पाऊल  सोशल नेटवर्किंग साईट वर जास्तीत जास्त प्रवास करून जागतिक स्तरावर  विचारांचे आदान प्रदान करण्यात यशस्वी ठरो या शुभेच्छा.

 

✒ विजय यशवंत सातपुते, पुणे

अतिथि संपादक- ई-अभिव्यक्ति

यशश्री, 100 ब दीपलक्ष्मी सोसायटी,  सहकारनगर नंबर दोन, पुणे 411 009.

मोबाईल  9371319798.

5 जुलै 2019

 

(उत्कृष्ट साहित्य  पढ़ें तथा व्हाट्सएप पर भेजे हुए शॉर्ट लिंक्स अपने मित्रों से सोशल मीडिया (फेसबुक/व्हाट्सएप) पर  अवश्य शेयर करें – हेमन्त बावनकर)

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 34 – ☆बाल-साहित्य विशेषांक☆ हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 34 ☆बाल साहित्य विशेषांक ☆          

कई बार अनायास ही कुछ संयोग बन जाते हैं। हम प्रयास अवश्य करते हैं किन्तु, ईश्वर हमें संयोग प्रदान करते हैं और हम मात्र माध्यम हो जाते हैं।  अब इस अंक को ही लीजिये।  कुछ रचनाएँ ऐसी आईं जिन्होने इस अंक को लगभग बाल साहित्य विशेषांक का स्वरूप दे दिया। कहते हैं कि –  बाल साहित्य का सृजन अत्यंत दुष्कर कार्य है। इसके लिए हमें अपने बचपन में जाना होता है। शायद इसीलिए विश्व में बाल साहित्य का अपना एक अलग स्थान है। फिर एक पालक और दादा/दादी/नाना/नानी के तौर पर हम कई बाल सुलभ प्रश्नों के उत्तर नहीं दे पाते जिनके उत्तर बाल साहित्य में छुपे  रहते हैं।

आज के अंक में  दैनिक स्तम्भ श्रीमद भगवत गीता के पद्यानुवाद केअतिरिक्त पढ़िये निम्न विशिष्ट रचनाएँ –

  • लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अंकित प्रथम माता-पुत्री द्वय सुश्री नीलम सक्सेना चन्द्र एवं सुश्री सिमरन चंद्रा जी द्वारा रचित अङ्ग्रेज़ी काव्य संग्रहWinter shall fade” की कविता Dreams ☆
  • बाल-साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी की बाल कथा ? लू की आत्मकथा ?
  • प्रसिद्ध मराठी साहित्यकार श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी का मराठी आलेख ? चिमणीचा दात ?
  • प्रसिद्ध हास्य योग प्रशिक्षक, ब्लॉगर, एवं प्रेरक वक्ता श्री जगत सिंह बिष्ट जी की रचना-प्रयोग  ☆ Laughter Yoga Among School Girls in India ☆

आप इसे संयोग कह सकते हैं किन्तु, कई बार हमारे कुछ प्रयोग संयोग बन जाते हैं। विगत में हमने ऐसे ही कुछ विशिष्ट विषयों पर विशेषांक प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। हम साहित्य में ऐसे और प्रयोग करने हेतु कटिबद्ध हैं।

यह संभवतः पहली वेबसाइट है जो आपको हिन्दी, मराठी एवं अङ्ग्रेज़ी में प्रतिदिन लगभग 4 से 6 सकारात्मक रचनाएँ प्रस्तुत करती है। आपके  अपने मंच e-abhivyakti को औसतन 250 से 300+ लेखक/पाठक प्रतिदिन पढ़ते हैं और अब तक 19000 से अधिक विजिटर्स पढ़ चुके हैं। आपके सुझाव और रचनाएँ e-abhivyakti को सतत नए आयाम प्रदान करते हैं जिसके लिए हम आपके आभारी हैं।

हम प्रयासरत हैं कि आपको तकनीकी रूप से आगामी अंकों को नए संवर्धित स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सके।

इस यात्रा में मुझे अक्सर मजरूह सुल्तानपुरी जी की निम्न पंक्तियाँ याद आती हैं:

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर

लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

21 मई 2019

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 33 – ☆ हमारे सम्माननीय साहित्यकार – सम्मान/अलंकरण ☆ – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 33                

? हमारे सम्माननीय साहित्यकार – सम्मान/अलंकरण ?

हमारे ई-अभिव्यक्ति संवाद में मैं आपको ई-अभिव्यक्ति परिवार से जुड़े कई सम्मानित साहित्यकार सदस्यों की विगत कुछ समय पूर्व प्राप्त उपलब्धियों के बारे में अवगत कराना चाहूँगा। जब हमारे परिवार के सदस्य गौरवान्वित होते हैं तो हमें भी गर्व भी का अनुभव होता।

नीलम सक्सेना चंद्रा –

नीलम सक्सेना चन्द्र जी को 1 मार्च 2019 को महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी द्वारा सोहनलाल द्विवेदी सम्मान से नवाजा गया। यह उनकी किशोर/किशोरियों की कहानी की पुस्तक “दहलीज़” हेतु मिला। यह सम्मान माननीय विनोद तावड़े जी, केबिनेट मंत्री महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रदान किया गया।

56वीं पुस्तक Authorpress India द्वारा प्रकाशित काव्य  एक कदम रौशनी की ओर नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित बच्चों की चित्रकथा “कसम  मटमैले मशरूम की । इस चित्रकथा की 20,000 प्रतियाँ प्रकाशित

डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’ –

प्रसिद्ध साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था कादंबरी, जबलपुर द्वारा “स्व. शिवनारायण पाठक सम्मान”। इसके अतिरिक्त आपको नई दुनिया के ‘जबलपुर साहित्य रत्न’ सहित अनेक स्थानीय, प्रादेशिक एवं राज्यस्तरीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त।  आपका काव्य संग्रह किसलय के काव्य सुमन एवं दोहा संग्रह किसलय मन अनुराग काफी चर्चित रहे हैं।

 

सुश्री मीनाक्षी भालेराव, पृथा फ़ाउंडेशन, पुणे –

सुश्री मीनाक्षी भालेराव जी को ‘इंस्पायर: बियॉन्ड मदरहुड’ अवार्ड 2019 से प्रसिद्ध सिने अभिनेत्री मानसी जोशी-राय द्वारा सम्मानित किया गया।
पृथा  फाउंडेशन महाराष्ट्र में जरूरतमंद अनाथ लड़कियों की शिक्षा के लिए ग्रामीण गरीबों और साहित्यिक योगदान की मदद के लिए काम कर रहा है। यह कार्यक्रम इंस्पायर इंस्टीट्यूट की  निरुपमा और प्रेरणा सिन्हा द्वारा आयोजित किया गया था।

 

रोटरी क्लब सिंघगढ़ शाखा द्वारा “द अंटोल्ड स्टोरी ऑफ जोंटी रोड्स” में “सोशल इंपेक्ट” पर आयोजित कार्यक्रम में श्री टीकम शेखावत जी द्वारा प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी जोंटी रोड्स के साक्षात्कार के कार्यक्रम में सामाजिक कार्यों के लिए का सम्मान।

 

सुश्री श्वेता सक्सेना जी द्वारा वुमेन्स टी वी की ओर से सामाजिक कार्यों के लिए सम्मान

 

 

कविराज विजय यशवंत सातपुते –

 

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मशाल न्यूज़ नेटवर्क/चैनल, पालघर द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय “एकपात्री स्पर्धा – 2019 – द्वितीय स्थान

 

सुश्री रंजना मधुकरराव लसणे –

 

महाराष्ट्र के प्रसिद्ध मशाल न्यूज़ नेटवर्क/चैनल, पालघर द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय “कविता स्पर्धा – 2019 – द्वितीय स्थान

 

सुश्री आरुशी दाते –

सुश्री आरुशी दाते जी को हाल ही में  साहित्य संपदा द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय काव्यलेखन स्पर्धा में उनकी कविता “वसंत” को द्वितीय  पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

 

e-abhivyakti परिवार की ओर से आप सभी सम्माननीय साहित्यकारों को नमन करता है एवं कामना करता है कि आप और उन्नति के शिखर पर पहुंचे। स्वस्थ एवं सकारात्मक साहित्य का सृजन करें। पुनः बधाई एवं शुभकामनायें।

मैंने उपरोक्त जानकारी आपके लिए संकलित करने की चेष्टा की है। संभव है कि इन्हें इसके अतिरिक्त भी सम्मान/अलंकरण प्राप्त हुए हों जिनसे मैं अनभिज्ञ हूँ। यदि आप मुझसे ऐसे सम्मान/अलंकरण की जानकारी साझा करेंगे तो मुझे पाठकों से जानकारी साझा करने में प्रसन्नता होगी।

और हाँ एक बात तो आपसे बताना ही भूल गया आज इन पंक्तियाँ लिखे जाते तक आपके स्नेह से आपकी वेबसाइट के विजिटर्स की संख्या 17000+ हो गई है। इस स्नेह के लिए आभार।

आज के लिए बस इतना ही।

 

हेमन्त बावनकर

11 मई 2019

 

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ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 32 – हेमन्त बावनकर

ई-अभिव्यक्ति: संवाद- 32               

आज के अंक में दो कवितायें प्रकाशित हुई हैं । सुश्री सुषमा सिंह जी, नई दिल्ली  की “कविता” एवं श्री मनीष तिवारी जी, जबलपुर की “साहित्यिक सम्मान की सनक”।  आश्चर्य और संयोग है की दोनों ही कवितायें सच को आईना दिखाती हैं। सुश्री सुषमा सिंह जी की “कविता” शीर्षक से लिखी गई कविता वास्तव में परिभाषित करती है कि कविता क्या है?  यह सच है कि संवेदना के बिना कविता कविता ही नहीं है। मात्र तुकबंदी के लिए शब्दसागर से शब्द ढूंढ कर पिरोने से कविता की माला में वह शब्दरूपी पुष्प अलग ही दृष्टिगोचर होता है और माला बदरंग हो जाती है। इससे तो बेहतर है अपनी भावनाओं को गद्य का रूप दे दें।

इसी परिपेक्ष्य में मैंने अपनी कविता “मैं मंच का नहीं मन का कवि हूँ”  में कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं जो मुझे याद आ रही हैं।

 

जब अन्तर्मन में कुछ शब्द बिखरते हैं

जब हृदय में कुछ उद्गार बिलखते हैं

 

तब जैसे

शान्त जल-सतह को

कंकड़ तरंगित करते हैं।

तब वैसे

शब्द अन्तर्मन को स्पंदित करते हैं।

 

बस

कोई घटना ही काफी है।

बच्चे का जन्म

बच्चे की किलकारी

फूलों की फुलवारी

राष्ट्रीय संवाद

व्यर्थ का विवाद

यौवन का उन्माद

गूढ़ चिंतन सा अपवाद।

इन सबके उपरान्त

किसी अपने का

किसी वृद्ध का देहान्त

हो सकता है एक कारण

कुछ भी हो सकता है कारण

तब हो जाता है कठिन

रोक पाना मन उद्विग्न।

 

तब जैसे

मन से बहने लगते हैं शब्द

व्याकुल होती हैं उँगलियाँ

ढूँढने लगती हैं कलम

और फिर

बहने लगती है शब्द सरिता

रचने लगती है रचना

कथा, कहानी या कविता।

शायद इसीलिए

कभी भी नहीं रच पाता हूँ

मन के विपरीत

शायरी, गजल या गीत।

नहीं बांध पाता हूँ शब्दों को

काफिये मिलाने से

मात्राओं के बंधों से

दोहे चौपाइयों और छंदों से।

 

शायद वो प्रतिभा भी

जन्मजात होती होगी।

जिसकी लिखी प्रत्येक पंक्तियाँ

कालजयी होती होंगी

आत्मसात होती होंगी।

 

मैं तो बस

निर्बंध लिखता हूँ

स्वछंद लिखता हूँ

मन का पर्याय लिखता हूँ

स्वांतः सुखाय लिखता हूँ।

 

दूसरी कविता जिसका उल्लेख मैं ऊपर कर रहा था वह ख्यातिलब्ध कवि पंडित मनीष तिवारी जी की कविता “साहित्यिक सम्मान की सनक”। यह कविता सुश्री सुषमा सिंह जी की “कविता” के विपरीत उन साहित्यिकारों पर कटाक्ष है जो सम्मान की सनक में किसी भी स्तर तक जा सकते हैं।  संपर्क, खेमें,  पैसे और अन्य कई तरीकों से प्राप्त सम्मान को कदापि सम्मान की श्रेणी में रखा ही नहीं जा सकता। श्री मनीष तिवारी जी की सार्थक, सटीक एवं बेबाक व्यंग्य आईना दिखाती है उन समस्त  तथाकथित साहित्यकारों को जो साहित्यिक सम्मान की सनक से पीड़ित हैं ।

साथ ही मुझे डॉ. राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ जी के पत्र  की  निम्न  पंक्तियाँ  याद आती हैं  जो उन्होने  मुझे आज से  37  वर्ष पूर्व  लिखा था  –

“एक बात और – आलोचना प्रत्यालोचना के लिए न तो ठहरो, न उसकी परवाह करो। जो करना है करो, मूल्य है, मूल्यांकन होगा। हमें परमहंस भी नहीं होना चाहिए कि हमें यश से क्या सरोकार।  हाँ उसके पीछे भागना नहीं है, बस।”

इसके अतिरिक्त आज आप पढ़ेंगे सुश्री विजया देव जी की मराठी कविता “व्रुत्त अनलज्वाला” एवं श्री जगत सिंह बिष्ट जी के हास्य योग की यात्रा में उनके हास्य योग के न्यूजीलेंड से पधारे  मित्र केरोलिन एवं डेस की स्मृतियाँ ।

 

आज बस इतना ही।

 

हेमन्त बवानकर 

4 मई 2019

 

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