श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है संध्या -वंदना पर आधारित कविता “सांजवात ”। )
साप्ताहिक स्तम्भ – रंजना जी यांचे साहित्य #- 13
सांजवात
देवाजींच्या मंदिरात
तेवणारी सांजवात।
घोर अंधारल्या मना
देई उजाळा क्षणात।
प्रकाशली सांजवात
घरदार प्रकाशित ।
सायं प्रार्थना शमवी
विचारांचे झंजावात।
सांजवात लावूनिया
आळवावे योगेश्वरा।
विनाशावी शत्रू बुद्धी
सुख शांती येवो घरा।
मंद प्रकाश निर्मळ
धूप देई परिमळ।
सांजवात प्रकाशता
दूर पळे अमंगळ।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105