Shri Jagat Singh Bisht
(Master Teacher: Happiness & Well-Being, Laughter Yoga Master Trainer, Author, Blogger, Educator, and Speaker.)
☆ Meditation / ध्यान – अभ्यास हेतु निर्देश ☆
Meditation / ध्यान – अभ्यास हेतु निर्देश
निर्देशों को सुनते जाएं और ध्यान का अभ्यास करें:
आराम से बैठ जाएँ. पीठ सीधी, आखें बंद.
पूरा ध्यान अपनी सांस पर. आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे.
नाक के आसपास साँसों के आवागमन को महसूस करें. अन्दर आती सांस और बाहर जाती सांस के प्रति निरंतर सजग रहें.
अगर सांस लम्बी है तो जानें कि लम्बी है, अगर सांस छोटी है तो जानें कि छोटी है. केवल जानना है. सांस जैसी है, वैसी ही रहने दें. सांस को किसी प्रकार से नियंत्रित करने का प्रयास न करें.
यदि मन भटक जाये, तो अपना ध्यान वापस सांस पर लेकर आयें.
आँखें बंद रखते हुए, अपनी साँसों के प्रति पूर्णतः सजग होकर, अपने पूरे शरीर को मन ही मन देखें.
भीतर सांस लेते हुए, पूरे शरीर को महसूस करें. बाहर सांस छोड़ते हुए, पूरे शरीर को महसूस करें.
भीतर सांस लेते हुए, पूरे शरीर को शांत करें. बाहर सांस छोड़ते हुए. पूरे शरीर को शांत करें.
आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे. पूरा ध्यान पूरी सजगता से लगातार अन्दर आती सांस और बाहर जाती सांस पर.
अपनी संवेदनाओं पर ध्यान दें, संवेदनाओं के प्रति सजग रहें.
भीतर सांस लेते हुए, हर्ष महसूस करें. बाहर सांस छोड़ते हुए हर्ष महसूस करें.
भीतर सांस लेते हुए, सुख का अनुभव करें. बाहर सांस छोड़ते हुए सुख का अनुभव करें.
आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे.
अपनी मानसिक प्रक्रियाओं पर ध्यान दें, मानसिक प्रक्रियाओं के प्रति सजग रहें.
भीतर सांस लेते हुए, मानसिक प्रक्रियाओं के प्रति सजग रहें. बाहर सांस छोड़ते हुए, मानसिक प्रक्रियाओं के प्रति सजग रहें.
भीतर सांस लेते हुए, मानसिक प्रक्रियाओं को शांत करें. बाहर सांस छोड़ते हुए, मानसिक प्रक्रियाओं को शांत करें.
आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे.
अपने मन की ओर ध्यान दें. अपने मन के प्रति सजग रहे.
भीतर सांस लेते हुए, मन के प्रति संवेदनशील रहें. बाहर सांस छोड़ते हुए, मन के प्रति संवेदनशील रहें.
प्रसन्नचित्त होकर भीतर सांस लें, प्रसन्नचित्त होकर बाहर सांस छोडें.
मन को स्थिर करते हुए भीतर सांस लें, मन को स्थिर करते हुए बाहर सांस छोडें.
मन को मुक्त करते हुए सांस लें, मन को मुक्त करते हुए सांस छोडें.
आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे. अन्दर आती सांस और बाहर जाती सांस के प्रति निरंतर सजग रहें.
सभी भौतिक और मानसिक घटनाएँ अस्थायी हैं.
संसार अनित्य है, यह ध्यान करते हुए, भीतर सांस लें और बाहर सांस छोडें.
उदय होना और अस्त हो जाना प्रकृति का नियम है.
जीवन की नश्वरता पर ध्यान करते हुए, भीतर सांस लें और बाहर सांस छोडें.
संसार में दुःख है और दुःख से मुक्ति का मार्ग भी है.
सम-भाव रखते हुए, भीतर सांस लें और बाहर सांस छोडें.
कुशल कर्म संचित करें, अकुशल कर्मों का त्याग करें.
अकुशल कर्मों के त्याग पर ध्यान करते हुए, भीतर सांस लें और बाहर सांस छोडें.
आती सांस और जाती सांस पर निरंतर ध्यान रहे. अन्दर आती सांस और बाहर जाती सांस के प्रति निरंतर सजग रहें.
अंत में, सबके लिए मंगल कामना. सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो. सभी सुखी हों. जल के, थल के और आकाश के सभी प्राणी निर्भय और निर्बैर हों, सभी प्राणी निरापद और निरामय हों. सबका मंगल हो, सबका कल्याण हो. सभी सुखी हों.
धीरे-धीरे आंखें खोलते हुए, ध्यान से बाहर आयें.
Based on the Anapanasati Sutta
LifeSkills
A Pathway to Authentic Happiness, Well-Being & A Fulfilling Life! We teach skills to lead a healthy, happy and meaningful life.
The Science of Happiness (Positive Psychology), Meditation, Yoga, Spirituality and Laughter Yoga. We conduct talks, seminars, workshops, retreats and trainings.
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Jagat Singh Bisht : Founder: LifeSkills
Master Teacher: Happiness & Well-Being; Laughter Yoga Master Trainer
Past: Corporate Trainer with a Fortune 500 company & Laughter Professor at the Laughter Yoga University.
Areas of specialization: Behavioural Science, Positive Psychology, Meditation, Five Tibetans, Yoga Nidra, Spirituality, and Laughter Yoga.
Radhika Bisht ; Founder : LifeSkills
Yoga Teacher; Laughter Yoga Master Trainer