डॉ भावना शुक्ल
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं भावना के दोहे … माँ अंबिका।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 205 – साहित्य निकुंज ☆
☆ भावना के दोहे … माँ अंबिका ☆ डॉ भावना शुक्ल ☆
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मुरादें हम मांग रहे, माँ ने सुनी पुकार।
माथा माँ के चरण में, माँ करती बस प्यार।”
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जय गौरी मां अंबिका, तेरी जय जयकार।
द्वार तेरे आए हम, कर दो मां उपकार।।
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मैया सुन लो आज तुम, हर लो सबकी पीर।
आए तेरी शरण में, बांधा हमने धीर।।
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आस लगाई आपसे, सुन लो तुम पुकार।
भक्त कर रहे वंदना, भर दो तुम भंडार।।
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हम तो माता कर रहे, तेरा ही गुणगान।
तेरी कृपा मिले सदा, दे दो तुम वरदान।।
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© डॉ भावना शुक्ल
सहसंपादक… प्राची
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