सुश्री प्रभा सोनवणे
कविता
☆ नवरात्रि… ☆ सुश्री प्रभा सोनवणे ☆
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मेरे घर आयी माता
अब रहेगी नौ दिन
हर्षित हुआ है मन ॥
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शैलपुत्री- कुआँरी है
ब्रह्मचारिणी- योगिनी
चंद्रघंटा – सुहासिनी ॥
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मृगनयनी- कूष्मांडा
स्कंदमाता -फलदात्री
कात्यायनी, कालरात्री ॥
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रूप अलग माता के
महागौरी, सिद्धीदात्रि
नौ दिन की नवरात्रि ॥
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आशा तुम विश्वास भी
हो ममता और माया
घरपर तेरी छाया ॥
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गाती हूँ तेरी आरती
मधुरा – पिकबयनी
माता तुम सुभाषिणी
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रहूँ सदा चरणों में
बस यही है कामना
नौ दिन की उपासना ॥
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© प्रभा सोनवणे
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