श्री एस के कपूर “श्री हंस”
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।भाई बहन के अटूट बंधन का प्रतीक भाई दूज का पर्व।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 40 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।भाई बहन के अटूट बंधन का प्रतीक भाई दूज का पर्व।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
।। 1।।
भाई बहन के प्रेम स्नेह, का प्रतीक है भाई दूज।
एक तिलक की ताकत का, का यकीन है भाई दूज।।
सदियों से यही विश्वास, चलता चला आया है।
इसी अटूट बंधन की एक, लकीर है भाई दूज।।
।। 2।।
बहुत अनमोल पवित्र रिश्ता, भाई बहन का होता है।
बहन के हर दुख सुख में, भाई बहुत ही रोता है।।
रक्षा बंधन या त्यौहार हो, यह भाई दूज का।
जो निभाता नहीं ये रिश्ता वो, अपना सब कुछ खोता है।।
।।3।।
निस्वार्थ निश्चल प्रेम का एक, उदाहरण है भाई दूज का दर्प।
अनमोल रिश्तों की लड़ी का, उदाहरण है भाई दूज का गर्व।।
भावना संवेदना का प्रतीक, यह एक टीका और तिलक।
भाई बहन के अमूल्य रिश्तों, काआइना है भाईदूज का पर्व।।
।।4।।
रोली चावल चंदन टीके का, थाल सजा कर लाई हूं।
अपने प्यारे भैया की मूरत, दिल में बसा कर लाई हूं।।
‘मेरे भैया रक्षा करना मेरी सारी, उम्र कि सौगंध तुमको देनी है।
एक तिलक में प्यार का सारा, संसार लगा कर लाई हूं।।
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© एस के कपूर “श्री हंस”
बरेली
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