हेमन्त बावनकर
14 जनवरी 2022 को एन डी टी वी के सुप्रसिद्ध एवं लोकप्रिय पत्रकार कमाल खान का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। प्रस्तुत है श्रद्धांजलि स्वरुप यह कविता “लखनऊ से – मैं कमाल खान….! ”।
☆ लखनऊ से – मैं कमाल खान….! ☆
हर रोज़
गंगा-जमुनी तहजीब में भीगी
मिसरी-शहद में डूबी
मखमली आवाज लिए
एक कमाल का
ख़ूबसूरत सा हमउम्र शख्स
मेरे टीवी के उस पार से आता था
और
बड़ी सादगी से
खबरों से रूबरू कर
अगले दिन के लिए कहीं खो जाता था।
पिछले कई बरसों से
चल रहा था ये सिलसिला
जो अचानक थम गया।
कमाल के कमाल भाई!
आप क्या गए
जैसे सब कुछ जम गया।
अब बड़े इतमिनान से
आत्मविश्वास और साहस से
हमें कौन दिखाएगा ?
आइना,
संवेदनशील खबरें,
आज के संदर्भ में
मर्यादा पुरुषोत्तम राम के
बदलते स्वरूप का कैलेंडर,
समाचारों के संदर्भ में
विभिन्न धर्मग्रंथों के संदर्भ,
और
तख़्त-नशीं को दिलाएगा याद कि –
तुम से पहले वो जो इक शख़्स यहाँ तख़्त-नशीं था
उस को भी अपने ख़ुदा होने पे इतना ही यक़ीं था *
एक शून्य बन गया है
अब उसे कौन भरेगा?
और
अब हर रोज़ कौन कहेगा?
लखनऊ से –
मैं कमाल खान….!
* शायर हबीब जालिब की पंक्तियाँ
© हेमन्त बावनकर, पुणे
14 जनवरी 2022
मो 9833727628
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈