सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा
(सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी सुप्रसिद्ध हिन्दी एवं अङ्ग्रेज़ी की साहित्यकार हैं। आप अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय /प्रादेशिक स्तर के कई पुरस्कारों /अलंकरणों से पुरस्कृत /अलंकृत हैं । सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार शीर्षक से प्रत्येक मंगलवार को हम उनकी एक कविता आपसे साझा करने का प्रयास करेंगे। आप वर्तमान में एडिशनल डिविजनल रेलवे मैनेजर, पुणे हैं। आपका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है।आपकी प्रिय विधा कवितायें हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “रास्ता”। )
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☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सुश्री नीलम सक्सेना चंद्रा जी का काव्य संसार # 90 ☆
☆ रास्ता ☆
वो कौन से निशाँ हैं
जो ढूँढ़ रही है यह जिगर-अफ़गार ज़िंदगी?
वो कौन से जज़्बात हैं
जो महसूस करना चाहती है दिल की लगी?
वो कौन से मंज़र हैं
जो खोज रही हैं यह उचाट आँखें?
वो कौन से एहसास हैं
जो पाने को बेचैन हैं यह उखड़ती साँसें?
वो क्या है जो दिल सोचता है
कि कहूँ या न कहूँ?
वो क्या है जो पाना चाहती है
यह बेकल रूह?
न कोई तनहाई है मन के आँगन में
न कोई रुसवाई है जिगर के मौसम में
पर कोई गुल भी तो नहीं खिलता…
जाने क्यूँ सुकून भी नहीं मिलता…
यह ज़िंदगी एक सफ़र है और चली जा रही हूँ मैं…
जाने क्या खो रही हूँ और जाने क्या पा रही हूँ मैं?
© नीलम सक्सेना चंद्रा
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈