महाकवि कालीदास कृत मेघदूतम का श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
☆ “मेघदूतम्” श्लोकशः हिन्दी पद्यानुवाद # मेघदूत …. उत्तरमेघः ॥२.४०॥ ☆
ताम आयुष्मन मम च वचनाद आत्मनश चोपकर्तुं
ब्रूया एवं तव सहचरो रामगिर्याश्रमस्थः
अव्यापन्नः कुशलम अबले पृच्चति त्वां वियुक्तः
पूर्वाभाष्यं सुलभविपदां प्राणिनाम एतद एव॥२.४०॥
तो दीर्घजीवी मेरी मान कृपया
स्वतः को तथा मित्र कृतकार्य करते
कहना कि सहचर सखी तब वियोगी
कुशल रामगिरि मे बसा है तरसते
कुशल क्षेम तुमसे तथा पूछता
क्योंकि मानव विपद के सहज जो खिलौने
उनकी कुशलता प्रथम प्रश्न है योग्य
इससे प्रमुख भला क्या प्रश्न होने
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈