श्री विवेक चतुर्वेदी
☆ कविता ☆ विवेक की कविता – बसन्त… अभी अभी ☆ श्री विवेक चतुर्वेदी ☆
शरीफ बच्चे
आम के पेड़ से बोल उठा है
एक अनाम शकुन्त
धूप में किसी ने
हथेली की ओट ली है
आ गिरी है छत पर
न जाने किस पते की अधरंगा*
हवा में उड़ती दो चोटियां
मुरम की सड़क से होकर गुजर गई हैं
बसन्त आया है इस नगर में… अभी अभी।।- विवेक
* अधरंगा- दो रंगों की पतंग के लिए इस अंचल में प्रचलित संज्ञा
© श्री विवेक चतुर्वेदी जबलपुर (मध्य प्रदेश)
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈