श्री अरुण कुमार दुबे
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री अरुण कुमार दुबे जी, उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “लोग नेक कहते हैं…“)
☆ साहित्यिक स्तम्भ ☆ कविता # 68 ☆
लोग नेक कहते हैं… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
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ढंग जब नहीं तुमको,मयकदे में आने का
कुर्बतों के क्या मानी, लुत्फ क्या पिलाने का
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ज़ो‘म दिल में है मेरे,आशियाँ बनाने का
शौक़ वो करें पूरा,बिजलियाँ गिराने का
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मयकदे मैं आने की, दोस्त है ये मजबूरी
रस्ता एक मिलता है, उनको भूल जाने का
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लोग नेक कहते हैं सब दुआएं देते हैं
काम नेक होता है, बिछड़े दिल मिलने का
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देखिए कहाँ तक हम कामयाब होते हैं
हौसला तो है दिल में, कुछ तो कर दिखाने का
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बनके एक दीवाना, उनकी राह में पहुँचा
रास्ता न जब पाया,उनके पास आने का
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माँ के पैर छूते हैं उठ के हम अरुण हर दिन
रास्ता सुरल है ये, स्वर्ग को कमाने का
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© श्री अरुण कुमार दुबे
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