ई-अभिव्यक्तीच्या नामवंत ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सुश्री नीलम माणगावे यांना महाराष्ट्र साहित्य परिषदेतर्फे २०२२ या वर्षासाठीचा “ना.घ. देशपांडे पुरस्कार“ जाहीर झाला आहे.
सौ. वंदना अशोक हुळबत्ते
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तसेच आपल्या ग्रुपमधील प्रसिद्ध लेखिका सुश्री वंदना हुळबत्ते यांना त्यांच्या “गांडुळाशी मैत्री“ या पुस्तकासाठी, पश्चिम महाराष्ट्र साहित्य परिषदेचा बाल साहित्यासाठीचा पुरस्कार लाभला आहे. या पुस्तकाचे मुखपृष्ठही पुस्तकाइतकंच आकर्षक आहे, ज्याचा फोटो खाली देत आहे.
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सुश्री नीलम माणगावे यांची एक कविता इथे प्रस्तुत करत आहोत.
☆ नीलम ताईंची कविता— ती ☆
ती चालायला शिकवते
धडपडायला लावते
पुराण पुरुषाच्या पुरुषत्त्वाला आव्हान देऊन
स्त्रियांच्या पाठीशी ठाम राहते
मनुवाद झिडकारून
मुक्ततेची वाट दाखवते
म्हणून तिला म्हणती मुक्ता !
ती इतिहासाचा वीररस
वर्तमानाचा धीररस
भविष्याचा स्वप्नरस
म्हणून ती आशा !
बाभळीच्या काट्यांवरच काय
विंचवाच्या डंखावरही
ती प्रेम करते
म्हणून ती स्नेहदा !
ती आद्य गुरु – जगणं रुजवणारी
ती व्यवस्थापक – शिस्त लावणारी
ती पहिली पाटी – लिहिणं शिकवणारी
म्हणून ती शारदा !
💐 सुश्री नीलम माणगावे आणि सुश्री वंदना हुलबत्ते या दोघींचेही ई-अभिव्यक्तीतर्फे हार्दिक अभिनंदन व पुढील अशाच यशस्वी वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा 💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
रा.तु.म. नागपुर विश्वविद्यालय के भाषा विभाग द्वारा महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत साहित्यकार सम्मानित”– अभिनंदन
विदर्भ में ‘हिन्दी भाषा और साहित्य’ यही विषय था विचार गोष्ठी का जो राष्ट्रसन्त तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय के भाषा विभाग द्वारा आयोजित किया गया था। जिसमें सर्व श्री मनोज पाण्डेय, डाॅ वीणा दाढ़े, श्री श्रीपाद भालचंद्र जोशी, श्री राजेन्द्र पटोरिया ने प्रतिपाद्य विषय पर बहुकोणीय चिन्तन पेश किया।
कार्यक्रम के उत्तर अंश में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत साहित्यकारों का सम्मान- पत्र देकर सत्कार किया गया।
इस शानदार पहल के श्रेयार्थी हैं नागपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग प्रमुख डाॅ मनोज पाण्डेय।
इस गरिमामय अवसर पर उपस्थित थे सर्व श्री–संतोष पाण्डेय बादल,अविनाश बागड़े,नरेन्द्र परिहार,बालकृष्ण महाजन,कृष्णकुमार द्विवेदी, कृष्ण नागपाल, नीरज श्रीवास्तव,श्री सूर्यवंशी, डाॅ विनोद नायक, डाॅ कृष्णा श्रीवास्तव,डाॅ सुरेखा ठक्कर, सुश्री यामिनी रामपल्लीवार, डाॅ प्रभा ललित सिंह, नेहा भंडारकर, सुधा काशिव, प्रभा मेहता, दीप्ति कुशवाह, सुरेखा देवघरे, मधु शुक्ला तथा इन्दिरा किसलय।
ई-अभिव्यक्ति की ओर से इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए सभी सम्मानित साहित्यकारों का अभिनंदन एवं हार्दिक बधाई
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ मंटो और मोहन महर्षि की याद ☆
यह सप्ताह प्रसिद्ध लेखक, फिल्म पटकथाकार और पत्रकार सआदत हसन मंटो और प्रसिद्ध रंगकर्मी मोहन महर्षि की याद में बीता। जहां मंटो का जन्मदिन था , वहीं मोहन महर्षि हमसे विदा हो गये। मंटो का जन्म समराला(पंजाब) के निकट हुआ और फिर उन्होंने मुम्बई में छह वर्ष बिताये और पाकिस्तान बनने पर भारत छोड़कर चले गये। अपने खुलेपन से लिखने के कारण अनेक मुकद्दमे और परेशानियां भी झेलीं लेकिन वे कहते थे कि क्या करूं, यह समाज ही अश्लील है और मेरी कहानियां इसी समाज से आती हैं। वैसे देश विभाजन का दर्द वे सह नहीं पाये थे और टोबा टेक सिंह जैसी मार्मिक कहानी लिखी थी और इसके नायक की तरह दो दी बार मंटो को भी मेंटल अस्पताल भर्ती होना पड़ा था। इस कहानी पर आधारित नाटक बहुत बार मंचित किया गया। इनके तीन बेटियां ही हैं जिन्हें कुछ वर्ष पूर्व पंजाब के समराला के निकट गांव में आमंत्रित कर सम्मानित किया गया था। मंटो की कहानियां और विभाजन पर इनकी लघुकथाएं कमाल की हैं।
जहां तक रंगकर्मी मोहन महर्षि की बात है वे मूल रूप से राजस्थान से थे लेकिन पंजाब विश्वविद्यालय के इंडियन थियेटर डिपार्टमेंट में उन्होंने न जाने कितने रंगकर्मियों को रंगकर्म में प्रशिक्षित किया। खुद भी फिल्म में काम किया। धर्मवीर भारती के खंड काव्य नाटक अंधा युग का मंचन भी अविस्मरणीय है। ऐसे रंगकर्मी का जाना बहुत बड़ी क्षति है। मंटो व मोहन महर्षि दोनों को नमन्।
बिलासपुर में बंसीराम शर्मा जयंती : हिमाचल के बिलासपुर में लेखक संघ द्वारा लोकसाहित्य के पुरोधा डाॅ बंशीधर शर्मा की जयंती के अवसर पर ऑनलाइन साहित्यिक संगोष्ठी आयोजित की गयी। इसमें डाॅ बंशीधर की किन्नौर लोक साहित्य , संस्कृति के क्षेत्र में किये गये कार्यों का उल्लेख किया गया। कार्यक्रम में बहुभाषी काव्य गोष्ठी भी आयोजित की गयी। एक जेबीटी शिक्षक से डाॅ बंशीधर हिमाचल कला व संस्कृति अकादमी के सचिव पद तक पहुंचे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डाॅ अनेक राम सांख्यान ने की जबकि संचालन रविंद्र कुमार आर्य ने किया।
प्रवासी रचनाकारों का काव्य संग्रह :गीतांजलि बहुभाषी साहित्यिक समुदाय की ओर से ऋषिकेश में ‘हरपल बसंत रचते हैं’ काव्य संग्रह का विमोचन किया गया। इस दो दिवसीय संगोष्ठी मे इसका लोकार्पण उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट कर्नल गुरमीत सिंह ने किया। पूर्व केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे रमेश कुमार पोखरियाल निशंक, डाॅ योगेन्द्र नाथ अरूण , डाॅ रजनीश शुक्ल ने इसकी भूरि भूरि प्रशंसा की। इस संकलन की परिकल्पना डाॅ कृष्ण कुमार ने की जबकि संपादन डाॅ रश्मि खुराना ने किया है। काव्य संकलन में इंग्लैंड में रह रहे 29 कवियों की रचनायें संकलित हैं। डाॅ रश्मि खुराना को बधाई।
सतीश कश्यप का नया स्वांग कृष्णा : हरियाणा के प्रसिद्ध लोककलाकार व रंगकर्मी डाॅ सतीश कश्यप को आप दादा लखमी फिल्म और काॅलेज कांड में नेगेटिव रोल में देख चुके हो। वैसे वे स्वांग के लिये हरियाणा ही नहीं देश विदेश में जाने जाते हैं और अब उन्होंने नये स्वांग कृष्णा का मंचन किया है हिसार के राधाकृष्ण मंदिर में। सबसे बड़ी बात कि यह स्वांग संस्कृत में है। यह स्वांग गीता और ऋषभ गांधार पर आधारित हैं। स्वयं सतीश कश्यप इसमें कृष्ण की भूमिका में हैं जबकि कुलदीप खटक अर्जुन की भूमिका में हैं। पंडित प्रीतपाल ने इसका मधुर संगीत दिया है और सह निर्देशक हैं संगीत में नरेश सिंघल। नगाड़े पर राजेश हैं।
इनके अतिरिक्त संगीत में स्वर दिये हैं – विभोर, रोली भारद्वाज और संजना कश्यप ने। ये कृष्ण की गोपियों की भूमिका में भी रहीं ! इसकी अवधि एक घंटे की है। सतीश कश्यप को नये स्वांग के लिये बहुत बहुत बधाई।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साहित्य यांत्रिकी की प्रथम गोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव
भाषा की समृद्धि में उसका तकनीकी पक्ष तथा साहित्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है. यूनीकोड लिपि व विभिन्न साफ्टवेयर में हिन्दी के उपयोग हेतु अभियंताओ ने महत्वपूर्ण तकनीकी योगदान दिया है . तकनीक ने ही हिन्दी को कम्प्यूटर से जोड़ कर वैश्विक रूप से प्रतिष्ठित कर दिया है.
हिन्दी साहित्य की श्रीवृद्धि में भी अनेक अभियंता साहित्यकारो का भी अप्रतिम योगदान है , स्व चंद्रसेन विराट हिन्दी गजल में, इंजीनियर नरेश सक्सेना हिन्दी कविता के पहचाने हुये नाम है .यद्यपि साहित्य को लेखक की व्यवसायिक योग्यता की खिड़कियों से नहीं देखा जाना चाहिये . साहित्य रचनाकार की जाति, धर्म, देश, कार्य, आयु, से अप्रभावित, पाठक के मानस को अपनी शब्द संपदा से ही स्पर्श कर पाता है. तथापि समीक्षक की अन्वेषी दृष्टि से अभियंताओ के साहित्यिक अवदान को रेखांकित किया जाना वांछित है . इस उद्देश्य से इंस्टीट्यूशन आफ इंजीनियर्स के तत्वावधान में एक राष्ट्रीय अधिवेशन प्रस्तावित है . निरंतरता का साहित्य साधना में बड़ा महत्व होता है . इस भाव से साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय इंजीनियर्स ने साहित्य यांत्रिकी का गठन किया है . संस्था प्रति माह प्रथम रविवार को विचार गोष्ठी , काव्य गोष्ठी का आयोजन नियमित रुप से करेगी .इसी क्रम का श्रीगणेश साहित्य यांत्रिकी की प्रथम गोष्ठी के साथ इंजी प्रियदर्शी खैरा जी के आवासीय सभागार में संपन्न हुआ .
वरिष्ठ व्यंग्यकार एवं कवि श्री हरि जोशी जी की अध्यक्षता में गोष्ठी का प्रारंभ किया इंजी मुकेश नेमा ने….
“ये देखकर मेरी जान जलती है,
मेरी नहीं चलती बस उनकी चलती है “
रवींद्र नाथ टैगोर विश्वविद्यालय वैशाली के कुलपति श्री व्ही के वर्मा ने अपनी गजल तरन्नुम में पढ़ी …
” हर बात जुबां तक आ जाये यह बात तो मुमकिन कभी नहीं,
हर बात तेरी सुन ली जाये यह बात तो मुमकिन कभी नहीं ”
श्री प्रियद्रशी खैरा की बसंत को लेकर पढ़ी गई इन पंक्तियों ने सबका ध्यानाकर्षण किया …
“बस अंत आ गया ,
सोच कर जियो ,
जीवन का हर क्षण ,
सोम रस पियो ,
जीवन दर्शन मौसम सिखा गया ,
लो बसंत आ गया “
गायक एवं कवि मंथन शीर्षक से कई पुस्तकों के रचनाकार श्री अशेष श्रीवास्तव ने पढ़ा
“मैं सूर्य हूं पर कभी बताया नहीं
जीवन देता हूं पर जताया नहीं
अंधकार से कभि घबराया नहीं
अकेला ही सही डगमगाया नहीं “
इंजी अरुण तिवारी प्रेरणा पत्रिका के संपादक हैं. वे राष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने वाले वरिष्ठ कथाकार हैं. उन्होने गोष्ठी का वातावरण बदलते हुये अपनी कहानी “मुखौशे” पढ़ी, जिसकी सभी ने मुक्त कंठ सराहना की.
वरिष्ठ कवि सशक्त हस्ताक्षर श्री अजेय श्रीवास्तव ने फरमाईश पर अपनी लोकप्रिय रचना “बाउजी” एवं “अक्षुण्ण ” पढ़ीं . उनकी अकविता की डिलेवरी शैली ने सभी को प्रभावित किया और इन भाव प्रवण रचनाओ ने श्रोताओ की सराहना अर्जित की .
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “शब्द तुम्हारे कुछ लेकर के घर लौटें तो अच्छा हो, कवि गोष्ठी से मंथन करते घर लौटें तो अच्छा हो ” रचना पढ़कर गोष्ठी आयोजन का महत्व प्रतिपादित किया.
अध्यक्षीय व्यक्तव्य में श्री हरि जोशी जी ने कहा कि अभियंताओ के साहित्यिक अवदान को एक मंच देने का भोपाल में किया जा रहा यह प्रयास राष्ट्रीय स्तर पर सर्वथा प्रथम कदम प्रतीत होता है . इस प्रयास की अनुगूंज हिन्दी के समीक्षा साहित्य में अवश्य होगी . उन्होने छोटी छोटी रचनायें भी पढ़ी.
“सिर्फ काम काम अ्वा सोना सोना
दोनों का अर्थ होता है जीवन खोना
सोना और काम दोनो जरूरी
बिना दोनों जिंदगी अधूरी”
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ने गोष्ठी का अत्यंत कुशलता पूर्वक संचालन किया. अंत में श्री प्रियदर्शी खैरा जी के आभार व्यक्तव्य के साथ नियत समय पर गोष्ठी पूरी हुई . इस अभिनव साहित्यिक आयोजन की भोपाल के साहित्य जगत में भूरि भूरि सराहना हो रही है .
साभार – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव
भोपाल, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
–‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र’ – लघुकथा प्रतियोगिता वर्ष – 2023 के परिणाम घोषित –
आयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
1. प्रथम पुरस्कार – पुष्पा कुमारी ‘पुष्प’ – सन्नाटा’
2. द्वितीय पुरस्कार –शर्मिला चौहान – ‘बदलता जायका’
3. तृतीय पुरस्कार – (1) मधु जैन – ‘अनपढ़’ (2) अवंती श्रीवास्तव – विश्वास’
प्रोत्साहन पुरस्कार –
1. महावीर राजी – ‘स्त्रियां कभी बीमार नहीं पड़ती’
2. रामकरन – ‘डर’
3. यशोधरा यादव ‘यशो’ – ‘जीवन का उद्देश्य’
4. नवसंगीत सिंह – ‘हर घर तिरंगा’
पुरस्कार –
प्रथम पुरस्कार – ₹2100
द्वितीय पुरस्कार – ₹1100
तृतीय पुरस्कार – (2) ₹ 750
प्रोत्साहन पुरस्कार (4)- ₹500
इस प्रतियोगिता के परिणाम घोषित करते हुए हमें अत्यंत हर्ष का अनुभव हो रहा है। पूरे देश से लघुकथाकारों ने बहुत उत्साह से अपनी लघुकथाएं हमें भेजी | हम आपका हार्दिक अभिनंदन करते हैं । ‘आचार्य जगदीश चंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति’ की ओर से लघुकथाकारों तथा परीक्षकों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं |
परीक्षक –
1. श्री रामेश्वर कांबोज “हिमांशु ‘
2. श्री सुकेश साहनी
आयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001, e-mail – [email protected]मोबाईल – 09370288414.
संयोजक – लघुकथा शोध केंद्र ,अहमदनगर तथा हिंदी सृजन सभा, अहमदनगर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ पुस्तक मेलों की बढ़ती लोकप्रियता ☆
पुस्तक मेला पहले दिल्ली में ही वर्ष में एकबार लगता था लेकिन अब पुस्तक मेलों की आवश्यकता और महत्त्व बढ़ता जा रहा है , खासतौर पर डिजीटल युग यदि हमें छपी हुई पुस्तक बचानी है । अब सिर्फ दिल्ली ही नहीं अनेक शहरों में पुस्तक मेले लगने लगे हैं । दिल्ली के इस बार के पुस्तक मेले पर लम्बी लम्बी कतारों ने छपी हुई पुस्तकों के प्रति पाठकों के प्यार को प्रदर्शित कर दिया था ।एनबीटी के अलावा भी अनेक संस्थायें और विश्वविद्यालय पुस्तक मेले आयोजित कर रहे हैं । फिलहाल गर्मी की मार से हटकर, बचकर हिमाचल की राजधानी शिमला में जून माह में पुस्तक मेला आयोजित किये जाने की खबर है जिसे हिमालय मंच सहयोग देगा । अभी चंडीगढ़ में राजकमल प्रकाशन ने भी पुस्तक मेला आयोजित किया था।
साथी पहली बार’ कृति का विमोचन : हरियाणा के चर्चित रचनाकार बी मदन मोहन की नयी कृति ‘साथी पहली बार’ का विमोचन यमुनानगर के मुकुंद लाल नेशनल काॅलेज में हुआ । पुस्तक में मानव जीवन के अनेक भाव व्यक्त करतीं रचनायें हैं । वरिष्ठ साहित्यकार के के ऋषि मुख्यातिथि रहे जबकि कथाकार डाॅ अशोक भाटिया विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे । अनेक साहित्यकारों ने भी विमोचन समारोह में अपनी उपस्थिति से इसकी गरिमा बढ़ाई । बी मदन मोहन को नयी कृति के प्रकाशन पर बधाई।
प्रयागराज में लोई चले कबीरा पर चर्चा : प्रयागराज की संस्था कहकशां फाउंडेशन की ओर से प्रताप सोमवंशी के नाटक लोई चले कबीरा पर विचार चर्चा आयोजित की गयी । जलज श्रीवास्तव ने कबीर के भजनों का गायन कर मंत्रमुग्ध कर दिया । एहतराम इस्लाम ने अध्यक्षता की और संचालन व आयोजन संस्थापक आनंद कक्कड़ ने किया । अनेक रचनाकार मौजूद रहे ।
प्रवासी लेखन पर चर्चा : प्रवासी लेखन पर पिछले सप्ताह आज समाज के इस स्तम्भ में जो चर्चा की गयी थी जिसे देश ही नहीं विदेश में भी गंभीर रूप से चर्चा हुई । कोशिश रही कि सबके बारे में बात की जाये और कई भी । फिर भी कुछ नाम रह गये । निर्मल जायसवाल ने कनाडा से फोन कर अपनी साहित्यिक यात्रा की जानकारी दी । विदेश में ही बसीं हंसा दीप और उनके पति धर्म महेंद्र जैन भी खूब काम कर रहे हैं । अभी हमने पंजाबी प्रवासी लेखन पर बात नहीं की है क्योंकि इनकी सूची बहुत लम्बे है । ये लेखक भी अपनी मातृभाषा पंजाबी को विदेशों में पहुंचाने में भरपूर योगदान दे रहे हैं ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी से पुरस्कृत साहित्यकार सम्मानित
विदर्भ गौरव प्रतिष्ठान एवं रियाज़ संस्था की ओर से महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी की ओर से पुरस्कृत साहित्यकारों को सम्मानित किया गया।
उस अवसर पर हिन्दी मराठी एवं बांग्ला उपन्यासों पर विशद चर्चा संपन्न हुई। हिन्दी उपन्यासों की श्रृंखला में प्रासंगिक रूप से गीतांजलि श्री के उपन्यास “रेत समाधि” पर डाॅ वीणा दाढ़े ने महीन विश्लेषण श्रोताओं के समक्ष रखा। डाॅ भट्टाचार्य ने बांग्ला उपन्यासों की भूमिका स्पष्ट की।
सुप्रिया अय्यर के उपन्यास पर एक अति उत्कृष्ट नाटिका पेश की गयी।पुरस्कृत साहित्यकारों की ओर से दो शब्द कहते हुये इन्दिरा किसलय ने भाषायी सौहार्द्र की दृष्टि से अनुवाद की महत्ता रेखांकित की। इतिहास में चलें तो शाहजहां के बेटे दाराशिकोह ने काशी से पंडित बुलाकर उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया था और स्वयं गीता का अनुवाद फारसी में किया था।
अगर जर्मन विद्वान गेटे न होते तो कालिदासकृत अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सौंदर्य से विश्व वंचित रह जाता। रूसी विद्वान वारान्निकोव न होते तो रूस में रामचरितमानस और प्रेमचंद की कृतियों की महत्ता प्रकाश में आने से रह जाती।
भारत में 10 करोड़ मराठीभाषी हैं।12 वीं शती से अपना इतिहास दर्ज करनेवाली मराठी एक सक्षम भाषा है। इसकी लिपि देवनागरी है।
हिन्दी एवं मराठीभाषी रचनाकारों के मध्य सेतु निर्माण का सारा श्रेय रियाज़ के अध्यक्ष श्री दिलीप म्हैसाळकरजी को जाता है।
साभार – सुश्री इंदिरा किसलय
नागपुर, महाराष्ट्र
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
स्वास्थ्य संसद 2023: अमृत तत्व-1 ☆ प्रस्तुति – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव
पत्रकार पुरोहित की तरह होते हैः स्वामी ज्ञानेश्वरी
भविष्य की बीमारियों को बताएगा जीनोम सिक्वेंसिंग: गौरव श्रीवास्तव
140 करोड़ लोगों के बीच में मात्र 11 हॉस्पिस
2025 तक भारत को टीबी मुक्त बनाने में जिनोम सिक्वेंसिंग हो सकता है सहायक
77 हजार तकनीकि विशेषज्ञों पर सरकार ने किया है निवेश
नयी दिल्ली/भोपाल। भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के न्यू कैंपस में स्वस्थ भारत (न्यास) के 8 वें वर्षगांठ पर तीन दिवसीय ‘स्वास्थ्य संसद 2023 का आयोजन हुआ। इस आयोजन में देश भर के स्वास्थ्य संचारक, विचारक एवं अकादमिक लोगों ने भाग लिया। तीन दिनों तक चले मैराथन अमृत-मंथन में अमृतकाल में भारत का स्वास्थ्य एवं मीडिया की भूमिका विषय पर अमृत-चिंतन हुआ। इस चिंतन से निकले अमृत तत्व की पहली किस्त में आज आप पढिए हॉस्पिस, जबलपुर की संस्थापिका स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी एवं हैस्टेक एनालिटिक्स के सीओओ गौरव श्रीवास्तव के विचारों को।
हास्पिस अस्पताल की संस्थापिका स्वामी ज्ञानेशवरी दीदी ने कहा कि, ‘अभाव में चलते हुए और हर दिन एक नई समस्या का सामना करते हुए भी भाई आशुतोष कुमार सिंह और उनकी पत्नी प्रियंका एवं उनके साथियों ने स्वास्थ्य संसद के रूप में इतना बड़ा एक मंच तैयार किया है, जहां से आज भारत के आखिरी व्यक्ति के स्वास्थ्य समस्या के समाधान पर विचार और उपाय निकालने के लिए हम सभी यहां एकजुट हुए है।’ स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी ने आगे कहा कि, ‘उनके गुरु पूजनीय श्री बांवरा जी महाराज कहते थे कि मीडिया एक पुरोहित की तरह है। जैसे हर घर का पुरोहित होता है वो जो किसी कार्य और उत्सव के लिए दिन और तिथि बताता है और हम उस पर विश्वास करके मानते है। पत्रकार भी उसी पुरोहित की तरह हैं।’
उन्होंने अपने अस्पताल के बारे में बताते हुए कहा कि, हमारा अस्पताल कैसर पीड़ित उन मरीजों को समर्पित हैं जिन्हें डॉक्टर और परिजन भी त्याग देते हैं। यानी अंतिम घड़ी आने पर। यह अमेरिका और ब्रिटेन में काफी चलन में है। हमने 2013 में विराट हॉस्पिस शुरू की। अभी तक भारत में केवल 11 हॉस्पिस है जबकि आबादी 140 करोड़ से अधिक। हास्पिस के जिक्र का मकसद यह है कि मीडिया इस मंच से उठे ऐसी व्यवस्था पर भी सरकार का ध्यान खीचने में मदद करें। मीडिया को कृषि क्षेत्र पर भी फोकस करने की जरूरत है ताकि फसल उत्पादन में जानलेवा खाद का उपयोग बंद हो। ऐसे अन्न और सब्जियां या दूषित दूध का सेवन तो कैंसर की ही सौगात देगा। रोगमुक्त जीवन के लिए जरूरत जैविक खाद के प्रयोग की है।
जिनोम सिक्वेंसिंग के क्षेत्र में काम कर रही अग्रणी कंपनी हेस्टैक ऐनलिटिक्स, मुंबई के को फाउंडर गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि आयुष्मान भारत के संकल्प को पूरा करने में जिनोमिक्स तकनीक की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि देश में टीबी के निर्मूलन और उपचार के क्षेत्र में एडवांस जिनोमिक्स तकनीक लाखों मरीज़ों को सटीक उपचार की ओर ले जाने की क्षमता विकसित कर सकती है। पहले भी इसका लाभ हज़ारों मरीज़ों को मिल चुका है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में उनके इनोवेटिव आइटी समाधान को ग्राहम बेल अवार्ड तथा स्टार्ट अप ऑफ द ईयर का सम्मान दिया जा चुका है।
उन्होंने आगे बताया कि यह तकनीक आने वाले सालों में जीनोम सीक्वेंस् का अध्ययन कर मरीज पर प्रभाव डालने वाले वायरस, बैक्टीरिया और बीमारी से कौन दवा बचायेगी और किस बीमारी में कौन ज्यादा कारगर होगी, का चुनाव करने में काफी कारगर साबित होगी। मसलन बैक्टीरिया जनित रोग टीबी में मरीज को 4 एंटीबॉयटिक खाने होते हैं। इसमें ज्यादातर मामलों में बैक्टीरिया तीन दवा के प्रति रीज़िस्टेंस पावर अर्जित कर लेता है। ऐसे में 2025 तक भारत को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य पूरा करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए यूके और यूएस में सफल हो चुकी जीनोम सीक्वेंस तकनीक को भारत में लॉन्च करके हेस्टैक एनलिटिक्स ने ना केवल सरकार के सपने को बल्कि आम जनता को भी सही इलाज दिलाने में कारगर पहल की है।
गौरव श्रीवास्तव ने कहा कि, यह काफी हर्ष का विषय है कि भारत के स्वास्थ्य और तकनीक विकास की ओर पूरी दुनिया देख रही है। आने वाला समय भारत का और भारत की तकनीक का है। कोविड में भारत ने न केवल वैक्सीन बनायी बल्कि विकसित देशों में भी भेजी। भारत में लगभग 4000 स्टार्ट-अप ऐसे हैं जो नई तकनीक पर काम कर रहे है। सरकार ने पिछले 10 साल में 77 हजार लोकल तकनीकी विशेषज्ञों पर निवेश किया है। उम्मीद है कि भारत आने वाले 25 वर्षों में विश्व के स्वास्थ्य के लिए तकनीकी और हेल्थ केयर सर्विस में क्रांति लाने वाला देश बन जायेगा। तब भारत ही दुनिया को लीड करेगा।
इसके पूर्व स्वस्थ्य संसद के सभापति एवं एमसीयू के कुलपति प्रो. (डॉ.) के.जी.सुरेश, उपसभाति एस.के.राउत (से.नि. डीजीपी,मध्य प्रदेश), स्वस्थ भारत (न्यास) के चेयरमैन एवं स्वास्थ्य संसद के संयोजक आशुतोष कुमार सिंह, सी-20 समाजशाला के आउटरिच समन्वयक एवं वरिष्ठ विज्ञान संचारक डॉ.मनोज पटेरिया, स्वामी ज्ञानेश्वरी दीदी, गौरव श्रीवास्तव एवं अन्य गणमान्यों ने दीप प्रज्ज्वलन कर स्वास्थ्य संसद का उद्घाटन किया।
साभार – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव
भोपाल, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ प्रवासी लेखकों की जांच पड़ताल ☆
देश के साहित्यकारों के अलावा प्रवासी लेखकों की भी एक दुनिया है । इन पर भी कुछ बात और कुछ जाच पड़ताल जरूरी लगती है । ये भारत से ही विदेशों में गये लेखक हैं । ये आमतौर पर नवम्बर से लेकर फरवरी के बीच समय समय पर भारत आते हैं और प्रवासी लेखन पर संगोष्ठियां या अपनी पुस्तकों के विमोचन आदि के कार्यक्रम रखते हैं । मारिशस से अभिमन्यु अनंत और रामदेव धुरंधर लेकिन अब अभिमन्यु नहीं रहे, इंग्लैंड से तेजेन्द्र शर्मा, अमेरिका से सुधा ओम ढींगरा व गुरबचन कौरनीलम आदि बहुचर्चित रचनाकार इसी श्रेणी में आते हैं । यही नहीं सुधा ओम ढींगरा तो वहां सामाजिक काम भी बढ़चढ़कर कर रही हैं तो दूसरी ओर सीहोर(मध्यप्रदेश) से पंकज सुबीर के सहयोग से विभोम स्वर नामक स्तरीय पत्रिका का प्रकाशन संचालन भी कर रही हैं । पहले वे चेतना से जुड़ी थीं । फिर अपनी ही पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया और पुरस्कार भी देने शुरू किये । इस तरह सुधा ओम ढींगरा को जैसे हिदी साहित्य के प्रचार प्रसार की विदेश में भी पूरी पूरी चिंता है। इसी प्रकार तेजेंद्र शर्मा भी जहां पुरवाई पत्रिका निकालते हैं वहीं कथा पुरस्कार भी शुरू कर रखा है । यमुनानगर से विदेश में बसीं डाॅ कविता वाचक्नवी भी सक्रिय है । यमुनानगर से ही विदेश में रह रहीं अरूणा सभ्रवाल भी सक्रिय हैं । कुछ वर्ष रश्मि खुराना विदेश में रहीं, आजकल फिर जालंधर लौट आई हैं । आजकल मोहन सपरा भी कनाडा में हैं और इसी वर्ष लौट आयेंगे । अमेरिका में बसीं नवांशहर के निकट के गांव बैसां की गुरबचन कौर नीलम ने लघुकथा पर हर रविवार को ऑनलाइन कार्यक्रम शुरू कर रखा है जो धीरे धीरे लोकप्रिय हो रहा है । अमेरिका में ही स्वाति शशि भी सक्रिय हैं । इनके लिये सैल्यूट तो बनता है न ! विदेश में रहते हुए भी हिंदी का परचम फहराया हुए हैं ये लोग !
कथा बिम्ब के डाॅ अरविंद नहीं रहे : यह बहुत ही दुखद समाचार है कि मुम्बई से पिछले कम से कम चालीस साल से ऊपर प्रकाशित हो रही कथा पत्रिका कथा बिम्ब के संपादक-प्रकाशक डाॅ अरविंद नहीं रहे । यह पत्रिका ऐसे दौर में भी प्रकाशित होती रही जब व्यावसायिक कथा पत्रिका सारिका सहित अन्य कथा पत्रिकाओं का प्रकाशन बंद हो गया । कथा बिम्ब ने कथाओं पर वार्षिक पुरस्कार भी शुरू कर रखे थे और अनेक स्तम्भ भी जो बहुत लोकप्रिय थे । पर एक खुशी की बात भी है कि कथा बिम्ब का प्रकाशन बंद नहीं होगा । यह प्रवोध गोविल और नीरज दइया ने जयपुर में संभाल लिया है और इसका पहला अंक इनके संपादन में आ भी गया है । असल मे एक समय प्रबोध गोविल मुम्बई रहते थे और इसी पत्रिका का सहसंपादन करते थे । जब डाॅ अरविंद की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो उन्होंने अपने पुराने मित्र से सम्पर्क किया और उन्हें कथा बिम्ब का प्रकाशन जारी रखने के लिये मना लिया । इसके तुरंत बंद ही वे दुनिया को आखिरी सलाम कह गये । पर कथा बिम्ब के निरंतर प्रकाशन की व्यवस्था करके ! यह लौ जलती रहे । यही सच्ची श्रद्धांजलि है ।
गधे की बारात : जिला हिसार के गांव भिवानी रोहिल्ला के महारानी लक्ष्मी बाई कन्या महाविद्यालय में रोहतक के चर्चित रंगकर्मी विश्व दीपक त्रिखा के निर्देशन में हास्य व व्यंग्य नाटक गधे की बारात का मंचन किये गया । विश्व दीपक त्रिखा इस नाटक के सौ से ऊपर मंचन कर चुके हैं । कल्लू कुम्हार की भूमिका में अविनाश सैनी ने शानदार अभिनय किया । असल में वही इस नाटक की धुरी थे । अन्य कलाकारों ने भी अच्छा अभिनय किया । नगाड़े पर सुभाष नगाड़ा रहे जो इसके लिये बहुत चर्चित कलाकार हैं । नीतिका ने भी गंगी के रोल में जान डाल दी । डेढ़ घंटे तक न केवल हास्य बल्कि आज के समय, समाज और राजनीति पर चुटीले कटाक्ष किये गये । महारानी लक्ष्मी बाई महाविद्यालय के चेयरमैन भारत भूषण प्रधान और प्रिंसिपल डाॅ शमीम शर्मा की कोशिश रहती है कि दूरदराज गांव में भी छात्राओं को ऐसे कार्यक्रम दिखाते रहें।
प्रेरणा अंशु का लघुकथा विशेषांक : दिनेशपुर से पिछले 39 साल से निरंतर प्रकाशित हो रही पत्रिका प्रेरणा अंशु व अम्बाला छावनी से पचास साल से प्रकाशित हो रही पत्रिका शुभतारिका ने लघुकथा विशेषांकों की घोषणा की है ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समूहातील सुप्रसिद्ध लेखिका व कवयित्री सुश्री राधिका भांडारकर यांना, “आम्ही सिद्ध लेखिका“ या राज्यस्तरीय मंचातर्फे जागतिक महिला दिनानिमित्त आयोजित राज्यस्तरीय कथास्पर्धेत, “उत्तरायण“ या त्यांच्या कथेसाठी द्वितीय क्रमांकाचे पारितोषिक मिळाले आहे.
आजच्या अंकात वाचूया ही पुरस्कारप्राप्त कथा.
💐 या पुरस्काराबद्दल राधिकाताईंचे ई-अभिव्यक्ती संपादक मंडळातर्फे हार्दिक अभिनंदन आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈