सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री उषा ढगे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सुश्री उषा ढगे

? अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! ?

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सुश्री उषा ढगे यांचा ‘सुनृत’ हा दुसरा काव्यसंग्रह प्रकाशित झाला आहे. त्यांचे समुहातर्फे हार्दिक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी  शुभेच्छा.?

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ ☆ मण्डला जिले के गौरव सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ राम कृष्ण पाण्डेय नहीं रहे ☆ ☆

स्व डॉ राम कृष्ण पाण्डेय

  ? मण्डला जिले के गौरव सुप्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ राम कृष्ण पाण्डेय नहीं रहे ?

उन आँखों में झांक के देखो तो सही ,
प्यार झलकता है की नहीं ।
एक कदम बढ़ा के देखो तो सही ,
राह मिलती है की नहीं ।
– श्री जय प्रकाश पाण्डेय 

(यह अत्यंत दुख की बात है कि श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी, संपादक ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी) के बड़े भाई साहब आदरणीय डॉ राम कृष्ण पाण्डेय जी का कल हृदयघात से विगत दिवस निधन हो गया।)

अद्वितीय प्रतिभा के धनी डॉ राम कृष्ण पाण्डेय जी का जन्म भीखमपुर (निवास) में जन्म हुआ था। जीवन के प्रारम्भ से ही संघर्षरत रह कर वे न केवल आगे बढ़े अपितु कई लोगों के प्रेरणास्रोत भी रहे। आपने अपने समय में मेट्रिक में मेरिट लिस्ट में आकार मंडला जिले का नाम रोशन किया था।

आपने जबलपुर विश्वविद्यालय से एम.ए. में स्वर्ण पदक प्राप्त करने के पश्चात ‘महात्मा गांधी जी के निजी सचिव’ एवं पूर्व सांसद डॉ महेश दत्त मिश्र जी के निर्देशन में “भारतीय संसदीय प्रणाली” में पी एच डी की उपाधि प्राप्त किया। तत्पश्चात “इंडियन प्राइम मिनिस्टर थ्योरी एंड प्रेक्टिस” पर डी लिट की उपाधि प्राप्त किया। बाद में प्रधानमंत्री के विशेष राजनैतिक सलाहकार  रहे। कम्युनिकेशन आफ इंडिया के निदेशक रहे। देश भर के आकाशवाणी केन्द्रों के लिए प्रोग्राम पालिसी बनाने वाले विभाग “श्रोता अनुसंधान” में डिप्टी डायरेक्टर से रिटायर हुए। रिटायर होने के बाद एल.एल.बी. एवं एल एल एम में स्वर्ण पदक प्राप्त किया। साथ ही बतौर गाइड कई छात्रों को पी.एच.डी. करायी।

रिटायर होने के बाद छत्तीसगढ़ कालेज, रायपुर में वरिष्ठ प्रोफेसर के रूप में काम करते हुए लोगों को निशुल्क कानूनी सलाह देते रहे। रिटायर होने के बाद भी अध्ययन करते हुए “सूचना के अधिकार” पर ऐतिहासिक पी.एच.डी की, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। उन्होंने पिता की तरह अपने परिवार की जिम्मेदारी का निर्वहन किया जो अनुकरणीय है।

? ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से परम आदरणीय डॉ राम कृष्ण पाण्डेय जी को सादर नमन एवं विनम्र श्रद्धांजलि। ॐ शांति! शांति! ?

 

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सौ. पुष्पा नंदकुमार प्रभुदेसाई – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सौ.पुष्पा नंदकुमार प्रभुदेसाई 

? अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! ?

 

ई–अभिव्यक्तीच्या लेखिका, सौ. पुष्पा प्रभुदेसाई यांच्या जीवनतरंग या ललित- वैचारिक संग्रहाचे प्रकाशन 23 जानेवारी रोजी होत आहे.

ई–अभिव्यक्तीतर्फे सौ. पुष्पा प्रभुदेसाई यांचे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा. ?

 

आजच्या अंकात वाचा सौ. पुष्पा प्रभुदेसाई यांच्या जीवनतरंग या पुस्तकावरील सौ. उज्ज्वला केळकर यांनी केलेले आस्वाद लेखन  

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सौ. पुष्पा नंदकुमार प्रभुदेसाई – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? सौ.पुष्पा नंदकुमार प्रभुदेसाई ?

? अ भि नं द न ?

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सौ.पुष्पा नंदकुमार प्रभू देसाई यांनी, स्वानंद चॅरिटेबल ट्रस्ट,पुणे,यांनी आयोजित केलेल्या वक्तृत्व स्पर्धेत ज्येष्ठ नागरिक गटात उत्तेजनार्थ पुरस्कार प्राप्त केला आहे. त्याबद्दल त्यांचे समुहातर्फे हार्दिक अभिनंदन ?त्यांचे भाषण लेख स्वरूपात आज देत आहोत.

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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सूचना/Information ☆ विश्व हिन्दी दिवस पर कवि सम्मेलन – “ग्लोबल हिन्दी ज्योति”, कैलिफोर्निया, अमेरिका का आयोजन ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ विश्व हिन्दी दिवस पर कवि सम्मेलन – “ग्लोबल हिन्दी ज्योति”, कैलिफोर्निया, अमेरिका का आयोजन ☆

विश्व हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य पर, 15 जनवरी शनिवार को “ग्लोबल हिन्दी ज्योति”, कैलिफोर्निया, अमेरिका द्वारा आयोजित काव्य-गोष्ठी की एक सफल शाम आपसे सांझा कर रही हूँ। कार्यक्रम के अतिथि श्री हरीश नवल जी ने हिन्दी के बारे में, हिंदी के इतिहास के बारे में जो कहा, वह जानकारी अमूल्य थी। किसी भी कार्यक्रम की सफलता के लिए जब प्रबुद्ध लोग जुड़ते हैं तो प्रयास सफल हो जाता है। सभी रचनाकारों की रचनाएँ, गज़लें और कविताएँ, सीधी सच्ची और मन को छू लेने वाली थी। सरल भाषा और रोचक प्रस्तुतीकरण के चलते अंत तक सभी श्रोतागणों ने हमारा उत्साह बनाएँ रखा। कार्यक्रम में शामिल कविगण या तो प्रवासी थे, या वे इस समय अमेरिका प्रवास पर थे। उनके नाम.. अतिथि आदरणीय हरीश नवल जी (दिल्ली भारत), दीपिका द्विवेदी जी (डूंगरपुर भारत) ऋतुप्रिया खरे जी (भोपाल भारत) संजय माथुर जी, राजीव भरोल जी, राकेश खंडेलवाल जी, श्रुति तिवारी जी, कामकक्षा माथुर जी, रेखा भाटिया जी, रेखा मैत्रा जी, विपिन समर जी, अनुराग मिश्रा जी, नमृता योहाना जी, पोपी चारनालिया जी एवं अनिता कपूर जी (अमेरिका)।

यह कार्यक्रम उपस्थित सहभागियों, हमारे अतिथि श्री हरीश नवल जी और श्री संजय माथुर जी के बिना असंभव होता। डॉ अनिता कपूर ने कार्यक्रम का संचालन किया।  

डॉ अनिता कपूर  

संस्थापिका “ग्लोबल हिन्दी ज्योति”, कैलिफोर्निया, अमेरिका

लेखिका/कवि/पत्रकार/ज्योतिषी(टैरो,वास्तु और हस्तरेखाविद्)

 

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सौ.ज्योत्स्ना तानवडे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? अ भि नं द न ?

? सौ.ज्योत्स्ना तानवडे ?

आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सौ. ज्योत्स्ना तानवडे यांना  त्यांच्या ‘जीवनामृत’ या काव्य रचनेसाठी उत्कृष्ट रचना पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. ही स्पर्धा साकव्य या संस्थेकडून आयोजित करण्यात आली होती.

समुहातर्फे सौ. तानवडे यांचे हार्दिक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.! ? मनःपूर्वक अभिनंदन ? 

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ वागीश्वरी पुरस्कार 2022 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित ☆

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? वागीश्वरी पुरस्कार 2022 के लिए प्रविष्टियां आमंत्रित ?

वर्ष 1985 में स्थापित यह पुरस्कार मध्यप्रदेश के साहित्यकारों को पिछले तीन कैलेंडर वर्षों में प्रकाशित पुस्तकों पर प्रदान किया जाएगा। इस तरह वर्ष 2019, 2020 और 2021 में 1 जनवरी से 31 दिसंबर की अवधि में प्रकाशित पुस्तकें वागीश्वरी पुरस्कार 2022 के लिए प्रस्तुत की जा सकती हैं।

पुरस्कार के लिए पुस्तक प्रस्तुत करने की पात्रता स्वयं लेखक अथवा प्रकाशक को है। इसके अतिरिक्त निर्णायक मंडल के सदस्य, सम्मेलन के वार्षिक अथवा आजीवन सदस्य,सम्मेलन की इकाईयां अथवा अन्य कोई इच्छुक व्यक्ति भी अपनी ओर से किसी लेखक की पुस्तक पुरस्कार के लिए प्रस्तुत कर सकते हैं।

वागीश्वरी पुरस्कार के लिए किसी भी हालत में प्रत्येक श्रेणी में एक से अधिक पुरस्कार नहीं दिए जाएंगे। दो प्रतिभागियों के अंक समान होने पर ऐसी स्थिति में पुनः किसी नए निर्णायक मंडल के सामने दोनों प्रविष्टियां रखी जाएंगी और किसी एक कृति पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

पुस्तकें 31 मार्च 2022 तक अनिवार्य रूप से प्राप्त होनी चाहिए। पुरस्कार के लिए पुस्तक की 7 (सात) प्रतियां प्रस्तुत की जाएं। चयनित कृतियों के रचनाकारों को प्रशस्ति पत्र के साथ रु. 5100/- रु. की राशि भेंट की जाती है।

☆ ☆ ☆ ☆

वागीश्वरी पुरस्कारों की नियमावली इस प्रकार है:

1.पुरस्कार हेतु विधाओं के क्षेत्र : 1.कविता 2.गीत-गज़ल, 3.कहानी, 4.उपन्यास, 5.व्यंग्य, 6.कथेतर गद्य विधाएं (जैसे- नाटक,आलोचना,निबंध,संस्मरण आदि)

2.प्रत्येक पुरस्कार पिछले तीन कैलेंडर वर्षों में प्रकाशित कृति के पहले संस्करण के लिए देय होगा। वर्ष 2018 और 2019 में प्रकाशित जो पुस्तकें पहले भेजी जा चुकी हैं और जिन पर तत्कालीन निर्णायक मंडल अपना निर्णय दे चुके हैं, उन्हें भी वर्ष 2021 के वागीश्वरी पुरस्कार हेतु विचारार्थ रखा जायेगा। प्रतिभागी को ऐसी पुस्तकों की 5 (पांच) प्रतियां दोबारा भेजना होंगी।

3.यह आवश्यक होगा, कि लेखक म.प्र. का मूल निवासी हो या उसका जन्म म.प्र. में हुआ हो या वह गत 10 वर्षों से म.प्र. में निवासरत हो। इस आशय का दस्तावेज यथा जन्म प्रमाणपत्र / दसवीं कक्षा की अंकसूची / आधार कार्ड की सत्यापित छायाप्रति संलग्न करना होगा।

4.पुरस्कार के लिए अनुशंसित लेखक की आयु उस वर्ष-जिसमें पुस्तक प्रकाशित हुई हो, के अंतिम दिन यानि 31 दिसंबर को 50 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।

5.निर्णायक मंडल का मनोनयन प्रबंधकारिणी समिति द्वारा किया जाएगा।

6.पुरस्कार के लिए विभिन्न विधाओं के लिए गठित निर्णायक मंडल अंक के आधार पर चयन कर अनुशंसाएं देगा।

7.प्रत्येक पुरस्कार के लिए निर्णायक मंडल द्वारा अपनी संस्तुतियां प्रबंधकारिणी समिति को देगी जो कि सामान्यत: स्वीकार्य होंगी।

8.(अ) निर्णायक मंडल में (प्रत्येक विधा हेतु) 3 नाम प्रबंधकारिणी समिति द्वारा तय किए जाएंगे। निर्णायकों के नाम पुरस्कार वितरण के समय ही उजागर किए जाएंगे।

8(ब) वागीश्वरी पुरस्कार हेतु किसी एक विधा में प्रविष्टि के तौर पर एक ही पुस्तक आने पर उसे निर्णायकों को न भेजकर आगामी वर्ष की प्रविष्टि में शामिल कर लिया जाएगा। ऐसा समान परिस्थितियां होने पर आगामी दो कैलेंडर वर्ष तक किया जाएगा।

9.पूर्व में किसी भी विधा में वागीश्वरी पुरस्कार प्राप्त कर चुके लेखक के नाम पर दोबारा पुरस्कार के लिए विचार नहीं होगा।

10.वागीश्वरी पुरस्कार के लिए म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन की प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य पात्र नहीं होंगे।

11.पुरस्कार के लिए प्रविष्टियां लेखकों, संस्थाओं, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, सोशल मीडिया के माध्यम से आमंत्रित की जाएंगी।

12. विनिर्दिष्ट वर्ष के लिए यदि निर्णायक मंडल को लगता है, कि किसी विधा में पुरस्कार के लिए कोई कृति योग्य नहीं है, तो उस वर्ष उस विधा विशेष में पुरस्कार नहीं दिया जाएगा ।

13.किसी भी प्रकार की सिफारिश और प्रतिभागी लेखक द्वारा निर्णायकों से संपर्क किया जाना कदाचार माना जाएगा। ऐसी कोई जानकारी मिलने पर सम्बंधित कृति/प्रविष्टि पुरस्कार के अयोग्य मान ली जाएगी। सम्मेलन अथवा उसके किसी भी पुरस्कार को लेकर की गई अमर्यादित टिप्पणी अथवा किसी पदाधिकारी पर व्यक्तिगत, अनर्गल आरोप लगाने वाले लेखक अथवा उसे प्रसारित करने वाले किसी भी लेखक की कोई भी प्रविष्टि पुरस्कार के लिए स्वतः ही अयोग्य मानी जायेगी।

14.वागीश्वरी पुरस्कार विजेता रचनाकारों द्वारा भविष्य में प्रकाशित होने वाली उनकी पुस्तकें यदि सम्मेलन पुस्तकालय में प्रदाय की जाएंगी तो उसका स्वागत किया जाएगा। इससे अध्ययन/ शोध करने वालों का भी सहयोग होगा।

15 .विजेताओं से यह भी अपेक्षा है कि वे इस उपलब्धि का उल्लेख अपनी आगामी पुस्तकों में, और अन्यत्र प्रकाशित होने वाली रचनाओं के साथ परिचय में अवश्य करें, जिससे सम्मेलन की गौरवशाली परंपरा से उनका जुड़ाव परिलक्षित हो सके।

16.वागीश्वरी पुरस्कार के संबंध में म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन की प्रबंधकारिणी समिति का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होगा। इस संबंध में सम्मेलन से किसी भी प्रकार का संवाद,वाद-विवाद या पत्राचार नहीं किया जा सकेगा।

17.प्रत्येक प्रतिभागी लेखक को अपनी प्रविष्टि के साथ सादे कागज़ पर यह हस्ताक्षरित वचन देना होगा कि उसने वागीश्वरी पुरस्कार 2021 की नियामवली का भलिभांति अध्ययन कर लिया है और वह इसके प्रत्येक बिंदु से सहमत है।

प्रविष्टियां भेजने का पता:

साहित्य मंत्री
म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन
मायाराम सुरजन स्मृति भवन
पी एण्ड टी चौराहा
शास्त्री नगर, भोपाल- 462003

≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ विश्व हिन्दी दिवस पर हुआ प्रवासी कवि सम्मेलन ☆ क्षितिज इंफोटेन्मेन्ट, पुणे का आयोजन

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ विश्व हिन्दी दिवस पर हुआ प्रवासी कवि सम्मेलन

विश्व हिन्दी दिवस पर क्षितिज इंफोटेन्मेन्ट द्वारा प्रवासी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। अमेरिका, इंग्लैंड, नीदरलैंड, सिंगापुर, बांग्लादेश के प्रवासी हिंदी साहित्यकारों ने सम्मेलन में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत कीं।

नीदरलैंड की वरिष्ठ प्रवासी रचनाकार प्रो. डॉ. पुष्पिता अवस्थी ने अपनी रचना का पाठ करते हुए स्त्री जीवन की विसंगति को कुछ इस तरह शब्द दिए-

औरत बढ़ती रहती है

सीमाओं में जीती रहती है, जैसे नदी..,

औरत फलती फूलती है

पर सदा भूखी रहती है, जैसे वृक्ष..,

औरत बनाती है घर

पर हमेशा रहती है बेघर, जैसे पक्षी..!

प्रवासी के घर लौटने की प्रतीक्षा करते माता-पिता की व्यथा को सिंगापुर की प्रवासी कवयित्री आराधना झा श्रीवास्तव ने यूँ अभिव्यक्त किया-

किंतु घर की ड्योढ़ी पर

बिना सवारी को उतारे हुए

गुज़र जाता है रिक्शा,

जिसका निर्मोही टायर

निर्ममता से फोड़ देता है

उनकी आस का नारियल!

बांग्लादेश के प्रवासी रचनाकार ज्ञानेश त्रिपाठी ने अपनी एक ग़ज़ल में विभिन्न रंगों को पेश किया-

ज़िदें अपनी ये शायद छोड़ने की फिर कभी सोचें

ये अक्सर इश्क़ को सरहद पे लाकर छोड़ देते हैं

अजब हुलिया है लोगों का यहाँ मेरे मोहल्ले में

निगाहें छोड़कर, चेहरे पे चादर ओढ़ लेते हैं

अमेरिका की प्रवासी रचनाकार रमणी थापर ने अपनी कविता में हिंदी के प्रति अपने भाव को स्वर दिया,

मुझे ज्ञान मिला है हिंदी से

पहचान मिली है हिंदी से,

मेरी सोच समझ लिखना पढ़ना

अभिव्यक्ति सभी है हिंदी में।

कार्यक्रम के संयोजक – संचालक हिन्दी आंदोलन के अध्यक्ष संजय भारद्वाज ने अपनी एक रचना में कविता की यात्रा को यूँ परिभाषित किया-

कविता तो दौड़ी चली आती है

नन्ही परी-सी रुनझुन करती,

आँखों में आविष्कारी कुतूहल

चेहरे पर अबोध सर्वज्ञता के भाव

एक हथेली में ज़रा-सी मिट्टी

और दूसरी में कल्पवृक्ष का बीज लिए..

देश-विदेश के साहित्य-प्रेमियों और साहित्यकारों ने इस वर्चुअल कवि सम्मेलन का आनंद लिया। प्रो. पुष्पिता अवस्थी के शब्दों में यह कवि सम्मेलन शब्दचित्र के रूप में हर श्रोता के ह्रदय में अंकित हो गया है।

 – साभार क्षितिज ब्यूरो

 ≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? सुश्री मंजुषा सुनीत मुळे ?

?अ भि नं द न ?

ई–अभिव्यक्तीच्या संपादिका, लेखिका व कवयत्री मंजुषा मुळे यांचं नवीन अनुवादीत पुस्तक वेगळ्या वाटेवरचा डॉक्टर   अलीकडेच प्रकाशित झाले आहे. त्याबद्दल त्यांचे अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.  हे त्यांचे 12 वे पुस्तक आहे.  ई – अभिव्यक्तीच्या अंकात वाचा, या ‘पुस्तकाबद्दल बोलू काही‘

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈

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सूचना/Information ☆ हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री संजय भारद्वाज, अध्यक्ष हिंदी आंदोलन परिवार 

? हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव सम्पन्न ? 

भारतीय भाषाएँ बचेंगी तो ही संस्कृति और जीवनशैली बचेंगी। जीवन के हर क्षेत्र में भाषा का निरंतर प्रयोग करना ही उसे जीवित और उपयोगी रखता है। मौलिक विचार और अनुसंधान केवल अपनी भाषा में ही हो सकता है। गत 27 वर्ष से हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में हिन्दी आंदोलन परिवार सक्रिय है। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है। आप हैं तो हिंआंप है।

उपरोक्त विचार हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज के हैं। संस्था के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।

हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में हिन्दी के दो तपस्वी प्रचारकों श्री जयराम गंगाधर फगरे एवं श्री तानाजी काशीनाथ सूर्यवंशी को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। साहित्यकार ऋता सिंह, प्रस्तर कला की मर्मज्ञ अनिता दुबे को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। हिन्दी रंगमंच के प्रसार के लिए श्री युवराज शाह, श्री अभिजीत चौधरी एवं श्रीमती धनश्री हेबलीकर को हिंदीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया।

अपने उद्बोधन में श्री जयराम फगरे ने कहा कि गांधीजी ने अपने पुत्र को हिंदी प्रचार के लिए दक्षिण भारत भेजकर परिक्रमा आरम्भ की थी। अब प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया भर में हिंदी को पहुँचाकर उस परिक्रमा को पूरा किया है।

श्री तानाजी सूर्यवंशी ने अपनी यात्रा में स्व. गो.म. दाभोलकर की प्रेरणा को याद किया। अपने गुरुतुल्य मार्गदर्शक फगरे जी की उपस्थिति में सम्मान प्राप्त होने को उपलब्धि बताया। अपने सहकर्मियों के सहयोग को आठ संस्थाएँ संचालित कर पाने की नींव बताया। उन्होंने हिंदी आंदोलन परिवार की संस्थापक भारद्वाज दंपति के कार्य को आदर्श बताया। संजय भारद्वाज के साहित्यिक अवदान की विशेष चर्चा की।

श्रीमती ऋता सिंह ने उनके योगदान को मान्यता देने के लिए हिंआंप का धन्यवाद किया। अपनी साहित्यिक यात्रा में हिंआंप की प्रेरणा और मार्गदर्शन को उन्होंने मील का पत्थर बताया। श्रीमती अनिता दुबे ने कहा कि प्रस्तर कला के लिए प्रशंसा तो मिली पर पहला पुरस्कार आज हिंआंप से मिला। उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी यात्रा को उपहास से उल्लास की यात्रा का नाम दिया।

श्री युवराज शाह ने कहा कि उनका सारा जीवन विभिन्न आंदोलनों में बीता है। रंगमंच भी इसी आंदोलनधर्मिता की एक कड़ी है। श्री अभिजीत चौधरी ने स्वतंत्र थियेटर द्वारा पंद्रह वर्ष पूर्व हिन्दी नाटक आरम्भ करने की चुनौतियाँ का उल्लेख किया। हिन्दीश्री का श्रेय आपने थियेटर की सफलता को दिया। श्रीमती धनश्री हेबलीकर ने स्वतंत्र थियेटर के विकास में हिंआंप और भारद्वाज दंपति के सहयोग का उल्लेख किया। उन्होंने सामुदायिक थियेटर पर भी प्रकाश डाला। अपने वक्तव्य में शारदा स्तवन भी प्रस्तुत किया।

कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं स्वागत वक्तव्य सुधा भारद्वाज ने किया। कोविडकाल और हिंआंप पर स्वरांगी साने ने संस्था की भूमिका रखी। अतिथियों का परिचय अपर्णा कडसकर, डॉ.लतिका जाधव, डॉ. मंजु चोपड़ा ने दिया। आभार प्रदर्शन अलका अग्रवाल ने किया।

कार्यक्रम के आरम्भ में कोविडकाल में दिवंगत हुए संस्था के सदस्यों एवं हितैषियों को श्रद्धांजलि दी गई। तत्पश्चात क्षितिज द्वारा प्रस्तुत श्री संजय भारद्वाज द्वारा लिखित समूहनाटक ‘जल है तो कल है’ का मंचन किया गया। विश्वभर में घट रहे भूजल की समस्या और संभावित समाधान पर नुक्कड़ नाटक शैली में इसे प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत किया गया है। इसका निर्देशन श्री अभिजीत चौधरी एवं रचनात्मक निर्देशन श्रीमती धनश्री हेबलीकर ने किया है। सहयोग श्री युवराज शाह का है। मंचन के बाद कलाकारों को सम्मानित किया गया।

हिंदी उत्सव का संचालन समीक्षा तैलंग ने किया। सुशील तिवारी, अरविंद तिवारी, वीनु जमुआर, माया मीरपुरी, नंदिनी नारायण, आशु गुप्ता, कृतिका, जाह्नवी, साराक्षी ने विशेष सहयोग किया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार और भाषा प्रेमी उपस्थित थे। प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।

साभार –  क्षितिज ब्यूरो 

 

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