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☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय बाल साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित ☆
ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।
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☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय बाल साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित ☆
ई-अभिव्यक्ति द्वारा श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।
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☆ राष्ट्रीय बाल साहित्य सम्मान 2019 हेतु बाल कहानियां आमंत्रित ☆
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☆ डॉ राकेश चक्र जी “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से सम्मानित ☆
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा दिनांक 30 दिसम्बर को यशपाल सभागार में पुरस्कार वितरण एवं अभिनंदन पर्व स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और विधानसभा अध्यक्ष जी की गरिमामय उपस्थित रही।
इस सुअवसर पर बाल साहित्य के क्षेत्र में डॉ राकेश चक्र जी को “अमृतलाल नागर बालकथा सम्मान 2018″ से उत्तर प्रदेश हिंदी के कार्यकारी अध्यक्ष आदरणीय डॉ सदानंद गुप्त जी व अन्य ख्यातिनाम साहित्यकारों की गरिमामय उपस्थिति में उत्तरीय उढ़ाकर, सम्मान पत्र और रु 51,000 की धनराशि का चैक आदि देकर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर देश और विदेश के अन्य 136 साहित्यकारों को भी विभिन्न विधाओं में सम्मानित किया गया।
ई-अभिव्यक्ति की ओर से डॉ राकेश चक्र जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।
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☆ 7 वां अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडियासोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 ☆
कोटा, राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया।
प्रथम सत्र में, मंचस्थ अतिथियों में, गंगापुर एस डी एम, विकास शर्मा, संरक्षक-संयोजक (विद्यापीठ) देवेंद्र कुमावत, संत बालयोगी, श्याम पुरोहित, डॉ अरविंद त्यागी, डा रघुनाथ मिश्र सहज व विनोद बब्बर (संपादक राष्ट्र-किंकर) रहे। कार्यक्रम का संचालन विपनेश माथुर और किशोर श्रीवास्तव ने किया।
मुख्य अतिथियों द्वारा सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया गया और मंच के सभी अतिथियों का शाल व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया ।
कार्यक्रम की शुरुआत भाई-चारा गीत (टाईटल /थीम सॉंग), लखनऊ टीम के नन्हें कलाकारों के द्वारा उत्साह जनक रही। इसके बाद “हम साथ साथ” पत्रिका का विमोचन किया गया और कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया गया। इस सम्मेलन व सम्मान समारोह में देश-विदेश से लगभग 100 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इसमें नेपाल से अंजली पटेल, पूनम शर्मा, फिजी से श्वेता दत्त और शिकागो रेडियो के प्रतिनिधि विशाल शर्मा शामिल हुए ।
श्री देवेन्द्र कुमावत व श्री विकास शर्मा ने सोशल मीडिया के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं पर सभी का ध्यान आकर्षित किया । सभी अतिथि-प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया। सोशल मीडिया की सकारात्मक और नकारात्मक भूमिका/विश्व बन्धुत्व को आगे बढ़ाने की भूमिका/ सोशल मीडिया के खट्टे- मीठे अनुभव पर हुई परिचर्चा में अनेक प्रतिभागियों ने अपने उदगार प्रकट किए।
सांस्कृतिक संध्या सत्र का संचालन श्री किशोर श्रीवास्तव ने किया और गणेश वंदना से शुरुवात हुई । मुकेश मधुर व सतीश ने कर्ण प्रिय बासुरी वादन प्रस्तुत किये । जया श्रीवास्तव, दीपक कुमार सिंह, तौफीक, अंजली पटेल, एंजल गाँधी, आकर्ष सिंह, नितिका कौशिक, पूनम मिश्रा, रीता शर्मा ने गीत और विध्याभूषण, आदिति जैसवाल, सन्दीपिका राय, शिवांगी चौहान ने नृत्य प्रस्तुत किये ।
डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ की अध्यक्षता में साकेत सुमन और कुसुम जी के मुख्य अतिथ्य व अशोक-उमा शंकर मिश्र के संचालन में भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि कपिल खन्डेलवाल ‘कलश’, डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’, उमा शंकर मिश्र, विजय तिवारी सहित लगभग 40 कवियों ने काव्य पाठ किया ।
25 दिसम्बर को शेष कवि सम्मेलन व सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में, प्रतिभा प्रदर्शन के लिये, सभी प्रतिभागियो को आकर्षक स्म्रति चिन्ह व प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया ।
कोटा से प्रख्यात कवि- साहित्यकारों, डा. रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को साहित्य-कला-संस्कृति समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ठ योगदान के लिये और साथ ही कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ को चित्रकारिता में भी विशेष योगदान के लिये सम्मानित किया गया।
प्रस्तुति : भीलवाड़ा से लौटकर डा रघुनाथ मिश्र ‘सहज’ और कवि कपिल खण्डेलवाल ‘कलश’ की संयुक्त विज्ञप्ति।
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“चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन ☆ प्रस्तुति – सौ. संगिता राम भिसे ☆
(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है. यह गर्व की बात है कि श्रीमती उर्मिला जी के काव्य संग्रह “चिंतामणी चारोळी” आणि “चामुंडेश्वरी चरणावली” का पूजन, प्रकाशन एवं लोकार्पण कार्यक्रम ” आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी के शुभ मुहूर्त पर प्रातः ठीक 11 बजे थेऊर अष्टविनायक देवस्थान पर संपन्न होने जा रहा है। ई- अभिव्यक्ति की ओर से श्रीमती उर्मिला जी को हार्दिक शुभकामनाएं। )
सुर्यगंध प्रकाशन तर्फे, सातारा येथील कवियत्री लेखिका माझी आई, श्रीमती उर्मिला उद्धवराव इंगळे यांनी लिहिलेल्या “चिंतामणी चारोळी” या श्री गणेश वर्णानाच्या तसेच चामुंडेश्वरी चरणावली या आदिशक्तीचे स्तुती वर्णन अष्टाक्षरी चारोळी संग्रहाचे पुजन व प्रकाशन आज सोमवार दिनांक ३०/१२/१९ विनायकी चतुर्थी च्या सुमूहूर्तावर सकाळी ठिक ११ वा. थेऊर अष्टविनायक देवस्थान येथे संपन्न होत आहे.
या कार्यक्रमास अष्टविनायक देवस्थान चे प्रमुख विश्वस्त ह. भ. प. श्री. आनंद महाराज तांबे व श्री. स्वानंद देव अध्यक्ष चित्रपट व नाट्यसंस्था महाराष्ट्र राज्य तसेच कवी – कवियत्रि लेखक, चित्रपट क्षेत्रातील नामवंत इ. उपस्थित रहाणार आहेत.
माझ्या आई श्रीमती. उर्मिला इंगळे यांच्या या पूर्वी काव्यपुष्प कविता संग्रह, प्रती १५००, स्वागत मुल्य रामनाम, माझे वडील कै. उद्धवराव इंगळे यांच्या हस्ते ५/५/२०१८ रोजी सातारा येथे प्रकाशन झाले.
चैतन्य चारोळी या पुज्य. गोंदवलेकर महाराजांच्या कृपाशीर्वादाने सुचलेल्या अध्यात्मिक चारोळ्यांनी गुंफलेल्या “सुर्यगंध प्रकाशन ने प्रकाशित केलेल्या संग्रहाचे प्रकाशन संमेलनाध्यक्ष या. श्रीपाल सबनीस यांच्या हस्ते भव्य दिव्य कार्यक्रमा द्वारे दि. २ जून २०१९ रोजी झाले.
चिरंजीवी चारोळी हा संग्रह भगद्भक्ति बलोपासना व स्वामीनिष्ठा या त्रिसूत्रीला लाभलेली प्रतिभा शक्तिची जोड या मूळे भक्ति रसाने ओतप्रोत भरलेला हा संग्रह केसरी नंदन बलभीम, हनुमान यांच्या भावभक्तिचे चरित्र गुणवर्णनाने वाचनिय ठरला आहे. यातील चारोळ्या श्रीसमर्थ रामदास स्वामी यांनी स्थापन केलेल्या ११ मारूतींचे सालंकृत दर्शन व पुज्य श्रीधर स्वामींनी सुंदर कांडातील केलेले श्रीमारूती माहात्म्य ही चारोळी रुपी फुले गुंफंण्याचे मौलिक कार्य माझ्या आईने केले आहे.
श्री समर्थ सेवा मंडळ सज्जनगड समिती तर्फे प्रतिवर्षी क्षेत्र चाफळ येथे श्रवणातल्या तिसऱ्या शनिवारी सामुदायिक हनुमान उपासना आयोजित केली जाते. त्यात महाराष्ट्रातील अनेक समर्थ भक्त येतात, त्यांना दिनांक २४/८/१९ रोजी प्रसाद म्हणून वाटप करता यावेत यासाठी अल्पवेळात लिहून लोकमंगल मुद्रणालय, सातारा यांनी अत्यल्प वेळात सुबक छापून दिल्याने ५०० प्रति चाफळ येथे एकावेळी प्रसाद म्हणून वाटल्या याचा आनंद आईला खुप झाला.
संग्रहांचे मुल्य “रामनाम” यासाठी कि माझी आई म्हणते वाचकाने फक्त एकदा हातात घेतले तरी त्याच्या मुखी रामनाम येईल व ते माझ्या श्री. ब्रम्हचैतन्य महाराजांनी उघडलेल्या ” राम रतन धन” या बॅंकेत जमा होईल, इति श्रीराम!!
©️®️ सौ. संगिता राम भिसे
दि : ३०/१२/१९
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☆ बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 ☆
राजस्थान के भीलवाड़ा स्थित विनायक विद्यापीठ परिसर में “हम सब साथ साथ” के बैनर तले सातवाँ अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एवं मैत्री सम्मान समारोह 2019 का आयोजन 24 और 25 दिसंबर को आयोजित किया गया। इस सम्मान समारोह के लिए प्रसिद्ध बालसाहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को बालसाहित्य में विशेष योगदान के चयनित कर आमंत्रित किया गया था।
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☆ हिंदी : घोषित राजभाषा, उपेक्षित राष्ट्रभाषा ☆
(हिंदी आंदोलन परिवार के रजतजयंती समारोह के अंतर्गत सम्पन्न हुआ आयोजन)
हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे, राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई और महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी पुणे में आयोजित की गई थी। इसका विषय था, *हिंदी : घोषित राजभाषा, उपेक्षित राष्ट्रभाषा*।
संगोष्ठी का उद्घाटन सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सदानंद भोसले ने किया। डॉ. भोसले ने कहा कि गाँव की मंडी से लेकर संसद तक की भाषा हिंदी है तो हिंदी राष्ट्रभाषा क्यों नहीं हो सकती? हिंदी चारों भाषाकुलों के बीच सेतु का काम करती है। आज़ादी की लड़ाई में भी हिंदी ही सेतु बनी। उन्होंने लिपि के प्रचार और अधुनातन तकनीक को अपनाने पर बल दिया।
हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे के अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज की तरह राष्ट्रभाषा भी एक ही हो सकती है।अपनी भाषा में शिक्षा न होने के कारण प्रतिभाओं के दमन और शोध के क्षेत्र में मौलिकता के अभाव की ओर उन्होंने ध्यान खींचा। उन्होंने कहा कि यही उपयुक्त समय है कि हम संकल्प को सिद्धि की ओर ले जाने की यात्रा आरम्भ करें।
हिंदी आंदोलन परिवार की सहसंस्थापक सुधा भारद्वाज ने प्रस्तावना रखी। उन्होंने हिंदी की भाषागत वैज्ञानिकता और संवैधानिक स्थिति की चर्चा करते हुए विषय के विभिन्न पहलुओं पर मंथन का आह्वान किया।
महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पुणे के संचालक श्री ज. गं. फगरे ने अपने वक्तव्य में कहा कि हिंदी उपेक्षित नहीं है। राजनीतिक विरोध का मुकाबला भाषा के प्रचार से करना चाहिए।
राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई की उपाध्यक्ष डॉ. सुशीला गुप्ता ने उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की। उन्होंने कहा कि भाषा अस्मिता से जुड़ी होती है। हिंदी की उपेक्षा अपनी पहचान को लुप्त करने जैसा है। इस सत्र का संचालन- स्वरांगी साने ने किया।
प्रथम सत्र की अध्यक्षता प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. दामोदर खडसे ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हिंदी राष्ट्रभाषा थी, है और रहेगी। आम नागरिक अँग्रेज़ी के खौफ़ से दबा है। निष्ठा और समर्पण से हिंदी के पक्ष में वातावरण तैयार करना होगा।
आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय के हिंदी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. नीला बोर्वणकर ने कहा कि हिंदी के कारण प्रांतीय भाषाओं की अस्मिता पर खतरे की आशंकाओं का निर्मूलन किया जाना चाहिए। स्वाधीनता के समय ही हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर दिया जाता तो भाषा को लेकर होनेवाले विवाद खड़े नहीं होते। हिंदी विभाग, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शशिकला राय ने कहा कि यह मानना पड़ेगा कि भारतीय भाषाएँ दम तोड़ रही हैं। बड़े अख़बार समूह व्यापार के नाम पर भाषा के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उन्होंने भाषा के क्रियोलीकरण पर आपत्ति जताई। बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सहायक महाप्रबंधक (हिंदी) डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव ने राजभाषा और राष्ट्रभाषा के तकनीकी अंतर को परिभाषित किया। राजभाषा के क्षेत्र में हुए कार्यों से स्थितियों में आए सकारात्मक बदलाव की उन्होंने विशद जानकारी दी। राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई के ट्रस्टी एवं संरक्षक श्री महेश अग्रवाल ने कहा कि हिंदी के राजनीतिक विरोध पर हिंदी के हितैषियों का मौन पीड़ादायक है।इस सत्र का संचालन डॉ. अनंत श्रीमाली ने किया।
द्वितीय सत्र में ‘क्षितिज’ द्वारा भाषा पर आधारित साहित्यिक रचनाओं की प्रस्तुति की गई। *मेरी भाषा के लोग* नामक इस सांस्कृतिक आयोजन के लेखक-निर्देशक संजय भारद्वाज थे। उनके अलावा विजया टेकसिंगानी, आशु गुप्ता, अपर्णा कडसकर, रेखा सिंह, अनिता दुबे और समीक्षा तैलंग ने भी रचनाओं को स्वर दिया।
समापन सत्र में प्रतिक्रियाएँ एवं प्रश्नोत्तर हुए। इस सत्र का संचालन डॉ. ओमप्रकाश शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन अरविंद तिवारी ने किया।
कार्यक्रम की सफलता के लिए सुशील तिवारी, डॉ. लतिका जाधव, डॉ. पुष्पा गुजराथी ने विशेष परिश्रम किया। बेहद कसे हुए इस विचारोत्तेजक कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रोता उपस्थित थे। प्रमुख उपस्थितों में माया मीरपुरी, उषाराजे सक्सेना, सत्येंद्र सिंह, डॉ. अहिरे, राजीव नौटियाल, डॉ. मेघा श्रीमाली, मीरा गिडवानी, डॉ. लखनलाल आरोही, माधुरी वाजपेयी, संध्या यादव, नीलम छाबरिया, महेंद्र मिश्र, माधव नायडू, सतीश दुबे, महेश बजाज, बीरेंद्र साह, दिवाकर सिंह आदि सम्मिलित थे।
☆ सूचना/Information ☆
श्री दीपक गिरकर
☆ क्षितिज अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2019, इंदौर☆
☆ कोई भी कला संयम और समय के साथ ही विकसित होती है – सुकेश साहनी☆
‘क्षितिज’ संस्था, इंदौर द्वारा द्वितीय ‘अखिल भारतीय लघुकथा सम्मेलन 2019’ का आयोजन दिनांक 24 नवम्बर 2019, रविवार को श्री मध्यभारत हिंदी साहित्य समिति, इन्दौर में किया गया। यह कार्यक्रम चार विभिन्न सत्रों में आयोजित हुआ। प्रथम उद्घाटन , लोकार्पण एवम सम्मान सत्र रहा। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार, कला मर्मज्ञ श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने की। मंच पर क्षितिज साहित्य संस्था के अध्यक्ष श्री सतीश राठी, श्री सूर्यकांत नागर, श्री सुकेश साहनी, श्री श्याम सुंदर अग्रवाल, श्री माधव नागदा एवम श्री कुणाल शर्मा उपस्थित थे।
संस्था परिचय एवं अतिथियों के लिए स्वागत भाषण श्री सतीश राठी ने दिया। लघुकथा विधा को लेकर वर्ष 1983 से संस्था द्वारा किए गए कार्यों की उन्होंने जानकारी दी एवं संस्था के विभिन्न प्रकाशनों पर जानकारी देते हुए लघुकथा विधा के पिछले 35 वर्ष के इतिहास पर एक दृष्टि डाली। उन्होंने संस्था के इतिहास व कार्यों से सभी को परिचित करवाया। अतिथियों का परिचय देते हुए लघुकथा विधा के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी प्रस्तुत की तथा लघुकथा विधा के लिए दिए जाने वाले सम्मानो की चयन प्रक्रिया वहां पर प्रस्तुत की।
इस सत्र में सत्र अध्यक्ष श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय को कला साहित्य सृजन सम्मान 2019, श्री सुकेश साहनी को क्षितिज लघुकथा शिखर सम्मान 2019, श्री श्याम सुंदर अग्रवाल को क्षितिज लघुकथा सेतु शिखर सम्मान 2019, श्री माधव नागदा को क्षितिज लघुकथा समालोचना सम्मान 2019, श्री कुणाल शर्मा को क्षितिज लघुकथा नवलेखन सम्मान 2019 एवं श्री हीरालाल नागर को लघुकथा शिखर सम्मान 2019 से सम्मानित किया गया।
इस सत्र में पुस्तकों का विमोचन भी किया गया।
क्षितिज पत्रिका के सार्थक लघुकथा अंक का विमोचन सर्वप्रथम हुआ। पुस्तक सार्थक लघुकथाएँ, इंदौर के 10 लघुकथाकारों के लघुकथा संकलन शिखर पर बैठ कर, श्री सुकेश साहनी के लघुकथा संग्रह सायबर मैन, श्री भागीरथ परिहार की पुस्तक कथा शिल्पी, सुकेश साहनी की सृजन चेतना, ज्योति जैन के लघुकथा संग्रह जलतरंग का अंग्रेजी अनुवाद, डॉ अश्विनी कुमार दुबे के गजल संग्रह कुछ अशहार हमारे भी, श्री चरण सिंह अमी की पुस्तक हिंदी सिनेमा के अग्रज, श्री बृजेश कानूनगो की दो पुस्तके रात नौ बजे का इंद्रधनुष व अनुगमन का विमोचन इस कार्यक्रम के लोकार्पण सत्र में हुआ। उद्घाटन के पश्चात इस तरह कुल 11 पुस्तकों का विमोचन हुआ।
अतिथियों का स्वागत पुरुषोत्तम दुबे, अरविंद ओझा, सतीश राठी, अश्विनी कुमार दुबे, योगेन्द्र नाथ शुक्ल, आशा गंगा शिरढोनकर एवं प्रदीप नवीन ने किया। प्रथम सत्र का संचालन अंतरा करबड़े ने किया। मां सरस्वती के पूजन एवं दीप प्रज्वलन के वक्त सरस्वती वंदना विनीता शर्मा ने प्रस्तुत की।
व्याख्यान सत्र में कुणाल शर्मा ने लघुकथा के आधुनिक स्वरूप पर बात की। श्री माधव नागदा ने शैक्षणिक पाठ्यक्रम में लघुकथा की उपादेयता विषय पर अपने विचार रखे। किशोर और युवा को लघुकथा पाठ्यक्रम में शामिल करवा कर ही साहित्य से परिचित करवाया जा सकता है, उससे उनमें साहित्यिक अभिरुचि का विकास होता है। इतिहास भले ही पुराना हो किंतु यह एक नई विधा है। विधार्थी इससे अंजान हैं इसलिए यदि विधिवत पाठ्यक्रम के द्वारा उन्हें विधा से परिचित करवाया जाए तो आगे शोध के रास्ते खुलते हैं।पंचतंत्र भी लघुकथा का ही रूप है, बुद्ध महावीर भी लघुकथा के माध्यम से अपनी बात कहते थे। समय का अभाव व भाव की तीव्रता के कारण यह विधा अधिक ग्राहय है। कहानी उपन्यास की तरह यह भी सभी विषयों पर अपनी उपयोगिता सिद्ध करेगी।
सुकेश साहनी ने अपने भाषण में लघुकथा के विचार पक्ष एवम विभिन्न विषयों पर रची जा रही लघुकथाओं के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, लघुकथा विषय पर अपने विचार लेखक को व्यक्त करते हुए विषय के साथ न्याय करना प्राथमिकता में होना चाहिए। घटना व विषय विविध हैं। लिखते वक़्त समय देते हुए लिखा जाए। कोई भी कला संयम और समय के साथ विकसित होती है इसलिए किसी भी विषय के साथ समय देकर ही न्याय किया जा सकता है। विचार वह धुरी है जिस पर कल्पना घुमती है। सीप में मोती बनने वाली प्रक्रिया की तरह लघुकथा का सृजन हो सकता है लेकिन शीघ्र मोती पाने के चक्कर में लघुकथा को नोच कर नहीं परोसा जा सकता उसका पूरी तरह से परिपक्व होना जरूरी है।
श्री श्याम सुंदर अग्रवाल ने अपने वक्तव्य में कहा कि पंजाबी लघुकथा से आगे अब हिंदी लघुकथा विकास की बात हो। इंदौर शहर के योगदान को याद करते हुए उन्होंने विविध भाषाओं में लिखने वाली लघुकथा के विकास की बात की। निरंतरता सबसे बड़ा गुण है वह सफलता की ओर ले जाती है। लघुकथा में भी यह बात उल्लेखनीय है कि तमाम आलोचना के बाद भी लेखकों ने लिखना जारी रखा और आज लघुकथा एक विधा के रूप में स्थापित हो चुकी है। पंजाबी भाषा एवं हिंदी भाषा के आपसी जुड़ाव की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि क्षितिज पत्रिका ने कभी पंजाबी लघुकथाओं पर भी अंक निकाला और मिनी पत्रिका में भी हिंदी के लघुकथाकारों की लघुकथाओं के अनुवाद प्रकाशित किए गए।
विशेष योगदान हेतु, सर्वश्री उमेश नीमा, चरण सिंह अमी, नई दुनिया के अनिल त्रिवेदी, पत्रिका अखबार की संपादक रुखसाना, दैनिक भास्कर के श्री रविंद्र व्यास, श्री प्रदीप नवीन आदि को सम्मानित किया गया। कला सहयोग के लिए वरिष्ठ कलाकार श्री संदीप राशिनकर को भी सम्मानित किया गया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री नर्मदा प्रसाद उपाध्याय ने अपने वक्तव्य में कहा कि, साहित्य का यात्री सृजन से एकाकर हो जाता है। जो बुद्धि न समझ सके वह चमत्कार कहा जाता है, लघुकथा भी एक सहज चमत्कार है, कहने को लघु किंतु प्रभाव में विराट है। यह विधा, वामन के विराट पग की तरह अपने प्रभाव क्षेत्र में व्यापक रूप से लोकप्रिय है। एक स्वतंत्र विधा के रूप में इसका बड़ा सम्मान है।
लघुकथा की यात्रा की तुलना उन्होंने गंगा की यात्रा से कर कहा कि, अब यह संगम की तरह महत्वपूर्ण हो गई है। संस्कृत आख्यायिका यह नहीं है, उपन्यास का साररूप भी यह नहीं है। लघुकथा भिन्न विधा है एडगर एलान पो अंग्रेजी में इसके पुरोधा रहे। लघुकथा संवेदना का सार रूप है जिसकी तेजस्विता अपूर्व है। प्राचीन ग्रंथों में हर जगह यह विधा भिन्न-भिन्न स्वरूप में उपस्थित रही है। सार्थक संदेश, विसंगति पर चोट व व्यंग्य भी लघुकथा के तत्व माने जाते हैं।
विधाओं के अंतर अवगमन पर उन्होंने कहा विधाओं का आपस में संवाद होना आवश्यक है, अधिक से अधिक अध्ययन से यह विवाद समाप्त किया जा सकता है।
श्री नरेंद्र जैन, श्री राजेंद्र मूंदड़ा, श्री नितिन पंजाबी, को भी सम्मानित किया गया। इस सत्र का आभार प्रदर्शन पुरुषोत्तम दुबे ने किया।
कार्यक्रम का द्वितीय सत्र लघुकथा पाठ का था जिसमें 35 से अधिक लघुकथाकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाओं का पाठ किया। इस सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ लघुकथाकार श्री भागीरथ परिहार ने की। मंच पर अतिथि थे सर्वश्री योगेन्द्र नाथ शुक्ल, पवन जैन, संतोष सुपेकर।
श्रीमती जया आर्य, सुषमा दुबे, सुषमा व्यास, पुष्परानी गर्ग, स्नेहलता, कोमल वाधवानी प्रेरणा, राम मुरत राही, कपिल शास्त्री, दीपा व्यास, आदि ने लघुकथा पाठ किया। अपने उद्बोधन में श्री योगेंद्रनाथ शुक्ल, श्री पवन जैन, श्री भागीरथ परिहार ने पढ़ी गई लघुकथाओं के कथ्य शिल्प की समीक्षा की। इससत्र का संचालन निधि जैन ने किया।
तृतीय सत्र नारी अस्मिता व लघुकथा लेखन पर मूल रूप से केंद्रित था। मुख्य अतिथि श्री सूर्यकांत नागर थे। सत्र अध्यक्षता श्री बलराम अग्रवाल ने की। डॉ. पुरुषोत्तम दुबे, हीरालाल नागर, ज्योति जैन व वसुधा गाडगिल सत्र में अतिथि के रूप में मौजूद थे। इस सत्र का संचालन श्रीमती सीमा व्यास एवं वत्सला त्रिवेदी ने किया।
श्री सूर्यकांत नागर ने स्त्री पुरुष की संवेदना में भेद बताते हुए स्त्री विमर्श को आवश्यकता पर बल दिया।
श्री बलराम अग्रवाल ने कहा – साहस के साथ स्त्री अस्मिता व अधिकार की बात करने के लिए लेखन से बेहतर कोई माध्यम नहीं है, वेदो से लेकर अब तक स्त्री के विमर्श में गिरावट आई है और अब धीरे-धीरे स्थितियाँ बदली है। श्री हीरालाल नागर ने अपने वक्तव्य में स्त्री विर्मश में लघुकथा की उपयोगिता व उसकी यात्रा पर प्रकाश डाला। डॉ. पुरुषोत्तम दुबे ने लघुकथा के कालखंड व शिल्प पर चर्चा की। ज्योति जैन ने स्त्री अस्मिता पर कुछ लघुकथाओं के माध्यम से अपनी बात प्रभावी ढंग से प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि स्त्री और पुरुष की तुलना नहीं की जा सकती।
वसुधा गाडगिल ने अपने वक्तव्य में स्त्री के विविध स्वरूप पर लिखे जाने वाले साहित्य पर प्रकाश डाला। नवीन प्रतिमान नवीन विचार आज की आवश्यकता है।
आखिरी महत्वपूर्ण सत्र प्रश्न उत्तर सत्र व मुक्त संवाद व परिचर्चा का था जिसमें लघुकथा विधा से जुड़ी विभिन्न जिज्ञासा, दुविधा उसके कथा शिल्प व प्रभाव पर चर्चा हुई। सत्र की अध्यक्षता श्रीमध्यभारत हिंदी साहित्य समिति के श्री राकेश शर्मा, संपादक वीणा पत्रिका ने की। मंच पर विभिन्न प्रश्नों का जवाब देने के लिए देश भर में लघुकथा की अलख जगाने के लिए निरंतर सक्रिय श्री सुकेश साहनी, श्री बलराम अग्रवाल, श्री श्याम सुंदर अग्रवाल व श्री ब्रजेश कानूनगो ने विभिन्न प्रश्नों का उचित समाधान करते हुए जवाब दिये।
लघुकथा में शब्द सीमा क्या हो? लघुकथा व अंग्रेजी की शॉर्ट स्टोरी में क्या भेद है? लघुकथा में संवाद की भूमिका कितनी है? एक चरित्र पर आधारित लघुकथा को मान्य किया जायेगा? लघुकथा व कथा में क्या भेद है? लघुकथा के मापदंड क्या हैं? लघुकथा में व्यंग्य की भूमिका पर प्रश्न क्यों उठाये जाते हैं? लघुकथा में कथ्य का विकास कैसा हो? जैसे और कई प्रश्नों के जवाब देकर नव लेखकों, शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। सत्र का संचालन डॉ गरिमा संजय दुबे ने किया।
समूचे आयोजन के संदर्भ में, आयोजन में पधारे अतिथियों का उपस्थित लघुकथाकारों का एवं स्थानीय अतिथियों का, क्षितिज संस्था के सचिव श्री अशोक शर्मा भारती ने आभार व्यक्त किया।
इस आयोजन की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि लघुकथा की रचना प्रक्रिया एवं विभिन्न विषयों पर लिखी जाने वाली लघुकथा पर चर्चा करने के साथ-साथ सार्थक लघुकथा पर चर्चा विशेष रुप से की गई। क्षितिज संस्था का प्रथम सम्मेलन लघुकथा की सजगता पर केंद्रित था और यह द्वितीय सम्मेलन लघुकथा की सार्थकता पर केंद्रित था।
प्रस्तुति : दीपक गिरकर, 28-सी, वैभव नगर, कनाडिया रोड, इंदौर- 452016
मोबाइल : 9425067036
मेल आईडी : [email protected]
☆ सूचनाएं /Information ☆
*हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे, राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई और महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पुणे के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी*
*हिंदी: घोषित राजभाषा, उपेक्षित राष्ट्रभाषा*
शनि दि. 14 दिसम्बर 2019
समय- प्रात: 10 बजे
स्थान- लकाकी सभागृह, मराठा चेंबर ऑफ कॉमर्स, स्वारगेट कॉर्नर, पुणे
*पंजीकरण एवं जलपान* – प्रातः 9:30 से 10:00
*उद्घाटन सत्र* – प्रातः 10:00 बजे
*उद्घाटनकर्ता- डॉ. सदानंद भोसले* (हिंदी विभागाध्यक्ष, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय)
*अध्यक्ष*- *डॉ. सुशीला गुप्ता* (उपाध्यक्ष, राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई)
*वक्तव्य*-
*श्री ज. गं. फगरे* (संचालक, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पुणे)
*श्री संजय भारद्वाज* (अध्यक्ष, हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे)
*संचालन- सौ.स्वरांगी साने*
*प्रथम सत्र* 11.45 से 1.45 बजे तक
*अध्यक्ष- डॉ. करुणाशंकर उपाध्याय* (हिंदी विभागाध्यक्ष, मुंबई विश्वविद्यालय)
*विशेष अतिथि- डॉ. दामोदर खडसे* (प्रसिद्ध साहित्यकार)
*वक्तव्य-*
*डॉ. नीला बोर्वणकर* ( पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, आबासाहेब गरवारे महाविद्यालय)
*डॉ. शशिकला राय* (एसोसिएट प्रोफेसर, हिंदी विभाग, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय)
*डॉ. राजेन्द्र श्रीवास्तव* सहायक महाप्रबंधक (हिंदी), बैंक ऑफ महाराष्ट्र
*श्री महेश अग्रवाल* (ट्रस्टी एवं संरक्षक, राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई)
*संचालन- डॉ. अनंत श्रीमाली*
*भोजनावकाश* – अपराह्न 1.45 से 2.30 बजे
*द्वितीय सत्र* – अपराह्न 2.30 से 3.30 बजे
*मेरी भाषा के लोग* – ‘क्षितिज’ द्वारा साहित्यिक रचनाओं की प्रस्तुति।)
*समापन सत्र* – *प्रतिनिधि प्रतिक्रियाएँ एवं प्रश्नोत्तर*
*चायपान-* – संध्या 4:45 बजे
*विनीत*
*सुधा भारद्वाज* (कार्यकारिणी संयोजक, हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे)
*डॉ. अनंत श्रीमाली* (महासचिव, राष्ट्रभाषा महासंघ, मुंबई)
*ज. गं फगरे* (संचालक, महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, पुणे)
सम्पर्क- *9890122603, 9819051310*
*नोट-*
1) पंजीकरण पहले आएँ, पहले पाएँ के आधार पर। आसनक्षमता पूरी हो जाने पर पंजीकरण की प्रक्रिया रोक दी जाएगी।
2) कुछ आसन आरक्षित हैं।
3) विद्यार्थियों के लिए आई कार्ड लाना अनिवार्य है।
4) कार्यक्रम को सुचारू रखने के लिए समयपालक की व्यवस्था की गई है।