(वरिष्ठ साहित्यकारश्री अरुण कुमार दुबे जी,उप पुलिस अधीक्षक पद से मध्य प्रदेश पुलिस विभाग से सेवा निवृत्त हुए हैं । संक्षिप्त परिचय ->> शिक्षा – एम. एस .सी. प्राणी शास्त्र। साहित्य – काव्य विधा गीत, ग़ज़ल, छंद लेखन में विशेष अभिरुचि। आज प्रस्तुत है, आपकी एक भाव प्रवण रचना “प्यार जब रूह नहीं सूरत से…“)
एक ग़ज़ल – इबादत में अक़ीदत की कसर होगी… ☆ श्री अरुण कुमार दुबे ☆
(एक ग़ज़ल – 1222 1222 1222 1222, रदीफ़ टूट जाता है, काफ़िया आ स्वर)
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर आचार्य भगवत दुबे जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया है।सीमित शब्दों में आपकी उपलब्धियों का उल्लेख अकल्पनीय है। आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆.आप निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। हमारे विशेष अनुरोध पर आपने अपना साहित्य हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करना सहर्ष स्वीकार किया है। अब आप आचार्य जी की रचनाएँ प्रत्येक मंगलवार को आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – गये चाटने पत्तल जूठी…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कादम्बरी # 29 – राजनीति का अधोपतन… ☆ आचार्य भगवत दुबे
संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी के साप्ताहिक स्तम्भ “मनोज साहित्य” में आज प्रस्तुत है आपके प्रिय अनुज स्व विनोद शुक्ल जी की स्मृति में आपकी एक भावप्रवण रचना “आँखें अश्रु बहा रहीं…”। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं। )
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆संपादक– हम लोग ☆पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
💥 मार्गशीर्ष साधना 28 नवंबर से 26 दिसंबर तक चलेगी 💥
🕉️ इसका साधना मंत्र होगा – ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🕉️
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणास्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपका भावप्रवण गीत –और अब क्या चाहिये…।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 165 – गीत – और अब क्या चाहिये…
(प्रतिष्ठित कवि, रेखाचित्रकार, लेखक, सम्पादक श्रद्धेय श्री राघवेंद्र तिवारी जी हिन्दी, दूर शिक्षा, पत्रकारिता व जनसंचार, मानवाधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं शोध जैसे विषयों में शिक्षित एवं दीक्षित। 1970 से सतत लेखन। आपके द्वारा सृजित ‘शिक्षा का नया विकल्प : दूर शिक्षा’ (1997), ‘भारत में जनसंचार और सम्प्रेषण के मूल सिद्धांत’ (2009), ‘स्थापित होता है शब्द हर बार’ (कविता संग्रह, 2011), ‘जहाँ दरक कर गिरा समय भी’ ( 2014) कृतियाँ प्रकाशित एवं चर्चित हो चुकी हैं। आपके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए ‘कविता की अनुभूतिपरक जटिलता’ शीर्षक से एक श्रव्य कैसेट भी तैयार कराया जा चुका है। आज प्रस्तुत है आपका एक अभिनव गीत “शायद आज पूर्ण हो पाये...”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 164 ☆।। अभिनव गीत ।। ☆
☆ “शायद आज पूर्ण हो पाये...” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी ☆
(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक व्यंग्य – “चुनावी अखाड़े का एक दिन…”।)
☆ व्यंग्य – “चुनावी अखाड़े का एक दिन…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆
पेट में भूख कुलबुला रही है और चुनाव परिणाम की चिंता में प्यास से गला सूख रहा है, मोटरसाइकिल रोकी , सड़क किनारे एक ढाबे में रुके, साधारण सा ढाबा था, पर भीड़ थी, क्योंकि टीवी में चुनाव परिणाम आने वाले थे।
इस ढाबे का मालिक मामा उसूलों वाला है, हर बात में पटर पटर करता है , चुनाव के छै महीने पहले थाली की कटोरी में पूरी सब्जी भर देता है, उपदेश देने में होशियार है,पर खुद अंदर से लोभी है।
भोजन मंगाया तो पाया थाली में पूरी भरी दो कटोरियों में आलू मिली सब्जियां और दो कटोरी में पानी वाली दाल…… हर कटोरी में सब्जी के साथ आलू। हो सकता है कुछ सब्जी कल की बासी भी मिला दी हो। हर राजनैतिक दल के पास अलग अलग जायके और मसाले वाली सब्जी होती है।
सामने टी वी लगा है और चुनाव परिणाम इसी में आने वाले हैं।टी वी चैनल वाला ऐंकर बार बार थोड़ी देर में बम्फर….. बम्फर… और कांटे की टक्कर… जरूर कह रहा है पर कोई बढ़त – अढ़त नहीं दिखा रहा है,बार बार कहता है ‘अभी कहीं जाइएगा नहीं …. बस हम तुरंत खास खबर लेकर आ रहे हैं’…
ऐसा कहकर लाखों के विज्ञापन दिखा रहा है। ये टी वी चैनल वाले ‘आज तक’ कहके खबरें दिखाते हैं और विकास और विश्वास के झटके को ‘दस तक’ ले जाते हैं फिर तीन तेरह का चक्कर चलाकर टाइम पास करते हैं और रोज धमकी देते हैं कि
‘आप अपना बहुत ख्याल रखिएगा’
टीवी से धमकी भी मिल रही है और हम थाली का खाना खाए जा रहे हैं। टी वी चैनल में चुनाव परिणाम आने के कारण विज्ञापन के रेट आसमान छू रहे हैं फिर भी ये बाबा चैन नहीं ले रहा है खाना चालू करने के बाद अभी तक सौ बार टी वी में दौड़ दौड़ के ऊधम मचा चुका है।
टी वी चैनल वाले भी अजीब हैं, रात को खाना खाने बैठो तो बार बार ‘दस्त तक – दस्त तक’ करने लगते हैं। ब्रेकिंग न्यूज की पट्टी चल रही है,
“बस थोड़ा देर में चुनावी रुझान सिर्फ इसी चैनल पर” आगे लिखा आ रहा है “सबका साथ सबका विकास का रास्ता जीत से चालू होता है ” बाजू वाला कह रहा है कि इस बार आदिवासियों ने जिनसे पैसा लिया है उनको वोट नहीं दिया।
थाली की कटोरी में सब्जी खतम हो गई है, कटोरी चिल्ला रही है, कोई ध्यान नहीं दे रहा है, लटके झटके के साथ नेपथ्य में ठहाके लग रहे है। ढाबे के ग्राहक चुनावी रुझान देखने तड़फ रहे हैं। गर्म रोटी देते हुए बैरा बड़बड़ा रहा है, लाड़ली बहना का डंका बजा रहे हैं और लाड़ले भैया को अंगूठा दिखा रहे हैं।
थाली की कटोरी में अब पानी वाली दाल भर बची है……. टी वी विज्ञापनों में फटी जीन्स से झांकते अंग दिख रहे हैं। अचानक टी वी वाले का चेहरा प्रगट होता है कह रहा है – चुनावी परिणाम थोड़ी देर में……… जब तक रुझान के पहले कुछ खास लोगों की चर्चा देखिये…….
टी वी में एक बिका हुआ चर्चित पत्रकार चुनाव के बारे में बता रहा है – इस बार के क्रांतिकारी चुनाव में 100 प्रतिशत से ज्यादा पारदर्शिता रही है, जो सांसद, मंत्री अपने को तीसमारखां समझते थे उनको भी विधायकी की लाइन में लगवा दिया गया।
चुनाव की पारदर्शिता के बारे में जनता को जानने का अधिकार है हालांकि ये पब्लिक है ये सब जानती है।
ये देखो इनकी बदमाशियां पहले खूब विज्ञापन चलाया अब टाइमपास करने के लिए एंकर एक महिला को पकड़ लाए।
महिला मुस्कुराते हुए बोली – यह देश हमेशा से उसूलों का देश नहीं रहा… असल में यह तो था भले मानुषों का देश, लेकिन फंस गया नेताओं के चक्कर में। नेता होशियार तो होते ही हैं मौके – बे – मौके होशियारी दिखाते भी हैं और चुनाव के समय होशियारी दिखाने का अच्छा मौका मिल जाता है। एंकर बीच में टोकने लगा तो महिला बोली – देखिए मुझे पूरा बोलने नहीं दिया जा रहा है……
सब चिल्ल पों कर रहे हैं कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा है……
झड़पें बढ़ रहीं हैं अरे…. अरे ये टोपीधारी……. चलिए अच्छा टोपी वालों की बात सुन लीजिए…. हां… हां.. बोलिए…… देखिए रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलियुग आयेगा जब चुनाव जिताने का ठेका राम जी के पास हो जाएगा।
घोर कलि-काल है, मूल्यों का पतन हो रहा है झटकेबाजी चरम सीमा पर है,
थाली का खाना खतम हो गया है,भूख मिटी नहीं है, रुझान आने चालू हो गए हैं, ढाबे में भीड़ बढ़ गई है ,उधर गाय भूखी खड़ी है और सबको चुनाव परिणाम देखने की पड़ी है।
गजब हैं ये चैनल वाले एक जगह का रुझान दिखाते हैं फिर मंदिर दिखाने लगते हैं, सब टकटकी निगाहों से टीवी देख रहे हैं और भूखी गाय की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।
टी वी देखने वाले परेशान हो गए हैं ज्यादा चिल्ल – पों देखते हुए फिर से विज्ञापन चला दिया गया है। इधर भूखी गैया ढाबे में घुसकर ऊधम मचाने लगी है सब लोग इधर-उधर भाग रहे हैं। ढाबे वाले ने टी वी पर सुना कि ……. अभी कहीं जाईयेगा नहीं….. थोड़ी देर में चुनावी परिणाम आने वाले हैं फिर नया ऐंकर प्रगट हुआ और ढाबे की लाईट गोल हो गई…
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी समसामयिक घटना पर आधारित एक भावप्रवण कविता “# नवपुरुष #”)
Anonymous Litterateur of Social Media # 165 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 165)
Captain Pravin Raghuvanshi—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.
Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.
In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.
Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus.His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.
हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।
(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि। संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत हैं – एक प्रयोग – सॉनेट – कल (इटैलियन /इंग्लिश शैली) …।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 164 ☆
☆ एक प्रयोग – सॉनेट – कल (इटैलियन /इंग्लिश शैली) …☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆