सुश्री इन्दिरा किसलय
☆ पितृ दिवस विशेष – “पुनर्जन्म…” ☆ सुश्री इन्दिरा किसलय ☆
बचपन में
समझ नहीं पाये
पिता
पेड़ों से
इतना प्यार क्यों करते हैं !
बच्चों से ज्यादा
उनकी
परवरिश का ख्याल
क्यों धोते हैं
फूलदार पेड़ों की
धूलभरी पत्तियां
उन्हें नुकसान पहुंचाने पर
क्यों डाँटते थे !
क्या नाता है
उनसे
उनका
अब जाकर पता चला
वृक्ष
उनकी कविता थे !
आज वे नहीं हैं
स्वयं
वृक्ष बन गये हैं
स्मृतियों में !
© सुश्री इंदिरा किसलय
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈