डॉ जसप्रीत कौर फ़लक
☆ कविता ☆ डॉ जसप्रीत कौर फ़लक की पाँच कविताएँ ☆ डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक ☆
☆
(१) ए ज़िन्दगी!
उसे
चुन
लिया
जिसे
चाहा
नहीं
था
कभी…
.
मुझे
मुआफ़
कर
ए ज़िन्दगी!
*
(२) जुदाई
जुर्म तेरा था
कि मेरा था
जो मायूस लम्हों ने
हमें दिया
जुदाई का श्राप
अब तू भी चाहे
अब मैं भी चाहूँ
मगर हो नहीं रहा
रूह से रूह
का मिलाप।
*
(३) यादें
अतीत की यादों को
याद कर
कोई फ़ायदा नहीं है
रोने से
यही मशवरा है
उन यादों को
बाँध दो
फ़लक की नीली चादर
के कोने से ।
*
(४) दो तस्वीरें
तुम्हारी तस्वीर
बहुत ख़ूबसूरत है
उसमें दिलकशी भी है
इक ख़ामोशी भी है
मैं जिधर जाऊँ
मुझे देखती भी है
यह मेरी तन्हाई की राज़दार भी है
यह मेरे दिल की तरह
बेक़रार भी है
तुम्हें बुरा न लगे तो
सच कहूँ
दुनिया में सबसे हसीं सिर्फ़ दो तस्वीरें हैं
इक हुस्न की,इक इश्क़ की।
(४) काजल
सपने
कहने को हैं अपने
.
जलते रहते हैं
उनकी राख से
तैयार हो जाता है
मेरा काजल !
दुखों से भर जाता है मेरा आँचल
फिर भी, सजाता रहता है सपने
.
मेरा दिल भी है कितना पागल….?
☆
डॉ. जसप्रीत कौर फ़लक
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