डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’
(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर डॉ. राजकुमार “सुमित्र” जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया। वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। आज प्रस्तुत हैं आपके अप्रतिम कालजयी दोहे।)
साप्ताहिक स्तम्भ – लेखनी सुमित्र की # 79 – दोहे
लज्जा, ममता, शीलता, साड़ी तीर्थ स्वरूप।
दुल्हन का घूंघट करे, आंचल मां का रूप।।
शील और सौंदर्य का, अद्वितीय प्रतिमान ।
धोती या साड़ी कहे, भारतीय परिधान ।।
वस्त्र व्यक्ति को सजाते, देते हैं पहचान ।
निर्भर करता व्यक्ति पर, रखे वस्त्र का मान।।
एक नूर है आदमी, कपड़ा नूर हजार।।
व्यक्ति वस्त्र से कीमती, होता है व्यवहार।।
रुचि सुविधा के मुताबिक, लोग चुनें परिधान ।
आवेष्ठित सौंदर्य का, जगत करे सम्मान।।
© डॉ राजकुमार “सुमित्र”
112 सर्राफा वार्ड, सिटी कोतवाली के पीछे चुन्नीलाल का बाड़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश
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