॥ श्री रघुवंशम् ॥
॥ महाकवि कालिदास कृत श्री रघुवंशम् महाकाव्य का हिंदी पद्यानुवाद : द्वारा प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’॥
☆ “श्री रघुवंशम्” ॥ हिन्दी पद्यानुवाद सर्ग #14 (6 – 10) ॥ ☆
रघुवंश सर्ग : -14
माताओं ने स्नेह से तब कह- ‘‘अस्वीकार’’।
बेटी तेरे पुण्य ही राम विजय-आधार।।6।।
तब रघुकुल मणि राम का हुआ राज्य-अभिषेक।
तीर्थसलिल प्रेमाश्रु से कर के पावन षेक।।7।।
पावन सागर-सर-नदी से लाकर जल पूत।
बरसाये श्रीराम पर सुग्रीव विभीषण दूत।।8।।
राम जो तापस वेश में भी थे सुधर ललाम।
राजवेश में वे हुये दुगने शोभाधाम।।9।।
राम अयोध्या में गये कुल परम्परानुसार।
जहाँ वाद्य सह गीत थे और मंगलाचार।।10अ।।
बरसाई जा रही थी खील, थी भीड़ अपार।
द्वार-द्वार पर थे सजे सुन्दर वन्दनवार।।10ब।।
© प्रो. चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’
A १, विद्युत मण्डल कालोनी, रामपुर, जबलपुर. म.प्र. भारत पिन ४८२००८
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈