श्री संतोष नेमा “संतोष”
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में प्रस्तुत हैं “माँ ”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
☆ साहित्यिक स्तम्भ – इंद्रधनुष # 60 ☆
☆ माँ ☆
बच्चे माँ से कर रहे, बस यह एक सवाल
कब दोगी माँ तुम हमें, रोटी के संग दाल
माँ की ममता जगत में, होती है अनमोल
जन्नत चरणों में बसे, समझें माँ का मोल
बिन शिक्षक शिक्षा नहीं, गुरु बिन मिले न ज्ञान
जीवन में मिलता सदा, शिक्षा से सम्मान
सूर्योदय लाता सदा, खुशी और उत्साह
केसर-सी चमके किरण, जिसका रंग अथाह
रखें राष्ट्र हित सामने, हो ऐसा निर्माण
देश-भक्ति जिनके नहीं, उनके दिल पाषाण
© संतोष कुमार नेमा “संतोष”
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