हेमन्त बावनकर
☆ ई- अभिव्यक्ति का अभिनव प्रयोग – प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था “व्यंग्यम” की प्रथम ऑनलाइन गोष्ठी ☆
संस्कारधानी जबलपुर से लगभग बयालीस वर्ष पूर्व व्यंग्य की पहली और प्रतिष्ठित पत्रिका “व्यंग्यम” सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री हरिशंकर परसाई जी के निर्देशन में प्रकाशित होती थी। इसके सम्पादक मंडल में सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री निशिकर जी, श्री महेश शुक्ल जी तथा श्री श्रीराम आयंगर जी थे। इसका अपना इतिहास रहा है और यह पत्रिका काफी लम्बे समय तक प्रकाशित होती रही, जिसमें देश के प्रतिष्ठित व्यंग्यकारों की रचनाएं छपतीं थीं।
“व्यंग्यम” पत्रिका की स्मृति में विगत 34 माह से जबलपुर में मासिक व्यंग्यम गोष्ठी का आयोजन होता रहा है । व्यंग्यम को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से “व्यंग्यम गोष्ठी” की श्रृंखला का आयोजन सतत जारी है और भविष्य में व्यंग्यम पत्रिका की योजना भी विचाराधीन है।
विगत 34 माह पूर्व जबलपुर में मासिक व्यंग्यम गोष्ठी की श्रंखला चल रही है जिसमें व्यंग्यकार हर माह अपनी ताजी रचनाओं का पाठ करते हैं। 34 महीने पहले इस आयोजन को प्रारम्भ करने का श्रेय जबलपुर के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डाॅ कुंदन सिंह परिहार, श्री रमेश सैनी, श्री जय प्रकाश पाण्डेय, श्री द्वारका गुप्त आदि व्यंग्यकारों को जाता है। इस गोष्ठी की विशेषता यह है अपने नए व्यंग्य का पाठ इस गोष्टी में करते हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक तीसरे माह किसी प्रतिष्ठित अथवा मित्र व्यंग्यकारों के व्यंग्य संग्रह की समीक्षा भी की जाती है।
कोरोना समय और लाॅक डाऊन के नियमों के तहत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए और घर की देहरी के अंदर रहते हुए अप्रैल माह की व्यंग्यम गोष्ठी इस बार इंटरनेट पर सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना एवं संचार तकनीक का प्रयोग करते हुए आयोजित करने का यह एक छोटा सा प्रयास है। इस गोष्ठी के लिए सूचना तकनीक के कई प्रयोगों के बारे में विचार किया गया जैसे कि व्हाट्सएप्प और वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग। किन्तु, प्रत्येक की अपनी सीमायें हैं साथ ही हमारे वरिष्ठतम एवं कई साहित्यकार इन तकनीक के प्रयोग सहजतापूर्वक नहीं कर पाते।
इस सन्दर्भ में ई- अभिव्यक्ति ने एक अभिनव प्रयोग किया है । इस तकनीक में हमने पहले सम्मानित व्यंग्यकारों से मोबाईल पर उनकी स्वरांकित व्यंग्य पाठ की फाइलें मंगवाई और उनको उनके चित्रों के साथ संयोजित कर स्थिर-चित्रित वीडियो बनाकर यूट्यूब पर प्रकाशित किया। इस तकनीक का महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि आप उनके वीडियो को लाइक कर सकते हैं और अपने कमैंट्स दे सकते हैं। जहाँ तक आपस में संवाद करने का प्रश्न है तो आप इस पोस्ट के अंत में आपस में वैसे ही चर्चा कर सकते हैं जैसे कि फेसबुक या व्हाट्सएप्प पर करते हैं। इसके अतिरिक्त इस लिंक को आप सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफॉर्म पर शेयर कर सकते हैं।
इस गोष्ठी में हमने सम्मानीय व्यंग्यकारों के नाम अंग्रेजी वर्णमाला के क्रम से रखा है। आप किसी भी व्यंग्यकार के नाम पर क्लिक कर सीधे यूट्यूब पर उनकी रचना का पाठ उनके स्थिर चित्र पर सुन सकते हैं।
हमें आपसे यह साझा करते हुए अत्यंत प्रसन्नता हो रही है कि इस गोष्ठी में प्रतिष्ठित व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन जी ने मुख्य अतिथि व्यंग्यकार के रूप में हमारे आग्रह को स्वीकार कर अपनी रचना प्रेषित की है। इस गोष्ठी का प्रारम्भ हम हमारे सम्माननीय अतिथि व्यंग्यकार अग्रज श्री शांतिलाल जैन जी के व्यंग्य से कर रहे हैं । उनके व्यंग्य लेखन से आपको परिचित कराना मेरा कर्तव्य है।
श्री शांतिलाल जैन, भोपाल – सधुक्कड़ी प्रवृत्ति का ‘सुपर-सिद्ध’ व्यंग्यकार
नियमित व्यंग्य लेखन करना किसी भी सामान्य व्यंग्यकार के लिये सहज नहीं होता, किन्तु श्री जैन लगभग तीन दशकों से एकल विधा के रूप में सतत व्यंग्य साधना कर रहे हैं। लगभग प्रति सप्ताह उनकी ओर से किसी पत्र-पत्रिका में एक नये विषय के साथ उनकी उपस्थिति दर्ज होती है। अपनी व्यस्त कार्यालयीन दिनचर्या के बीच गहन गंभीर चिन्तन कर व्यंग्य रचना सृजित करना उन्हें अग्रिम पंक्ति के लेखकों की श्रेणी में रखता है। उन्होंने अपने व्यंग्यों को प्रवृत्तियों तक सीमित रखने का प्रयास किया है। इसलिये वे व्यक्तिगत आलोचना से प्रायः दूरी बनाकर रखते हैं। राजनीतिक परिस्थितियों से नाराज तथा नीति निर्धारकों से असहमत होने के बाद भी उनका लेखन अपने आप में बेहद संतुलित, ईमानदार तथा निष्पक्ष व्याख्या करता दीखता है।
देखा देखी लेखन में उतर पड़ने, किसी निजी लक्ष्य लेकर लेखन की खेती करने या प्राकृतिक रूप से लेखक के रूप में उपजे होने का दावा करने वाली बेशुमार जमात के बीच शांतिलाल जैन जैसे थोड़े से लेखक सामाजिक सरोकारों के प्रति संचेतना के कारण ही वैचारिक अभिव्यक्ति का निष्पादन पूरी जिम्मैदारी से करते हैं। किसी भी प्रतियोगिता से बेपरवाह और व्यंग्य के क्षेत्र में घुस रहे छिछलांदे छल छिद्रों से दूर रहकर अपनी साहित्य साधना में लीन रहने वाले मस्तमौला लेखक हैं वे।
विसंगतियों की परत को भेदकर निकाली विसंगतियों को सलीकेदार हास्य से रोशन करने में इन्हें विशेष योग्यता प्राप्त है। वे आधुनिक संदर्भों पर पैनी नजर रखने वाले व्यंग्यकार हैं। अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय महत्व के गूढ़ विषयों पर गहन अध्ययन से हासिल तथ्य सामने लाने के लिए वे बहुत सहज-सुलभ कथानक रचते हैं। रोचक कहन शैली में जन सामान्य से सूत्र जोड़ते हुए वे अपने संदेश को सफलता के साथ सम्प्रेषित कर देते हैं। स्वयं बैंकर होने के कारण ये अर्थव्यवस्था और उससे जुड़ी ऐसी विसंगतियों पर भी मार कर देते हैं जो सामान्य व्यंग्यकार की जद से दूर होता है। कहना न होगा कि शांतिलाल जैन, की उपस्थिति समकालीन व्यंग्य को समृद्ध बना रही है।
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प्रत्येक सम्मानित व्यंग्यकारों का संक्षिप्त साहित्यिक परिचय इस निवेदन के अंत में दिया जा रहा है। आप सम्मानित व्यंग्यकारों के चित्र अथवा नाम पर क्लिक कर उनकी रचना आत्मसात कर सकते हैं ।
आज के अंक में प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक स्तम्भ के सभी सम्माननीय साहित्यकारों से अनुरोध है कि उनकी रचनाएँ अगले सप्ताह से यथावत प्रकाशित होती रहेंगी।
इस प्रकार संस्कारधानी जबलपुर के स्थानीय सम्मानित व्यंग्यकारों की संस्था ” व्यंग्यम” की अप्रैल 2020 की गोष्ठी का मुख्य आतिथ्य भोपाल से श्री शांतिलाल जैन एवं तकनीकी संयोजन ई – अभिव्यक्ति की और से मैं हेमन्त बावनकर, पुणे वर्तमान में बेंगलुरु से कर रहा हूँ।
इस परिकल्पना के आधार स्तम्भ हैं अग्रज श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी एवं मैं इसे तकनीकी स्वरुप देने का निमित्त मात्र हूँ। समस्त ऑडियो फाइलों को बना संजो कर मुझ तक पहुँचाने के लिए उनका ह्रदय से आभार।
कृपया इस यज्ञ को अपने मित्रों और सोशल मीडिया में अधिक से अधिक साझा करें। इस पोस्ट के अंत में आपस में चर्चा करें।
हमें पूर्ण आशा एवं विश्वास है कि ई – अभिव्यक्ति के इस अभिनव प्रयोग के लिए आप सबका स्नेह एवं प्रतिसाद मिलेगा।
आप सब का पुनः हृदय से आभार। नमसकर।
अपने घरों में रहें, स्वस्थ रहें। आज का दिन शुभ हो।
– हेमन्त बावनकर, सम्पादक ई-अभिव्यक्ति, पुणे
श्री शांतिलाल जैन
परिचय :
श्री शांतिलाल जैन,
जन्म: 19 फरवरी, 1960, उज्जैन, म.प्र
शिक्षा: विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन से वाणिज्य में स्नातकोत्तर तथा विधि में स्नातक उपाधि.
प्रकाशन:
- पहला व्यंग्य संग्रह ‘कबीर और अफसर’ -म.प्र. साहित्य परिषद के सहयोग से सन 2003 में प्रकाशित.
- दूसरा व्यंग्य संग्रह ‘ना आना इस देश’- शिल्पायन, दिल्ली से 2015 में प्रकाशित.
- तीसरा व्यंग्य संग्रह-मार्जिन में पिटता आदमी, ‘क’ प्रकाशन, नईदिल्ली से प्रकाशित
राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन:
जनसत्ता, शुक्रवार, नईदुनिया, धर्मयुग, सुबहसवेरे, दैनिक भास्कर, समावर्तन, अट्टहास आदि देश की अन्य अनेक पत्र-पत्रिकाओं में।
भारतीय स्टेट बैंक में सूचना प्रौद्योगिकी में हिन्दी के प्रयोग हेतु सक्रिय सहयोग।
सम्प्रत्ति : भारतीय स्टेट बैंक, स्थानीय प्रधान कार्यालय, भोपाल से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत।
पुरस्कार/सम्मान-
- म.प्र. साहित्य परिषद का वर्ष 2015 के लिये ‘राजेन्द्र अनुरागी सम्मान’.
- अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान-2016.
- श्री हरीकृष्ण तैलंग स्मृति सम्मान –2014.
- व्यंग्य लेखक समिति द्वारा स्थापित ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार- वर्ष 2018
श्री अभिमन्यु जैन
जन्म : 15/ 02/1952,जबलपुर.
प्रकाशन /प्रसारण :
देश की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में व्यंग प्रकाशित. आकाशवाणी, दूरदर्शन से प्रसारित, व्यंग संग्रह “राग शमशानी” प्रकाशित. अनेक संस्थाओं से अभिनंदित एवम सम्मानित.
संप्रति : सेवा निवृत्त अधिकारी वाणिज्य कर
संपर्क: abhimanyuakjain@ gmail.Com
मोबाईल: 9425885294.
श्री जय प्रकाश पाण्डेय
जन्म: 02.01.1957
शिक्षा: एम. एस. सी. , डी सी ए
प्रकाशन /पुरस्कार:
- देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं के अलावा आकाशवाणी में कहानी, व्यंग्य लेखों का 30 वर्षों से प्रकाशन /प्रसारण।
- कबीर सम्मान, अभिव्यक्ति सम्मान के अलावा अनेक पुरस्कार /सम्मान।
- परसाई स्मारिका सम्पादित, ई-अभिव्यक्ति पत्रिका का महात्मा गाँधी विशेषांक एवं परसाई विशेषांक में अतिथि सम्पादक।
- व्यंग्य संकलन “डांस इण्डिया डांस” प्रकाशित । कुछ साझा संकलन भी प्रकाशित। एक व्यंग्य संग्रह और एक कहानी संकलन प्रकाशनाधीन
सम्पर्क: 416-एच, जय नगर जबलपुर-482002
ईमेल : [email protected]
मोबाईल: 9977318765
डॉ कुन्दन सिंह परिहार
जन्म: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के ग्राम अलीपुरा में वर्ष 1939 में।
शिक्षा: एम.ए.(अंग्रेजी साहित्य), एम.ए.(अर्थशास्त्र), पी.एच.डी, एल. एल.बी.।चालीस वर्ष तक महाविद्यालयीन अध्यापन के बाद 2001 में जबलपुर के गोविन्दराम सेकसरिया अर्थ-वाणिज्य महाविद्यालय के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त।
साहित्य: पिछले पाँच दशक से निरन्तर कहानी और व्यंग्य लेखन। 200 से अधिक कहानियां और इतने ही व्यंग्य पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित।अब तक पाँच कथा-संग्रह (तीसरा बेटा, हासिल, वह दुनिया, शहर में आदमी और काँटा ) तथा दो व्यंग्य-संग्रह प्रकाशित।
सम्मान: 1994 में म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार,2004 में राजस्थान पत्रिका का सृजनशीलता सम्मान।
संपर्क: 59,नव आदर्श कालोनी, गढ़ा रोड, जबलपुर–482002 (म.प्र)
मोबाइल: 9926660392, 7999694788
डॉ प्रदीप शशांक
नाम : ठाकुर प्रदीप कुमार सिंह
साहित्यिक नाम : डॉ. प्रदीप शशांक
जन्मतिथि : 27 जून 1955
शैक्षणिक योग्यता : बी .कॉम.
सम्प्रति : म.प्र .शासन कृषि विभाग जबलपुर में सहायक सांख्यकीय अधिकारी के पद से वर्ष 2015 जून में सेवा निवृत्त।
साहित्यिक उपलब्धियां : वर्ष 1975 से छुटपुट लेखन प्रारम्भ किया । प्रथम हास्य व्यंग्य दिल्ली प्रेस की पाक्षिक पत्रिका “मुक्ता” में दिसम्बर 1976 में “कालोनी क्रिकेट मैच” शीर्षक से प्रकाशित हुआ । इसके बाद प्रकाशन का जो सिलसिला प्रारम्भ हुआ तो देश भर की प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में व्यंग्य, लघुकथायें, लेख, कवितायेँ आदि निरन्तर प्रकाशित होते रहे हैं ।
सम्पादन : जबलपुर से प्रकाशित लघुकथा विधा की पत्रिका ‘ लघुकथा अभिव्यक्ति ‘ में प्रबन्ध सम्पादक, तथा ‘प्रतिनिधि लघुकथायें ‘ में उप सम्पादक के रूप में अवैतनिक सेवायें प्रदान कीं ।
सम्मान /पुरस्कार : देश भर की प्रमुख साहित्यिक संस्थाओं द्वारा विभिन्न सम्मानों /पुरस्कारों से सम्मानित किया गया ।
प्रकाशित कृतियाँ : वर्ष 1986 में दिनिशा प्रकाशन जबलपुर द्वारा प्रकाशित व्यंग्य संग्रह ‘ एक बटे ग्यारह ‘ तथा वर्ष 2009 में अयन प्रकाशन दिल्ली द्वारा मेरा प्रथम लघुकथा संग्रह ‘ वह अजनबी ‘ शीर्षक से प्रकाशित किया गया । इसके साथ ही अनेकों लघुकथा संकलनों में मेरी लघुकथा शामिल की गई हैं ।
सम्पर्क : श्रीकृष्णम इको सिटी , श्री राम इंजीनियरिंग कॉलेज के पास , कटंगी रोड , माढ़ोताल , जबलपुर , म . प्र . 482002
मो . 9425860540 , 9131485948
श्री रमाकांत ताम्रकार
जन्म: 23-6-1960 जबलपुर
प्रकाशन: अनेक पत्र पत्रिकाओं में कहानी, व्यंग्य, समीक्षा, आलेख, साक्षात्कार आदि
प्रसारण : कहानियां,व्यंग्य, आलेख, परिचर्चाएं आदि
प्रकाशन: दो कहानी संग्रह प्रकाशित। एक व्यंग्य संग्रह प्रकाशनाधीन।
पुरस्कार : अनेकों राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार
सम्पादन : विभिन्न स्मारिकाओं का सम्पादन, कहानी पत्रिका का संयोजन एवम सम्पादन, त्रैमासिक पत्रिका अमृत दर्पण, भोपाल में संपादक
फ़िल्म एवं डॉक्यूमेंट्री:
- लव यू कैनेडा कहानी एवं स्क्रिप्ट लेखन
- कहानी मंच जबलपुर -20 डॉक्यूमेंट्री
- कवि श्री गंगाचरण मिश्र जबलपुर की कविताओं पर कविता वीडियो
सम्प्रति: म. गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान, जबलपुर में कार्यरत ।
मोबाईल: 9926660150
ईमेल: [email protected]
जन्म : 3 जून 1949, महाराजपुर (मंडला) म.प्र.।
शिक्षा : विज्ञान स्नातक, स्नातकोत्तर (अर्थ शास्त्र, मनोविज्ञान) 1982, कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग में डिप्लोमा
प्रकाशन : विगत 40 वर्षों से धर्मयुग, सारिका, माधुरी, इंडिया टुडे, कादम्बिनी, नवनीत, वागर्थ, कथादेश, कादम्बरी, साक्षात्कार, मायापुरी, नई गुदगुदी, व्यंग्य यात्रा, आसपास, जनसत्ता, नवभारत टाइम्स, हिन्दुस्तान, भास्कर, युगधर्म, स्वतंत्र मत, नवीन दुनिया, जनपक्ष आज, ब्लिट्ज, रविवार, आदि पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन।
प्रसारण : जबलपुर, भोपाल, छतरपुर, लखनऊ, दिल्ली आदि आकाषवाणी, दूरदर्षन केन्द्रों से विभिन्न रचनाओं का प्रसारण तथा व्यंग्य और कहानी पर विमर्ष का प्रसारण।
अनुवाद : अनेक रचनाओं का बंगला, पंजाबी, अंग्रेजी और नार्वेरियन भाषा में अनुवाद।
सम्पादन : अंतर्राष्ट्रीय संस्था सर्विस सिविल इन्टरनेशनल (स्विट्जरलेण्ड) की भारत शाखा द्वारा प्रकाषित मासिक पत्रिका ‘प्रयास’ तथा जाबालि सैनी बंधु अख़बार का सम्पादन।
कृतियाँ : मेरे आसपास, बिन सेटिंग सब सून, पाँच व्यंग्यकार (व्यंग्य संग्रह), अंतहीन वापिसी (कहानी संग्रह), सब कुछ चलता है, बक्से में कुछ तो है (व्यंग्य उपन्यास) शीघ्र प्रकाश्य
पुरस्कार : कादम्बिनी (मासिक पत्रिका) द्वारा कादम्बिनी सम्मान – 1994, म.प्र. युवा रचनाकार सम्मान, मध्यप्रदेश साहित्यकार मंच सम्मान , म.प्र. लघु कथा परिषद द्वारा लघुकथा सम्मान, पाथेय द्वारा सृजन सम्मान, हीरालाल गुप्त स्मृति सम्मान, मध्यप्रदेश लघु कथाकार परिषद द्वारा अखिल भारतीय स्व. रासबिहारी पाण्डेय स्मृति सम्मान, यश अर्चन सम्मान, व्यंग्य यात्रा (पत्रिका) द्वारा व्यंग्य यात्रा सम्मान।
संस्था : एस सी आई (भारत शाखा) शाहदरा दिल्ली में कुष्ठ रोगियों की दो वर्षों तक सेवा सुश्रुषा तथा उनके लिए अनेक कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन।
1972 उदयपुर (राजस्थान) के आसपास के गाँवों में जल-समस्या तथा समस्याओं पर गहन कार्य।
साहित्यिक संस्था: मिलन, मित्र संघ, हिन्दी साहित्य सम्मेलन (जबलपुर शाखा), म.प्र. लेखक संघ (जबलपुर इकाई), साहित्य संघ, पहल गोष्ठी आदि संस्थाओं में अनेक पदों पर सक्रियता से सहभागिता। कहानी मंच में ‘अध्यक्ष’ तथा अनेक साहित्यिक कार्यक्रमों का संयोजन। अनेक संस्थाओं के आमंत्रण पर अध्यक्षता, निर्णायक, रचना-पाठ, विचार-विमर्श आदि की भूमिका का निर्वाह।
खेल : टेबिल टेनिस में जिला तथा प्रादेशिक स्तर पर प्रतिनिधित्व, विजेता, उपविजेता।
विदेश : सर्विस सिविल इन्टरनेशनल द्वारा 1972 में पश्चिम जर्मनी आमंत्रित, पर पारिवारिक कारणों से गमन स्थगित।
सम्प्रति : रक्षा लेखा विभाग से वरिष्ठ अंकेक्षक पद से सेवा निवृत्त।
सम्पर्क : 245/ए, एफ.सी.आई. लाइन, त्रिमूर्ति नगर, दमोह नाका, जबलपुर (म.प्र.) 482 002
दूरभाष: 0761-2645588, 94258 66402, 8989 499299
ईमेल : [email protected]
डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’
जन्म तिथि : 7 जुलाई 1958
सृजन कार्य क्षेत्र : साहित्य
प्रिय विधा : मुझे काव्य लेखन सबसे अच्छा लगता है।
परिचय : साहित्य की बहुआयामी विधाओं में सृजनरत हूँ। मेरी छंदबद्ध कवितायें, गजलें, नवगीत, छंदमुक्त कवितायें, क्षणिकाएँ, दोहे, कहानियाँ, लघुकथाएँ, समीक्षायें, आलेख, संस्कृति, कला, पर्यटन, इतिहास विषयक सृजन सामग्री यत्र-तंत्र प्रकाशित/प्रसारित होती रहती है।
कृतियाँ/अलंकरण/उपलब्धियाँ :
काव्य संग्रह – किसलय के काव्य सुमन , नई दुनिया का श्रेष्ठ अलंकरण – “जबलपुर साहित्य अलंकरण”, कौन बनेगा साहित्यपति प्रतियोगिता विजेता, ओंकार तिवारी अलंकरण, गुंजन का सरस्वती सम्मान, हिन्दी परिषद का कथा सम्मान, विधानसभाध्यक्ष स्व. कुंजीलाल दुबे स्मृति निबंध प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार।
वर्तिका प्रतिभा अलंकरण, बेटी बचाओ अभियान के सुचारू कार्यान्वयन हेतु मांडू में प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में सहभागिता।, पूरे विश्व के 135 से अधिक देशों के “पीस ऑफ माइंड” टी वी चैनल एक साथ प्रसारित माउंट आबू में आयोजित ‘राष्ट्रीय कवि सम्मेलन’ में सहभागिता।
अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियां :
- समाचार पत्रों, आकाशवाणी एवं विभिन्न चैनलों से प्रकाशन/ प्रसारण।
- मेरे काव्य संग्रह “किसलय के काव्य सुमन” सहित अनेक सामूहिक संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित।
- वेबसाईट: hindisahityasangam.com ब्लॉग : hindisahityasangam.blogspot.com
- व्हाट्सएप्प ग्रुप : “हिन्दी साहित्य संगम” के माध्यम से निरंतर सृजन जारी है।
- संस्कारधानी जबलपुर के ‘जबलपुर साहित्य रत्न”
- गुंजन के “सरस्वती अलंकरण”, वर्तिका के ‘प्रतिभा अलंकरण”, ओंकार तिवारी सम्मान सहित
- शताधिक सम्मान/अलंकरण/ पुरस्कार प्राप्त।
- लगभग सौ गद्य-पद्य पुस्तस्कों की समीक्षाओं / भूमिकाओं का लेखन।
- पुस्तकों, पत्रिकाओं का सम्पादन। मंच संचालन।
- समाचार पत्रों में आलेख तथा स्तंभ लेखन।
- हिन्दी भाषा के प्रसार, प्रचार तथा विकास हेतु निरंतर सक्रिय।
- विभिन्न संस्थाओं में सक्रिय सहभागिता। कहानी मंच, म. प्र. लेखक संघ जबलपुर, लघु कथाकर
- परिषद, वर्तिका के विकास में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुये विशिष्ट कार्यों का सम्पादन। वर्तमान में वर्तिका जबलपुर के अध्यक्ष।
- स्वरचित संगीतबद्ध नर्मदाष्टक “नित नमन माँ नर्मदे” की जबलपुर नर्मदा महोत्सव 2012 में 16 लड़कियों द्वारा नृत्य प्रस्तुति।
- एक दोहा संग्रह एवं एक काव्य संग्रह शीघ्र प्रकाश्य
पता : ‘विसुलोक‘ 2429, मधुवन कालोनी, उखरी रोड, विवेकानंद वार्ड, जबलपुर – 482002 मध्यप्रदेश, भारत
संपर्क : 9425325353
ईमेल : [email protected]
श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘ विनम्र’
जन्म : २८.०७.१९५९, मंडला म.प्र.
शिक्षा: सिविल इंजी. में स्नातक, फाउंडेशन इंजीनियरिंग में भोपाल से स्नातकोत्तर उपाधि, इग्नउ से मैनेजमेंट मे डिप्लोमा, सर्टीफाइड इनर्जी मैनेजर.
संप्रति: अतिरिक्त मुख्य इंजीनियर म.प्र.राज्य विद्युत मंडल, जबलपुर
प्रकाशित किताबें:
कविता-संग्रह: आक्रोश
व्यंग-संग्रह: रामभरोसे, कौआ कान ले गया, मेरे प्रिय व्यंग्य लेख
नाटक-संग्रह: जादू शिक्षा का (प्रथम पुरस्कृत नाटक),हिंदोस्ता हमारा, विज्ञान, जल जंगल और जमीन, बिजली का बदलता परिदृश्य
फोल्डर: रानी दुर्गावती व मण्डला परिचय, कान्हा अभयारण्य परिचायिका
प्रसारण: आकाशवाणी व दूरदर्शन से अनेक प्रसारण, रेडियो रूपक लेखन
विशेष :
- विभिन्न सामूहिक संग्रहों में रचनायें प्रकाशित
- अनेक नाटक निर्देशित, पत्र पत्रिकाओ में नियमित लेखन
- अनेक साहित्यिक संस्थाओ में सक्रिय पदेन संबद्धता, अध्यक्ष – “वर्तिका ” जबलपुर, संयोजक – “पाठक मंच “जबलपुर
उपलब्धियाँ:
- रेड एण्ड व्हाइट राष्टीय पुरुस्कार सामाजिक लेखन हेतु.
- जादू शिक्षा का – म.प्र.शासन द्वारा प्रथम पुरस्कृत नाटक
- रामभरोसे व्यंग संग्रह को राष्टीय पुरुस्कार दिव्य अलंकरण
- सुरभि टीवी सीरियल में मण्डला के जीवाश्मो पर फिल्म का प्रसारण
- २००५ से हिन्दी ब्लागिंग
- हिन्दी ब्लागिंग के प्रारंभिक वर्षो से ही ब्लाग पर सतत रचनात्मक लेखन
- कार्यशालायें आयोजित कर रुचि रखने वाले रचनाकारो को यूनीकोड टायपिंग तथा नेट पर हिन्दी में ब्लागिंग तथा फेसबुक, व्हाट्सअप लेखन सिखाया.
- डेली हँट मोबाईल एप पर मेरी अनेक पुस्तकें सुलभ.
अंतरजाल (इंटरनेट) पर विशेष
- साहित्यिक हिन्दी वेब पत्रिका “दिव्य नर्मदा” का संस्थापक संचालक.
- वेब दुनिया, अमर उजाला, जागरण, नवभारत टाईम्स हिन्दी, स्वर्ग विभा, अनुभूति, रचनाकार, साहित्य शिल्पी जैसी अनेकानेक लोकप्रिय साहित्यिक पृष्ठो पर
कुछ ब्लाग्स व फेसबुक पेज के लिंक इस तरह हैं :
ब्लागस
फेसबुक
रचनाकार (http://www.rachanakar.org/2013/05/blog-post_9985.html) पर मेरी तकनीकी किताब बिजली का बदलता परिदृश्य निशुल्क
संपर्क: विवेक रंजन श्रीवास्तव, ए १ , शिला कुंज , नयागांव , जबलपुर ४८२००८
ईमेल: [email protected]
मो ७०००३७५७९८
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