सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

‘सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे

💐 संपादकीय निवेदन 💐

💐 अभिनंदन! अभिनंदन! अभिनंदन! 💐

तितीक्षा इंटरनॅशनल ने आयोजित केलेल्या श्री गणेश या विषयावरील काव्य स्पर्धेत आपल्या समुहातील ज्येष्ठ कवयित्री उज्वला सहस्त्रबुद्धे यांना ह्रदयस्पर्शी या गटात पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. इ अभिव्य्क्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा. !

– आजच्या अंकात वाचूया त्यातील त्यांची एक पुरस्कारप्राप्त कविता – “गणेश – जन्म…”

– संपादक मंडळ

ई – अभिव्यक्ती, मराठी विभाग

? कवितेचा उत्सव  ?

☆ गणेश – जन्म… ☆ सौ.उज्वला सुहास सहस्त्रबुद्धे ☆

गणांचा अधिपती, तू आहेस गणराय !

जन्म माघ चतुर्थीचा, असे मंगलमय !.. १

 *

 पार्वती पुत्र तू, भोळा शंकर तुझा पिता!

असशी तू बुद्धिवंत, तनय एकदंता… २

 *

तुझी जन्म कथा ऐकतो, असे तीही न्यारी !

लाभले गजमुख तुला, सकाळच्या प्रहरी !… ३

*

अवज्ञा तू केलीस, साक्षात श्री शंकराची!

शिरच्छेद केला त्याने, परिसीमा क्रोधाची !… ४

*

 माता पार्वती दुःख करी, पुत्र तिचा गुणी !

आणून द्या त्याचे शीर, माता बोले तत्क्षणी!… ५

*

पश्चात्ताप करी सांब, मातेचे दुःख पाहुनी!

पहिले शीर आणीन, निश्चय केला मनी !… ६

*

 प्रातःकाली दृष्टीस पडे, गजाचे आनन!

गणेशास मिळे पुनर्जन्म, झाला गजवदन!.. ७

© सौ. उज्वला सुहास सहस्रबुद्धे

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ सुश्री विनीता सिन्हा की पुस्तक ‘प्रेरणादीप : वर्तमान और अतीत’ लोकार्पित ☆ साभार – क्षितिज ब्यूरो ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सुश्री विनीता सिन्हा की पुस्तक ‘प्रेरणादीप : वर्तमान और अतीत’ लोकार्पित – साभार – क्षितिज ब्यूरो ☆

मुंबई, सुश्री विनीता सिन्हा जी की पुस्तक ‘प्रेरणादीप : वर्तमान और अतीत’ का विमोचन मुंबई प्रेस क्लब के सभागृह में शनिवार 22 मार्च को सम्पन्न हुआ। यह पुस्तक क्षितिज प्रकाशन, पुणे से प्रकाशित हुई है।

इस अवसर पर सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ सूर्यबाला जी ने कहा कि – “कृति को और रचनाकार को अपने दम पर खड़ा होना चाहिए न कि पुरस्कार के दम पर। लेखक के पास अपनी आत्मा होनी चाहिए जिसमें वह झांक कर स्वयं को देख सके। आज का पुस्तक विमोचन समारोह एक पवित्र अनुष्ठान है। अपने आसपास की ऊँचाइयों को प्रेरणादीप के रूप में प्रस्तुत करने वाली लेखिका विनीता सिन्हा मेरे लिए ख़ुद एक प्रेरणादीप हैं। आज के समय में जब लेखन हृदय से नहीं केवल विचार से किया जाता हो, यह पुस्तक हृदय से लिखी गई है।हमारी आज की पीढ़ी को ऐसी पुस्तकों की आवश्यकता है।”

हिंदी आंदोलन परिवार के अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज जी ने कहा कि – “किसी सफल व्यक्ति से उसकी सफलता का राज़ पूछिए तो वह सामान्यत: कहता है कि फलां पुस्तक का प्रभाव उस पर पड़ा या बचपन में फलां लेखक की एक पंक्ति ने उसका जीवन बदल डाला। यह कथन, लेखन और पुस्तक के महत्व को प्रतिपादित करता है। तथापि जब दुनिया के सबसे प्रभावी 100 व्यक्तियों की सूची बनाई जाती है तो उसमें राजनेता, उद्योगपति, सिने कलाकार, खिलाड़ी तो होते हैं पर कभी लेखक नहीं होता। ‘प्रेरणादीप’ एक ऐसी पुस्तक है जिसमें लेखिका ने जिन व्यक्तित्वों का उल्लेख किया है, वे सभी लेखक हैं।” सुश्री विनीता सिन्हा जी को जिजीविषा का साकार रूप बताते हुए उन्होंने लेखिका के आत्मविश्वास की प्रशंसा की।

वरिष्ठ लेखक, अनुवादक श्री रमेश यादव जी ने पुस्तक की विस्तृत विवेचना की‌। उन्होंने लेखिका द्वारा उल्लिखित हर प्रेरणादीप के व्यक्तित्व और कृतित्व की चर्चा की। लेखिका द्वारा वर्णित स्व. चित्तरंजन दास बक्शी की जीवनगाथा के अनेक आयामों और तत्संबंधी घटनाओं पर प्रकाश डाला। स्व. चंद्रकांत खोत से सम्बंधित कुछ प्रसंगों को भी उन्होंने याद किया। उन्होंने लेखिका द्वारा अपने माता-पिता पर लिखी कविताओं का पाठ भी किया।

प्राध्यापिका डॉ. मेघा पवार ने पुस्तक के साहित्यिक शिल्प की चर्चा की। श्रीमति सुधा भारद्वाज जी ने प्रकाशक का मत रखते हुए लेखिका के व्यक्तित्व के विभिन्न शक्ति बिंदुओं का उल्लेख किया। श्री नवीन सिन्हा जी ने लेखिका की साहित्यिक यात्रा की जानकारी दी।

अपनी बात रखते हुए लेखिका सुश्री विनीता सिन्हा जी ने कहा कि- “बहुत लंबे वक़्त से मन में एक बात आती रहती थी कि हमारी पीढ़ी नें पुराना वक़्त भी देखा और अब नई शताब्दी की दिनों-दिन हासिल होती उपलब्धियों को भी देख रही है। हमारे बाद जो आने वाली पीढ़ियाँ होंगी, उनके लिए तो हमारे कल और आज, दोनों ही की बातें इतिहास होंगी। जो आज वर्तमान है, वही तो कल इतिहास होगा। अतः महसूस होता है कि उनके लिए धरोहर के रूप में कुछ ऐसी हस्तियों के कुछ ऐसे कारनामे बयान किए जाएँ जो उनकी ज़िन्दगी के सफ़र में पाथेय की भूमिका निभाएँ और उसे संवारने में उनकी मदद कर सके। यह पुस्तक उसी अतीत और वर्तमान के कुछ पन्नों को आने वाली पीढ़ियों के लिए संजोने का एक प्रयास मात्र है।”

वेरा सिन्हा जी ने कार्यक्रम का सटीक संचालन किया। वरिष्ठ लेखिका सुश्री वीनु जमुआर जी ने आभार प्रदर्शन किया।

कार्यक्रम में मुंबई -पुणे के लेखक, पत्रकार, विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य, लेखिका के परिजन तथा परिचित उल्लेखनीय संख्या में उपस्थित थे।

साभार : क्षितिज ब्यूरो 

☆ ☆ ☆ ☆

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – सुश्री ज्योत्स्ना तानवडे – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

सुश्री ज्योत्स्ना तानवडे

💐 अ भि नं द न 💐

‘आम्ही सिद्ध लेखिका’ यांनी आयोजित केलेल्या राज्यस्तरीय गझल लेखन स्पर्धेत, आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका व कवयित्री सौ. ज्योत्स्ना तानवडे यांना उत्तेजनार्थ गझल लेखन पुरस्कार मिळाला आहे. ई अभिव्यक्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा !

आज त्यांची पुरस्कार प्राप्त गझल प्रकाशित करीत आहोत.

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ दुष्यंत की कहानियों का पाठ और चर्चा ☆ साभार – श्री सुरेश पटवा ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ दुष्यंत की कहानियों का पाठ और चर्चा साभार – श्री सुरेश पटवा

भोपाल। दुष्यंत संग्रहालय में दुष्यन्त कुमार की 50वीं पुण्यतिथि वर्ष के उपलक्ष्य में उनकी कहानियों का पाठ एवं चर्चा का आयोजन वरिष्ठ साहित्यकार गोकुल सोनी की अध्यक्षता और प्रसिद्ध उपन्यासकार चंद्र भान राही के मुख्य आतिथ्य में राज सदन में किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सुनीता शर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ।

संस्था की निदेशक करुणा राजुरकर ने वर्ष भर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। तत्पश्चात संयुक्त सचिव लेखक सुरेश पटवा ने विषय प्रवेश करते हुए कहा कि  दुष्यंत केवल कवि और ग़ज़लकार ही नहीं थे। उन्होंने विशद गद्य लेखन भी किया। उन्होंने सात कहानियाँ और चार उपन्यास भी लिखे हैं। जो आम आदमी का दर्द बयान करती हैं। सभी दुष्यंत रचनावली के तीसरे खंड में संग्रहित हैं। “आघात” उनका भाई को खोने का निजी दुख का संस्मरण है। “कलियुग” साहूकारी शोषण पर आधारित है। “मिस पीटर” स्त्री विमर्श की कहानी है। “छिमिया” एक स्वाभिमानी नौंकरानी पर केंद्रित है। “मड़वा उर्फ माड़े” ग्राम सेवा पर जान लुटाने वाले स्वाभिमानी देसी ग्रामीण की कहानी है। “हाथी का प्रतिशोध” जंगल पर इंसानों के होते क़ब्ज़े की दास्तान बयान करती है। “मुसाफ़िर” रेल यात्रा पर एक अधूरी कहानी है।

गोकुल सोनी ने अध्यक्ष की आसंदी से बोलते हुए कहा कि एक कथा लेखक की पैनी दृष्टि समकालीन समाज के परिवर्तनों पर होना चाहिए। लेखक का समय के सापेक्ष होना बहुत आवश्यक है। उसका दायित्व है कि वह अपने समय की अच्छाइयों और दुष्प्रवृत्तियों पर ईमानदारी से अपनी कलम, चलाए। दुष्यंत कुमार “कलियुग” जैसी कहानी लिखकर, स्त्री अस्मिता, स्वाभिमान, एवं गरीबों के शोषण पर लिखकर सहज ही प्रेमचंद के करीब खड़े नजर आते हैं। 

चन्द्रभान राही ने उपस्थित साहित्य रसिकों को अवगत कराया कि “दुष्यंत ग़ज़लकार के रूप में अद्वितीय हैं जो हर आन्दोलन की आवाज बनते हैं। यह आग ही तो है जो भीतर जलती है।”

डॉक्टर अनिता चौहान ने “मिस पीटर” का, अरविंद मिश्र ने  मुसाफिर  और सुधा दुबे ने माड़े उर्फ मड़वा कहानी का पाठ किया।

कार्यक्रम का सरस संचालन जयन्त भारद्वाज ने किया। आभार प्रदर्शन संस्था के अध्यक्ष रामराव वामनकर ने किया।

 साभार – श्री सुरेश पटवा, भोपाल 

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ 

🏆 अ भि नं द न 🏆

हिंदीतील प्रख्यात, नामवंत, यशवंत, गुणवंत लेखक श्री. भगवान वैद्य ‘प्रखर’ यांना  नुकताच, म्हणजे मंगळवार दि.. १८ मार्च रोजी, महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अ‍ॅकॅडमीतर्फे २५००० रु. रोख, कास्य पदक, सन्मानपत्र असा काका कालेलकर –जीवनी पुरस्कार प्राप्त झाला आहे.  त्यांच्या ‘रुको ना पथिक’ या आत्मचरित्राला तो मिळाला आहे.

श्री. भगवान वैद्य ‘प्रखर’ यांची मातृभाषा मराठी आहे, पण ते लेखन मात्र हिंदीत करतात. ‘ई-अभिव्यक्ती हिंदी’वर त्यांचे लेखन सातत्याने प्रसारित होत असते. त्यांची कविता, लघुकथा, दीर्घकथा, व्यंगरचना इ. प्रकारची १३ पुस्तके प्रकाशित आहेत. त्यांच्या काही रचनांचे अन्य भाषेतही अनुवाद झाले आहेत. त्यांच्या लघुकथांचा ‘लक्षावधी बिजं’ व दीर्घकथांचा ‘प्रखर यांच्या निवडक कथा’ हे पुस्तकरूपातील अनुवाद मंजुषा मुळे आणि उज्ज्वला  केळकर यांनी केले आहेत. त्या पुस्तकांचा परिचय आपण ई – अभिव्यक्तीवर वाचलाच असेल. ते स्वत:ही उत्तम अनुवादक आहेत. त्यांनी मराठीतील ६ पुस्तके व ४० कथांचा हिंदीत अनुवाद केला आहे.

श्री. भगवान वैद्य ‘प्रखर’यांना त्यांच्या लेखनासाठी अनेक पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत. त्याबरोबरच ४ राष्ट्रीय व ५ महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अ‍ॅकॅडमीतर्फे मिळालेले महत्वाचे पुरस्कार आहेत. त्यांच्याकडून भविष्य काळात उत्तमोत्तम लेखन घडो व त्यांना असेच महत्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त होवोत, या शुभेच्छा .

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ सौ. हेमलता मिश्रा “मानवी”, डॉ. प्रेरणा उबाळे एवं श्री भगवान वैद्य “प्रखर” जी महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किए जाएंगे – अभिनंदन ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ सौ. हेमलता मिश्रा “मानवी”, डॉ. प्रेरणा उबाळे एवं श्री भगवान वैद्य “प्रखर” जी महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किए जाएंगे – अभिनंदन ☆

मुंबई, ई-अभिव्यक्ति के सम्माननीय, वरिष्ठ एवं प्रबुद्ध साहित्यकार सौ. हेमलता मिश्रा “मानवी”, डॉ. प्रेरणा उबाळे एवं श्री भगवान वैद्य “प्रखर” जी 18 मार्च 2025 को शाम 6.30 बजे रंगशारदा ऑडिटोरियम, मुंबई में महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी पुरस्कार सम्मान से सम्मानित किए जाएंगे।

इन साहित्यकारों को निम्नलिखित पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। 

  • फणीश्वरनार्थ रेणू पुरस्कार (लोकसाहित्य)सौ. हेमलता “मानवी”  को उनकी कृति “सप्तपणी” के लिए रजत पुरस्कार एवं रु.50,000/- की राशि 
  • काका कालेलकर पुरस्कार (जीवनी – परक साहित्य) – श्री. भगवान वैद्य “प्रखर” को उनकी कृति “… रुको नहीं पथिक” के लिए कांस्य पुरस्कार एवं रु.25,000/- की राशि 
  • मामा वरेरकर पुरस्कार (अनुवाद) – डॉ. प्रेरणा उबाळे को उनकी कृति “शुन:शेप”  के लिए कांस्य एवं रु.25,000/- की राशि 

💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से सौ. हेमलता मिश्रा “मानवी”, डॉ. प्रेरणा उबाळे एवं श्री भगवान वैद्य “प्रखर” जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई एवं शुभकमनाएं  💐

संपादक मण्डल 

ई-अभिव्यक्ति (हिन्दी)

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव, कृति ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अनकही कहानियां’ के लिए सम्मानित – अभिनंदन ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ डॉ. मीना श्रीवास्तव, कृति ‘भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अनकही कहानियां’ के लिए सम्मानित – अभिनंदन ☆

भोपाल (मप्र)। हिन्दी लेखिका संघ का प्रतिष्ठित ३०वां वार्षिक सम्मान समारोह एवं कृति पुरस्कार समारोह गत रविवार २ मार्च २०२५ को हिंदी भवन में संपन्न हुआ। इसमें ठाणे, महाराष्ट्र की निवासी डॉ.  मीना श्रीवास्तव को उनकी कृति के लिए सुश्री मधु सक्सेना द्वारा स्थापित ‘श्री द्वारका प्रसाद सक्सेना स्मृति पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। इस सम्मान के लिए मुंबई के ज्येष्ठ लेखक श्री हेमंत सामंत के मराठी लेखों से डॉ. मीना श्रीवास्तव द्वारा अनुवादित कृति ”भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की अनकही कहानियां” को चुना गया था | इस पुस्तक में ३८ अध्याय हैं, जिनमें भारत तथा विदेशों में अनजाने क्रांतिकारियों द्वारा किये हुए स्वतंत्रता संघर्ष का वर्णन है।

डॉ. मीना श्रीवास्तव जी को ‘अनुवाद विद्या’ की श्रेणी में यह स्थापित पुरस्कार समारोह की अध्यक्षा मंत्री महोदया, महिला एवं बालविकास म. प्र. शासन मा. निर्मला भूरिया जी और रविंद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं निदेशक विश्वारंग श्रीमान संतोष चौबे जी के हाथों स्मृतिचिन्ह, शॉल, श्रीफल एवं नकद राशि के रूप में प्रदान किया गया| इस पुरस्कार वितरण के अवसर पर रामायण शोध केंद्र, भोपाल के निदेशक डॉ. राजेश श्रीवास्तव, शिक्षाविद एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. आरती दुबे और हिन्दी लेखिका संघ मप्र भोपाल की प्रांताध्यक्ष डॉ. कुंकुम गुप्ता भी मंच पर उपस्थित थे।

दिल्ली, पंजाब, चंडीगढ़ सहित प्रदेश के 22 साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में बहुभाषीय काव्य गोष्ठी का आयोजन भी किया गया, जिसमें आमंत्रित साहित्यकारों ने अपनी-अपनी कविताओं का पाठ किया।

💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ. मीना श्रीवास्तव जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई 💐

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्री सचिन पाटील यांना रावसाहेब पाटील साहित्य पुरस्कार-२०२५ जाहीर ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री सचिन पाटील

🏆 अ भि नं द न 🏆

🏆 श्री सचिन पाटील यांना रावसाहेब पाटील साहित्य पुरस्कार-२०२५ जाहीर 🏆

प्रसिद्ध लेखक, चित्रकार सुरेन्द्र पाटील यांनी साहित्यक्षेत्रात उल्लेखनीय योगदान देणाऱ्या वाचन चळवळ-भाषा वृद्घीसाठी सातत्याने धडपडणाऱ्या लेखक, व्यक्ती यांच्या कार्याचा गौरव करण्यासाठी वडिलांच्या नावाने “रावसाहेब पाटील साहित्य पुरस्कार” देण्याचे ठरवले. विशेष म्हणजे या पुरस्कारासाठी कसलीही प्रवेशिका नाही की समारंभ नाही. हा पुरस्कार मिळणाऱ्या व्यक्तीपर्यंत स्वतः जाऊन सन्मानाने दिला जाईल. रोख ५००० रुपये, शाल, ग्रंथभेट, मानचिन्ह असे पुरस्काराचे स्वरुप आहे.

पहिला पुरस्कार सांगली जिल्ह्यातील कर्नाळ येथील श्री सचिन वसंत पाटील यांनी संपादित केलेल्या ‘मायबोली रंग कथांचे’ या  पुस्तकास जाहीर केला आहे. २२ बोली भाषेतील कथा या पुस्तकात त्यांनी संपादित केल्या आहेत. कथाकार पाटील यांनी एका अपघातात दोन्ही पायातील शक्ती गमावली. कमरेखालचा भाग कायमचा निर्जीव झाला; परंतु पुस्तक वाचनाने त्यांच्या जगण्याला बळ मिळाले. लेखनकार्यात त्यांनी स्वत:ला गुंतवून  सांगावा, अवकाळी विळखा, पाय आणि वाटा अशा दखलपात्र पुस्तकांची निर्मिती केली आणि वॉकरवर जिद्दीने पुन्हा उभे राहिले… त्यांचे जीवन अनेकांना प्रेरक आहे, म्हणून मराठी भाषा गौरव दिनानिमित्त, श्री सुरेन्द्र पाटील यांनी पुरस्काराची घोषणा केली आहे.

लवकरच युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त श्री कादंबरीकार देविदास सौदागर समवेत श्री सचिन पाटलांच्या घरी जाऊन हा पुरस्कार सन्मानपूर्वक प्रदान केला जाणार आहे.

💐✒️🙏ई अभिव्यक्ती मराठी ‘ चे लेखक श्री.सचिन पाटील यांचे समुहातर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा🙏✒️💐

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर ≈

Please share your Post !

Shares

सूचना/Information ☆ सम्पादकीय निवेदन – श्री अरविन्द लिमये – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

श्री अरविन्द लिमये 

🏆 अ भि नं द न 🏆

आपल्या समूहातील ज्येष्ठ लेखक व कथाकार श्री अरविन्द लिमये यांची दोन पुस्तके नुकतीच प्रकाशित झाली आहेत. यातील एक आहे लेखसंग्रह ‘शब्दरंगी रंगताना’, आणि एक आहे कथासंग्रह ‘डायरीतील कोरी पाने’. आपल्या सर्वांतर्फे श्री. लिमये यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील अशाच यशस्वी साहित्यिक वाटचालीसाठी असंख्य हार्दिक शुभेच्छा.

आजच्या अंकात वाचूया ‘डायरीतील कोरी पाने‘ या त्यांच्या नव्या संग्रहातील एक कथा ‘अॅप्रोच ‘.

संपादक मंडळ

ई अभिव्यक्ती मराठी

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर ≈

Please share your Post !

Shares

सूचनाएँ/Information ☆ “काव्योत्सव”, नवी मुंबई  की 169 वीं काव्यगोष्ठी सम्पन्न ☆

☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ “काव्योत्सव”, नवी मुंबई  की 169 वीं काव्यगोष्ठी सम्पन्न ☆

विहंगावलोकन…

नवी मुम्बई की ख्याति प्राप्त संस्था “काव्योत्सव” की 169 वीं काव्यगोष्ठी, दिनांक 02 मार्च 2025 को शाम 5.45 बजे, सीनियर सिटीजन हॉल, नागा गना पाटिल र्गाडऩ, सेक्टर १५, मकडोन्लड की गली, सी.बी.डी. में बड़े ही गरिमामय और उत्साह के साथ सम्पन्न हुई।

सुप्रसिद्ध कहानी-लघु कथा लेखिका और अनुवादिका परम आदरणीया सौ. उज्जवला केलकर जी विशेष अतिथि के रूप विराजमान रहीं, साथ ही अध्यक्ष श्री करनानी जी, संरक्षक श्री विजय भटनागर जी एवं आदरणीय श्री सेवा सदन प्रसाद जी सहित संस्था के पदाधिकारियों की उपस्थिति रही। लगभग 15 प्रबुद्ध रचनाकार मनीषि कवि-कवियित्री उपस्थित रहे। श्री प्रसाद जी के उद्बबोधन से कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। तत्पश्चात सरस्वती वन्दना के रूप मे मां सरस्वती के चरणों में शब्द पुष्प अर्पित किए गये। उसके बाद श्री भारतभूषण शारदा जी की अगुवाई में सभी सदस्यों ने राष्ट्रगान किया। तत्पश्चात संस्था की तरफ से संस्था के पदाधिकारियों द्वारा शाल और उपहार देकर मुख्य अतिथि जी का विशेष सम्मान किया गया।तदुपरांत कार्यक्रम प्रबंधन का दायित्व सुश्री वन्दना श्रीवास्तव जी को सौंप दिया गया।

उपस्थित कवि- कवियित्रियों ने एक से बढ़ कर एक उच्च कोटि का काव्यपाठ करके जो रंग बिखेरा… क्या कहें। आदरणीय उज्जवला केलकर जी ने अपनी लोकप्रिय लघुकथा का वाचन किया और अपनी लेखन यात्रा के बारे में बताया। उनके रचना वैभव का परिचय पाकर सभी बहुत उत्साहित थे। कार्यक्रम के अंत मे सभी ने आदरणीय ठक्कर दम्पति के द्वारा प्रायोजित सुस्वादु स्वल्पाहार का आनन्द लिया। एक सुंदर काव्य मयी संध्या नि: संदेह सभी के अंतस में संचित रहेगी

☆ ☆ ☆ ☆

≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares