(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ नयी पुस्तकों के विमोचन समारोह ☆
हर लेखक की इच्छा होती है कि उसको पुस्तक प्रकाशित हो और भव्य विमोचन समारोह भी हो पाये ! इस मामले में मुझे हरियाणा की सेवानिवृत आईएएस अधिकारी धीरा खंडेलवाल की पुस्तकों के भव्य विमोचन याद हैं। हरियाणा निवास में उनकी पुस्तकों के भव्य विमोचन हुए। इसी प्रकार एक अन्य आईएएस अधिकारी सुमिता मिश्रा के यूटी गेस्ट हाउस में शानदार आयोजन हुआ जिसमें अशोक वाजपेयी आये थे। योजना रावत के कथा संग्रह पर राजी सेठ व निर्मला जैन आई थीं। दिल्ली में प्रसिद्ध रचनाकार रेणु हुसैन के कथा संग्रह गुण्टी के विमोचन पर नासिरा शर्मा, पुष्पा मैत्रेयी, लक्ष्मी शंकर वाजपेयी, सुमन केशरी आदि आये थे। इसी तरह इनके काव्य संग्रह का भव्य विमोचन साहित्य अकादमी के रवींद्र सभागार में हुआ। पुस्तकों के विमोचन के ये कुछ भव्य आयोजन स्मृति में तैर रहे हैं !
जब शायर हिम्मत करेगा तब अच्छा लिखेगा : इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता आसिफ आज़मी की पुस्तक ‘उर्दू शायरी का मुआसिर मंज़रनामा’ का लोकार्पण आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने किया। इस अवसर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो. खालिद महमूद व प्रो. अख्तरुल वासे, दूरदर्शन की प्रसिद्ध न्यूज रीडर सलमा सुल्तान, लेखिका रमा पांडेय, माटी संस्था के संयोजक व लेखक आसिफ आज़मी तथा आईडीईए संस्था के धर्मेंद्र प्रकाश भी मौजूद थे। इस पुस्तक में पिछले चार दशकों की उर्दू शायरी की समालोचना प्रस्तुत की गई है। पुस्तक में चार दशकों की शायरी के चार दौर की चर्चा की गई है। साथ ही, शायरों और संस्थानों की सूची भी दी गई है।
मुख्य अतिथि मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सैयद ऐनुल हसन ने कहा कि साहिर लुधियानवी ने ‘किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है, परस्तिश की तमन्ना है इबादत का इरादा है’ जैसा गीत आज लिखा होता, तो फिल्म प्रतिबंधित हो जाती, गाना प्रतिबंधित हो जाता। उन्होंने कहा कि जब शायर हिम्मत करेगा, तभी बड़ा बनेगा। शायर सामने आएगा, तभी शेर सामने आएगा। उन्होंने कई अशआरों के जरिये उर्दू शायरी की खूबसूरती पर शानदार तरीके से बात की। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आईजीएनसीए के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने कहा कि ये किताब हिन्दी में भी आएगी, तो हिन्दी और उर्दू के बीच संवाद बढ़ेगा।
गजलांजलि का विमोचन : हिसार के शायर प्रो तिलक सेठी के गजल संग्रह गजलांजलि के विमोचन की खूबसूरत महफिल जमी। डाॅ वंदना बिश्नोई व डाॅ सत्या सावंत रहीं मुख्यातिथि। प्रो तिलक सेठी, नीरज मनचंदा, रश्मि, पूनम मनचंदा, कमलेश भारतीय, डिम्पल सैनी, सविता रतिवाल, सौरभ ठकराल, नीलम सुंडा, अर्चना ठकराल, कल्पना रहेजा, दीपिका, ऋतु नैन सबके सबने कुछ न कुछ सुनाया और प्रो तिलक सेठी ने अपनी चुनिंदा गजलें सुनाईं। प्रेरणा अंशु के लघुकथा विशेषांक का विमोचन भी। अमरनाथ प्रसाद, सुरेंद्र दलाल और प्रवीण सोनी भी रहे मौजूद।
नृत्यम् की पेशकश -साॅरी डैड : नशे की लत आज सिर्फ पंजाब में ही नहीं बल्कि हरियाणा में भी बढ़ती जा रही है। पंजाब की नशाखोरी पर तो उड़ता पंजाब फिल्म भी बनाई गयी थी। युवाओं में बढ़ती नशे की लत मां बाप के लिये बहुत चिंता का विषय है। पुलिस और समाज इसके विरूद्ध अभियान चलाये हुए है और इस अभियान में अब सुर मिलाया है हिसार के रंगकर्मी संजय सेठी की संस्था नृत्यम् ने ! इसके माध्यम से एक प्रकार से बच्चों का समर कैंप लगाकर पिछले दस दिन के अंदर एक संगीतमयी नाटक तैयार किया है -साॅरी डैड ! इन बच्चों ने नशे के विरूद्ध सचेत करते हुए, बहुत खूबसूरत अभिनय कर नशे के विरूद्ध संदेश देने में सफलता पाई है।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समूहाचे साक्षेपी संपादक, चतुरस्त्र लेखक आणि कवी श्री सुहास रघुनाथ पंडित यांचा … “ प्रेम रंगे, ऋतूसंगे “ … हा दुसरा काव्यसंग्रह आज प्रकाशित होतो आहे.
श्री. पंडित यांचे आपल्या सर्वांतर्फे अगदी मनःपूर्वक अभिनंदन, आणि उत्तरोत्तर त्यांच्या हातून अशीच दर्जेदार साहित्य-निर्मिती होत राहू दे अशा असंख्य हार्दिक शुभेच्छा !!
हा प्रकाशन समारंभ सांगलीमध्ये संपन्न होत आहे, त्यामुळे सांगलीतील काव्य-रसिकांसाठी या कार्यक्रमाची माहिती देणारी पत्रिका —
या नव्या संग्रहातली एक नवी कोरी सुंदर कविता आपल्या सर्वांसाठी सादर —
शब्दरंग…
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कुंचल्याचे रंग ओले उतरले शब्दांतून
रंग शब्दांतून फुलले कल्पनांचे पंख लेऊन
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मोरपंखाची निळाई पसरली ओळींतून
पाखरांची पाऊले ही खुणविती पंक्तीतून
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पुष्पगुच्छांच्या परि ही जोडलेली अक्षरे
झेप घेती शब्द जैशी आसमंती पाखरे
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शब्दवेलीतून फुटते कल्पनेला पालवी
स्पर्श होता भावनांचा अर्थ भेटे लाघवी
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गर्भितार्थाच्या गुहेतून अर्थवाही काजवे
गंधशब्दांतून येती जणू फुलांचे ताटवे
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प्रकृतीच्या हर कृतीतून गीत जन्मा ये नवे
अंतरंगातून उडती शब्द पक्ष्यांचे थवे
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रंगले हे शब्द आणि शब्दांतूनी रंगायन
शब्द आणि रंग यांचे अजब हे रसायन
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कुंचला की लेखणी ? मी धरू हातात आता
शब्द फुलले,रंग खुलले,मी अनोखे गीत गाता.
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सुहास रघुनाथ पंडित
सांगली (महाराष्ट्र)
मो – 9421225491
संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
नर्मदा क्लब, भोपाल में साहित्य यांत्रिकी की काव्य गोष्ठी सम्पन्न
जून की गर्मी में अभियंताओं द्वारा रचित भावपूर्ण रचनाओं की बारिश ने आज दिनांक 10 जून 23 को आयोजित साहित्य यांत्रिकी की काव्यगोष्ठी में वो समां बांधा कि वक़्त भी थम सा गया।
नोएडा से पधारे मूर्धन्य कवि श्री यति जी की अध्यक्षता में श्री अजय श्रीवास्तव “अजेय “ जी के सौजन्य से नर्मदा क्लब, भोपाल में यह गोष्ठी सम्पन्न हुई।
गोष्ठी की शुरुआत श्री प्रमोद तिवारी ने अपनी ग़ज़ल –वो सुकून के दिन थे वो लम्हे गुजर गए — कविता मजदूर दिवस जिसमें एक महिला मजदूर का चित्रण किया का पाठ किया ।
इसी कड़ी में श्री मुकेश मिश्रा जी ने अपनी रचना – आप को हम जब से समझने लगे है। परखने से कोई अपना नही रहते हैं। एवम जीवन दर्शन का बोध कराते दोहों का पाठ किया ।।
साहित्य जगत के स्थापित हस्ताक्षर काव्य संग्रह मंथन के रचयिता श्री अशेष श्रीवास्तव जी ने अपनी सहजता से हर रचना को श्रोताओं के मन उतार दिया।
आपकी रचना –
खींच रखी हैं ख़ुद दीवारें ,फिर कहते तन्हा हो क्यों।
अपनी राह में खुद अड़े लोगों को दोष देते हो क्यों।
सर्वप्रिय रचनाओं में से एक शशक्त रचना रही।
वरिष्ठ कवि श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव जी ने अपनी रचना ” झोपड़ी “ के माध्यम से कहते हुए कि – “तुम इकाई हो इमारतों की तुम्हे नही मिटने देंगे, सरकारी अफसर “ जहां एक ओर मजदूरों की व्यथा और उस पर सरकारी कुव्यवस्था पर तीखा तंज किया ,
वहीं अन्य रचना “मुलायम धूप पर शबनमी अहसास हैं रिश्ते।” सुनाकर मन के किसी कोने में छिपे पुराने प्यार को फिर से याद करा दिया।
जिनके चेहरे की स्थाई मुस्कान स्वतः ही उनकी सहजता और सरलता का बोध कराती है वो कोई और नही वरन भोपाल शहर के नाम का झंडा देश के कई अन्य शहरों में स्थापित करने वाले अजेय श्रीवास्तव जी ही थे जिन्होंने जब अपनी कविताओं की पोटली खोली और अपनी रचना अम्माँ की कहानियां से बचपन की याद दिलाई तो जब बिटिया पर आधारित रचना मेरी बिटिया पढ़ी तो हर मां बाप के दिल मे भावनाओं का सागर उमड़ पड़ा।
इसी क्रम में भोपाल शहर के वरिष्ठम रचनाकारों के प्रतिनिधि आदरणीय श्री प्रियदर्शी खैरा जी ने अपनी ग़ज़ल प्यार समर्पण से होता है बाकी सब समझौता है । वहीं मानवीय विकास को दिखाती रचना का सशक्त पाठ किया।
अपनी रचना – दिवाली की रौनक थे तुम होली के उल्लास थे पापा। सुनाकर हर श्रोता की आंखों में अपने पिताजी की छबि उभार दी। अन्य रचना से – उस पीढ़ी से इस पीढ़ी तक का स्थाई काव्य चित्र उकेरा ।
अंत मे कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री ओम प्रकाश यति जी ने अपनी रचनाओं से वरिष्ठता को प्रतिपादित किया ।
अपनी रचना अम्माँ में आप जहां कहते हैं –भले लगती भींगे नयन की कोर है अम्माँ , पर अपनी मुश्किलों के आगे पुरजोर है अम्माँ ।
वहीं अपनी रचना बाबूजी में यह कह कर कि – कुर्ता धोती गमछा टोपी सब दिख पाना मुश्किल था । पर बच्चों की फीस समय पर भरते आए बाबूजी के माध्यम से मध्यमवर्गीय परिवार में पिता कितनी जिम्मेदारियों को ओढ़ कर भी मुस्कुराते हुए परिवार को सीप में मोती की तरह सम्हालता है का सुंदर चित्रण किया।
अंत मे श्री अशेष श्रीवास्तव जी ने आभार प्रकट किया।
साभार – श्री प्रमोद तिवारी, भोपाल मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
साकव्य विकास मंच तर्फे आयोजित काव्य स्पर्धेमध्ये आपल्या समुहातील ज्येष्ठ साहित्यिका सौ.ज्योत्स्ना तानवडे यांनी सर्वोत्कृष्ट काव्य पुरस्कार प्राप्त केला आहे.
आजच्या अंकात वाचूया पुरस्कृत कविता — “बंध जिव्हाळ्याचे“
💐 सौ. ज्योत्स्ना तानवडे यांचे ई अभिव्यक्ती मराठी समुहातर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा 💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
अंतर्राष्ट्रीय समरस साहित्य संस्थान एवं जयपुर काव्य साधक की संयुक काव्य गोष्ठी सम्पन्न
विगत 10 जून 2023 को अंतर्राष्ट्रीय समरस साहित्य संस्थान एवं जयपुर काव्य साधक की संयुक काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई।
गंगापुर से पधारे वरिष्ठ साहित्य श्री गोपिनाथ “चर्चित” जी के मुख्य आतिथ्य एवं समरस संस्थान के अध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी की अध्यक्षता में काव्य साधक स्टूडियो में वैद्य भगवान सहाय पारीक जी की ढूँढाड़ी में सरस्वती वंदना के साथ प्रारम्भ हुई। डा. एन एल शर्मा में अवसरवादी नेताओं पर व्यंग्य रचना प्रस्तुत की। कवयित्री रंजीता जोशी ने माँ को समर्पित तो श्री अमित तिवारी “आजाद” ने पिता को समर्पित मार्मिक रचना पढ़ी – “पिता आसमान है जिनकी दुआओं से मेरा जहान है, उनके बिना अधूरी है जिंदगी”रचना पढ़ी।
संस्थान के उपाध्यक्ष राव शिवराजपाल सिंह जी ने महाराणा प्रताप पर रचना पढ़ते कहा कि अधिकांश युद्व जर, जोरू और जमीन के लिए होते हैं, किंतु प्रताप राष्ट्र की अस्मिता बचाने हेत जिंदगी भर लड़ते रहे और दुश्मन के आगे नहीं झुके।
अलवर से पधारे श्री मनोज दीक्षित “राज” ने सैनिकों के बलिदान पर ओजपूर्ण रचना सुनाते कहा कि “कफ़न हो सुर्ख तिरंगे का यही अरमान है उनका। दिल धड़कता,तन-मन समर्पित धरती माँ ही मान है उनका” सुना कर भाव-विभोर कर दिया। श्री मनीष मनु(अलवर) ने – पर्यावरण के संदर्भ में “जिंदगी कैसी बैरंग होती जा रही है” पढ़ी। श्री वैद्य भगवान सहाय पारीक ने – “भाग्यवान है वे जिन्हें, मिले पिता का प्यार” और “उल्टी सीख मानने वालों के उल्टे दिन आ जाते है” जैसी भावपुर्ण गीत रचना प्रस्तुत की।
गोष्ठी के सबसे कम उम्र के बाल कवि मास्टर मेहुल पारीक ने बहुत ही गंभीर रचना सागर से भी गहरा, परबत से भी ऊंचा सुनाकर पूत के पग पालने में ही दिख जाते हैं, सिद्ध कर दिया। अमित जी आजाद की रचना ने भी मुक्त कंठ से प्रशंसा बटोरी।
वरिष्ठ साहित्यकार श्री वरुण चतुर्वेदी जी ने मुक्तक, व्यंग्य और हास्य रचना से गोष्ठी में हास्य बिखेरा, उनकी एक प्रखर व्यंग्य रचना एक कुंवारा हिंदुस्तानी तिलचट्टा ने तो सबको हंसने पर मजबूर कर दिया। डॉ. निशा अग्रवाल ने – “दिल करता चंद सवाल मैं तुझ से कर लूं भारत माता, कहाँ गयी वह खुशबु मिट्टी की जिसमें महक थी, जिसमे चिड़िया की चहक थी। उठो जवानों वापिस लाओ इस मिट्टी की उसी महक को” सुनाकर तालियाँ बटोरी। वरिष्ठ साहित्यकार श्री किशोर परियक “किशोर” जी ने गंगा दशमी पर रचित – “माँ गंगा रोग-नाशिनी, पाप-नाशिनी और पुण्य-दायिनी है।” और महाराणा प्रताप पर लोकप्रिय लंबी रचना “अर्ध सत्य को पूर्ण सत्य में बदलने हेतु इतिहास पुनः लिखना होग “ सुनाकर सही इतिहास लिखकर मेवाड़ के सपूत के प्रति न्याय करने की पुरजोर मांग की। बालक मेहुल की बाल रचना और ढूँढाड़ी के इतिहास कला संस्था के संयोजक राकेश जैन की रचनाओं को सभी ने सराहा।
मुख्य अतिथि चर्चित जी ने श्लेष अलंकार, व्यंग्य रस और हास्य रस से सरोबार रचनाएँ प्रस्तुत की। अंत मे अध्यक्ष श्री लड़ीवाल ने गीत – “मंदिर,मस्जिद गिरिजाघर में, जिसे खोज कर हार गया। मन मंदिर के भीतर बैठा, खुद को खुद पर वार गया।।” और – “आज जगत को पल-पल हमने, रंग बदलते देखा है। नहीं रही बन्धुत्व भावना, सत्य सहमते देखा है।” सुनाई।
गोष्ठी का सफल संचालन समरस संस्थान की महासचिव डॉ निशा अग्रवाल द्वारा किया गया। अंत मे सभी उपस्थित कवियों के प्रति राजस्थानी काव्य के प्रभारी वैद्य भगवान सहाय पारीक ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
साभार – डॉ निशा अग्रवाल, जयपुर ,राजस्थान
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)
☆ साहित्यिक गोष्ठियों का सिलसिला ☆
साहित्यिक गोष्ठियों का अलग अलग शहरों में सिलसिला जारी है जिससे संवाद और विचार विमर्श होने से लेखक अपनी रचना को और खूबसूरत बना सकते हैं। ये गोष्ठियां अपने ही खर्च और कोशिश से की जाती हैं। मुझे हरियाणा में कैथल की साहित्य सभा की गोष्ठियों का सफर याद है जो चालीस वर्ष से ऊपर होने जा रहा है। जालंधर में पंकस अकादमी पिछले छब्बीस वर्ष से वार्षिक साहित्यिक समारोह व सम्मान देती आ रही है। इसी प्रकार गाजियाबाद में कथा रंग संस्था प्रतिमाह कथा गोष्ठी का आयोजन करती है तो इलाहाबाद में कहकशां भी ऐसे आयोजन करती रहती है। शिमला में हिमालय मंच और परिवर्तन संस्थायें सक्रिय हैं। पंचकूला के पास साहित्य संगम संस्था चल रही है। इस तरह अनेक शहरों में अनेक संस्थायें साहित्य को गोष्ठियों के माध्यम से आगे बढ़ा रही हैं ।
डाॅ अजय शर्मा की औपन्यासिक यात्रा :त्रिवेणी साहित्य अकादमी, जालंधर के तत्वावधान में डॉ अजय शर्मा के उपन्यास ‘शंख में समंदर‘ पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। डा. अजय शर्मा वर्तमान में पंजाब के ही नहीं भारत के प्रमुख उपन्यासकारों में से एक हैं। डॉ तरसेम गुजराल ने उनकी रचना प्रक्रिया पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी और उनकी औपन्यासिक यात्रा की यात्रा के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा, यह एक प्रयोगधर्मा उपन्यास है। प्रो. सरला भारद्वाज ने शिल्प विधा की मौजूदा स्थितियों की व्याख्या का उल्लेख करते हुए कहा, डा अजय ने इस उपन्यास में सभी विधाओं का प्रयोग करते हुए एक नई परंपरा को जन्म दिया है। डा विनोद शर्मा ने उपन्यास के नए कलेवर की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए उपन्यास पर चर्चा की। इस तरह की गोष्ठियों का आयोजन गीता डोगरा ने शुरू किया है। उन्होंने बताया कि डाॅ अजय शर्मा पंजाब के ऐसे साहित्यकार हैं जो देश, काल परिस्थिति के अनुरूप लिखते हैं। प्रो. बलवेन्द्र सिंह, प्रो. रमण शर्मा, रीतू कलसी , डाॅ कुलविंद्र कौर , कैलाश भारद्वाज और लुधियाना से आई सीमा भाटिया ने भी उपन्यास पर अपने विचार रखे ।
सृजन कुंज सेवा संस्थान : श्रीगंगानगर ( राजस्थान) में सन् 2014 से सृजन कुंज सेवा संस्थान सक्रिय है जो प्रतिमाह ‘लेखक से मिलिये’ कार्यक्रम का आयोजन करता है। अब तक इसके सौ से ऊपर आयोजन हो चुके हैं। इसके साथ ही साहित्य कुंज नाम से पत्रिका प्रकाशन भी किया जा रहा है। इसके संयोजक डाॅ कृष्ण कुमार आशु ने बताया कि प्रतिवर्ष विविध विधाओं में नौ पुरस्कार भी दिये जाते हैं। लेखक से मिलिये कार्यक्रम में किसी भी लेखक को रिपीट नहीं किया जाता। यह संस्था साहित्य की अनुपम सेवा कर रही है। इसके लिये डाॅ कृष्ण कुमार आशु को सलाम तो बनता है ।
साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी
(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय विभिन्न सम्मानों से सम्मानित – अभिनंदन ☆
रतनगढ़ (निप्र)। देवभूमि प्रयागराज में संपादक प्रवर अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी जयंतीके अवसर पर “साहित्य दीप सम्मान” नीमच जिले की प्रतिभा ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को प्रदान किया गया है।
इसी नगरी में पवन प्रभात साहित्य मंच द्वारा निर्लिप्त साहित्य साधना एवं हिंदी सेवा के लिए “साहित्य गौरव सम्मान” से आपको सम्मानित किया गया है।
वहीं तीसरा सम्मान 03 मई 2023 को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर “डॉ. श्रीप्रसाद स्मृति बाल साहित्य सम्मान” से आप को सम्मानित किया गया है। यह सम्मान- बच्चों! सुनो कहानी, पुस्तक पर दिया गया है। ज्ञात रहे की इस पुस्तक पर मध्यप्रदेश साहित्य अकादमी द्वारा श्री हरकृष्ण देवसरे बाल साहित्य सम्मान-2018, मध्यप्रदेश शासन द्वारा ₹51000 की पुरस्कार इसी वर्ष दिया जाना है।
देवभूमि प्रयागराज में एक साथ तीन सम्मान प्राप्त होना वास्तव में गौरव की बात है।
बालसाहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यों के लिए पंडित हरप्रसाद पाठक बाल साहित्यश्री सम्मान प्रति वर्ष दिया जाता है। देशभर से पधारे एवं आमंत्रित किए हुए रचनाकार साथियों की उपस्थिति में गोकुल नगरी मथुरा में आयोजित होने वाले गरिमामय कार्यक्रम में शाल, श्रीफल, सम्मानपत्र, नगद राशि के साथ प्रदान किया जाता है। यह पुरस्कार बाल साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट व उल्लेखनीय कार्य करने पर दिया जाता है। इस वर्ष 2023 का पंडित हरप्रसाद पाठक बाल साहित्यश्री सम्मान नीमच जिले के ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को आपकी पुस्तक – रोचक विज्ञान कथाएँ, प्रकाश अनुभव भारत सरकार द्वारा प्रकाशित पुस्तक पर प्रदान किया जाएगा है। आपकी यह पुस्तक सन 2022 में प्रकाशित हुई थी।
💐 ई- अभिव्यक्ति परिवार की और से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को उनकी उपरोक्त उपलब्धियों के लिए हार्दिक बधाई 💐
– श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
पाथेय संस्था की आयोजना – डॉ.राजकुमार सुमित्र की दो कृतियों का विमोचन
सार्थक सृजन से मिलती है समाज को प्रेरणा
जबलपुर। डॉ.राजकुमार सुमित्र की कविताऐं मुक्त भावधारा की होते हुए भी छंद के सौंदर्य से रची बसी हैं। आस पास के वातावरण के साथ व्यक्ति के मन की विविधताओं से जुड़ी इन कविताओं का प्रभाव मन को गहरे तक स्पंदित करते हुए सोचने को विवश करता है। ऐसा सृजन जो पाठकों की विचारशीलता को नई दृष्टि प्रदान करे वही सार्थक सृजन होता है। तदाशय के उद्गार कला,साहित्य, संस्कृति को समर्पित पाथेय संस्था के तत्वावधान में कला वीथिका में आयोजित डॉ. सुमित्र की दो कृतियां ‘शब्द अब नहीं रहे शब्द’ एवं ‘आदमी तोता नहीं’ के विमोचन अवसर पर अतिथियों ने व्यक्त किए। समारोह की अध्यक्षता प्रतिष्ठित महाकवि आचार्य भगवत दुबे ने की। मुख्य अतिथि भाजपा नगर अध्यक्ष, पूर्व महापौर प्रभात साहू थे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार संजीव वर्मा सलिल एवं अर्चना मलैया रहीं। जिन्होंने कृतियों पर प्रेरक एवं सार्थक समीक्षा की।
प्रारंभ में आयोजन संयोजक राजेश पाठक प्रवीण ने डॉक्टर सुमित्र के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला सरस्वती वंदना सुश्रीअस्मिता शैली ने प्रस्तुत की। अतिथि स्वागत डॉ.मोहिनी तिवारी, राकेश श्रीवास, डॉ.हर्ष तिवारी, यशोवर्धन पाठक, राजीव गुप्ता ने किया। इस अवसर पर वर्तिका से विजय नेमा अनुज, अमरेंद्र नारायण, अनेकांत से राजेंद्र मिश्रा, डॉ.संध्या जैन श्रुति, आशुतोष तिवारी, हिंदी सेवा समिति से डॉ. सलमा जमाल, मनीषा गौतम, त्रिवेणी परिषद से साधना उपाध्याय, अलका मधुसूदन, चंद्रप्रकाश वेश, बुंदेली संस्कृति परिषद से प्रभा विश्वकर्मा, गुप्तेश्वर गुप्त, गीत पराग डॉ. गीता गीत, से प्रयाग से सशक्त हस्ताक्षर से गणेश प्यासा पाथेय से एच. बी.पालन, डॉ. सुरेन्द्रलाल साहू, डॉ.छाया सिंह, अनिता श्रीवास्तव, आलोक पाठक ने प्रथक-प्रथक मांनपत्र देकर डॉ. सुमित्र को सम्मानित किया। वक्ताओं ने कहा कि काव्य की अनुभूति मंत्र जैसी होती है। मंत्र की जो शक्ति है वैसी ही शक्ति काव्य में होती है। डॉ. सुमित्र ने समसामयिक घटनाओं पर कविताओं के माध्यम से मन की सुप्त चेतना को जागृत किया है। उनका सृजन पीढ़ियों के लिए दिशा बोधक है।
आयोजन की विशेषता रही कि रचनाकार ने दर्शक दीर्घा में उपस्थित होकर अपनी कविताओं के संदर्भ में सुना। समारोह में डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, डॉ. सलपनाथ यादव, डॉ.अरुण शुक्ल, सुरेश विचित्र, राघुवीर अम्बर, प्रतिमा अखिलेश, अर्चना द्विवेदी, चंदादेवी स्वर्णकार, एम. एल. बहोरिया, कालिदास ताम्रकार, प्रवीण मिश्रा, अनिमेष शुक्ला, मृदुला दीवान, दीनदयाल तिवारी निरंजन द्विवेदी भी उपस्थित थे।
साभार – डॉ हर्ष तिवारी
जबलपुर, मध्यप्रदेश
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈