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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)
तुलसी साहित्य अकादमी – डॉक्टर शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ को प्रथम उस्ताद शंकर लाल पटवा स्मृति सम्मान – अभिनंदन
तुलसी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में साहित्य जगत की विभूति डॉक्टर देवेंद्र दीपक के कर कमलों द्वारा उस्ताद शंकर लाल पटवा स्मृति प्रथम सम्मान लखनऊ के डॉक्टर शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ को प्रदान किया गया।
डॉक्टर आनंद मोहन ‘आनंद’ द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर संचालित तुलसी साहित्य अकादमी का सम्मान समारोह विगत दिवस गांधी भवन में आयोजित किया गया। जिसमें डॉक्टर आनंद की सहमति से स्थापित प्रथम उस्ताद शंकर लाल पटवा सम्मान लखनऊ के डॉक्टर शिव मंगल सिंह ‘मंगल’ कोप्रदान किया गया।
साहित्य सम्मान स्थापना पूर्वजों की स्मृति को अक्षुण्य बनाने और साहित्य सेवा में योगदान का एक पुनीत कर्तव्य है। इस अवसर पर मुझे भी साहित्यकारों को सम्बोधित करने का अवसर मिला। किसी भी राष्ट्र हेतु साहित्य सेवा सर्वोपरि धर्म है। साहित्य की ताक़त साहित्य और सत्ता के शाश्वत संघर्ष बात से पता चलती है। जिसमें साहित्य कालजयी रूप से विजयी होता है। उदाहरण के लिए तुलसी दास जी को लिया जा सकता है। उनका जन्म 1511 को हुआ था और उन्होंने 111 वर्ष की आयु प्राप्त कर 1623 को देह त्यागी थी। उस काल अवधि में अकबर 1526 से 1605 और जहांगीर 1605 से 1627 तक भारत के सर्व शक्तिमान बादशाह रहे।
आधुनिक युग में गीता प्रेस गोरखपुर रामचरितमानस की एक करोड़ से अधिक प्रतियाँ एक वर्ष में विश्व व भर के श्रद्धालुओं को विक्रय करता है। भारत के प्रायः प्रत्येक हिंदू घर में रामचरितमानस उपलब्ध है। उसी अवधि में लिखित किताबों आइने अकबरी या जहांगीर नामा पुस्तकों का लोगों ने नाम तो सुना होगा परंतु बहुत ही कम लोगों ने किताबें देखी होंगी। रामचरितमानस के साहित्यिक मूल्य भारतीय जीवन के आधार स्तम्भ हैं। आइने अकबरी या जहांगीर नामा के राजनीतिक सिद्धांत इतिहास के विषय तो हैं परंतु उनकी आज के जीवन में कोई उपयोगिता नहीं रह गई है। यह साहित्य के कालजयी सामर्थ की उपलब्धि है।
हम यदि साहित्य सम्मान स्थापित करते हैं तो देश के साहित्य यज्ञ में हवि देते हैं। इसी धारणा से उस्ताद शंकर लाल सम्मान तुलसी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में पिताजी की स्मृति में स्थापित किया गया है। डॉक्टर मोहन तिवारी ‘आनंद’ जी को साधुवाद।
साभार – श्री सुरेश पटवा
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈