🙏 💐 वरिष्ठ कथाकार डॉ. कुँवर प्रेमिल जी अनंत में विलीन – विनम्र श्रद्धांजलि 💐🙏
जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर के वरिष्ठतम साहित्यकार डॉ कुंवर प्रेमिल जी, विगत 50 वर्षों से अधिक समय से लघुकथा, कहानी, व्यंग्य में लेखन। क्षितिज लघुकथा रत्न सम्मान 2023 से सम्मानित। 500 से अधिक लघुकथाएं रचित एवं बारह पुस्तकें प्रकाशित। 2009 से प्रतिनिधि लघुकथाएं (वार्षिक) का सम्पादन एवं ककुभ पत्रिका प्रकाशितऔर संपादित । लघु कथा को लेकर कई प्रयोग किये। आपकी लघुकथा ‘पूर्वाभ्यास’ को उत्तर महाराष्ट्र विश्वविद्यालय, जलगांव के द्वितीय वर्ष स्नातक पाठ्यक्रम सत्र 2019-20 में सम्मिलित। वरिष्ठतम साहित्यकारों की पीढ़ी ने उम्र के इस पड़ाव पर आने तक जीवन की कई सामाजिक समस्याओं से स्वयं की पीढ़ी एवं आने वाली पीढ़ियों को बचाकर वर्तमान तक का लम्बा सफर तय किया है, जो कदाचित उनकी रचनाओं में झलकता है। हम लोग इस पीढ़ी का आशीर्वाद पाकर कृतज्ञ हैं। उनसे मेरी अंतिम आत्मीय भेंट उनके घर पर आदरणीय श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के साथ हुई थी। उनकी स्मृति और अक्सर फोन पर आत्मीय बातचीत भूल पाना असंभव है।
प्रतिष्ठित कथाकार/लघुकथाकार डॉ. कुँवर प्रेमिलजी का दिनांक 05 सितंबर 2024 को रात्रि 9.30 बजे निधन हो गया।
(डॉ कुँवर प्रेमिल जी द्वारा अंतिम प्रेषित उनकी स्वर्गीय धर्मपत्नी जी को समर्पित दो लघुकथाएं ((1) पानी कठौता भर लेई आवा (2) पत्नी के गुजर जाने के बाद .)जिन्हें वे उनकी धर्मपत्नि जी की तेरहवीं पर प्रकाशित करना चाहते थे, उन्हें ई-अभिव्यक्ति में 27 अगस्त 2024 को सादर प्रकाशित की गईं। आज हम उनकी उपरोक्त लघुकथाएं आपके लिए पुनः प्रकाशित कर रहे हैं। 🙏)
– हेमन्त बावनकर, पुणे
जबलपुर के श्री अशोक श्रीवास्तव जी के शब्दों में
जबलपुर के एकमात्र लघुकथा को लिखने पढ़ने ओढ़ने बिछाने वाले, लघुकथा अभिव्यक्ति के आधार स्तम्भ, प्रतिनिधि लघुकथाओं के सर्जक, सम्पादक, ककुभ लघुकथा के संपादक, आज पंच तत्वों में विलीन हो गए।
जिंदगी कितनी भी लंबी क्यों न हो, लेकिन मौत एक पल में उसे लघुकथा बना देती है, हैं को थे में बदलकर।
कुंवर प्रेमिल जी एक व्यक्तित्व ही नही लघुकथा की एक संस्था ही थे। लघुकथा के लिए उनका योगदान, समर्पण किसी पूजा से कम नहीं था।
उनका पत्नी के विछोह के दुख में 20 दिनों के भीतर ही चले जाना उनके गहरे प्रेम और संवेदना का उदाहरण बन गया है।
भगवान से यही प्रार्थना है कि उनकी आत्मा को अपनी शरण में ले और बेटे बेटी और नाती पोतों को लगातार दादी दादा, नानी नाना आशा जी और कुँवर प्रेमिल जी (कुंवरपाल सिंह भाटी जी) के विछोह के आघात को सहने की क्षमता प्रदान करें।
मेरे पास सांत्वना देने के लिए कोई शब्द नहीं मिल पा रहे हैं, शब्द मौन हो चुके हैं प्रेमिल जी।
🙏 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से डॉ कुँवर प्रेमिल जी को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
🌸 हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय, पुणे को पी.एच.डी. अनुसंधान केंद्र के लिए मान्यता 🌸
मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे के हिंदी विभाग में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय की ओर से पीएच.डी. अनुसंधान केंद्र के लिए मान्यता प्राप्त हुई है । अतः शैक्षिक वर्ष 2024 -25 से हिंदी विभाग में छात्र पीएच.डी. हेतु प्रवेश ले सकते हैं।
मॉडर्न महाविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना सन 1970 में हुई तथा 2005 से हिंदी विषय विशेष रूप में पढ़ाया जाता है l एम ए. हिंदी साहित्य के साथ ही यहाँ विदेशी छात्रों के लिए हिंदी भाषा प्रशिक्षण पाठ्यक्रम मौजूद है l हिंदी विभाग अपने विभिन्न शैक्षिक उपक्रमों तथा पाठ्यक्रमों में आधुनिक काल के अनुसार प्रासंगिक और नए बदलावों के कारण हमेशा चर्चित रहा है l मॉडर्न महाविद्यालय के मुख्य ग्रंथालय में 9000 से अधिक हिंदी की पुस्तकों का संचय होने के साथ-साथ हिंदी विभाग का 5000 हजार से अधिक हिंदी संदर्भ पुस्तकों का स्वतंत्र ग्रंथालय है और आधुनिक हिंदी भाषा प्रयोगशाला भी मौजूद है जिसमें चार लाख से अधिक डिजिटल पुस्तकें, संगणक, रेकॉर्डर, अन्य सामग्री भी उपलब्ध करायी गई हैं, जो पीएच.डी. के छात्रों के लिए अत्यंत उपयुक्त सिद्ध होंगी l नई शिक्षा नीति के अंतर्गत जो परिवर्तन भाषाओं के विकास हेतु सुझाए गए हैं वे स्वायत्तता के अंतर्गत हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय पिछले छह वर्षों से ही कर रहा है l अतः इंटर्नशिप, फील्ड वर्क, प्रॅक्टिकल परीक्षाओं की विज्ञान शाखा के समान पद्धति हिंदी विभाग ने महाविद्यालय के स्वायत्त होने पर 2017 से ही अपनाई है l डॉ. प्रेरणा उबाळे के निर्देशन में हिंदी विभाग के छात्रों के द्वारा सहयोगात्मक शिक्षा के अंतर्गत निर्मित परियोजना कार्य की प्रस्तुति 2019 में तैवान में सहयोगात्मक शिक्षा विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में हुई थी l
हिंदी विभागप्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे ने पीएच.डी. अनुसंधान केंद्र की मान्यता पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि “हिंदी विभाग छात्रों के लिए हिंदी भाषा और साहित्य के संदर्भ में विशेष सुविधाएँ देने में निरंतर प्रयत्नशील रहा है l इस दृष्टि से अब हिंदी के लिए पीएच.डी. अनुसंधान केंद्र की मान्यता प्राप्त होने के कारण हिंदी विभाग के माध्यम से ग्यारहवीं कक्षा से लेकर पीएच.डी. तक हिंदी विषय का अध्ययन छात्रों के लिए सहज रूप में एक ही स्थान पर मॉडर्न महाविद्यालय, छत्रपति शिवाजीनगर, पुणे में उपलब्ध होगा l इसका श्रेय उन्होंने प्रोग्रेसिव एज्युकेशन सोसायटी के अध्यक्ष आदरणीय प्रो. डॉ. गजानन एकबोटे, सहकार्यवाह आदरणीय डॉ. ज्योत्स्ना एकबोटे, सचिव आदरणीय प्रा. शामकांत देशमुख और प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव तथा मॉडर्न महाविद्यालय के प्रशासन को प्रदान किया l उनकी अध्ययन- अध्यापन और शिक्षा क्षेत्र के प्रति दूरदृष्टि के कारण हिंदी विभाग अपनी उन्नति के पथ पर अग्रसर हो रहा है l
साभार – डॉ. प्रेरणा उबाळे
अध्यक्ष, हिंदी विभाग
संपर्क – मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे ०५ मो – 7028525378 /
(आपके आत्मीय स्नेहनुसार अंतिम तिथि 30 सितंबर 2024 को शाम 7 बजे तक)
भारत में दीपावली नए पंचांग, घर बाहर साफ सफाई, भांति-भांति के व्यंजन, रंगोली, उत्सव के लिए जानी जाती है। परिवारजन इस अवसर पर देश-विदेश से घर आते हैं।
साहित्य में पत्र-पत्रिकाएं दीपावली विशेषांक प्रकाशित करते हैं।
ई-अभिव्यक्ति मे हम पिछली दो दीपावली पर विशेषांक प्रकाशित कर चुके हैं, जिनकी चर्चा वैश्विक स्तर पर हुई।
आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है ई-अभिव्यक्ति – दीपावली अंक 2023
प्रत्येक साहित्यकार का स्वप्न होता है कि उनका सर्वश्रेष्ठ साहित्य, दीपावली विशेषांक में प्रकाशित हो और प्रबुद्ध पाठक भी दिवाली के अंक का बेसब्री से इंतजार करते हैं।
सुधि पाठक दीपावली अंक संदर्भ के लिए संजो कर रखते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ई-अभिव्यक्ति ने इस वर्ष भी ऐसे ही स्तरीय दीपावली विशेषांक के प्रकाशन का निर्णय लिया है।
साहित्यकारों से अनुरोध है कि वे अपनी सर्वश्रेष्ठ अप्रकाशित रचनाएं इस विशेषांक हेतु प्रेषित कर इस साहित्यिक कार्य को सफल बनाने में सहयोग प्रदान करें:
साहित्यिक सामग्री भेजते समय कृपया निम्नलिखित नियमों को ध्यान में रखें:
दिवाली अंक ई-बुक फॉर्मेट में प्रकाशित किया जाएगा।
किसी एक साहित्यिक विधा की केवल एक रचना भेजी जाये ताकि अधिक से अधिक साहित्यकारों को अवसर दिया जा सके।
साहित्यिक विधाओं में कथा-कहानी, कविता, व्यंग्य, लघुकथा, ललित लेख, साहित्यिक समीक्षा स्वीकार की जावेगी।
कविता में अधिकतम 20 पंक्तियां होनी चाहिए। अन्य सभी साहित्यिक विधाओं में साहित्य अधिकतम 1500 शब्दों तक होना चाहिए। सभी सामग्री वर्ड फॉर्मेट में या श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के व्हाट्स एप्प 7000375798 पर अथवा ईमेल [email protected] पर प्रेषित कीजिये। सब्जेक्ट लाइन में दीपावली विशेषांक लिखा जाना चाहिए।
साहित्य मौलिक और अप्रकाशित होना चाहिए. यह भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए कि सामग्री को दिवाली के अंक के लिए भेजा जा रहा है।
संपादक मण्डल का निर्णय अंतिम होगा।
तकनीकी कारणों से दिवाली के अंक में शामिल नहीं किए गए स्तरीय साहित्य को ई-अभिव्यक्ति के दैनिक अंक में लिया जाएगा।
30 सितंबर 2024 को शाम 7 बजे तक अपनी सामग्री हमें भेजें। कृपया ध्यान दें कि उसके बाद प्राप्त साहित्य को दिवाली के अंक में लेना संभव नहीं होगा।
यह सेवा नि:शुल्क है. साहित्यकार को कोई मानदेय नहीं दिया जा सकेगा।
अनुरोध है कि प्रकाशनार्थ साहित्य धार्मिक, राजनीतिक या किसी अन्य विवादास्पद विषय से संबन्धित नहीं होना चाहिए तथा सामाजिक समरसता भंग न हो, इसका ध्यान रखा जाए।
आप इस निवेदन की जानकारी अन्य साहित्यकारों और समूहों को भेज सकते हैं।
आइए सभी के सहयोग से सामाजिक समरसता और स्तरीय साहित्य को साझा कर दीपावली की खुशियों को दुगुना कर दें।
ई-अभिव्यक्ति – संपादक मंडल
संपादक – श्री हेमन्त बावनकर
संपादक हिन्दी – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव, श्री जय प्रकाश पाण्डेय,संपादक अंग्रेजी – कैप्टन प्रवीण रघुवंशी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर / संपादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव, भोपाल / श्री जय प्रकाश पाण्डेय, जबलपुर / संपादक (अंग्रेजी) कैप्टन प्रवीण रघुवंशी≈
आनंददायी श्रावणमास आला आला म्हणता म्हणता सृष्टीला भरपूर पावसाची भेट देऊन परतूनही गेला. आता लवकरच बाप्पा वाजतगाजत येतील आणि जल्लोषाची .. उत्साहाची आणि आशीर्वादांचीही बरसात करून जातील…. मग येईल प्रसन्न आणि प्रफुल्लित वातावरणाची शिंपण करणारा शारदोत्सव …. … आणि नकळत चाहूल लागेल दीपोत्सवाची ! वर्षभर वाट पाहायला लावणारा …. मुक्तहस्ते तेजाची उधळण करणारा दीपोत्सव …… दिवाळी.
दिवाळी ! अंधारातून प्रकाशाकडे जाण्यास प्रवृत्त करणारे प्रकाशपर्व ! सुगंधी उटणे, अभ्यंगस्नान, सर्व आप्तेष्टांच्या संपू नयेत असं वाटणाऱ्या भेटीगाठी, फराळाने भरलेली ताटे… आनंद आणि फक्त आनंदच. आणि या आनंदात स्वीट-डिश प्रमाणे हवीहवीशी भर घालणारे.. एकूणच दिवाळीच्या या आनंदात मोलाची भर घालणारे साहित्य-समृद्ध दिवाळी अंक.
आपला ई अभिव्यक्ती परिवारही या आनंदात मौलिक भर घालायला सज्ज आहेच. तर मग लागा तयारीला. … तुमच्या उत्तमोत्तम ‘ अक्षर कलाकृती ‘ पाठवा आमच्याकडे आणि सगळे मिळून सजवू या ई-अभिव्यक्तीचा “ दिवाळी विशेषांक. २०२४ ”. या विशेषांकासाठी उत्तम लेख, कथा, कविता, रसग्रहण, पुस्तक परिचय, मनमंजुषा, इंद्रधनुष्य, चित्रकाव्य, प्रतिमेच्या पलीकडले…. यातल्या कुठल्याही एका सदरासाठी आपलं उत्तमोत्तम साहित्य पाठवा…. फक्त वेळेत पाठवा.
यावर्षी कुठल्याही सदरासाठीचे साहित्य पाठवायचं आहे फक्त संपादिका मंजुषा मुळे यांच्याकडे. ( मोबा. नं. ९८२२८४६७६२ )महत्त्वाचे म्हणजे प्रत्येकाने कोणत्याही एकाच साहित्य प्रकारासाठी साहित्य पाठवावे, आणि ते पाठवतांना ‘ दिवाळी अंकासाठी साहित्य ’ असा उल्लेख आवर्जून करायला विसरु नये. तसेच आपल्या साहित्याखाली स्वतःचे नाव आणि मोबाईल नंबर आठवणीने लिहावा. सर्व प्रकारच्या गद्य लेखनासाठी शब्द मर्यादा आहे २००० शब्दांची…. केवळ २००० शब्द.
दिवाळी अंकासाठी साहित्य पाठवण्याची अंतिम तारीख आहे दि.२८ सप्टेंबर २०२४.या तारखेनंतर आलेले साहित्य या अंकासाठी स्वीकारले जाणार नाही याची सर्वांनी निश्चित नोंद घ्यावी. अर्थात उशिरा आलेले किंवा पृष्ठ-मर्यादेमुळे नाईलाजाने दिवाळी अंकासाठी स्वीकारता न आलेले साहित्य आपल्या दैनंदिन अंकात खात्रीने प्रकाशित केले जाईल हे निश्चितपणे लक्षात असू द्यावे.
वाट पाहात आहोत आपल्या दर्जेदार साहित्याची … फक्त दि. २८ सप्टेंबर २०२४ पर्यंतच.त्यामुळे त्वरा करा. चला, सणांच्या सोहळ्यांबरोबरच आपण साजरा करू हा ‘ अक्षर सोहळा ‘ही … या दिवाळी अंकाच्या रुपानं !
लक्षात असू द्या —कोणत्याही स्वरूपातले प्रत्येकी एकच साहित्य …आणि तेही २८ सप्टेंबरपर्यंतच ! पाठवायचे फक्त मंजुषा मुळे यांच्या व्हाट्सअप वर …. मोबा. नं. ९८२२८४६७६२ यावर.🙏
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ बालसाहित्य समागम समारोह राजसमंद में सम्पन्न – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ और डॉ राकेश चक्र भी सम्मानित – अभिनंदन ☆
देशभर के बालसाहित्यकारों के साथ श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ और डॉ राकेश चक्र भी सम्मानित।
अणुव्रत विश्व भारती समिति राजसमंद और बच्चों की प्रसिद्ध पत्रिका- बच्चों के देश, राष्ट्रीय मासिक के रजत जयंती समारोह के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय बालसाहित्य समागम समारोह राजसमंद में समापन हुआ। जिसमें देश भर से पधारे हुए लब्धप्रतिष्ठित और ख्याति प्राप्त 130 से अधिक बालसाहित्यकारों ने भाग लिया। जिन्होंने 15 से अधिक सत्रों में 45 घंटे से अधिक की समयावधि में बालसाहित्य की दशा-दिशा और बालकों में बढ़ते हुए मोबाइल से उपजे एकांकीप्रेम, साहित्य से बढ़ती दूरी, पत्रपत्रिकाओ में रुचि के कम होने और बढ़ते हुए मोबाइल प्रेम को लेकर विचार-विमर्श और मंथन किया। बच्चों की मूलभूत प्रवृत्तियों को किस तरह विकसित किया जाए कि जिससे की उनका संपूर्ण शारीरिक, मानसिक के साथसाथ बौद्धिक विकास हो सके? इसी पर देशभर से पधारे हुए बालसाहित्यकारों ने बच्चों के बीच रहकर इसको जानने, समझने और दूर करने का प्रयास किया।
इसी कड़ी में 31 विभिन्न विद्यालयों में 16500 से अधिक बच्चों के बीच जाकर बालसाहित्यकारों ने इस प्रक्रिया को संपन्न करके जानने-समझने की कोशिश की। जिसमें उन्होंने बच्चों की स्वाभाविक प्रवृत्तियों को विकसित करने के साथ, उनकी मूल प्रवृत्तियों को विकसित करने के लिए विभिन्न गतिविधियां जैसे कहानी-कविता-एकांकी लेखन आदि विभिन्न प्रक्रिया द्वारा उनको जानने समझने और उनकी प्रवृत्तियों को विकसित करने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया।
श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’
इसी कड़ी में श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ने राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश स्कूल राजनगर में 550 बच्चों से अधिक के बीच रहकर कहानी, कहानी कहने की विधि, कहानी की प्रक्रिया और कहानी लेखन के गुरु सिखाते हुए बच्चों से संवाद करते हुए उन्हें इस तरह प्रेरित किया कि वह स्वयं आकर विभिन्न तरह की कहानी सुनाने लगे। इस प्रक्रिया में उनका साथ प्रसिद्ध बालसाहित्यकार कुसुम रानी नैथानी ने भी सहभागिता कीं। इस गतिविधि में स्कूल का समस्त शिक्षक स्टाफ और कोऑर्डिनेटर जगदीश जी बैरवा भी सम्मिलित रहे हैं।
डॉ राकेश चक्र
डॉ राकेश चक्र को सविता इंटरनेशनल स्कूल में बच्चों के बीच जाने का अवसर मिला। बच्चों को उन्होने पुस्तकें भेंट कीं।
इस गतिविधि के अंतिम सत्र में जिसका विषय था कि एक सफल बालसाहित्यकार होने के मायने में मंचस्थ अतिथि के रूप में बोलते हुए ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि एक सफल बाल साहित्यकार वही होता है जो बच्चों की मनोवृतियों को जाने, उनकी रुचि के अनुसार लिखें और उस लिखे हुए में इतनी जिज्ञासा भर दें कि जब बालपाठक एक बार रचना पढ़ने के बाद उस रचना को अंत तक पढ़ता चला जाए। वही सफल बालसाहित्यकार है।
अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी राजसमंद की पत्रिका ‘बच्चों का देश’ राष्ट्रीय बाल मासिक के रजत जयंती अवसर पर राजसमंद के चिल्ड्रन्स पीस पैलेस में आयोजित इस सम्मान कार्यक्रम के दौरान सोसायटी के अध्यक्ष अविनाश नाहर, महामंत्री भीखम सुराणा, भूतपूर्व ओएसडी तथा प्रसिद्ध साहित्यकार फारुख अफरीदी के साथ, बच्चों की पत्रिका के संपादक संचय जैन सहित अतिथियों ने प्रसिद्ध बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश’, डॉ। राकेश चक्र और विशिष्ट बाल साहित्यकारों का उत्कृष्ट लेखकीय योगदान के लिए सम्मानित किया।
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी और डॉ राकेश चक्र जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
सांगली जिल्हा नगरवाचनालयातर्फे ‘उत्कृष्ट कथालेखनासाठी‘ दिला जाणारा “श्री. दा. पानवलकर स्मृती पुरस्कार“ आपल्या समूहातील सुप्रसिद्ध ज्येष्ठ लेखक श्री. आनंदहरी यांना नुकताच प्रदान करण्यात आला आहे. त्याबद्दल श्री. आनंदहरी यांचे आपल्या सर्वांतर्फे मनःपूर्वक अभिनंदन. आणि पुढील अशाच यशस्वी आणि बहारदार साहित्यिक वाटचालीसाठी असंख्य हार्दिक शुभेच्छा.
आजच्या अंकात वाचूया त्यांची एक सुरेख कथा… प्रश्न ???
संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ हिन्दी शिक्षक-प्रचारक सम्मेलन पुणे में सम्पन्न ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज ☆
महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा प्रचार समिति द्वारा आयोजित एक दिवसीय हिन्दी शिक्षक-प्रचारक सम्मेलन रविवार 18 अगस्त को पुणे में सम्पन्न हुआ।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए समिति के वयोवृद्ध संचालक श्री ज.गं. फगरे ने हिन्दी के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभी से हिन्दी में हस्ताक्षर करने का संकल्प लेने का भी आह्वान किया।
सम्मेलन के संयोजक श्री संजय भारद्वाज जी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी की आवश्यकता और महत्व को प्रतिपादित किया। उन्होंने कहा कि किसी भूभाग के नागरिकों की भाषा का नष्ट होना, वहाँ की सभ्यता और संस्कृति का नष्ट होना है। उन्होंने शिक्षकों से मानक वर्तनी एवं व्याकरण के विभिन्न पक्षों की भी चर्चा की। साथ ही जीवन के हर क्षेत्र में हिंदी और भारतीय भाषाओं के प्रयोग पर बल दिया।
सोलापुर ज़िला समिति के अध्यक्ष डॉ. बंडोपंत पाटील ने संस्था की परीक्षाओं और उनकी सरकारी मान्यता पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने समिति की परीक्षाओं के आयोजन की प्रक्रिया से उपस्थितों का अवगत कराया।
कोल्हापुर ज़िला समिति के अध्यक्ष श्री प्रकाश सुतार ने नए परीक्षा केंद्र आरंभ करने में आने वाली कठिनाइयों और उनके समाधान की चर्चा की।
इस एक दिवसीय सम्मेलन का संचालन डॉ. निर्मला राजपूत और स्नेहसुधा सुश्री कुलकर्णी ने किया। सुश्री उर्मिला पवार ने आभार प्रदर्शन किया। आयोजन में बड़ी संख्या में शिक्षक और प्रचारक उपस्थित थे।
इस सम्मेलन के लिए समिति के वरिष्ठ सदस्यों श्री संजय लेले, श्री मधुमिलिंद मेहेंदले ने मार्गदर्शन किया। सुश्री विनया जोशी, सुश्री संगीता वालूसकर, श्री प्रताप गोखले, श्री अजय वाणी, श्री विजय सप्तर्षी आदि ने विशेष परिश्रम किया।
साभार – श्री संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय, एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय ☆संपादक– हम लोग ☆पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
☆ प्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित स्वतन्त्रता दिवस 🇮🇳 समारोह में सहभागिता – बाम्बेर्ग, जर्मनी ☆ प्रस्तुती – हेमन्त बावनकर ☆
स्वतन्त्रता दिवस का राष्ट्रीय पर्व विदेश में बसे हम प्रवासी भारतीयों को अपनी पुरानी यादों से रूबरू तो कराता ही है साथ ही आपस में जोड़ने का कार्य भी करता है। हम लोग इस महत्वपूर्ण दिन की वर्ष भर प्रतीक्षा करते हैं। ध्वजारोहण करते हैं और साथ में मिल बैठ कर जीवन की खुशियाँ साझा करते हैं। ये विचार हैं, जर्मनी के छोटे से शहर बाम्बेर्ग में स्थित Café Zafran – Indisches Restaurant के मालिक फरहान शेख जी के। जाफरान रेस्तरां के प्रांगण में चार मित्र (फरहान शेख (छतरपुर मध्यप्रदेश), श्री जयदीप तिवारी (जबलपुर, मध्यप्रदेश), श्री आयुष श्रीवास्तव (सतना, मध्यप्रदेश) और श्री सुदीप मोहराना (भुवनेश्वर, उड़ीसा)) 2019 से लगातार स्वतन्त्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते आए हैं। इस वर्ष संयोग से मेरा बाम्बेर्ग जाना हुआ और वरिष्ठ होने के कारण मुझे ध्वजारोहण करने का यह सम्मान प्राप्त हुआ। इस अवसर पर बाम्बेर्ग शहर के कई प्रवासी परिवार उपस्थित थे।
यह स्मृति मेरे साथ आजीवन रहेगी और इसके लिए मैं इन चारों मित्रों का हृदय से आभारी हूँ। यह हमारी पीढ़ी के लिए गर्व की बात है कि हमारी अगली पीढ़ी विदेश में रहकर भी इस परंपरा को आगे बढ़ा रही है।
💐 ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से सभी प्रवासी भारतीयों को स्वतन्त्रता दिवस की अशेष हार्दिक शुभकामनाएं 💐
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ डॉ कुंदन सिंह परिहार का व्यंग्य संकलन ‘मर्ज लाइलाज’ लोकार्पित – डॉ कुंदन सिंह और श्री रमाकांत ताम्रकार जी सम्मानित ☆
माध्यम साहित्यिक संस्थान, जबालि व्यंग्यम एवं गुंजन के संयुक्त तत्वावधान में जय नगर, जबलपुर स्थित पाण्डेय निवास में व्यंग्य पाठ गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें डॉ कुंदन सिंह परिहार के नये प्रकाशित व्यंग्य संकलन‘मर्ज लाइलाज’ का विमोचन किया गया। इस अवसर पर नगर के व्यंग्यकारों ने डॉ परिहार जी को मिले भवभूति अलंकरण पर खुशी जाहिर करते हुए उनका शाल श्रीफल से सम्मान किया।
हम सबके बीच के व्यंग्यकार श्री रमाकांत ताम्रकार जी को भी विगत दिवस लोकमत समाचार समूह द्वारा भव्य आयोजन में सम्मानित किया गया था। इस पर भी खुशी जाहिर करते हुए सभी व्यंंग्यकारों ने उन्हें भी शाल श्रीफल से सम्मानित किया गया।
इसके बाद श्री ओ पी सैनी, श्री अभिमन्यु जैन, श्री यशोवर्धन पाठक, श्री सुरेश मिश्र विचित्र, रमाकांत ताम्रकार,जय प्रकाश पाण्डेय, डॉ विजय तिवारी किसलय, डॉ कुंदन सिंह परिहार ने व्यंग्य पाठ किया।
कार्यक्रम का संचालन श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी ने और आभार प्रदर्शन श्री यशोवर्धन पाठक जी ने किया।
साभार – श्री जय प्रकाश पाण्डेय – 416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002 मोबाइल 9977318765
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
☆ डॉ सुरेश कान्त अट्टहास शिखर सम्मान से सम्मानित ☆ साभार – सुश्री शिल्पा श्रीवास्तव ☆
☆ अट्टहास सम्मान “व्यंग्य का मानक बना”- डॉ अशोक चक्रधर ☆
नई दिल्ली, अट्टहास सम्मान व्यंग्य का मानक बन गया है, अट्टहास का शिखर सम्मान और युवा सम्मान व्यंग्य के क्षेत्र में दिये जाने वाले सम्मानों में “आईएसआई” के मानक सरीखा है। इसे देश भर के व्यंग्य से जुड़े साहित्यकारों ने न केवल हाथों हाथ लिया और सम्मानित व्यंग्यकारों ने अपने बायोडेटा में सम्मान स्थान दिया है।
यह उद्गार माध्य्म साहित्यिक संस्थान के हिंदी भवन (दिल्ली)में आयोजित 33 वें अट्टहास सम्मान समारोह में पद्मश्री डॉ अशोक चक्रधर, डॉ हरि जोशी, कथाकार बलराम, आलोक पुराणिक और सुभाष चन्दर ने व्यक्त किये
माध्यम साहित्यिक संस्थान, लखनऊ एवं युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच, दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बहु प्रतीक्षित 33 वाँ अट्टहास सम्मान समारोह सम्पन्न हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष इंजीनियर कप्तान सिंह ने की। मंचस्थ अतिथियों के स्वागत एवं उनके द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के बाद माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंह ने संस्था की ओर से सभी आमंत्रित अतिथियों, सदस्यों एवं सम्मानित होने वाले साहित्यकारों का अभिनन्दन किया।
श्री अलंकार रस्तोगी
माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंहअध्यक्षता एवं माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्तव के सानिध्य में देश के कोने -कोने से आये साहित्यकारों, साहित्य प्रेमियों और व्यंग्य पाठकों से खचाखच भरे सभागार में मुख्य अतिथि पद्म डॉ.अशोक चक्रधर तथा प्रमुख अतिथि व्यंग्यकार डॉ हरि जोशी, ख्यात लेखक / उपन्यासकार / कथाकार बलराम, सुभाष चंदर के अतिरिक्त वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ.आलोक पुराणिक ने वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेश कांत को शाल/माला तथा इक्कीस हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर ‘अट्टहास शिखर सम्मान‘ से सम्मानित किया। तत्पश्चात लखनऊ के व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी को शाल/माला तथा पांच हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर ‘अट्टहास युवा रचनाकार सम्मान’ से नवाजा गया।
सम्मानों की इस श्रंखला में वरिष्ठ व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय को शाल/माला तथा ग्यारह हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर हरिशंकर परसाई सम्मान’ से सम्मानित किया गया। तत्पश्चात प्रख्यात कवयित्री -डॉ कीर्ति काले को सुश्री प्रमिला भारती की ओर से ‘वाणी वाग्धारा सम्मान’ एक पौशाक तथा ग्यारह हज़ार की पुरस्कार राशि देकर अलंकृत किया गया। आगरा के प्रसिद्ध उपन्यास कार और इतिहास विद राजगोपाल सिंह वर्मा को डॉ हरिवंश राय बच्चन सम्मान (पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये) से, जम्मू कश्मीर के चर्चित व्यंग्य कार केवल कुमार’केवल’ को डॉ शिव मंगल सिंह सुमन सम्मान (पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये) से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध कवि और गजलकार सत्येंद्र रघुवंशी के अकस्मात अस्पताल में भर्ती हो जाने से “विद्या निवास मिश्र सम्मान”अट्टहास पत्रिका की सम्पादक शिल्पा श्रीवास्तवा ने ग्रहण किया। शरद जोशी सम्मान से अलंकृत किये जाने वाले भोपाल के व्यंग्य लेखक मुकेश नेमा और जबलपुर के जय प्रकाश पांडे का वाग्धारा सम्मान उनके ग्रह जनपद में जाकर देने की घोषणा की गई।
माध्य्म की ओर से, श्रीअरुण अर्णव खरे (कर्नाटक), डॉ प्रमिला भारती (दिल्ली), डॉ आभा सिंह (महाराष्ट्र), भारती पाठक (अयोध्या), मधु श्रीवास्तव(कानपुर), राजेश कुमार सिंह (लखनऊ), ओम प्रकाश शुक्ल (दिल्ली), संजय कुमार गिरी (दिल्ली), अभिलाषा (नोएडा) को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए ‘वाग्धारा सम्मान’ से अलंकृत किया गया।
इस बार अट्टहास सम्मान समारोह में लाइफ टाइम अचीव मेन्ट सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी भटनागर और प्रो प्रदीप माथुर को भी करतल ध्वनि के बीच सम्मानित किया गया। उन्हें उनकी सुदीर्घ साहित्यिक /पत्रकारिता सेवाओं के लिए ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड’ प्रदान किया गया।
इस अवसर पर माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्त्तव को विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा कवयित्री पूनम झा (दिल्ली) ने शाल और उपहार देकर सम्मानित किया।
अट्टहास के प्रबंध संपादक अनूप श्रीवास्तव, संपादिका शिल्पा श्रीवास्तव एवं कार्यकारी संपादक रामकिशोर उपाध्याय की गरिमामयी उपस्थिति में मासिक व्यंग्य पत्रिका ‘अट्टहास’ के पच्चीसवें वर्ष के पहले अंक, रामकिशोर उपाध्याय के व्यंग्य संग्रह ‘दस हाथ वाला आदमी’, अलंकार रस्तोगी के व्यंग्य संग्रह – घातक कथाएं, डॉ आभा सिंह के व्यंग्य संग्रह – ‘टूटी टांग’ तथा केवल कुमार ‘केवल’ के व्यंग्य कविता संग्रह –‘पूँछ’ का भव्य लोकार्पण हुआ।
इस अवसर पर रायपुर, छत्तीसगढ़ से पधारे कार्टूनिस्ट सागर कुमार ने अनूप श्रीवास्तव, कप्तान सिंह, डॉ हरि जोशी, अशोक चक्रधर, रामकिशोर उपाध्याय, डॉ कीर्ति काले, अलोक पुराणिक, सुभाष चंदर, भारती पाठक तथा अश्विनी कुमार के शानदार कैरीकेचर भेंट किये। डॉ कीर्ति काले ने काव्य पाठ किया।
अट्टहास शिखर सम्मान प्राप्त करने के बाद अत्यंत भावुक सुरेश कान्त ने कुछ अधिक न बोलते हुए अट्टहास पत्रिका एवं चयन कर्ताओं का आभार व्यक्त कर अपना स्थान ग्रहण कर लिया। अलंकार रस्तोगी ने कहा कि यह सम्मान प्राप्त करके उन्हें बहुत ख़ुशी हो रही है। यह उनका चौदह वर्ष पुराना सपना था जो आज साकार हो गया है। सम्मान की सार्थकता तभी है जब लेखक लेखन के प्रति अपने दायित्व को समझे।
रामकिशोर उपाध्याय ने कहा कि आज मुझे हरिशंकर परसाई सम्मान ग्रहण करते हुए आनंद के साथ गर्व की अनुभूति हो रही है कि पुरस्कार के लिए मेरा नाम हिंदी व्यंग्य के पुरोधा और व्यंग्य लेखन की प्रेरणा स्रोत हरिशंकर परसाई के साथ जुड़ गया है। मैं इसके लिये अनूप श्रीवास्तव एवं समस्त चयनकर्ताओं का हार्दिक आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। व्यंग्य लेखन के विषय में हरिशंकर परसाई के कथन “जो क़ौमें भूखे मारे जाने पर सिनेमा में जाकर बैठ जाए, वह अपने दिन कैसे बदलेगी ” को रेखांकित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि क्या हम हरिशंकर परसाई जैसा ऐसा लिख रहे है ? उन्होंने अट्टहास पत्रिका के समक्ष आर्थिक चुनौतियों का भी जिक्र कर सभी से इसके निरंतर प्रकाशन हेतु सहयोग की अपील भी की।
मुख्य अतिथि अशोक चक्रधर ने अपने चिर परिचित संबोधन में कहा कि सर्वप्रथम मंच संचालकों का नाम लेना चाहिए जो इतना बढ़िया सञ्चालन कर रहे हैं। अट्टहास सम्मान एवं अन्य सम्मान प्राप्त करने वाले लेखकों को बधाई देते हुएउन्होंने कहा कि माध्यम साहित्यिक संस्थान सम्मान देने में साहित्यकारों के साथ कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है। सभी पुरस्कार-ग्रहीताओं को एक प्रकार का शाल और अन्य सामग्री प्रदान की गई, यह इस बात का परिचायक है। उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मानित लेखकों को बंद लिफाफे की गई सम्मान की धन राशि के विषय में उन्होंने कहा कि न तो संस्था दरिद्र है और न ही हमारी भाषा हिंदी दरिद्र है। यदि पुरस्कार की राशि कम हो भी जाए तब भी अट्टहास सम्मान के स्तर में कोई कमी नहीं आएगी। यही अट्टहास सम्मान की विशेषता है जो अनूप श्रीवास्तव की असंदिग्ध लगन और तप का परिणाम है। उन्होंने सम्मान के लिए जो मानक तय किए हैं उनसे लेखक ही सम्मानित नहीं होते हैं बल्कि पुरस्कार प्रदाता भी सम्मानित होते हैं। लोकार्पित पुस्तकों के विषय में भी उन्होंने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनायें प्रदान की।
विशिष्ट अतिथि डॉ हरि जोशी ने अंगेजी साहित्यकार बायरन की निम्नांकित पक्तियों —I should write, I would publish right or wrong /But culprit are …., Satire are my song. का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यंग्यकार को अपने लेखन में ‘कल्प्रिट’ को ढूँढना चाहिए। उसके लिए यदि व्यंग्य लेखक को जोखिम भी उठाना पड़े तो वह भी उठाना चाहिए। इतने वर्षों तक इन लेखकों ने श्रम किया तब आज पुरस्कार मिला। निश्चित ही ये सभी लेखक बधाई के पात्र है। उन्होंने सम्मानित होने वाले लेखकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। वे अपना करीकेचर बनाने वाले कार्टूनिस्ट सागर कुमार का धन्यवाद करना भी नहीं भूले।
अट्टहास सम्मान प्राप्त करने पर सुरेश कान्त, अलंकार रस्तोगी को बधाई देते हुए प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य लेखक सुभाष चंदर ने कहा कि ‘ब से बैंक’ उपन्यास से लेकर सुरेश कान्त ने व्यंग्य में बहुत काम किया है। कई अख़बारों और पत्रिकाओं में आपके लेख छप चुके हैं।अलंकार रस्तोगी के विषय में उन्होंने कहा कि उन्हें मॉडलिंग में जाना चाहिए था, लेकिन पत्नी ने नहीं जाने दिया। यदि वहां चले भी जाते तो व्यंग्य लेखन जितना बढिया कार्य ही करते। दस /बारह वर्ष पूर्व जब उनकी पहली पुस्तक का विमोचन करने गया था तब उन्हें एक सलाह दी थी कि खूब पढ़े तब लिखे। यही सलाह आज के युवा लेखकों को देना नहीं भूलता हूँ। उन्होंने ही निश्चित ही सलाह पर अमल किया है तभी उन्हें अट्टहास का यह अति महत्वपूर्ण सम्मान मिला।
वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ आलोक पुराणिक ने सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को बधाई देते हुए बताया कि गत दिनों वह एक सम्मान समारोह में गए थे जहाँ 178 लोगों को सम्मानित किया गया। आयोजकों ने बताया कि यहाँ उपस्थित सभी 176 साहित्यकारों के अतिरिक्त एक चाय वाला और एक समोसे वाले को भी सम्मानित किया है। आयोजकों ने यह भी कहा – ‘ आप कहो तो आपको भी सम्मानित किया जा सकता है, ’ कहकर उन्होंने इस तरह के सम्मान आयोजनोँ पर चुटकी लीं। लेकिन अट्टहास सम्मान की बात बिलकुल अलग है। ‘अट्टहास सम्मान वास्तव ISI मार्क सरीखे खरे हैं, ’ कहकर अपनी बात समाप्त की।
संस्था के महासचिव अनूप श्रीवास्तव ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब वह अस्सी वर्ष से अधिक आयु को प्राप्त कर चुके हैं। अतः इस पत्रिका को संभालने के लिए लोग आगे आये ताकि यह निरंतर चलती रहे
समारोह की अध्यक्षता कर रहे कप्तान सिंह ने कहा -‘जिन विद्वानों को आज पुरस्कृत किया गया है उन्हें मैं बधाई देता हूँ कि उन्होंने उत्कृष्ट सृजन किया है जिसके लिए हमारी इस संस्था ने आज उन्हें सम्मानित किया है। मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूँ। साहित्यकार की समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती है। जब-जब समाज में विकृति आती है तब-तब साहित्यकार उसे बताने का कार्य करता है। साहित्यकार को जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए। व्यंग्य जीवन में चेतना लाता है। मैंने देश में काफी भ्रमण किया है लेकिन देश में स्थिति आज भी ठीक नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन के लिए आप जैसे विद्वान लिखेंगे तो उसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा। ’ अंत में सभी आमंत्रित अतिथियों और अन्य सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के कोषाध्यक्ष हीरा लाल का जन्मदिन केक काटकर मनाया गया। चार घंटे तक चले इस सम्मान समारोह का मंच -संचालन माध्यम साहित्यिक संस्थान के उपाध्यक्ष आलोक शुक्ल और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने संयुक्त रूप से। किया।