☆ राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा – मानवता के हित में सकारात्मक सन्देश ☆ डॉ आर के पालीवाल, डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’, डॉ राजेश पाठक ‘प्रवीण’, सुश्री प्रभा सोनवणे ☆

राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा  – मानवता के हित में सकारात्मक सन्देश

(ई- अभिव्यक्ति सम्पूर्ण विश्व में विश्वयुद्ध से भी भयावह इस दौर में ईश्वर से मानवीय संवेदनाओं एवं मानवता की रक्षा की कामना करता है। बस पहल आपको करनी है। )

 

यह साहस और रौशनी दिखाने का समय है

लेखक का काम रोशनी दिखाना होता है न कि डर बढ़ाना या निराशा फैलाना। यह दहशत फैलाने का समय नहीं है बल्कि, साहस, संयम और धैर्य के साथ मजबूती से खड़े होकर एहतियात बरतने का समय है।

ऐसे समय में लेखन और पत्रकारिता की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है।

 

कोरोना से बचाव के पांच सुझाव :

(यह एक बायालोजिस्ट के नाते दे रहा हूं)

सोशल डिस्टेंसिंग तो सबसे कारगर उपाय है ही, इसके साथ निम्न उपाय भी बहुत महत्वपूर्ण हैं ….

  1. डर, क्रोध, नकारात्मक सोच और स्ट्रैस हमारे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर करते हैं और सकारात्मकता एवं हल्का फुल्का हास्य एवम मन पसन्द काम (पढ़ना, लिखना, बागवानी आदि) हमारी इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और स्वस्थ एवं सुरक्षित रखते हैं।
  2. थोड़ी देर धूप में रहना, कपड़ों को धूप देना बहुत लाभकारी है
  3. स्वास्थ्यवर्धक ताजा पका सात्विक भोजन बीमारी को दूर रखता है।
  4. अच्छी नींद और दोपहर भोजन के बाद आराम जरूर कीजिए
  5. कुछ दिन के लिए कोरोना के डरावने टी वी समाचारों, व्हाटसएप मेसेज और नकारात्मक फेसबुक पोस्ट से दूर रहें।

यह पांच सूत्रीय फार्मूला लाक डाउन में स्वस्थ और प्रसन्न रहने का आजमाया हुआ नुस्खा है। इसमें आयुर्वेद एवम बायलॉजी का ज्ञान और ख़ाकसार का अनुभव शामिल है

इसका कोई कापी राइट नहीं है। जो चाहे कापी पेस्ट कर सकता है।

 डॉ आर  के पालीवाल 

 

अभावों व कठिनाईयों का दृढ़ इच्छाशक्ति से सामना करना होगा

मैं हिन्दी साहित्य संगम, विसुधा सेवा समिति एवं पाथेय संस्था की ओर से आप सभी को कोविड-19 अर्थात कोरोना वायरस बीमारी-2019 के संदर्भ में अवगत कराना चाहता हूँ कि इस विश्वव्यापी महामारी के प्रकोपकाल में जब इस बीमारी का निरोधक टीका अभी तक नहीं बना है, न ही इसका समुचित इलाज सुगम हुआ है, तब इन विषम परिस्थितियों में इससे बचाव के दृष्टिगत हमारा सबसे सामाजिक दूरी बनाए रखना ही श्रेष्ठ एवं सुरक्षित उपाय है। हमें थोड़े या बड़े अभावों व कठिनाईयों का दृढ़ इच्छाशक्ति से सामना करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं शासन-प्रशासन के निर्देशों का पालन करना हमारा नैतिक दायित्व है। हमारे सहयोगी रवैये के चलते निश्चित रूप से हम कोरोना वायरस की बीमारी पर नियंत्रण पा सकेंगे। उम्मीद है, हम स्वस्फूर्त भाव से इन बातों पर अमल करेंगे।

सबके स्वस्थ रहने की कामना सहित।

  – डॉ विजय तिवारी किसलय‘, जबलपुर 

 

राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा

मानव सभ्यता के इतिहास में आज वक़्त के इस पड़ाव पर हम ‘विजय’ और ‘पराजय’ के बीच मे खड़े हैं. हमारी थोड़ी सी कोताही ‘दुर्भाग्य’ में बदल सकती है. इतने विशाल राष्ट्र को ‘लॉक-डाउन’ करना प्रधानमंत्री जी का बहुत बड़ा निर्णय है. प्रधानमंत्री जी ने हाथ जोड़कर निवेदन किया है, इसे मान लेना ही देशहित में है. यह सच है कि राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा की इस कठिन घड़ी में वक़्त एक तरह से ठहर सा गया है. इस विकसित सभ्यता के इतिहास में इसके पहले आदमी इस कदर लाचार कब हुआ था, पता नहीं. शायद प्रकृति आज हम इंसानों की परीक्षा ले रही है और कह रही है कि- “सुनो, मेरे ख़िलाफ़ हर साजिश का हिसाब, हर इंसान को करना होगा.”

ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब दुनिया एक ‘ग्लोबल विलेज’ बन गयी है, इसमें हम सबके सुख ही नहीं बल्कि हम सबके दुःख भी एक हो गए हैं. बेशक हम सबके लिए ये दिन कठिन परीक्षा के दिन हैं. वैश्विक संकट संसार की सभ्यताओं के परीक्षण का एक प्रयोजन भी होता है. मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत और हम भारत के लोग इस आपदा पर ऐतिहासिक जीत हासिल करेंगें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आज जो कहा है वह सब उन्होंने देश और दुनिया के Epidemiologists, Virologists, Scientists के द्वारा सुझाए गए सुझावों के आधार पर कहा है. इसलिए हमें उनके दिशा-निर्देशों को बस मानते जाना है.

यह संघर्ष प्रकृति की दो सफ़ल species का संघर्ष है और हम सर्वाधिक सफ़ल species थे और रहेंगे. अकाल और महामारी इस देश की सामूहिक-स्मृति के लिए कोई नई बात नहीं है, हालाँकि यह जरूर है कि इस बार चुनौती बहुत बड़ी है. हमने ‘Small pox’ जैसे जानलेवा वायरस को हराया है जिसमें भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई थी. ‘पोलियो’ और ‘प्लेग’ को हराया है, ‘स्वाइन फ्लू’ को भी नियंत्रित किया है. हमारी यह पावन भारत भूमि युद्धों से भले ही परेशान रही हो, मानवीय उत्पातों ने भले ही इसे रक्त रंजित किया हो, लेकिन प्रकृति की सर्वाधिक चहेती भूमि भी यही रही है, जहाँ समुद्र है तो रेगिस्तान भी है, जहाँ जंगल हैं तो हिमाच्छादित विशाल पर्वत भी हैं. तभी हर रंग, रूप, संस्कृति और भौगोलिक क्षेत्र के करोड़ों लोग हज़ारों वर्षों से यहाँ रहकर इसे सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व का देश बनाते हैं. भारत की गौरवशाली संस्कृति में रचे-बसे हम लोग अपने भोजन में कुछ ऐसी औषधियों का उपयोग करते आए हैं, जो हमारी इम्युनिटी को बढ़ाती हैं. हम लोग हज़ारों सालों से हाथ मिलाने के बजाय ‘नमस्ते’ कर रहे हैं, पशुओं की पूजा कर रहे हैं, शाकाहारी भोजन कर रहे हैं और घर में प्रवेश करने के बाद नियमित हाथ-पैर धोते हैं. भारत की रक्षा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कर रही है और इसका मूल हमारी जीवन-शैली में है और यह वही जीवन-शैली है, जिसे अस्वच्छ मानकर पश्चिम एक लम्बे अर्से से हमारा उपहास उड़ाता रहा है. हम भोजन में भरपूर हल्दी लेने वाले लोग हैं इसलिए हम इतनी जल्दी बीमार नहीं पड़ते. हम भारत के लोग अक्सर बिना किसी ग्लानि और लज्जा के कहते हैं कि यह देश तो भगवान भरोसे चल रहा है- “जेहि विधि राखे राम…”. इस भाव के पीछे हमारा आशय यह होता है कि प्रकृति की स्वयं की जो चैतन्य-मेधा है, भारत की गति-मति उसके अनुरूप है. इस सच से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता कि भोजन और भजन का जीवन में बड़ा महात्म्य है. जो तामसी और विषाक्त भोजन नहीं करेगा, आहार में औषध के तत्वों का सम्यक निर्वाह करेगा और जीवन के उपादानों, देवताओं और मातृभूमि के प्रति परम्परा से ही धन्यभाव रखेगा, वह प्राकृत-चेतना के प्रकोप का भाजन नहीं बनेगा. और फिर अगर सर्वनाश में सच्चरित्र का भी अवसान होना ही विधि के विधान में लिखा है तो कम से कम वह अपने साथ प्रारब्ध की गठरी लेकर नहीं जाएगा. मुझे भरोसा है कि हम इस वैश्विक त्रासदी पर जल्द ही विजय प्राप्त करेंगें. इस आश्वस्ति के मूल में परम्परा से संचित कर्म और संस्कार का चिंतन समाया हुआ है.

“जो जहाँ हैं वहीं ठहर जाइए,

वक़्त माकूल नहीं है सफर के लिए.”

  – डॉ राजेश पाठक प्रवीण ‘, सनाढ्य संगम, जबलपुर

 

जान है तो जहां है

चीन मध्ये निर्माण झालेल्या कोरोना नावाच्या विषाणू ची सगळ्या जगात दहशत निर्माण झाली आहे. या विषाणू ची बाधा म्हणजे “महामारी” असे दृश्य दिसतेय, पूर्वी “करोना” नावाची एक शूज कंपनी होती, या कंपनीची चप्पल वापरल्याचेही मला स्मरते आहे..आज एक मजेशीर विचार मनात आला, हा “क्राऊन” च्या  आकाराचा विषाणू विधात्या च्या पायताणाखाली चिरडला जावा.हीच प्रार्थना!

या आपत्तीमुळे संपूर्ण मानवजात हादरली आहे.योग्य काळजी तर आपण घेतच आहोत, घरात रहातोय, घरातली सर्व कामं स्वतः करतोय, कौटुंबिक सलोखा राखतोय, प्रत्येकाला ही जाणीव आहेच, “जान है तो जहां है।”

 सुश्री प्रभा सोनवणे, पुणे  

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सूचना/Information ☆ जनता कर्फ्यू : एक वैज्ञानिक और नायाब कदम : हम चलेंगे दो कदम – श्री राकेश कुमार पालीवाल ☆

सूचना/Information 

(मानवता के हित में  श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से पेज साभार)

श्री राकेश कुमार पालीवाल

☆ जनता कर्फ्यू : एक वैज्ञानिक और नायाब कदम : हम चलेंगे दो कदम ☆

(ई- अभिव्यक्ति सम्पूर्ण विश्व में विश्वयुद्ध से भी भयावह इस दौर में ईश्वर से मानवीय संवेदनाओं एवं मानवता की रक्षा की कामना करता है। बस पहल आपको करनी है। )

प्रधान मंत्री जी ने टी वी पर आने से पहले अपनी टीम से काफी विचार विमर्श किया होगा। उसी के बाद उन्होंने रविवार की छुट्टी के दिन जनता कर्फ्यू का नायाब तरीका चुना है।

इसे आप वैज्ञानिक दृष्टि से देखिए। रविवार की छुट्टी के दिन 14 घंटे का बन्द वायरस के फैलने की चेन की काफी हद तक कमर तोड़ सकता है और हम इटली और स्पेन बनने से बच सकते हैं जिन्होंने रविवार की छुट्टी में सार्वजनिक स्थलों पर मटर गस्ती करके इसे पूरे देश में फैला दिया था।

इसका दूसरा लाभ यह मिलेगा कि हम एक देश के रूप में किसी भी आपदा का सामना करने के लिए तैयार दिखेंगे और जरूरत पड़ी तो ऐसे कर्फ्यू कुछ और दिन ज्यादा देर के लिए लागू कर कोरोना को पूरी तरह अलविदा कह देंगे।

जनता कर्फ्यू से कोई नुकसान नहीं है। फिर भी यदि सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना करना ही यदि हमारा धर्म है तो हमारी नकारात्मकता को कोई कम नहीं कर सकता।

हमने तो एक कदम आगे बढ़कर शनिवार की छुट्टी को भी जनता कर्फ्यू में शामिल कर दो दिन घर में रहने का मन बना लिया है। अपने आफिस के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से भी यही अपील की है कि जब तक बहुत जरूरी नहीं हो घर से बाहर नहीं निकलें।

जैसे बूंद बूंद से समुद्र बनता है वैसे ही एक एक व्यक्ति के घर में रुकने से सड़क, बाज़ार और शहर की भीड़ कम होगी। आज यही हमारे और देश के हित में है।

आमीन।

 (मानवता के हित में  श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से पेज साभार)

(आप सब से करबद्ध प्रार्थना है इस  वैज्ञानिक और नायाब कदम पर सबके साथ चलिए और  प्रण लीजिये – हम चलेंगे दो कदम)

 

 

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सूचनाएँ/Information ☆ विश्ववाणी हिंदी संस्थान एवं लघुकथा शोध केंद्र जबलपुर का संयुक्त आयोजन ☆

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ विश्ववाणी हिंदी संस्थान एवं लघुकथा शोध केंद्र जबलपुर का संयुक्त आयोजन ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

जबलपुर संभाग आरंभ से लघुकथा का गढ़ रहा है। कुँवर प्रेमिल और मैंने बहुत सी सामग्री उपलब्ध करा दी है। दिवंगत लघुकथाकारों और जिनके संकलन नहीं हैं, ऐसे लघुकथाकारों की लघुकथाएँ तुरंत  संरक्षित की जाना आवश्यक है। मैं “जबलपुर में लघुकथा” शीर्षक से संकलन तैयार कर रहा हूँ। सभी से अनुरोध है कि अपने परिचित लघुकथाकारों के नाम, पते, चलभाष क्रमांक, चित्र व लघुकथाएँ मुझे वाट्सएप क्रमांक ९४२५१८३२४४ या ईमेल [email protected] पर अविलंब भेजें। पूर्व प्रकाशित लघुकथाओं के साथ पत्रिका का नाम, वर्ष, माह तथा संपादक का संपर्क भेजें। सभी सहयोगियों का नामोल्लेख संकलन में किया जाएगा।

अन्य स्थानों से लघुकथाएँ और जानकारी भेजें। ऐसे संग्रह हर स्थान के लिए तैयार किये जा रहे हैं।

आमंत्रण

लघुकथाकार अपना परिचय (नाम, जन्म तिथि, माता-पिता-जीवनसाथी, शिक्षा, प्रकाशित एकल पुस्तकें, स्थायी पता, दूरभाष/चलभाष, ईमेल आदि) तथा ५ मौलिक लघुकथाएँ, मौलिकता प्रमाणपत्र सहित [email protected] पर ईमेल करें।

जिलेवार/विषयवार लघुकथाकारों की जानकारी सूचीबद्ध की जाना है। अन्य दिवंगत तथा समकालिक लघुकथाकारों की जानकारी एकत्र कर भेजें।

 

आचार्य संजीव वर्मा “सलिल”

संयोजक विश्ववाणी हिंदी संस्थान

संरक्षक लघुकथा शोध केंद्र जबलपुर

(ईकाई लघुकथा शोधकेंद्र भोपाल)

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सूचनाएँ/Information ☆ लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल एवं विश्व वाणी हिंदी संस्थान, जबलपुर द्वारा लघु कथा गोष्ठी आयोजित ☆

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल एवं विश्व वाणी हिंदी संस्थान, जबलपुर द्वारा लघु कथा गोष्ठी आयोजित☆

जबलपुर, १४-३-२०१६।  विश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान के ४०१ विजय अपार्टमेंट जबलपुर स्थित मुख्यालय में ख्यात छंद शास्त्री आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी की अध्यक्षता में देश की जानी-मानी लघुकथाकार आदरणीया सुश्री कांता राय जी के मुख्य आतिथ्य में लघु कथा गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कांता जी ने लघुकथा शोध केंद्र भोपाल के गठन व् गतिविधियों की जानकारी दी। लघुकथा विधा को आगे ले जाने के लिए लगातार लघुकथा गोष्ठियों की आवश्यकता पर बल दिया । कम शब्दों में अपनी बात कह सकने की क्षमता रखने वाली लघुकथा आज के  जीवन में एक बहुत सार्थक विधा के रूप में साहित्य  के एक  विशेष अंग के रूप में उभरकर कर हमारे सामने है। कांता  जी ने जबलपुर में लघुकथा शोध संस्थान भोपाल की ईकाई स्थापित करने की घोषणा करते हुए आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ को संरक्षक, पवन जैन-मधु जैन को संयोजक तथा विश्ववाणी हिंदी संस्थान – अभियान को सहयोगी संस्था घोषित किया।
सलिल जी ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर के उद्देश्यों और कार्यक्रमों से अवगत कराया तथा कुछ लघुकथा में संक्षिप्तता, सारगर्भितता, व्यंजनात्मता, मार्मिकता आदि को आवश्यक बताते हुए उदाहरण प्रस्तुत किये। लघुकथा के उद्भव, विधान, विकास यात्रा, मध्य प्रदेश और जबलपुर के अवदान आदि पर विस्तृत चर्चा हुई।
सर्व आदरणीय सुरेश कुशवाहा तन्मय, मीना भट्ट, पुरुषोत्तम भट्ट, डॉ. कामना श्रीवास्तव, पवन जैन, मधु जैन, प्रभात दुबे, अर्चना राय, श्री राय, छाया सक्सेना, छाया त्रिवेदी, विनीता श्रीवास्तव, डॉ. भावना दीक्षित, मिथिलेश बड़गैंया, डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, सुरेंद्र सिंह पवार, रमाशंकर खरे आदि ने विमर्श में सार्थक सहभागिता की। सभी उपस्थित लघुकथाकारों की लघुकथाओं पर  वाचन पश्चात चर्चा की गयी।
विवरण:  सुश्री छाया सक्सेना, मुख्यालय सचिव

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सूचनाएँ/Information ☆ पाथेय की आयोजना – अलंकरण सम्मान/कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा ‘तारिका’ की काव्य कृति “सत्व” विमोचित ☆

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ पाथेय की आयोजना – अलंकरण सम्मान / कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा ‘ तारिका ‘ की काव्य कृति “सत्व” विमोचित  ☆

पाथेय संस्था द्वारा गुरुवार 12 मार्च 2020 को अलंकरण एवं कृति विमोचन अवसर पर “वर्तिका साहित्यिक संस्था” जबलपुर को सम्मानित  किया।

मुख्य अतिथि – महामहोपाध्याय डॉ हरिशंकर दुबे, अध्यक्ष – डॉ राजकुमार सुमित्र, वरिष्ठ पत्रकार, विशष्ट अतिथि – श्री बसंत शर्मा, सीनियर डी सी एम, रेलवे, श्रीमती गीता शरत तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी, श्रीमती पलक तिवारी गायकवाड़ आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

इस अवसर पर डॉ हरिशंकर दुबे जी को जीवनश्री अलंकरण सम्मान से अलंकृत किया गया। कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा “तारिका” की काव्य कृति “सत्व” का विमोचन संपन्न हुआ।

श्री विजय नेमा अनुज, विवेक रंजन श्रीवास्तव, विजय तिवारी ,राजेश पाठक प्रवीण,सुशील श्रीवास्तव, राजेन्द्र मिश्र,मनोज शुक्ल, इन्द्रबहादुर श्रीवास्तव, दीपक तिवारी, सन्तोष नेमा, गणेश श्रीवास्तव , श्रीमती सलमा जमाल, प्रभा विश्वकर्मा, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, रत्ना ओझा आदि संस्था के सभी सदस्य इस अवसर पर मंच पर उपस्थित रहे।

पाथेय संस्था को संस्था के संयोजक विजय नेमा अनुज ने ऐसे प्रशंसनीय कार्य के लिये साधुवाद एवं बधाई दी।

प्रस्तुति – श्री विजय नेमा ‘अनुज’ 

ई-अभिव्यक्ति द्वारा  पाथेय एवं वर्तिका को हार्दिक बधाई।

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सूचनाएँ/Information ☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘पाथेय’ एवं ‘वर्तिका’ का संयुक्त आयोजन सम्पन्न ☆

सूचनाएँ/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘पाथेय’ एवं ‘वर्तिका’ महिला प्रकोष्ठ का संयुक्त आयोजन सम्पन्न ☆

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाथेय संस्था एवं वर्तिका महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन कला वीथिका में किया गया। काव्य गोष्ठी में 30 से अधिक महिला रचनाकारों ने नारी उत्थान से संदर्भित मनभावन कविताओं को प्रस्तुत कर समाज को जागरण का संदेश   यह आयोजन पाथेय संस्था द्वारा नगर के 8 युवा कलाकारों की चित्रकला प्रदर्शनी के समापन किया गया। इस अवसर  पर प्रदर्शनी के निर्देशक कलाकार प्रमोद कुशवाहा के साथ 8  युवा कलाकारों को  सम्मानित किया गया।

यह सम्मान वर्तिका एवं पाथेय से विजय नेमा अनुज, राजेश पाठक ‘प्रवीण’,  दीपक तिवारी, छाया त्रिवेदी, मीना भट्ट, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, राजलक्ष्मी शिवहरे ने प्रदान किया। इस अवसर पर  रचनाकारों एवं अतिथियों के साथ विशिष्टजनों को भी  भव्य पेंटिंग प्रदान करके सम्मानित किया गया। लगभग 50  से अधिक पेंटिंग्स प्रदान की गईं।

ई-अभिव्यक्ति द्वारा  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर  पाथेय एवं वर्तिका को इस आयोजन के लिए हार्दिक बधाई।

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सूचनाएँ/Information – ☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति – श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

☆ जनार्दन राय नागर विद्यापीठ उदयपुर में दो दिवसीय राष्ट्रीय बाल साहित्य संगोष्ठी संपन्न ☆

अच्छा साहित्य वही है जो संस्कारों का निर्माण करता है— कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत

बालसाहित्य जिस के लिखे लिए लिखा जा रहा है उस तक पहुंचना चाहिए–ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’

श्री जनार्दनराय नागर, राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के संघटक साहित्य संस्थान तथा राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी— ‘बाल साहित्य एवं समकालीन हिंदी’ का समापन 16 फरवरी को हुआ. इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता करते हुए बाल साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश “ने कहा है कि-  “बाल साहित्य की उपादेयता बालकों के लिए है। जो बाल साहित्य लिखा जा रहा है वह बालको तक नहीं पहुंच पा रहा है. वह बालकों तक पहुंचे. यह हमारी पहली प्राथमिकता होना चाहिए.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोलते हुए मुख्य अतिथि विज्ञान लेखक देवेंद्र मेवाड़ा जी ने कहा है कि- “आज विज्ञान को साहित्य से जोड़ने की जरूरत है. आप ने पुराण, भागवत गीता, महाभारत रामायण, वेद आदि के उदाहरण दे कर इस बात को पूरे विस्तार से प्रस्तुत किया है.”

वही कार्यक्रम के उद्धाटन के अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रोफेसर शिवसिंह सारंगदेवोत ने कहा है कि- “किसी भी सभ्यता के लिए हमारे जीवन मूल्य ही विशिष्ट होते हैं. आज हमें बच्चों को जीवन मूल्य से जोड़ने की आवश्यकता है.” वहीं विशिष्ट अतिथि बाल वाटिका के संपादक डॉ भेरुलाल गर्ग ने बाल साहित्य विमर्श पर जोर देते हुए कहा है कि- “बाल साहित्य वह है जो बच्चों के मन से कचरे को बाहर निकालकर उसे सुसंस्कार प्रदान करें.”

बाल साहित्य और समकालीन हिन्दी— विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 5 सत्रों में किया गया. जिस में अनेक शोध पत्रों का वाचन हुआ. इन पर साहित्यकारों ने विमर्श प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता बाल साहित्यकार श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश और शिक्षाविद् डॉ चेतना उपाध्याय ने कीं. इस सत्र में बालसाहित्याकार क्षत्रिय ने बाल साहित्य की पहुंच बच्चों तक कैसे पहुंचे, इस पर जोर दिया. वही डॉ.उपाध्याय का कहना था कि- “बच्चों को आज के संदर्भ में रोचक ढंग से उन के पास सामग्री पहुंचाई जाए.”

दूसरे सत्र की अध्यक्षता पत्र लेखन मुहिम के प्रवक्ता एवं एसडीएम डॉ सुरेश सिंह नेगी और प्रसिद्ध साहित्यकार एवं शिक्षाविद् गोविंद भारद्वाज जी ने की. जिस में दो शोध पत्रों का वाचन हुआ. जिस पर साहित्यकार के बीच विमर्श किया गया. डॉक्टर नेगी जी ने बच्चों की कार्यव्यवहार में परिवर्तन पर जोर दिया. वहीं भारद्वाज जी ने बच्चों को आनंद के साथ सिखनेसीखने पर अपनी बात हास्यपूर्ण अंदाज में कहीं.

तीसरे सत्र की अध्यक्षता सलिला संस्था के अध्यक्ष एवं प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विमला भंडारी और रीता दीक्षित जी ने की. जिस में तीन शोध पत्रों का वाचन और उस पर विमर्श किया गया. इस अवसर पर रीता दीक्षित जी  ने कहा है कि- “बच्चों के पास साहित्य पहुंचे यह हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.” वही सलिला संस्था की अध्यक्ष डॉ. विमला भंडारी जी ने अध्यक्षता करते हुए कहा है कि- “हमें बच्चों को उपहार में खिलौने की जगह पुस्तके देनी चाहिए. तभी उनमें पढ़ने की संस्कृति विकसित कर पाएंगे.”

राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन, समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मंचासीन एसडीएम साहब एवं प्रसिद्ध उपन्यासकार डॉक्टर सूरत सिंह नेगी ने कहा है कि- “बच्चों को माता-पिता से जोड़ने और उन्हें संस्कारित करने के लिए हमें बहुत कुछ प्रयास करने होंगे.” अपनी बात को आप ने विस्तार से समझाते हुए कहानी के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा है कि- “हम एक प्रयास के रूप में बच्चों को पत्र लेखन मुहिम जोड़ सकते हैं. ताकि वे पत्र के माध्यम से मातापिता और दादादादी को समझ सकें. तभी हम बच्चों को संस्कारित कर पाएंगे.”

विशिष्ट अतिथि बालप्रहरी पत्रिका के संपादक श्री उदय किरौला जी  ने बच्चों को मोबाइल के गिरफ्त में होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि- “इसके दुष्परिणाम से बचने के लिए हमें प्रयास करने होंगे तभी बच्चे सुसंस्कारित हो पाएंगे.”

इस अवसर पर अनेक विद्वानों ने अपनी उपस्थित से कार्यक्रम को ऊंचाई प्रदान कीं. इस अवसर पर बच्चों के देश के संपादक प्रकाश तातेड़, साहित्यकार चंद्रेशकुमार छतलानी, दरबान सिंह रावत, कवि शिक्षाविद नंदकिशोर निर्झर, योगधारा के संस्थापक डॉ ज्योति पुंज, डॉ कुलशेखर व्यास, मलय पानेरी, ललित पांडे, प्रोफेसर देव कोठारी, अमित दवे, डॉ कृष्णदेव राठौर, हसन मेघवाल , कार्यक्रम प्रभारी गिरीशनाथ माथुर आदि अनेक वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए. तत्पश्चात सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में अपने अपने क्षेत्र की स्थापित और विद्वान हस्तियां मौजूद रही.

कार्यक्रम की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वर्तमान युग में बालसाहित्य की अति आवश्यकता होने से इस कार्यक्रम के दौरान ही कुलपति महोदय  प्रो शिवसिंह सारंगदेवोत ने  अप्रैल से विवि से एक नियमित बाल पत्रिका निकालने की घोषणा की है. वही बच्चों के लिए पोस्टकार्ड लिखो अभियान और पत्र लेखन पर विभिन्न विद्यालयों में 5000 से अधिक बच्चों को पोस्टकार्ड द्वारा पत्र लेखन प्रतियोगिता की जमीनी स्तर पर साकार करने की रूपरेखा तैयार हो पाई .

कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉक्टर महेश आमेटा ने किया. वही आभार कार्यक्रम संयोजक डॉ कुलशेखर व्यास ने व्यक्त किया.

इस अवसर पर डॉक्टर के पी सिंह देवड़ा, नारायण पालीवाल, संगीता जैन, रीना मेनारिया, ललित पांडेय, डॉ  उग्रसेन राव, शिरिश माथुर, शौयब कुरेशी और विश्वविद्यालय के अनेक विद्वान मनीषियों की भी उपस्थित सराहनीय रही है.

 

© ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश”

17 फ़रवरी 2020

पोस्ट ऑफिस के पास, रतनगढ़-४५८२२६ (नीमच) म प्र

ईमेल  – [email protected] मोबाइल – 9424079675

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सूचनाएँ/Information – ☆ श्री राकेश कुमार पालीवाल “कर्मवीर सम्मान” से सम्मानित ☆

श्री राकेश कुमार पालीवाल

☆ श्री राकेश कुमार पालीवाल “कर्मवीर सम्मान” से सम्मानित ☆

ग्राम सेवा समिति भोपाल के लिए यह गर्व और हर्ष का विषय है कि  सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल (आईआरएस) जो कि वर्तमान डायरेक्टर जनरल इन्वेस्टीगेशन के पद पर आयकर विभाग हैदराबाद में पदस्थ हैं का सम्मान विगत 24 जनवरी को माधवराव सप्रे संग्रहालय, भोपाल द्वारा किया गया।

ज्ञात हो कि श्री पालीवाल जी  गांधीजी के विचारों को आत्मसात कर ग्रामीण अंचल के विकास में लगे हुए हैं। ग्राम सेवा समिति, भोपाल भी उन्ही के दिमाग की उपज है। इसके पूर्व जब वे दिल्ली में थे तब भी उन्होंने योगदान संस्था के गठन में बड़ी भूमिका निभाई थी। अपनी सुदीर्घ सेवा अवधि में उन्होंने चार ग्रामों का सर्वांगीण विकास गांधी जी के विचारों के अनुरूप किया है। मध्यप्रदेश में छेडका और तेलंगाना में गोंगलूर के विकास की कहानी आजकल  चर्चा में है।

सौम्य एवं निर्भीक स्वभाव के धनी श्री पालीवाल जी आयकर विभाग में अपनी ईमानदार छवि के कारण  सम्मानपूर्वक जाने जाते हैं। उन्हें  स्व. माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा संपादित कर्मवीर पत्रिका के सौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर  वरिष्ठ कांग्रेसी नेता एवं मध्यप्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह के कर-कमलों से कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया। श्री दिग्विजय सिंह ने भी डाक्टर पालीवाल के सामाजिक सरोकारों की भूरी भूरी प्रसंशा की।

( पद्मश्री श्री विजय दत्त श्रीधर जी, श्री राकेश कुमार पालीवाल जी, श्री दिग्विजय सिंह जी,  श्री पी सी शर्मा जी, और श्री दीपक तिवारी जी )

डॉ पालीवाल जी ने अपने संबोधन में कुछ इसी तरह के उद्गार व्यक्त किए – “कभी कभी विश्वास नहीं होता कि हमारी आजादी के नायकों ने किस निष्ठा से देश को आजाद करने के लिए किस हद तक जाकर कुर्बानियां दी हैं और अपना सर्वस्व न्योछावर किया है। गांधी की अगुवाई में चले संघर्ष में “कर्मवीर” की निर्भीक पत्रकारिता की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है जिससे माखनलाल चतुर्वेदी और माधवराव सप्रे जैसी विभूतियों का नाम जुड़ा है।

यह भी एक सुखद संयोग बना कि कस्तूरबा और गांधी जी की 150 वी जयंती के साथ साथ कर्मवीर की पत्रकारिता का भी यह शताब्दी वर्ष है। स्व माधवराव सप्रे संग्रहालय में एक सादगीपूर्ण एवं भव्य आयोजन में मुझे भी अनन्य हिंदी सेवी कैलाशचंद पंत, जैव विविधता संरक्षण में जुटे बाबूलाल दहिया और कर्मठ पत्रकार रमेश नय्यर जैसे अग्रजो के साथ कर्मवीर सम्मान से सम्मानित किया गया।

इस तरह के सम्मान हम पर अतिरिक्त जिम्मेदारी डालते हैं कि हम इन सम्मानों का सम्मान बरकरार रखते हुए भविष्य में और अधिक कर्मठता से काम करें।“

समारोह में माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्विद्यालय के वाइस चांसलर श्री दीपक तिवारी, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री श्री पी सी शर्मा और संयुक्त मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह और गांधी भवन भोपाल के सचिव श्री नामदेव जी, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के डायरेक्टर जनरल इनकम टैक्स श्री टुटेजा और मध्य प्रदेश के प्रधान आयकर निदेशक डॉ विनोद गोयल, ग्राम सेवा समिति के गणमान्य सदस्यों एवं भोपाल के प्रमुख प्रबुद्ध जनों ने भी समारोह में शिरकत की।

(ई- अभिव्यक्ति की ओर से महात्मा गांधी जी एवं कस्तूरबा गांधी जी के 150 वे जन्म वर्ष पर सुप्रसिद्ध गांधीवादी विचारधारा के प्रणेता  श्री राकेश पालीवाल जी को इस महत्वपूर्ण  सर्वोच्च सम्मान के लिए हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई। हम श्री पालीवाल जी से ई – अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए उनके उत्कृष्ट साहित्य की अपेक्षा करते हैं।)

श्री अरुण डनायक जी एवं श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से साभार

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सूचनाएँ/Information ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन ☆

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श्री जय प्रकाश पाण्डेय

☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का  विमोचन ☆

पुस्तक – डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह) 

लेखक – श्री जय प्रकाश पाण्डेय

प्रकाशक – रवीना प्रकाशन, नई दिल्ली

मूल्य – रु 300/-

इस अमेज़न लिंक पर ऑनलाइन उपलब्ध  >>  डांस इण्डिया डांस ( व्यंग्य-संग्रह) 

विगत दिनों विश्व की पुस्तकों की दुनिया के सबसे बड़े मेले  विश्व पुस्तक मेला, नई दिल्ली में संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी  के व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन सम्पन्न हुआ।

दिल्ली में आयोजित इस  विश्व पुस्तक मेले के लेखक मंच पर  व्यंग्य संग्रह “डांस इण्डिया डांस” का विमोचन  श्री प्रेम जनमेजय (व्यंग्य यात्रा के सम्पादक और प्रसिद्ध व्यंग्यकार)डॉ सुरेश कांत (ख्यातिलब्ध व्यंग्यकार आलोचक )श्री गिरीश पंकज (छत्तीसगढ़ के चर्चित व्यंग्यकार पत्रकार)श्री हरीश पाठक (वरिष्ठ कथाकर)श्री रमेश सैनी (व्यंग्यकार) , श्री पंकज सुबीर (व्यंग्य समालोचक ), श्री महेश दर्पण (सारिका के पूर्व उप संपादक ), डॉ संजीव कुमार (साहित्यकार) , श्रीमती समीक्षा तेलंग (व्यंग्यकार)  आदि द्वारा किया गया।

इसी अवसर पर देश भर से पधारे साहित्यकारों, पत्रकारों से खचाखच भरे सभागार में “इक्कीसवीं सदी में व्यंग्य की दशा और दिशा” विषय पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई ।

विमोचन के बाद डांस इण्डिया डांस की पहली  प्रति  प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य कवि आदरणीय सुरेंद्र शर्मा जी  (हिन्दी ग्रंथ अकादमी के मुखिया) और भोपाल के वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री हरि जोशी  जी को श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी  ने सादर भेंट की।

इस सन्दर्भ में डॉ कुंदन सिंह परिहार जी का यह कथन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं  “एक अच्छे व्यंगकार में अनेक गुण अपेक्षित हैं ।  पहले तो व्यंग्यकार संवेदनशील हो, ओढ़ी हुई करुणा से सार्थक व्यंग्य लेखन नहीं होगा।  दूसरे उसकी द्रष्टि सही हो ।  रूढ़ीवादी और अवैज्ञानिक सोच वाले लेखकों के लिए व्यंग्य को साधना कठिन है ।  लेखक की अभिव्यक्ति प्रभावशाली होनी चाहिए । लेखन शैली ऐसी हो जो पाठक को बांधे और साथ ही उसे सोचने को बाध्य करे ।  व्यंग्य का उद्देश पाठक का मनोरंजन करना नहीं हो सकता।”

आशीर्वचन स्वरुप पुस्तक की प्रस्तावना सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ कुंदन सिंह परिहार जी द्वारा लिखी गई है,  जिसे आप निम्न लिंक पर पढ़ सकते हैं।

पुस्तक चर्चा ☆ डांस इंडिया डांस – श्री जय प्रकाश पांडेय ☆ “व्यंग्य-लेखन गंभीर कर्म है” – डॉ कुंदन सिंह परिहार

 

(ई- अभिव्यक्ति की ओर से श्री जय प्रकाश पाण्डेय जी को इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए एवं सतत सफल लेखन के लिए  हार्दिक शुभकामनाएं)  

 

 

 

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सूचनाएँ/Information ☆ व्यंग्यम समाचार – व्यंग्य समीक्षा  गोष्ठी संपन्न ☆ प्रस्तुति -श्री रमेश सैनी

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☆ व्यंग्यम समाचार – व्यंग्य समीक्षा  गोष्ठी संपन्न   ☆

श्री रमेश सैनी

विगत दिवस व्यंग्यम जबलपुर द्वारा डा.लालित्य  ललित का व्यंग्य संग्रह “पांडेय जी और जिंदगीनामा’ तथा डॉ रमेश चंद्र खरे का व्यंग्य संग्रह “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गई. गोष्ठी के आरंभ में  विमर्श की सुविधा हेतु लालित्य ललित की पुस्तक “पांडेय जी और जिंदगीनामा” से एक रचना”पाण्डेय जी और सोशल मीडिया” का पाठ रमेश सैनी ने और रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” से एक रचना “लोकतांत्रिक लोचों का तंत्र लोक”का पाठ जयप्रकाश पांडेय ने किया .

तत्पश्चात “पांडेय जी और जिंदगीनामा” पर अभिमन्यु जैन और प्रतुल श्रीवास्तव ने समीक्षात्मक आलेख का पाठ किया और दोनों समीक्षकों ने पुस्तक की अनेक रचना पर विस्तार से अपनी बात करते हुए रचनाओं की विशेषताओं पर विभिन्न बिंदुओं पर बारीकी से चर्चा की.  डॉ. रमेश चंद्र खरे की पुस्तक “श्रेष्ठ व्यंग्य” पर डॉ कुंदन जी परिहार और व्यंग्यकार विवेक रंजन श्रीवास्तव ने अपने समीक्षात्मक आलेख पढ़े. संग्रह की अनेक रचनाओं का उल्लेख करते हुए समीक्षक द्वय कहा कि लेखक के विषय चयन से लेखक की सामाजिक संबंद्धता और मानवीय मूल्यों की चिंता झलकती है. विमर्श को आगे बढ़ाते कहा डॉ विजय तिवारी किसलय ने दोनों पुस्तकों पर चर्चा करते हुए कहा कि जिंदगीनामा में लेखक को जीवन और अपने आसपास की प्रवृत्तियों को पकड़ने की महारत हासिल है. खरे जी की रचनाएं, व्यंग्य परंपरा की रचनाएं है. उनकी दृष्टि स्पष्ट है और वे सहज ढंग से विसंगतियों को पाठक के समक्ष रखते हैं. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए डाँ कुंदन सिंह परिहार ने जिंदगीनामा की रचनाओं पर कहा कि लेखक को अपने  कहन में सावधानी रखना चाहिए .लेखक को जीवन की विसंगतियों को पकड़ने की दृष्टि है एन एल पटेल ने अपनी चर्चा में कहा कि रमेश चंद्र खरे के लेखन में सामाजिक संवेदना और विचारों में परिपक्वता झलकती है .जबकि लालित्य ललित दैनिक जीवन और आम वर्ग की विसंगतियों को सफलतापूर्वक पकड़ते हैं. अभिमन्यु जैन ने पांडेय जी और जिंदगी नामा पर अपने आलेख में अपनी बात रखते हुए कहा कि ललित में एक अलग प्रकार की स्वच्छंदता है. उनकी भाषा  प्रकृति के अनुरूप शब्द चुन लेती है .जयप्रकाश पांडे ने खरे जी की पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि उनकी रचनाएं सामाजिक विसंगतियों पर सटीक प्रहार करते हैं और ललित व्यक्तिगत अधिक है. जो रचना की पठनीयता को बढ़ा देते हैं .

दूसरे सत्र में व्यंग्यम की नियमित.व्यंग्य पाठ गोष्ठी हुई। विवेक रंजन श्रीवास्तव ने “डर के आगे जीत है” अभिमन्यु जैन ने “दुखी हैं’ जयप्रकाश पांडेय ने “अच्छे दिन आने वाले हैं’ ओ पी सैनी “आजकल” और रमाकांत ताम्रकार नै “बाबू का सर्टिफिकेट” का पाठ किया. गोष्ठी की अध्यक्षता डा.कुंदन सिंह परिहार ,संचालन रमेश सैनी और आभार प्रदर्शन विजय तिवारी किसने किया .

प्रस्तुति – श्री रमेश सैनी, जबलपुर  

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