English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media# 6 ☆ गुमनाम साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं का भावानुवाद ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।

स्मरणीय हो कि विगत 9-11 जनवरी  2020 को  आयोजित अंतरराष्ट्रीय  हिंदी सम्मलेन,नई दिल्ली  में  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी  को  “भाषा और अनुवाद पर केंद्रित सत्र “की अध्यक्षता  का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह सम्मलेन इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय, हिंदी उर्दू भाषा के कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित  किया गया था। इस  सम्बन्ध में आप विस्तार से निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं :

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

☆ Anonymous Litterateur of Social Media # 6/सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 6 ☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / यूअर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का कठिन परिश्रम कर अंग्रेजी भावानुवाद  किया है। यह एक विशद शोध कार्य है  जिसमें उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी है। 

इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है और इसके लिए उन्हें साधुवाद। वे इस अनुष्ठान का श्रेय  वे अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना मैडल से सम्मानित कैप्टन प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। वे स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी  रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद ☆

(अनाम साहित्यकारों  के शेर / शायरियां / मुक्तकों का अंग्रेजी भावानुवाद)

कितनी आसान थी ज़िन्दगी तेरी राहें

मुशकिले हम खुद ही खरीदते है

और कुछ मिल जाये तो अच्छा होता

बहुत पा लेने पे भी यही सोचते है…

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

O life! How simple were  your  ways…

We only bought slew of  difficulties on our own

Kept craving continuously, even after acquiring a lot,

How nice it would be if only I could get something more

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

इस सफ़र में

नींद ऐसी खो गई

हम न सोए

रात थक कर सो गई …

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

In this sojourn of life…

Lost sleep like this

Never could I sleep

Tired night only slept off…

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

हर रोज़ ख़ुद पे ही बहुत…

हैरान बहुत होता हूँ मैं

कोई तो है मुझ में  जो…

बिल्कुल ही जुदा है मुझ से…!

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

Everyday  I  keep  getting

too  surprised  on  myself…

There’s someone in me who’s

completely different from me…

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

सारी उम्र गुजर गयी……

खुशियाँ बटोरते बटोरते

बाद में पता चला कि

खुश तो वो लोग थे

जो खुशियाँ बाट रहे थे…

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

Whole life passed away in

Picking up  the  happiness…

Only to find happy were those

Who kept sharing happiness..!

❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃ ❃

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares

Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 36 – Love ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem Love.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 36

☆ Love  ☆

“Don’t trust anyone”,

The mind says.

 

“Trust everyone”,

The heart says.

 

An emotional creature that you are,

You listen to the heart,

Till a slimy serpent coils around you,

Lethally strikes with its malevolent fangs,

Infusing venom into your thin blue veins.

 

You survive the deathly sting

Hoping that you have grown wiser with your silvery brow,

And yet somewhere in some lone capillary,

A fluid of love begins to flow…

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ Specialist ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

We present an English Version of Shri Sanjay Bhardwaj’s Hindi Poetry  “ विशेषज्ञ ” published previously as  ☆ संजय दृष्टि – विशेषज्ञ    We extend our heartiest thanks to the learned author  Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit,  English and Urdu languages) for this beautiful translation.)

☆ Specialist ☆

“I am an expert

Draw three arms

Make three angles,

Then I name it as triangle ..,

What do you poets do?”

“Nothing special,

Just in that triangle

I can see the fourth angle…!”

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry (भावानुवाद) ☆ अनकहा प्रेम / Untold Love – सुश्री निर्देश निधि ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

Captain Pravin Raghuvanshi ji  is not only proficient in Hindi and English, but also has a strong presence in Urdu and Sanskrit.   We present an English Version of Ms. Nirdesh Nidhi’s  Classical Poetry  अनकहा  प्रेम  with title  “Untold Love” .  We extend our heartiest thanks to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for this beautiful translation.)

आपसे अनुरोध है कि आप इस रचना को हिंदी और अंग्रेज़ी में  आत्मसात करें। इस कविता को अपने प्रबुद्ध मित्र पाठकों को पढ़ने के लिए प्रेरित करें और उनकी प्रतिक्रिया से  इस कविता की मूल लेखिका सुश्री निर्देश निधि जी एवं अनुवादक कैप्टन प्रवीण रघुवंशी को अवश्य अवगत कराएँ.

 

सुश्री निर्देश निधि

 ☆ अनकहा प्रेम ☆ 

रजबहे के साथ लगी,

उस टूटी पुलिया से भी

हो गया है प्रेम मुझे

खड़े रहकर जिस पर

प्रतीक्षा करते हो तुम घंटों

मुझसे क्षणिक मिलन की

मेरी साइकिल के पहिए भी तो जैसे

खोने लगते हैं वृत्त अपना

होकर, चौकोर

हो जाना चाहते हैं स्थिर

ठीक सामने तुम्हारे

टूटी पुलिया वाले उस मोड़ पर

तुम्हारे सांकेतिक चुंबन की दहक से

पिघल सी जाती है

मेरी सांवली देह उस पल

बागड़ियों की भट्टी में धधकते लौहसी

जिसे महसूस करते होगे

तुम जरूर अपनी देह पर

ढलकते हुए देर तलक

इस अनकहे, स्थायित्व भरे

प्रेम के भार से झुकी तुम्हारी दृष्टि

जिसे पर थोड़ा सा भार सौंपती हूं मैं

अपनी दृष्टि के गुरुत्व से

मेरी छुअन लेकर

तुम्हारे तन से टकराई

बौराई पवन से बढ़ती तुम्हारी धड़कन

अपने सीने में जस की तस सुनती हूं मैं,

सुनो,

जो तुम साथ दो तो

माद्दा रखती हूं मैं

अपने इस अनछुए, अपूर्ण,

अनकहे, कमनीय प्रेम को पूर्णता देने का

धता बताकर सभी

आप-खाप पंचायतों की,

सतर्क पहरेदारी को।

 

© निर्देश निधि

संपर्क – निर्देश निधि , द्वारा – डॉ प्रमोद निधि , विद्या भवन , कचहरी रोड , बुलंदशहर , (उप्र) पिन – 203001

ईमेल – [email protected]

♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥ ♥

 ☆ Untold Love…☆

I’ve fallen in love

with the broken culvert too,

situated alongside the canal,

standing on which,

you would wait for hours,

for a momentary meeting with me…!

 

Even the round wheels of my bicycle

would begin to lose their

shape to the square ones

to become stationary,

right in front of you

at that turn near

the  broken culvert…!

 

The flame of your

symbolic kiss would melt

my dusky body

like the molten lava

of  blazing volcano

Which you must also

be experiencing, rolling down

on your body, endlessly…!

 

Your unspoken, lasting,

lovelorn glance

Bowing further

laden with the gravitational

pull of my gaze…!

 

The maddening wind,

fragrant after caressing me,

Would be smacking your body,

Your heartbeats,

rising uncontrollably

in your chest,

which I could hear explicitly, as it is…!

 

Listen, if you commit

to be with  me

I’ve the courage to manifest

the completeness of our

this untouched, incomplete,

untold, enticing love,

and defy the vigilant watchfulness of

all the  community sentinels,

like Aap-Khap Panchayats!

 

© Captain (IN) Pravin Raghuanshi, NM (Retd),

Pune

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ Wait ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

(We are extremely thankful to Captain Pravin Raghuvanshi Ji for sharing his literary and artworks with e-abhivyakti.  An alumnus of IIM Ahmedabad, Capt. Pravin has served the country at national as well international level in various fronts. Presently, working as Senior Advisor, C-DAC in Artificial Intelligence and HPC Group; and involved in various national-level projects.

We present an English Version of Shri Sanjay Bhardwaj’s Hindi Poetry  “ प्रतीक्षा ” published previously as  ☆ संजय दृष्टि – प्रतीक्षा   We extend our heartiest thanks to the learned author  Captain Pravin Raghuvanshi Ji (who is very well conversant with Hindi, Sanskrit,  English and Urdu languages) for this beautiful translation.)

☆ Wait ☆

 

Just tossed few water

droplets skywards

Drops knew

their source of existence,

Returned back

towards the river…,

 

Bounced fistful

of grains

towards the sky,

Grains knew

their place to grow

Returned back to earth…,

 

Launched the mankind,

With the wings of wealth,

status, authority,

praise, and muscle power

Towards the lofty heights…,

………., ……… ..,

O’ Mankind…!

When will you return…?

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares

Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 35 – Love  Lost ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem Love  Lost.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 35

☆ Love  Lost ☆

(Dedicated to all those who suffer from ALZEIHMERS)

 

Oh Monu!

I heard someone calling an elderly man

By your name

And I was so annoyed!

 

Monu is ‘your’ name

Given to you by me so lovingly

And it shall remain so!

 

A gentleman came to me yesterday

And addressing me as “Sweetheart!”

Said,

“You are forgetting.

Monu has grown old!”

 

How silly was he!

How can I forget my only child?

 

This gentleman-

He troubles me a lot, Monu!

He makes me wear sweaters

When I feel warm

And want to wear skirts!

He says that I have never worn skirts!

So stupid! Isn’t he?

 

Oh, Monu!

Where are you?

Please, please come back

Into my arms

I want to kiss you, cuddle you!

 

Look that gentleman is again shouting

And wants me to prepare tea!

Can you imagine? Tea!

Have I ever made tea?

You explain him please

And let me sleep

For now!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media# 4 ☆ गुमनाम साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं का भावानुवाद ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।

स्मरणीय हो कि विगत 9-11 जनवरी  2020 को  आयोजित अंतरराष्ट्रीय  हिंदी सम्मलेन,नई दिल्ली  में  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी  को  “भाषा और अनुवाद पर केंद्रित सत्र “की अध्यक्षता  का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह सम्मलेन इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय, हिंदी उर्दू भाषा के कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित  किया गया था। इस  सम्बन्ध में आप विस्तार से निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं :

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

 ☆ Anonymous Litterateur of Social  Media # 4 / सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 4☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / यूअर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है और इसके लिए उन्हें साधुवाद। वे इस अनुष्ठान का श्रेय  वे अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना मैडल से सम्मानित कैप्टन प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। वे स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी  रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद ☆

(अनाम साहित्यकारों  के शेर / शायरियां / मुक्तकों का अंग्रेजी भावानुवाद)

 

  नज़र जिसकी समझ सके

वही  दोस्त  है वरना…

खूबसूरत   चेहरे  तो

दुश्मनों के भी होते हैं…

Just a glance  of  whose,

perceives you, is your friend

  Otherwise even enemies

Too  have  pretty  faces…!

§

हो के मायूस यूँ ना

शाम से ढलते रहिए

ज़िंदगी आफ़ताब है

रौशन निकलते रहिए…

Being  dejected don’t you

ever be the dusking Sun

Life is like the radiant Sun

Keep  rising  resplendently…!

§

  ना इलाज  है 

ना   है दवाई….

ए इश्क तेरे टक्कर 

की  बला  है आई…

Neither  exists  any  cure

Nor is  there  any medicine

O’ love ailment matching you

Has  emerged on  the earth…!

§

ये जब्र भी देखा है

तारीख की नज़रों ने

लम्हों ने खता की थी

सदियों ने  सजा पाई…!

Have also seen such constraints

Through the eyes of the time

Moments had committed mistake

But the centuries got punished!

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares

Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 34 – Love ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem “Love.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 34

☆ Love ☆

I take a stroll

In the buoyant garden nearby,

The fragrance makes me feel

Unsullied and fresh,

The hues around me

Give my heart a dazzling happiness,

I glance at the barrel cactus

Placed near the hedge,

It smiles in full bloom,

I grin back

At the flamboyant red of its flowers

Which look vivacious, vibrant…

 

Who can imagine

That a cactus will blossom

When one looks at its prickly thorns?

It’s the sun’s love

That gives it an intriguing glow

On its arid cheeks…

 

Life is certainly more

Than the panch tatvas;

While they make the body,

It’s love that makes life worth living!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)

Please share your Post !

Shares

Weekly column ☆ Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 33 – Loneliness ☆ Ms. Neelam Saxena Chandra

Ms Neelam Saxena Chandra

(Ms. Neelam Saxena Chandra ji is a well-known author. She has been honoured with many international/national/ regional level awards. We are extremely thankful to Ms. Neelam ji for permitting us to share her excellent poems with our readers. We will be sharing her poems on every Thursday. Ms. Neelam Saxena Chandra ji is  an Additional Divisional Railway Manager, Indian Railways, Pune Division. Her beloved genre is poetry. Today we present her poem “Loneliness.  This poem  is from her book “The Frozen Evenings”.)

☆ Weekly column  Poetic World of Ms. Neelam Saxena Chandra # 33

☆ Loneliness ☆

 

Have your friends forsaken you?

Have your dear ones

Left you and are gone

Far far away

As overripe memories of yesterday?

Do your eyes trickle down

The pain through their tears?

Do the fond remembrances

Make your knees go weak?

Are you lonely

My dear friend?

 

You are in despairing desire

Of yourself;

Please go

And shake hands with you,

A hug might help too!

 

© Ms. Neelam Saxena Chandra

(All rights reserved. No part of this document may be reproduced or transmitted in any form or by any means, or stored in any retrieval system of any nature without prior written permission of the author.)

Please share your Post !

Shares

English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media# 2 ☆ गुमनाम साहित्यकारों की कालजयी रचनाओं का भावानुवाद ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।

स्मरणीय हो कि विगत 9-11 जनवरी  2020 को  आयोजित अंतरराष्ट्रीय  हिंदी सम्मलेन,नई दिल्ली  में  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी  को  “भाषा और अनुवाद पर केंद्रित सत्र “की अध्यक्षता  का अवसर भी प्राप्त हुआ। यह सम्मलेन इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया विश्वविद्यालय, हिंदी उर्दू भाषा के कार्यक्रम के सहयोग से आयोजित  किया गया था। इस  सम्बन्ध में आप विस्तार से निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं :

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

 ☆ Anonymous Litterateur of Social  Media # 2/ सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 2☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / यूअर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है और इसके लिए उन्हें साधुवाद। वे इस अनुष्ठान का श्रेय  वे अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना मैडल से सम्मानित कैप्टन प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। वे स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी  रचनाओं का अंग्रेजी भावानुवाद ☆

(अनाम साहित्यकारों  के शेर / शायरियां / मुक्तकों का अंग्रेजी भावानुवाद)

ज़रा सी कैद से ही

घुटन होने  लगी…

तुम तो पंछी पालने

के  बड़े  शौक़ीन थे…

 

Just a little bit of confinement

Made you feel so suffocated

 But keeping the birds caged

 You were so very fond of…!

§

अधूरी कहानी पर ख़ामोश

लबों का पहरा है

चोट रूह की है इसलिए

दर्द ज़रा गहरा है….

 

 Silent lips are the sentinels

 Of  the  unfulfilled fairytale…

 Wound is of the spirited soul

 So the pain is rather intense….

§

हंसते हुए चेहरों को गमों से

आजाद ना समझो साहिब

मुस्कुराहट की पनाहों में भी

हजारों  दर्द  छुपे होते  हैं…

 

O’ Dear, Don’t even consider that

Laughing faces are free of sorrow

Innumerable  pains are  hidden

Even behind the walls of a smile…

§

चुपचाप चल रहे थे

ज़िन्दगी के सफर में

तुम पर नज़र क्या पड़ी

बस  गुमराह  हो  गए…

 

  Was walking peacefully

  In  the  journey of the life

  Just casting a glance on you

  Made my journey go astray…

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Please share your Post !

Shares
image_print