श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे
(श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे जी हमारी पीढ़ी की वरिष्ठ मराठी साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना एक अत्यंत संवेदनशील शिक्षिका एवं साहित्यकार हैं। सुश्री रंजना जी का साहित्य जमीन से जुड़ा है एवं समाज में एक सकारात्मक संदेश देता है। निश्चित ही उनके साहित्य की अपनी एक अलग पहचान है। आज प्रस्तुत है आपका एक अत्यंत भावप्रवण दशपदी कविता ” संवेदना”। आप उनकी अतिसुन्दर ज्ञानवर्धक रचनाएँ प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे। )
☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 49 ☆
☆ संवेदना ☆
तापलेल्या या भूईचे भेगाळले गात्र गावे।
शमविण्याला या तृषेला मेघनांनी आज यावे।
शुष्क कंठी साद घाली आर्त झाल्या चातकाला।
बरसू दे अंतरी या, जीवनाची स्वप्न माला।
श्याम रंगी रंगलेले भाळलेले मेघ आले।
मृत्तिकेच्या सुगंधाने आसमंत व्यापलेले।
चिंब ओल्या या धरेचा मोहरला देह सारा।
भारलेल्या या क्षणांनी मुग्ध झाला देह सारा।
नयनमनोहर सोहळा हा नित नव्याने रांगणारा।
साद घाली संवेदना, शब्द ओला नांदणारा।
© रंजना मधुकर लसणे
आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली
9960128105