श्री सुनील देशपांडे
☆ बाल कविता – “परी…” ☆ श्री सुनील देशपांडे ☆
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छमछम छमछम छमछम री,
चमचम चमचम चमचम री।
चांद के किरनों पे करके सवारी,
परियों की दुनिया से आई परी।
*
परियों की दुनिया मे चल मेरे साथ,
जादू की छड़ियों पे रख दे तू हाथ।
परियों की दुनिया कितनी थी न्यारी,
अपनी दुनिया से कितनी थी प्यारी।
*
ठंडी हवाए, था मौसम सुहाना,
डाली पे पंछी, गाते थे गाना।
पेडो पे फल और पौधों पे फूल,
हरियाली नीचे, ना आती थी धूल।
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रुचि फलों की और फूलों का गंध,
कितनी में लालचाई, रह गई दंग।
बोली मे परी से जादू कर दे
मेरी भी दुनिया ऐसी कर दे।
*
छमछम छमछम छमछम री,
चमचम चमचम चमचम री।
चांदके किरनोंपे करके सवारी
परियों की दुनिया से आई परी।
*
जादू नहीं है ये बोली परी,
आदत ही अपनी है जादूगिरी ।
ना केक, ना कोक, ना बर्गर मांगो,
होटल ना जाओ, ना बिस्कुट मांगो।
*
फल खाओ, तरकारी हरी भरी,
प्लास्टिक ना हो तो, दुनिया हरी।
कुंडी में पौधे और कचरे का खाद,
फूलों के गंधों का फैलेगा स्वाद।
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सिखाओ जादू ये सबको रानी,
शुरू में थोड़ी सी होगी हैरानी ।
सिखाओ मम्मी को, डैडी को भी।
टीचर को, दोस्तों को, औरों को भी।
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दुनिया तुम्हारी अब आए यहां,
ध्यान में रख्खो जो मैंने कहा।
चांद गगन में जब तक रहेगा।
वापस मुझे भी जाना ही होगा।
*
छमछम छमछम छमछम री,
चमचम चमचम चमचम री।
चांद के किरणों पे करके सवारी
परियों की दुनिया मे गई परी।
*
लगती ना तुमको सच्ची ये बात?
करो ना जादू तुम मेरे साथ।
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© श्री सुनील देशपांडे
मो – 9657709640
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≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈