श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “कैसे उस पर करें भरोसा…”।)
☆ तन्मय साहित्य #191 ☆
☆ कैसे उस पर करें भरोसा… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
उसने जब-तब झूठ परोसा
कैसे उस पर, करें भरोसा।
ठुकरा कर वह छोड़ गया है
स्नेहिल धागे तोड़ गया है
देख पराई घी चुपड़ी वह
रिश्तों से मुँह मोड़ गया है,
अपने मुँह का कौर खिलाकर
जिसे जतन से पाला-पोसा
कैसे उस पर करें भरोसा…..
मिली न सुविधा अपने क्रम में
मृगमरीचिकाओं के भ्रम में
झंडा-झोला छोड़-छाड़ कर
चला गया दूजे आश्रम में,
खीर मलाई, इधर डकारे
ऊपर से जी भर कर कोसा
कैसे उस पर करें भरोसा…..
कल तक जो थे शत्रु पराये
उनसे ही अब हाथ मिलाये
व्यथित,चकित,संभ्रमित समर्थक
पर इनको नहीं लज्जा आये,
स्वारथ के खातिर दलबदलू
पहनें टोपी, कभी अँगोछा
कैसे उस पर करें भरोसा……
लोक-तंत्र के हैं ये प्रहरी
चलते रहें साजिशें गहरी
आँख-कान से अंधे-बहरे,
मीठे बोल, असर है जहरी,
स्वाद कसैला होता, इनके
बारे में जब-जब भी सोचा
कैसे उस पर, करें भरोसा।।
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© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
जबलपुर/भोपाल, मध्यप्रदेश, अलीगढ उत्तरप्रदेश
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈