(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का एक व्यंग्य ‘द सेल इज आन. इस सार्थक, मौलिक एवं अतिसुन्दर समसामयिक विषय पर रचितकालजयी व्यंग्य के लिए श्री विवेक रंजन जी की लेखनी को नमन। )
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 87 ☆
☆ व्यंग्य – द सेल इज आन ☆
द सेल इज आन. सब कुछ बिकाऊ है. आन लाइन वेबसाइट्स पर भी और बेशुमार माल्स में, माल बिकाऊ है,उपलब्ध है, होम डिलीवरी सुलभ है.
पार्टी की टिकिट, लुभावने नारे, बैनर रुपहले, झंडे और डंडे, जीतने के फंडे,एवरी थिंग इज अवेलेबल. वोट की कीमत सपने बस, बड़ी बात नेता का चरित्र पूरा का पूरा सोल्ड आउट है. विधायको के रेट बड़े तगड़े हैं. हार्स ट्रेडिंग में घोड़ो के दाम, दम वाले ही लगा सकते हैं. जनता की फिकर है, जिगर हथेली पर लेकर सौदे होते हैं.
चटपटी खबरें, चाय के साथ, सुबह के अखबार, मिड डे न्यूज, सांध्य समाचार, चैनल की बहस, इंटरव्यू के प्रश्न, प्रवक्ता का प्रतिकार, सजी संवरी न्यूज एंकर बाला, खबर नवीस टाई सूट वाला, हर कुछ सुलभ है. बड़ी बात टी आर पी भी बिकाऊ है.
कार्यालय कल्चर, फाईलो के पच्चर, छोटे बाबू के बड़े काम, सरकारी खरीद, झूठी रसीद. होते हैं ठेके मिलने के भी ठेके. बिल पासिंग के तौर तरीके. दो परसेंट के कमाल, सरकारी दलाल, मिली भगत से सब मालामाल. गरीब के लिये सिंगल विंडो है. आनलाइन के बहाने, आश्वासन सुहाने. मंत्री की फटकार, नोटशीट जोरदार, क्या नही हैं ? बड़ी बात अफसर की आत्मा पूरी बिक चुकी है.
स्कूल कालेज के एडमीशन, आनलाइन पढ़ाई, किताब, कम्प्यूटर, डिग्री, जानकारी तो बेहिसाब है, बस ज्ञान का थोड़ा टोटा है. नौकरी लेखको के लिये किताबों का प्रकाशन, समीक्षा, पुरस्कार, शाल, श्रीफल, सम्मान के पैकेज हैं, हर तरह के रेंज हैं.
अस्पताल का बैड ही नही, किस ब्लड ग्रुप का खून चाहिये, है. माँ की कोख, गरीब की किडनी, मरना डिले करना हो तो वेंटीलेटर, आक्सीजन सिलेंडर, ग्लूकोज की बोतल सब कुछ है. मर भी जाओ और अंतिम संस्कार डिले करना हो तो डीप फ्रीजर भी है. बस डाक्टर का संवेदनशील मन आउट आफ स्टाक हो चुका है. बड़ी बात अब ऐसे सहृदय डाक्टर्स का प्रोडक्शन ही बंद हो चुका है. पसीजने वाला दिल लिये कुछ ही नर्सेज बची हैं, मिल जायें तो किस्मत. मूर्तियां खूब हैं बाजार में, इंसानो की कमी है।
आई पी एल में खिलाड़ी क्रिकेट के होते हैं नीलाम सरे आाम. वो तो अच्छा ही है कि अब सब कुछ पारदर्शी है. वरना बिकते तो अजहर और जडेजा के समय भी थे पर सटोरियों के हाथों ब्लैक में.
यूं सारे खिलाड़ी, और फिल्मी सितारे विज्ञापनो में बेचने के काम हैं आते पोटेटो चिप्स, साबुन और टिप्स.
पोलिस केस, कोने में कैश. कोर्ट में न्याय, काले कोट के दांव, एफेडेविट का वेट, एग्रीमेंट से सब सैट, मुश्किल मगर, केस बेशुमार हैं जज साहब बीमार हैं.
मन की शांति के योग, संगीत के सुर, लेक व्यू, सी व्यू, हिल व्यू वाले हाई टेक सूइट, स्विमिंग पूल, एरोमा मसाज कूल. पांच सितारा फूड, एग व्हाईट आमलेट, ब्रेड और कटलेट, सब एंपल में है. सन्यासी के प्रवचन, रामधुन, कीर्तन भी मिलते हैं. धर्म की गिरफ्त है, भीड़ अंधी मुफ्त है.
गरीब का दर्द और किसान का कर्ज वोटो में तब्दील करने की टेक्नीक नेता जी जानते हैं. तभी तो सब उनको मानते हैं.
शुक्र है कि ऐसे मार्केटिंग और सेल के माहौल में बीबी का प्यार और मेरी कलम दोनो अनमोल हैं. एक्सक्लूजिव आनली फार मी सोल हैं.
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈