सूचनाएँ/Information ☆ नेपाल भारत साहित्य महोत्सव दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न – डा विजय पंडित ☆ प्रस्तुति  – डॉ निशा अग्रवाल ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 नेपाल भारत साहित्य महोत्सव दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न – डा विजय पंडित 🌹प्रस्तुति  – डॉ निशा अग्रवाल🌹 

विराटनगर, नेपाल में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव का चतुर्थ संस्करण दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र के साथ संपन्न ।

राम जानकी सेवा सदन में महानगर पालिका बिराटनगर नेपाल और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में 450 से अधिक नेपाली व भारतीय साहित्यिक व सामाजिक, पत्रकार बंधुओं की सहभागिता रही । 

आयोजन के प्रथम दिवस के मुख्य अतिथि कोसी प्रदेश के पूर्व प्रदेश प्रमुख डा गोविन्द सुब्बा रहे, अध्यक्ष के रूप में विराटनगर महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला और विशिष्ट अतिथि के रूप में दधिराज सुबेदी, विवश पोखरेल, गंगा सुबेदी , डा बलराम उपाध्याय, भीष्म उप्रेती ,  विभा रानी श्रीवास्तव, जनार्दन अधिकारी धडकन रहे सत्र संचालन डा देवी पंथी और गोकुल अधिकारी द्वारा किया गया। 

द्वितीय सत्र नेपाल भारत साहित्यिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व ऐतिहासिक संबंधी परिचर्चा रही।

तृतीय सत्र लघुकथा को समर्पित रहा जिसका संचालन सुविख्यात लघुकथाकार डा पुष्कर राज भट्ट ने किया और विभा रानी श्रीवास्तव, नीता चौधरी, सीमा वर्णिका, राजेन्द्र पुरोहित, हेमलता शर्मा ‘भोली बेन’  आदि ने लघुकथा वाचन के साथ विधा पर विमर्श किया। जिसमें से कुछ लघुकथा जो प्रमुख रूप से दर्शकों द्धारा पसंद की गयी यहां प्रकाशित है…

पटना से विभारानी श्रीवास्तव की लघुकथा : कोढ़

कई दिनों पहले से अनेक स्थलों पर बड़े-बड़े इश्तेहार लग गए… ‘नए युग को सलामी : खूँटे की नीलामी’

तय तिथि और निर्धारित स्थल पर भीड़ उमड़ पड़ी थी।

 एक बैनर पर लिखा हुआ था… “जो खूँटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूँटे को उखाड़ फेंकना चाहिए।”

नीलामी में विभिन्न आकार-प्रकार के सजे-सँवरे खूँटे थे और सब पर अलग-अलग तख्ती लटकी हुई थी और लिखा था

नए युग की सलामी : पर्दा उन्मूलन के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : भ्रूण हत्या के उखड़े खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : बाल विवाह के उजड़े खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : देवदासी पुनर्वास के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : नारी शिक्षा के खूँटे की नीलामी

नए युग की सलामी : विधवा विवाह के खूँटे की नीलामी

इत्यादि..!

लेकिन एक बड़े खम्भेनुमा मजबूत भुजंग खूँटे पर तख्ती लटकी हुई थी। जिस पर लिखा था, “अभी नीलामी का समय नहीं आया है..।”

“ऐसा क्यों ?” भीड़ ने पूछा।

“तख्ती पलट कर देख लो!” आयोजक ने कहा

तख्ती के पीछे लिखा था,

‘बलात्कार व भ्रष्टाचार का खूँटा’ ,

इंदौर से हेमलता शर्मा की लघुकथा ‘योग्यता पर भरोसा’

रोज की तरह दूर से आती मधुर संगीत की कर्णप्रिय ध्वनि आज माधवी को बिल्कुल नहीं भा रही थी … पता नहीं लोग 24 घंटे क्यों संगीत सुनते रहते हैं?… उसके बेटे का चयन जो नहीं हुआ था- संगीत प्रतियोगिता में… योग्यता की कोई कद्र ही नहीं है… उसे चुन लिया जिसे संगीत की कोई समझ नहीं… बड़े बाप का बेटा जो ठहरा… एक कड़वाहट-सी उसके भीतर घुलकर उसके शरीर को कसैला बना रही थी… तभी महरी की आवाज ने उसे चौंका दिया- “बीबी जी हमार बचवा का एडमिशन बड़े स्कूल में हो गया है ! वो मोहल्ला के स्कूल वालों ने तो भर्ती च नी किया था…पर मेरे को उसकी योग्यता पे भरोसा था…” कहकर अपने काम में लग गई, लेकिन अनजाने ही माधवी को योग्यता पर भरोसा रखने का संदेश दे गई । अब माधवी का मन हल्का हो गया था । उसे अब वह संगीत की ध्वनि पुनः मधुर लगने लगी थी ।      

मीरा प्रकाश, पटना, बिहार की लघुकथा : मातृशक्ति

रेखा ऑटो लिए यात्रियों के इंतजार में चौराहे पर खड़ी सोच रही थी, अब अंतिम फेरा लगाकर, राजेश की दवा लेकर घर को चलूँ।

घर पहुंचते ही राजेश ने लंगड़ाते हुए दरवाजा खोला। और मन ही मन सोचा, अगर रेखा ने जिद करके रिक्शा चलाना नहीं सीखा होता, तो आज दुर्घटना में उसके पाँव टूटने के बाद उसके घर का खर्च कैसे चलता।

लो जी! अपनी दवा! और हां कल प्लास्टर कटवाने अस्पताल चलना है। कहते हुए रेखा ने घर में प्रवेश किया। राजेश ने हंसकर कहा तुमने इस सोच को गलत साबित कर दिया कि स्त्रियां केवल चौका बर्तन करती, घर में ही अच्छी लगती है।

प्रथम दिन का चतुर्थ सत्र कवि सम्मेलन का रहा जिसमें भारत के सभी प्रदेशों से पधारे हुए अतिथियों ने कविता पाठ किया  …… 

रंजिशें हृदय की,

ख्वाहिशें नयनों से अवलोकन की,

इबारतें ख़ुदा की,

जलालतें मानवता की,

नहीं भूलते, करते, सहते हैं सब

आख़िर यह सब क्यों? और कब तक।

अर्पणा आर्या ( ध्रुव ) प्रयागराज  ,

याद रखना, शांति प्यार इंसानियत है राह तुम्हारा।

जिस पर चल तुम हो परमेश्वर से एक।

पर जब-जब भटके हो तुम,

विवश हो सिखाना पड़ा है मुझे ये मार्ग तुम्हें। 

सीमा सैनी, जमशेदपुर, झारखण्ड ,

हिंदी है नाम मेरा हिंदुस्तान धाम है।

गीत, ग़ज़ल, दोहे और छंद को प्रणाम है।  

कोमल प्रसाद राठौर, रायपुर, छत्तीसगढ़,

हे नेटेश्वर बाबा आप कहां चले गए  ।

हमे निराश करके करके आप कहां चले गए।।

न खाना – खाने को मन करता है ।

न कोई काम करने को मन  करता ।।

रात-दिन तेरी यादो मे मुझे तड़पाता है। 

अच्छी खासी आदमीयो को भी मदहोश बना देता है ।।

दस सेकेन्ट गुल हो जाए तो दश बर्ष सा लगाता है ।

सपनो मे भी अन्लाईन जैसा लगाता है।

सागर सापकोटा, असम

जानवर क्या करे बेचारा

जब इंसान ही

खा जाए उसका चारा

इंसानियत को आती नही

रत्ती भर भी शरम

तो मेरे काठ के उल्लू

आइस क्रीम क्यों

नही हो सकती गरम

आइस क्रीम क्यों

नही हो सकती गरम

हरीश रवि, देहरादून, उत्तराखंड

“इक हसीन महफ़िल की सौगात तुम ले आओ ,

मै गीत लिख दूंगा, साज तुम ले आओ।

मेरे कत्ल के लिए असले  और बारुद की जरुरत नही दोस्तों ,

बस अपने चेहरे पर इक हसीन मुस्कुराहट आज तुम ले आओ ।

डॉ जयप्रकाश नागला , नांदेड, महाराष्ट्र

दिल्ली को दर्द हो तो, दिखता नेपाल में

कोई गैर यू ही चप्पल, घिसता नेपाल में

 दौलत नहीं हमारी, न शोहरत नई नई है

रोटी का और बेटी का, रिश्ता नेपाल से।  ….

ओंकार शर्मा कश्यप, नवादा, बिहार

यह उम्र पचास की

बड़ी परेशान करती है ,

जवानी तो गुजर जाती है

बुढ़ापे को अस्वीकार  करती है

यह उम्र पचास की

बड़ी परेशान करती है। 

नीता चौधरी , जमशेदपुर , झारखण्ड

हूं मालवा की छोरी म्हारे संगे मालवी टोली,

म्हारो देस भारत हे, हूं विराटनगर से बोली । 

हेमलता शर्मा इंदौर, मध्यप्रदेश

शीशे के द्वार को खोलकर

स्वागत करता गार्ड था

स्वर्ण आभूषणों की उस बड़ी दुकान में

बेटी के साथ अंदर जाती

सकुचाती हुई माँ थी, डॉ अर्चना तिर्की , रांची

वसंत ऋतु के आते ही, भंवरे कलियां मुस्काते है।

ऐसे ही मानव जीवन में ,यौवन के दिन आते है।।

जैसे ही यौवन आता, अंग प्रस्फुटित हो उठता।

मुख आभान्वित, कजरारी आंखें ,अंग अंग दमक उठता।।

 डा निशा अग्रवाल, जयपुर, राजस्थान

राह तकते हर पल रहती है मां।

रब जाने कब  कैसे सोती है मां।

याद  उसे   मेरी   जब   आती है

हाथ दुआ के लिए उठाती है मां। 

डॉ अलका वर्मा,सुपौल, बिहार

“देवभाषा की जाया हूँ,

संस्कृत की बिटिया,

भारत-माँ के भाल की

सुशोभित बिन्दिया,

हाँ, मैं  हिन्दी हूँ!

भारत की हिन्दी हूँ!!” 

पूनम (कतरियार)  पटना , बिहार

जीवन का संचार करो

हिंदुस्तान सा देश नहीं,ना हिंदी जैसी और भाषा हैं

कामकाज हो हिंदी में,सुरेश छोटी सी अभिलाषा हैं

भारत वासियों से आशा हैं,मातृभाषा का सत्कार करो।

सुरेश कुमार सुलोदिया ‘भिल्ला’, हरियाणा

साथ मिलता है जब तेरा

फिर तो डर नहीं लगता।

तेरी यादों के साथ लिए

आगे बढ़ता रहता हूँ।

तेरे साथ अपने आपको को भी

चाहने लगता हूँ। 

डॉ अकेला भाई , सिवान

हौले हौले हाथों से, फिसले रेत सी जिंदगी।    

खाली खाली आँखों में, भरे अनजानी तिश्नगी।    

सुहाने सपने दिखाए, उम्मीद दिल में जगाए।  

कोई  पुकारे दूर से। 

अशोक श्रीवास्तव ‘कुमुद’, प्रयागराज

मैं कविता यहां सुनाऊं।

तो किस-किसको सुनाऊं?

यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं।

एक से एक कवि हैं।

जहां न पहुंचे रवि हैं।

ब्रह्मा बन कर लेटे हैं।

यहां तो सभी वक्ता बैठे हैं। 

ओमप्रकाश क्षत्रिय प्रकाश, रतनगढ़, (मध्यप्रदेश)

आते-जाते, आना-जाना जान गये

हम तेरे दिल का तहखाना जान गये

तेरी बोझिल पलकों से ये लगता है

हम भी शायद नींद उड़ाना जान गये,

डॉ0 अंजनी कुमार सुमन  , मुँगेर (बिहार)

जब- तक जीवित रहती है ,

हमारी तन्हाइयाँ ।

तब- तक बजती रहती है,

प्यार  की शहनाइयाँ ।।

जो जीते हैं दिलों की ,

अपनी जिन्दगानियाँ ।

 छोड़ जाते हैं वो,

अपनी मोहब्बत की निशानियों ।। 

नूतन सिन्हा , पटना , बिहार

साहित्य के हीरों को

नेपाल ने दिल से बुलाया है,

साहित्य महोत्सव आयोजित कर

सब को रिझाया है,

सगा भाई भारत का

धरा पर है अगर कोई,

सिवाय नेपाल के दूसरा,

हो सकता नहीं कोई

समर बहादुर ( सरोज ) ,एडवोकेट हाई कोर्ट , इलाहबाद।

आओ अखबार पढ़ते हैं

जो लिखा है, वही पढ़ते हैं

सुख को सुख और दु:ख को दु:ख पढ़ते हैं

खबरें गली, मुहल्ले और शहर की पढ़ते हैं,

हाल नगर नगर, देश विदेश का पढ़ते हैं

पाठक की चिट्ठी पत्तरी

खबरों का विश्लेषण,

लेखक के विचार और सुविचार पढ़ते हैं

आओ अखबार पढ़ते हैं | 

कमल किशोर कमल

कवि सम्मेलन का संचालन काठमांडू की पौडेल विमुन्श  द्वारा किया गया ।

द्वितीय दिवस में प्रथम सत्र पुस्तक विमोचन व पुस्तक  समीक्षा सत्र रहा जिसमें ममता शर्मा अंचल, लक्ष्मी कांत शर्मा, अंबिका खरेल उप्रेती की पुस्तकों का विमोचन किया गया जिसका सञ्चालन डॉ विजय पंडित द्धारा किया गया।

द्वितीय सत्र साक्षात्कार सत्र  मे भारत के वरिष्ठ बाल साहित्यकार Rajkumar Jain Rajan राजकुमार जैन ‘राजन’ ने साक्षात्कार सत्र की  अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि ऐसे आयोजन मैत्री सम्बन्धों को मजबूत करते हैं और एक दूसरे देश के साहित्य, संस्कृति, और परम्पराओं को समझने में सहयोग करते हैं। भारत -नेपाल का रिश्ता दो भाइयों जैसा है।

तृतीय सत्र मुशायरा /गज़ल / चारू / राग विराग को समर्पित रहा संचालन डॉ देवी पंथी द्वारा किया गया ।

राग

जम्बू दीपम्!, आर्यवर्तम्! , हिंद! ओ! माँ भारती।

आन की अरु शान की माँ!, ओढ़नी तू धारती।

ये हिमालय, है मुकुट माँ!,  तेरे उन्नत भाल का।

अरु उदिध उत्तल तरंगे, पग को उर में धारती।

जाति,मजहब, प्रांत,भाषा वाद यह सब भूलकर।

राष्ट्रवादी-दीप बन माँ, हम उतारें आरती।

हम सदा बलिदान करते, शीष तेरे वास्ते।

नग्न पांवों दौड़ पड़ते, मातु! जब तू पुकारती।

सरफरोशी की तमन्ना, दिल में थी बिस्मिल के जो।

वह तमन्ना, हर ह्रदय में,भर दे ओ! माँ  भारती।

दीपक गोस्वामी ‘चिराग’, बहजोई  (सम्भल)

“दो अल्हड़ दीवाने घूम रहे कहीं दूर वीराने,

दीन दुनिया से दूर बेखबर अपने में ही मगन,

एक दूजे में सिमटे फिर भी उड़ते आसमान में,

लगी थी उनको अपने अल्हड प्यार की लगन,

मिले थे जब पहली बार ऐसे ही दौरान ए बारिश,

बाहर भी बारिश थी और अंदर दिलों में भी बारिश,

आंखों की आंखों ही आंखों में कब पहचान हुई

आंखों ने आंखों में देखा आंखों आंखों में बात हुई 

राव शिवराज सिंह, जयपुर, राजस्थान

तृतीय दिवस में प्रथम सत्र साहित्य में अनुवाद : एक विमर्श परिचर्चा हुई जिसका संचालन डा विजय पंडित ने किया और वक्ता के रूप में डॉ घनश्याम परिश्रमी, राजेन्द्र गुरागाईं, विभा रानी श्रीवास्तव, राजेन्द्र पुरोहित, डा पुष्कर राज भट्ट, ओंकार शर्मा कश्यप, डॉ अंजनी कुमार सुमन  रहे अपने विचार रखने के साथ साथ दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों के साहित्य में अनुवाद संबंधित प्रश्नों का उत्तर भी दिया।

दस सूत्रीय विराटनगर घोषणा पत्र सभी के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जिसमें डॉ विजय पंडित, डा देवी पंथी, राधा पांडेय , ममता शर्मा अंचल, अभय श्रेष्ठ, विभा रानी श्रीवास्तव, ओंकार शर्मा कश्यप, हेमलता शर्मा, डॉ अंजनी कुमार सुमन शामिल रहे।

राव शिवराज सिंह के शोध पत्र वाचन के साथ समापन समारोह आयोजित किया गया । जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में विराट नगर महानगर पालिका के मेयर नागेश कोईराला जी  रहे और विशिष्ट अतिथियों में  गंगा सुबेदी जी , दधिराज सुवेदी जी , कार्यक्रम अध्यक्ष विवश पोखरेल जी रहे, मिन कुमार नवोदित जी , डा. हनीफ, ज्योतिष शिरोमणि डॉ बलराम उपाध्याय रेग्मी पोखरा, डा घनश्याम परिश्रमी, गोकुल अधिकारी और विष्णु भंडारी असम और सिक्किम से राधा पांडे रहे। झारखंड प्रीति सैनी, तनुश्री लेंका, भागलपुर से डा अंजनी कुमार सुमन, दिल्ली से इंदुमती सरकार, कानपुर से सीमा वर्णिका, हरियाणा से डा त्रिलोक चंद फतेहपुरी ,

जयपुर से डॉ निशा अग्रवाल, जोधपुर से राजेन्द्र पुरोहित, प्रेमलता सिंह राजपूत, रंजना सिंह, मीरा प्रकाश और इंदौर से शीतल शैलेन्द्र सिंह राघव देवयानी, नागपुर से रीमा दिवान चड्ढा, राजस्थान से डा दिनेश व्यास ललकार, मध्य प्रदेश से रमा निगम, डा जयप्रकाश नागला महाराष्ट्र सहित उत्तर पूर्व राज्य असम से हेमप्रभा हजारिका, रूनुदेवी बरूआ, लक्ष्मी कांत शर्मा ,  दुर्गा प्रसाद ढकाल, मनमाया गुरूंग, छविलाल ओझा, पंडित केशव खनाल, चक्रपाणि भट्टराई, टोमादेवी पौडयाल, अनीता गुरुंग जैसी जानी मानी साहित्यिक व सामाजिक विभूतियों की सहभागिता रही।

समापन सत्र के मुख्य अतिथि महानगरपालिका के मेयर नागेश कोईराला ने अपने उद्बोधन में दोनों देशों की साझा संस्कृति, कला व साहित्य  को आगे बढ़ाने के लिए भरपूर सहयोग करने का आश्वासन दिया और सभी अतिथियों को सम्मानित भी  किया ।

तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में संयोजन के रूप में चारू साहित्य प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डा देवी पंथी और सह संयोजक के रूप में वरिष्ठ पत्रकार वरूण मिश्रा व माला मिश्रा रहे।

तीन दिवसीय नेपाल भारत साहित्य महोत्सव के चतुर्थ संस्करण में सह आयोजक महानगर पालिका विराटनगर, मुख्य सलाहकार व मार्गदर्शक Ganesh Lath गणेश लाठ जी व सहयोगी दीपक अग्रवाल जी, राजेन्द्र गुरागांई जी, करुणा झा जी  व शैलेन्द्र मोहन झा जी , महेश सोनी जी , अम्बिका खरेल उप्रेती जी ,  राधा भटराई जी, सबीना श्रेष्ठ जी,   सहित अन्य सभी सहयोगियों का हम आभार व्यक्त करतें हैं। आयोजन की सफलता में आप सभी ने स्नेहिल सहयोग व हमारा मार्गदर्शन किया है वास्तव में हमारे लिए बहुमूल्य है।

दोस्तों .. साहित्य समाज का दर्पण ही नहीं अपितु दीपक का भी काम करता है जो समाज को एक नई दिशा दिखाता है और हम साहित्यिक महोत्सव के माध्यम से नेपाल और भारत के मध्य एक साहित्यिक सेतु का निर्माण कर रहे हैं ।

वसुद्धैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ हम दोनों देशों के बीच प्रेम, सद्भाव, एकता, परस्पर सहयोग व साहित्य के दायरे का विस्तार करने के साथ वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में नवोदित व गुमनाम कलमकारों को एक अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध करा रहे हैं ।

डा विजय पंडित

नेपाल भारत साहित्य महोत्सव, विराटनगर, नेपाल

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ संपादकीय निवेदन ☆ श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई – अभिनंदन ☆ सम्पादक मंडळ ई-अभिव्यक्ति (मराठी) ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

? श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई – अभिनंदन ?

💐 संपादकीय निवेदन 💐

आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई यांची दोन पुस्तके नुकतीच प्रकाशित झाली आहेत.‘दुसरी बाजू’ हा नवा कथासंग्रह व ‘आभाळमाया’ या पुस्तकाची दुसरी आवृत्ती प्रकाशित झाली आहे.

? ई मराठी समुहातर्फे श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई यांचे साहित्यसेवेबद्दल मनःपूर्वक अभिनंदन  ?

संपादक मंडळ, ई-अभिव्यक्ती (मराठी)

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर से ☆ प्रस्तुति – डॉ निशा अग्रवाल ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर  से  – डॉ निशा अग्रवाल🌹

🌹 नेपाल भारत साहित्य महोत्सव संपन्न 🌹

देश का प्रतिनिधित्व कर लौटी डॉ निशा अग्रवाल – भारत नेपाल मैत्री और साहित्यिक साहचर्य बढ़ाने पर चर्चा 

भारत नेपाल मैत्री को मजबूत करने पर दोनों देशों के बीच साहित्यिक साहचर्य को बढ़ाने के लिए नेपाल के विराटनगर में दोनों देशों के करीब 300 चुनिंदा साहित्यकार पहुंचे थे। इसमें जयपुर की डॉ निशा अग्रवाल भी शामिल हुई थी। डॉ निशा ने भारत के तरफ से इसमें हिस्सा लेते हुए अपनी रचना के साथ ही विभिन्न सत्रों में अपनी सहभागिता निभाई। इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन के दौरान नेपाल भारत साहित्य महोत्सव आयोजन समिति की ओर से उन्हें प्रमाण पत्र, प्रतीक चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया। बता दें कि प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विजय पंडित की अगुआई में हर साल नेपाल में यह आयोजन किया जाता है और दोनों देशों के प्रमुख साहित्यकार शामिल होते हैं। इस बार यह कार्यक्रम 17 से 19 मार्च तक विराट नगर में हुआ। इसमें शामिल होने के लिए उन्हें नेपाल भारत साहित्य महोत्सव में आमंत्रित किया गया था ।

इस कार्यक्रम के दौरान भारत नेपाल के प्रसिद्ध शिक्षाविद, कवि, लेखक, समीक्षक, आलोचक के अलावा नेपाल के जनप्रतिनिधि और अन्य गणमान्य लोग भी शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना के साथ नेपाल भारत के ऐतिहासिक सम्बन्ध को मजबूत बनाना है और एक साहित्य सेतु का निर्माण करना है। साथ ही महाभारत कालीन ऐतिहासिक शहर विराटनगर को दुनिया के आगे सार्वजनिक करना, रामायण और बुद्ध सर्किट को महाभारत सर्किट से जोड़ने नवोदित व गुमनाम कलमकारों को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करने की कोशिश हुई। वे बताते हैं कि भारत और नेपाल का संबंध ना सिर्फ मां सीता और बौद्ध कालीन अवशेषों से है बल्कि द्वापर युग में भी यह अत्यंत प्रगाढ़ था। विराटनगर जैसे महाभारत कालीन नगर इसकी निशानी है। 

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆ 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – नेपाल से ☆ प्रस्तुति – डॉ निशा अग्रवाल ☆

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(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – नेपाल से  – डॉ निशा अग्रवाल🌹

🌹 चतुर्थ इंडो-नेपाल त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव आयोजित 🌹

नेपाल महानगरपालिका विराटनगर और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ भारत के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित चतुर्थ इंडो-नेपाल त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव में राव शिवराज पाल सिंह (इनायती) और डॉ निशा अग्रवाल का सम्मानित🌹

नेपाल विराटनगर महानगरपालिका और क्रांतिधरा साहित्य अकादमी मेरठ भारत के संयुक्त तत्वावधान में बिराटनगर नेपाल में त्रिदिवसीय साहित्यिक महोत्सव दिनांक 17, 18 और 19 मार्च 2023 को आयोजित किया गया जिसमें भारत और नेपाल के 350 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम के संयोजक विराटनगर निवासी डॉ देवी पंथी एवं आयोजक मेरठ निवासी डॉ विजय पंडित रहे। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि विराटनगर महानगरपालिका मेयर नागेश कोइराला , विशिष्ट अतिथि गंगा सुबेदी, दधिराज सुबेदी, कार्यक्रम अध्यक्ष विवश पोखरेल की मौजूदगी में हुआ। कार्यक्रम पांच सत्र में संपन्न हुआ। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का संचालन नेपाल के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ देवी पंथी ने किया। समारोह के प्रथम दिवस को आयोजित कविता वाचन सत्र की अध्यक्षता नेपाल के प्रोफेसर तेजप्रकाश ने की जिसमें मुख्य अतिथि जयपुर के राव शिवराज पाल सिंह तथा विशिष्ट अतिथि डॉ निशा अग्रवाल एवं अन्य रहे। इस सत्र का मुख्य आकर्षण जयपुर की डॉ निशा अग्रवाल का प्रभावशाली कविता वाचन रहा। इस सत्र का उद्बोधन राव शिवराज पाल सिंह के शब्दों के साथ हुआ। राव शिवराज ने कहा कि-  “हिंदी और नेपाली भाषा संस्कृत से निकली भाषाएं है। एक भाषा, दूसरी भाषा का विकास करती है और हमें एक दूसरे के साहित्य को पढ़ते रहना चाहिए।”

साहित्य में अनुवाद की महत्ता विषय पर परिचर्चा और शोधपत्र वाचन सत्र का संचालन कार्यक्रम आयोजक और अच्छे साहित्यकारों में शुमार मेरठ के डा विजय पंडित ने कहा कि- “साहित्य समाज का दर्पण के साथ एक दीपक का भी काम करता है जो समाज को एक नई दिशा दिखलाता है और साहित्यिक महोत्सव के माध्यम से हम दोनों देशों के बीच एक मजबूत साहित्यिक सेतु का निर्माण करने का प्रयास कर रहे हैं।डॉ निशा ने अपने वक्तव्य में कहा कि- “साहित्य भावनाओं की वह त्रिवेणी है जो जनहित की धरा के साथ उच्चादर्शों की दिशा में प्रवाहित होती है।राव शिवराज ने कहा कि- “साहित्य के बिना समाज गूंगा है और समाज के बिना साहित्य मात्र कोरी कल्पना।” अतः साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक हैं। वक्ताओं ने कहा कि-  “भारत नेपाल के मध्य साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने हेतु यह सफल और शानदार वैश्विक मंच हैं। ” कार्यक्रम में नेपाल के वरिष्ठ एवं नवोदित साहित्यकार के साथ साथ भारत के विभिन्न राज्यों से आए गजलकार अशोक श्रीवास्तव प्रयागराज, कवि हरीश देहरादून, ओंकार कश्यप पटना, अंजनी सुमन भागलपुर, राजकुमार चित्तौड़गढ़, प्रीति सैनी जमशेदपुर , हेमलता शर्मा इंदौर, राधा पांडे सिक्किम , नूतन सिन्हा बिहार,रीमा दीवान चढ़ा नागपुर, डॉ त्रिलोकचंद फतेहपुरी, अर्चना तिर्की रांची एवं अन्य वरिष्ठ एवं नवोदित साहित्यकारों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। सभी कलमकारों की लघु कथाओं और बहुभाषी कवि सम्मेलन ने कार्यक्रम में शमां बांध दिया।

समारोह में राव शिवराज पाल सिंह और डॉ निशा अग्रवाल को सम्मान पत्र और ट्रॉफी भेंट कर सम्मानित किया गया।

साहित्यकारों के इस विशाल कुंभ के व्यवस्थित आयोजन और सफल संचालन के पीछे भारत से डॉ विजय पंडित और नेपाल से डॉ देवी पंथी की मुख्य भूमिका रही।

राव शिवराज और डॉ निशा ने कार्यक्रम के संयोजक,आयोजक, व्यवस्थापक टीम के साथ समस्त आगंतुक विद्वतजनों का आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए सभी को बधाई दी।

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆ 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव में श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” को नेपाल- भारत सहित्य सेतु सम्मान – अभिनंदन ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव में श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय “प्रकाश” को नेपाल- भारत सहित्य सेतु सम्मान – अभिनंदन 🌹

विराट नगर। नेपाल की औद्योगिक नगरी विराट नगर में 17 मार्च से तीन दिवसीय नेपाल-भारत साहित्य महोत्सव आयोजित किया गया हैं। इस आयोजन के प्रथम दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में अतिथि के तौर पर रतनगढ़ के साहित्यकार ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए नेपाल-भारत सहित्य सेतु सम्मान से सम्मानित किया गया। आप की अब तक 38 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इसी के साथ आप कई रचनाएं विभिन्न प्रदेशों के पाठ्यक्रम में भी सम्मिलित की गई। एक पुस्तक प्रकाशन विभाग, सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा भी प्रकाशित की गई हैं।

आपने प्रथम दिवस के द्वितीय सत्र के अध्यक्षता करते हुए अपने उद्बोधन में कहा है कि- “इस तरह के कार्यक्रम से साहित्यिक एवं मैत्रिक संबंध मजबूत होते हैं। इससे हमें एक-दूसरे के साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं परंपरागत रीति-रिवाजों को जानने-समझने का मौका मिलता है। इससे हमारे आपसी संबंधों को मजबूती मिलती हैं।”

क्रांति धरा एवं विराट नगर महापालिका के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित नेपाल भारत साहित्यिक महोत्सव, रामजानकी मंदिर, विराट नगर (नेपाल) में आयोजित किया गया हैं। जिसमें प्रमुख अतिथि भूतपूर्व प्रदेश प्रमुख (गवर्नर) कोसी प्रदेश नेपाल के श्री गोविंद सुब्बाजी, विशिष्ट अतिथि विराटनगर के महानगर पालिका प्रमुख (मेयर) श्री नागेश कोइरालाजी, प्रज्ञा प्रतिष्ठान मधेश प्रदेश के अध्यक्ष डॉ. राम भरोसे कापड़ी (पोखरा), पूर्व सांसद खेम नेपाली, विधायक किशोरचन्द्र दुलार, आयोजक डॉ. विजय पण्डित, देवी पंथी, गजलकार पूजा बहार, नेपाल भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष शैलेन्द्र मोहन झा एवं भारत-नेपाल से आमंत्रित 300 से अधिक साहित्यकारों ने सहभागिता की है।

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्य की दुनिया ☆ प्रस्तुति – श्री कमलेश भारतीय ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्य की दुनिया – श्री कमलेश भारतीय  🌹

(साहित्य की अपनी दुनिया है जिसका अपना ही जादू है। देश भर में अब कितने ही लिटरेरी फेस्टिवल / पुस्तक मेले / साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित किये जाने लगे हैं । यह बहुत ही स्वागत् योग्य है । हर सप्ताह आपको इन गतिविधियों की जानकारी देने की कोशिश ही है – साहित्य की दुनिया)

☆ माधव कौशिक साहित्य अकादमी अध्यक्ष

यह हमारे लिये बड़े गौरव व खुशी की बात है कि माधव कौशिक देश की साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बने । वे मूलतः हरियाणा की छोटी काशी कहे जाने वाले भिवानी से संबंध रखते हैं और काफी समय से चंडीगढ़ ही रहते हैं । एक सशक्त साहित्यकार और हरियाणा साहित्य अकादमी से अनेक बार पुरस्कृत । चंडीगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष भी हैं । पहले वे काफी वर्षों से साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे । अब वे विधिवत साहित्य अकादमी के अध्यक्ष बन गये । हमारी ओर से बधाई ।

कुरूक्षेत्र में ओमप्रकाश ग्रेवाल को याद किया : कुरूक्षेत्र के कैलाश नगर स्थित डॉ.ओम प्रकाश ग्रेवाल अध्ययन संस्थान द्वारा एक ऐतिहासिक महत्व का अविस्मरणीय व्याख्यान करवाया गया जिसका विषय था – ‘ देश विभाजन : तब और अब’ व्याख्यान देने के लिए विख्यात विद्वान, देश और दुनिया की अनेक सर्वोत्तम उच्च शिक्षा संस्थाओं में रहे वर्तमान में अमेरिका की ओहायो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एमेरिटस डॉ. अमृतजीत सिंह विशेष रुप से कुरुक्षेत्र आमंत्रित थे । अमृतजीत सिंह कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र और डॉ. ग्रेवाल के विद्यार्थी रहे हैं । उन्होंने डॉ ग्रेवाल के साथ अपनी बहुत सी स्मृतियों को साझा किया। व्याख्यान शुरू करते हुए उन्होंने बताया कि सन् 1947 में देश की आजादी के साथ विभाजन की त्रासदी भी घटित हुई। इस समय हुए दंगे-फसादों में दस लाख से ऊपर निरपराध लोग मारे गए और एक करोड़ से ऊपर विस्थापित हुए । उस समय के दर्दनाक वृत्तांत बहुत हैं जिनमें हिंसा और नफरत है लेकिन उतने ही किस्से मोहब्बत, इन्सानियत, एक-दूसरे की हिफाज़त करने के भी हैं ।

डॉ सिंह ने कहा कि विभाजन दिल और दिमाग में जब तक खत्म नहीं होता तब तक यह निरंतर चलता रहेगा । उन्होंने कहा विभाजन 1984 में भी हुआ था 1994 में भी हुआ था 2002 में भी हुआ था और दिलों में तो यह अब भी जारी है। भीष्म साहनी और पाकिस्तानी लेखक इंतजार हुसैन के साहित्य का उदाहरण देकर उन्होंने विभाजन को खत्म करने के लिए कुछ सूत्र दिए । हमें नए सिरे से बेहतर भविष्य बनाने के लिए काम करना पड़ेगा उन्होंने बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए कहा कि वह देश आर्थिक व्यवस्था में हमसे बेहतर काम कर रहा है क्योंकि उसने विभाजन की राजनीति को छोड़ दिया है ।

बहस में सुरेन्द्र पाल सिंह ने लखविंदर पाल सिंह ग्रेवाल, प्रिंसिपल सहेमराज शर्मा, ओम सिंह अशफ़ाक, डॉ.टी.आर.कुण्डू, डॉ.दिनेश दधीचि, डॉ. रामेश्वर दास,दीपक वोहरा, विकास शर्मा,शशि प्रकाश,सुशील, डॉ. रविन्द्र गासो,मुरथल यूनिवर्सिटी से जसमिन्द्र,राहुल मलिक आदि ने गंभीर प्रश्न खड़े किए ।

इंडिया नेटबुक्स सम्मान : नोएडा में इंडिया नेटबुक्स के संचालक डाॅ संजीव कुमार ने पिछले रविवार लेखकों को सम्मानित प्रदान किये । सर्वोच्च सम्मान वरिष्ठ लेखिका चित्रा मुद्गलप्रताप सहगल को प्रदान किया गया । इनके अतिरिक्त देश भर से पचपन लेखकों /संपादकों को सम्मानित किया गया जिसमें जनसत्ता के संपादक मुकेश भारद्वाज उल्लेखनीय हैं । किसी भी प्रकाशन संस्थान द्वारा लेखकों को सम्मानित करना एक अच्छी परंपरा है जिसे संजीव कुमार निभा रहे हैं । इनके साथ डाॅ प्रेम जनमेजय भी एक सलाहकार की तरह जुटे हैं । पंजाब , चंडीगढ़ से लेकर छत्तीसगढ़, राजस्थान तक से लेखक इसमें भाग लेने आये । भव्य समारोह के लिए डाॅ संजीव कुमार को बधाई । पर सम्मान के लिए इतनी लम्बी सूची थोड़ी कम की जानी चाहिए जिससे इनकी गरिमा बनी रह सके ।

हिसार मे रंग आंगन नाट्योत्सव : हिसार में पिछले नौ वर्ष से रंगकर्मी मनीष जोशी अभिनय रंगमंच की ओर से रंग आंगन नाट्योत्सव का आयोजन करते हैं । इस फिर भी दस से सत्रह मार्च तक यह नाट्योत्सव आयोजित किया गया । इसमें मुम्बई से प्रसिद्ध एक्टर राजेंद्र गुप्ता और हिमानी शिवपुरी अपने नाटक -जीना इसी का नाम है के साथ हिसार आये । तुलसी सभागार में इसका प्रभावशाली मंचन हुआ । दोनों कलाकार बाद में बाल भवन में लोगों से खूब सहजता से मिले और नाटक भी देखा । इस नाट्योत्सव में असम , दिल्ली , पंजाब व हरियाणा से अनेक नाट्य दल अपनी नयी प्रस्तुतियां मंचित करने आये । इसमें एक दिन बच्चों के लिये कठपुतली शो भी रखा जाता है और प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना राखी जोशी भी अपनी छात्राओं को साथ एक शो देती हैं । इस नाट्योत्सव का अब हर साल हिसारवासियों को बेसब्री से इंतजार रहता है ।

दिल्ली में नट सम्राट : दिल्ली की नाट्य संस्था नट सम्राट के संस्थापक व रंगकर्मी श्याम कुमार ने नट सम्राट नाट्योत्सव का आयोजन किया । इसमें एक दर्जन साहित्यकारों व रंगकर्मियों को नट सम्राट सम्मान प्रदान किये गये जिनमें क्रिटिक अवाॅर्ड मुझे भी मिला । ये नाट्य संस्थायें नाटक की मशाल को जलाये हुए हैं
इसके लिये इनके जज्बे को सलाम ।

चित्रा मुद्गल और शशि पुरवार को सम्मान : मुम्बई निवासी सशक्त रचनाकार शशि पुरवार को महाराष्ट्र साहित्य अकादमी की ओर से नभदेव सम्मान दिये जाने की घोषणा हुई है । इसी अकादमी ने चित्रा मुद्गल को सर्वोच्च सम्मान देने की घोषणा भी की है ।

साभार – श्री कमलेश भारतीय, पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क – 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

(आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी द्वारा साहित्य की दुनिया के कुछ समाचार एवं गतिविधियां आप सभी प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने का सामयिक एवं सकारात्मक प्रयास। विभिन्न नगरों / महानगरों की विशिष्ट साहित्यिक गतिविधियों को आप तक पहुँचाने के लिए ई-अभिव्यक्ति कटिबद्ध है।)  

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ शिक्षा और सुरक्षा में है महिला सशक्तिकरण का मूलाधार – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन ☆ श्री अजीत सिंह

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

(श्री अजीत सिंह, पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन)

☆ शिक्षा और सुरक्षा में है महिला सशक्तिकरण का मूलाधार – वानप्रस्थ (वरिष्ठ नागरिकों की संस्था) का आयोजन

महिलाओं का विकास रुकते ही दुनिया का विकास ठहर जाता है; वानप्रस्थ में गोष्ठी

हिसार। मार्च ११। महिला दिवस के उपलक्ष्य में वानप्रस्थ संस्था द्वारा सीनियर सिटीजन क्लब में आयोजित चर्चा में महिला सदस्यों ने उन सभी मुद्दों पर दिल खोलकर बात की जो कहीं गहरे में उन्हें चुभन देते हैं। जिन मुद्दों की पहचान कर उनके समाधान की बात की गई उनमें माता पिता और समाज द्वारा बेटा बेटी में फर्क, दहेज़ का मसला, संपत्ति में हक, झूठे सम्मान के लिए युवाओं की हत्या, समान वेतन, बाल विवाह, सास बहू के झगड़े, राजनीति में हिस्सेदारी व महिलाओं के लिए स्कूल कॉलेजों व दफ्तरों में शौचालय जैसी सुविधाओं के अभाव के मुद्दे शामिल थे। इस बात पर सब एकमत थे कि महिला सशक्तिकरण का मूलाधार शिक्षा और सुरक्षा में है।

चर्चा की शुरुआत करते हुए प्रो सुनीता श्योकंद ने विश्व स्तर तथा राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के साथ भेदभाव के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि  महिलाओं के लिए सुरक्षा और पोषण के मुद्दे महिला सशक्तिकरण के मार्ग में आज भी बाधा बने हुए हैं हालांकि कानून के हिसाब से उन्हें पुरुषों के बराबर अधिकार प्राप्त हैं। इसके लिए समाज की सोच बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने ने कहा कि जहां महिलाओं का विकास रुक जाता है, वहीं दुनिया का विकास भी रुक जाता है।

प्रो पुष्पा खरब का कहना था कि लड़कियों और महिलाओं के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाना चाहिए, इस बारे में परिवार द्वारा लड़कों को संस्कार दिए जाने चाहिएं। उन्होंने कहा कि समाज में बेटे की चाहत इतनी प्रबल हो गई है कि बेटियों के पिता को बेऔलादा समझा जाता है।

प्रो पुष्पा सतीजा का कहना था कि गर्भ में लिंग का पता लगाने की तकनीक के आने से कन्या भ्रूण हत्या का चलन बढ़ गया है । इससे लड़के लड़कियों का अनुपात बिगड़ रहा है, बहुत से लड़कों के रिश्ते नहीं हो रहे हैं और समाज में महिलाओं के प्रति अपराध बढ़ रहे हैं।

प्रो सुनीता जैन का कहना था कि कामकाजी महिलाओं के पतियों को घर के काम काज में उनका हाथ बटाना चाहिए जैसा कि पश्चिमी देशों के समाज में होता है।
मांओं को बेटियों की तरह बेटों को भी घर का काम सिखाना चाहिए ताकि वे बड़े होकर ये काम करते हुए शर्म या झिझक महसूस न करें।

वीना अग्रवाल का कहना था कि यह बड़ी विडंबना है कि ढाबे या होटल का रसोइया घर आकर अपना खाना नहीं बनाता, बीवी से ही बनवाता है।

पूर्व बैंक मैनेजर संतोष डांग ने कहा कि नौकरी करने वाली महिलाएं भी अपने वेतन को स्वयं खर्च नहीं करती, पति ही करते हैं। उनका सुझाव था कि हर पति को अपनी जायदाद, बैंक खातों व बीमा आदि की पूरी जानकारी पत्नी को देनी चाहिए ताकि पति की मृत्यु की स्थिति में वह इसका लाभ उठा सके। उन्होंने बताया कि बैंकों में हजारों करोड़ रूपये पड़े हैं जिनका कोई दावेदार ही नहीं है।

प्रो स्वराज कुमारी का कहना था कि पुरुषों द्वारा महिलाओं को नीचा दिखाने के चुटकले व किस्से बंद होने चाहिएं।सभ्य समाज में ऐसा करना अनुचित है।

प्रो राज गर्ग ने अपनी बात एक कविता के माध्यम से रखते हुए कहा कि वे पुरुषों की ज्यादतियां सहने वाली नारियों को अपना आदर्श न मानते हुए केवल अपने जैसी ही बनेंगी और अपनी आज़ादी और अपने अधिकारों पर आंच नहीं आने देंगी।

“मैं गाँधारी नहीं बनूंगी

नेत्रहीन पति की आँखे बनूंगी

अपनी आँखे मूंद लूं

अंधेरों को चूम लूं

ऐसा अर्थहीन त्याग

मै नहीं करूंगी

मेरी आँखो से वो देखे

ऐसे प्रयत्न करती रहूँगी

मैं गाँधारी नहीं बनूँगी।

मैं, मैं हूँ ।

मैं ही रहूँगी……..”

महिला वक्ताओं के इलावा वानप्रस्थ के पुरुष सदस्यों ने भी महिला अधिकारों पर अपने विचार रखे। दूरदर्शन के पूर्व समाचार निदेशक अजीत सिंह का कहना था कि आजकल बच्चों को संस्कार या दुराचार सिखाने का काम टेलीविजन और स्मार्ट फोन से हो रहा है क्योंकि परिवारों में माता पिता और बच्चों के बीच संवाद का सिलसिला बहुत ही कमज़ोर हो चुका है और यह गंभीर चिंता का विषय है।

लगभग अढ़ाई घंटे चली गोष्ठी में प्रो एम पी गुप्ता, प्रो बी के सिंह, प्रो नरेश बंसल, डॉ मनवीर, प्रो सुरजीत जैन, प्रो जे के डांग, प्रो एस के अग्रवाल, एस एस लाठर, उम्मेद सिंह व अन्य ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

वानप्रस्थ की गोष्ठी का दृश्य।

©  श्री अजीत सिंह

पूर्व समाचार निदेशक, दूरदर्शन

संपर्क: 9466647037

ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फ़ाउंडेशन, और अनुस्वार द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार सम्मानित – अभिनंदन☆ साभार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फ़ाउंडेशन, और अनुस्वार द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार सम्मानित – अभिनंदन

इंडिया नेटबुक्स, बीपीए फ़ाउंडेशन, और अनुस्वार के संयुक्त तत्वावधान में प्रत्येक वर्ष पंडित भगवती प्रसाद अवस्थी की जयंती पर चयनित रचनाकारों को सम्मानित किया गया। वर्ष २०२२ के लिये चयन समिति (श्रीमती ममता कालिया, सर्वश्री हरिसुमन विष्ट, प्रेम जनमेजय, राजेश कुमार, लालित्य ललित, प्रभात शुक्ला, डा. मनोरमा) ने इन पुरस्कारों की घोषणा की थी।

इस वर्ष का शिखर सम्मान-वेद व्यास सम्मान-श्रीमती चित्रा मुद्गल को और वागीश्वरी सम्मान के लिए श्री प्रताप सहगल को दिया गया. 

लघुकथा रत्न पुरस्कार के लिए श्री कमलेश भारतीय

साहित्य विभूषण सम्मानों के लिए  सर्वश्री फारुक अफ़रीदी, गिरीश पंकज, राहुल देव, मुकेश भारद्वाज और प्रबोध कुमार गोविल को दिया गया ।

(ई-अभिव्यक्ति के हिंदी संपादन सहयोगी श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव को साहित्य के क्षेत्र में व्यंग्य भूषण अलंकरण से सम्मानित किया गया – अभिनंदन 💐)

संपादक – (ई-अभिव्यक्ति) 

साहित्य भूषण पुरस्कार के लिये विवेक रंजन श्रीवास्तव,अरूण अर्णव खरे, धर्मपाल महेंद्र जैन (कनाडा), उर्मिला शिरींष, श्याम सखा श्याम, हरिप्रकाश राठी, अनिता कपूर (यूएसए) संध्या सिंह (सिंगापुर), वीना सिन्हा (नेपाल), मंजू लोढ़ा, राजेंद्र मोहन शर्मा (जयपुर) को दिया गया।

साहित्य रत्न पुरस्कार अंजू खरबंदा, स्वाति चौधरी, सीमा चडढा, अपर्णा, चार्वी अग्रवाल, प्रदीप कुमार (मनोरमा ईयर बुक), आलोक शुक्ला, सुषमा मुनीन्द्र, यशोधरा भटनागर, अनिता रश्मि, मनोज अबोध, जयराम जय, धरमपाल साहिल,रोहित कुमार हैप्पी (न्यूजीलैंड), गंगााराम राज़ी, बलराम अग्रवाल, कमलेश भारतीय, देवेंद्र जोशी , राम अवतार बैरवा, शैलेंद्र शर्मा, सुभाष नीरव एवं पारूल तोमर को दिये गये है ॥

 समाज सेवा में संलग्न सेवियों को समाज रत्न पुरस्कार दिए गए- आलोक शुक्ला, संजय मिश्रा, रिंकी त्रिवेदी, सुधीर आचार्य, वरुण महेश्वरी और प्रेम विज

समाज रत्न पुरस्कार के लिए चयनित राजूरकर राज को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दिया गया।

सभी सम्मान व पुरस्कारों का अलंकरण समारोह 12 मार्च 2023 को होटल क्राउन प्लाज़ा, मयूर विहार फेज़-1 एक्सटेंशन, दिल्ली में संपन्न हुआ।

साभार – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव

🌹 सभी सम्मानित साहित्यकारों को ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 🌹

 ≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचनाएँ/Information ☆ साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर से ☆ प्रस्तुति – डॉ निशा अग्रवाल ☆

 ☆ सूचनाएँ/Information ☆

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🌹 साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार – जयपुर से  – डॉ निशा अग्रवाल🌹

🌹 भारत नेपाल साहित्य महोत्सव आयोजित 🌹

भारत के पड़ोसी देश नेपाल के विराटनगर शहर में भारत और नेपाल के चुनिंदा साहित्यकारों का कुंभ भारत नेपाल साहित्य महोत्सव 17 से 19 मार्च तक लगातार चौथे वर्ष आयोजित किया जा रहा है। 

इस कार्यक्रम  में जयपुर (राजस्थान) से राव शिवराज पाल सिंह और डॉ श्रीमती निशा अग्रवाल को अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। ज्ञातत्व है कि राजस्थान से पहली बार दो साहित्यकारों को साहित्य के इस विशाल कुंभ में आमंत्रित किया गया है। राव शिवराज पाल सिंह बेहद बहुमुखी प्रतिभा के धनी है। ये जाने माने कवि, गद्यकार, कॉलम लेखक, राजपूताने इतिहास के अध्येता और विरासत सरंक्षण में विशेषज्ञ हैं। डॉ निशा अग्रवाल बाड़ी निवासी श्री जगदीश प्रसाद मंगल (पिपरैट वाले) की सुपुत्री हैं। ये शिक्षाविद होने के साथ साथ लेखिका, कवयित्री, स्क्रिप्ट राइटर और एंकर भी हैं। कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में ये देश में ही नहीं अपितु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी विशेष पहचान बना रही हैं। डॉ निशा शिक्षा विषय से पीएचडी हैं। वर्ष 2022 में अल्जीरिया से डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित हैं। डॉ निशा की संस्कृति एवं साहित्य के प्रति समर्पण की भावना बेहद सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।

किसी अंतरराष्ट्रीय संस्था विशेष द्वारा भारत की इन दोनों बहुमुखी प्रतिभाओं का अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान गौरवपूर्ण कार्य है। आपको बता दें कि नेपाल -भारत साहित्य महोत्सव में देश के कुछ ही चुनिंदा साहित्यकारों को आमंत्रित किया गया है। भारतीय हिंदी साहित्य के प्रतिनिधि के रूप में इनका सम्मान भी किया जायेगा। राव शिवराज और डॉ निशा ने बताया कि देश से बाहर हिंदी का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्हें बेहद गौरव की अनुभूति हो रही है और हमारा प्रयास रहेगा कि हिंदी को विश्व पटल पर सम्मानजनक स्थान मिले।

साभार –  डॉ निशा अग्रवाल

जयपुर ,राजस्थान  

 ☆ (ब्यूरो चीफ ऑफ जयपुर ‘सच की दस्तक’ मासिक पत्रिका)  ☆ एजुकेशनिस्ट, स्क्रिप्ट राइटर, लेखिका, गायिका, कवियत्री  ☆ 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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सूचना/Information ☆ “तब जाकर मुझे छाँव मिली” कविता संग्रह का विमोचन ☆ डॉ प्रेरणा उबाळे ☆

सूचना/Information 

(साहित्यिक एवं सांस्कृतिक समाचार)

🍁 “तब जाकर मुझे छाँव मिली” कविता संग्रह का विमोचन 🍁

मार्च 2023 को हिंदी विभाग, महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर, पुणे की ओर से “तब जाकर मुझे छाँव मिली” का विमोचन समारोह का आयोजन किया गया था l
मेरा जीवन संघर्ष विषय पर आधारित साझा कविता संग्रह के लिए हिंदी विभाग की ओर से कविताएँ भेजने का आवाहन छह माह पूर्व किया गया था उसके परिणामस्वरुप हिंदी विभाग को भारतभर से बहुत अच्छा प्रतिसाद मिला और लगभग 90 कविताएँ प्राप्त हुई l प्राध्यापक, हिंदी प्रेमी, वरिष्ठ कवि, निमंत्रित कवि आदि की जीवन संघर्ष विषय पर कविताएँ इस पुस्तक में संकलित की गई l विभिन्न प्रकार से जीवन के संघर्ष की अभिव्यक्ति करने वाली इन कविताओं का संकलन और संपादन का कार्य डॉ. प्रेरणा उबाळे ने किया l

शैलजा प्रकाशन, कानपुर के श्री आशुतोष तिवारी ने पुस्तक का प्रकाशन किया है l इस पुस्तक की भूमिका डॉ. सुनील देवधर ने लिखी है l

प्रस्तुत समारोह में सचिव प्रा. शामकांत देशमुख, मॉडर्न महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव, उपप्राचार्य डॉ. विजय गायकवाड और हिंदी विभागप्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे के कर कमलों से पुस्तक का विमोचन किया गया l

डॉ. सुनील देवधर जी ने अपने व्याख्यान में कविता, कवि और शब्दों के महत्व पर प्रकाश डाला और सभी कवियों के लेखन की प्रशंसा की प्राचार्य डॉ राजेंद्र झुंजारराव ने छात्रों के लेखन को सराहा तथा जीवन को उन्नत बनाने के लिए संघर्ष को आवश्यक माना l संस्था के सचिव और प्रशासन विभाग के उपप्राचार्य प्रा. शामकांत देशमुख जी ने कविता-संग्रह के शीर्षक की सराहना की l साथ ही मराठी हिंदी के कवि और उनके जीवन से संबंधित कुछ किस्सों को ताजा किया l

इस कार्यक्रम में पुस्तक के लिए लेखन करने वाले उपस्थित कवियों को मान्यवर महानुभावों के हाथों “तब जाकर मुझे छाँव मिली” पुस्तक भेंट की इसके उपरांत उपस्थित कवियों ने अपने मंतव्य अभिव्यक्त किए l इनमें वाइ. के. सिंह, नंद कुमार मिश्रा, अमिताभ आर्य, दत्ता नागोसे आदि ने अपने मंतव्य प्रकट किए और इसमें सहभागी होने की खुशी जताई l

विमोचन समारोह में पुणे के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राध्यापक और छात्र बड़ी संख्या में उपस्थित थे l कार्यक्रम का संपूर्ण संयोजन हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे ने किया और मंच संचालन प्रा. असीर मुलाणी और प्रा. संतोष तांबे ने किया l

साभार – डॉ. प्रेरणा उबाळे

सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत्त), शिवाजीनगर,  पुणे ०५

संपर्क – 7028525378 / [email protected]

 ≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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