कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

(हम कैप्टन प्रवीण रघुवंशी जी द्वारा ई-अभिव्यक्ति के साथ उनकी साहित्यिक और कला कृतियों को साझा करने के लिए उनके बेहद आभारी हैं। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र कैप्टन प्रवीण जी ने विभिन्न मोर्चों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर पर देश की सेवा की है। वर्तमान में सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार के रूप में कार्यरत हैं साथ ही विभिन्न राष्ट्र स्तरीय परियोजनाओं में शामिल हैं।)

 ☆ Anonymous litterateur of social media / सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार ☆ 

आज सोशल मीडिया गुमनाम साहित्यकारों के अतिसुन्दर साहित्य से भरा हुआ है। प्रतिदिन हमें अपने व्हाट्सप्प / फेसबुक / ट्विटर / योर कोट्स / इंस्टाग्राम आदि पर हमारे मित्र न जाने कितने गुमनाम साहित्यकारों के साहित्य की विभिन्न विधाओं की ख़ूबसूरत रचनाएँ साझा करते हैं। कई  रचनाओं के साथ मूल साहित्यकार का नाम होता है और अक्सर अधिकतर रचनाओं के साथ में उनके मूल साहित्यकार का नाम ही नहीं होता। कुछ साहित्यकार ऐसी रचनाओं को अपने नाम से प्रकाशित करते हैं जो कि उन साहित्यकारों के श्रम एवं कार्य के साथ अन्याय है। हम ऐसे साहित्यकारों  के श्रम एवं कार्य का सम्मान करते हैं और उनके कार्य को उनका नाम देना चाहते हैं।

सी-डैक के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एचपीसी ग्रुप में वरिष्ठ सलाहकार तथा हिंदी, संस्कृत, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषाओँ में प्रवीण  कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने  ऐसे अनाम साहित्यकारों की  असंख्य रचनाओं  का अंग्रेजी भावानुवाद  किया है।  इन्हें हम अपने पाठकों से साझा करने का प्रयास कर रहे हैं । उन्होंने पाठकों एवं उन अनाम साहित्यकारों से अनुरोध किया है कि कृपया सामने आएं और ऐसे अनाम रचनाकारों की रचनाओं को उनका अपना नाम दें। 

कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी ने भगीरथ परिश्रम किया है। वे इस अनुष्ठान का श्रेय अपने फौजी मित्रों को दे रहे हैं।  जहाँ नौसेना कप्तान प्रवीण रघुवंशी सूत्रधार हैं, वहीं कर्नल हर्ष वर्धन शर्मा, कर्नल अखिल साह, कर्नल दिलीप शर्मा और कर्नल जयंत खड़लीकर के योगदान से यह अनुष्ठान अंकुरित व पल्लवित हो रहा है। ये सभी हमारे देश के तीनों सेनाध्यक्षों के कोर्स मेट हैं। जो ना सिर्फ देश के प्रति समर्पित हैं अपितु स्वयं में उच्च कोटि के लेखक व कवि भी हैं। जो स्वान्तः सुखाय लेखन तो करते ही हैं और साथ में रचनायें भी साझा करते हैं।

इस सद्कार्य  के लिए कैप्टन  प्रवीण रघुवंशी जी साधुवाद के पात्र हैं । 

इस कड़ी में आज प्रस्तुत है उनके द्वारा एक अनाम साहित्यकार की एक समसामयिक रचना  बस रहो सिर्फ अपने घर में..का अंग्रेजी भावानुवाद

☆ गुमनाम साहित्यकार की कालजयी रचना  – बस रहो सिर्फ अपने घर में..☆

 

तूफ़ां के से  हालात  हैं

 ना किसी सफर में रहो.

  पंछियों से है गुज़ारिश

   रहो सिर्फ अपने शज़र में

 

ईद का चाँद बन, बस रहो

 अपने ही घरवालों के संग,

  ये उनकी खुशकिस्मती है

   कि बस हो उनकी नज़र में…

 

माना बंजारों की तरह

 घूमते ही रहे डगर-डगर…

  वक़्त का तक़ाज़ा है अब

   रहो सिर्फ अपने ही शहर में …

 

तुमने कितनी खाक़ छानी

 हर  गली  हर  चौबारे  की,

  थोड़े  दिन की  तो बात है

   बस रहो सिर्फ अपने घर में..

 

☆  English Version  of  Classical Poem of  Anonymous litterateur of social media☆ 

☆  Keep staying in your house… by Captain Pravin  Raghuwanshi 

 

There’re stormy conditions

  Don’t set sail for any voyage

   Pleading with the avian-world

    To keep nestled in their trees

 

Even in once in blue moon,

  Don’t step out, be with family

   It’s a blissful fortune only

    That you’re before their eyes

 

Agreed, like gypsies you’ve

  Been wandering endlessly

   It’s the need of hour that

    You stay in your own town…

 

Much did you wander around

  Every nook and every corner,

   It’s a matter of few days only

    Keep staying in your house…

 

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

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