(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ” में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, अतिरिक्त मुख्यअभियंता सिविल (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) में कार्यरत हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। उनका कार्यालय, जीवन एवं साहित्य में अद्भुत सामंजस्य अनुकरणीय है। आज प्रस्तुत है श्री विवेक जी का इंटरनेट की दुनिया में वेब / ई -पत्रिकाओं की भूमिका पर एक शोधपरक आलेख “जबलपुर की वेब पत्रकारिता और साहित्य तथा समाज में उसका योगदान ”। 30 मई को पत्रकारिता दिवस पर इस आलेख के माध्यम से ई -पत्रिकाओं के योगदान को जन जन तक पहुंचने के लिए श्री विवेक जी का हार्दिक आभार । श्री विवेक जी की लेखनी को इस अतिसुन्दर आलेख के लिए नमन । )
☆ पत्रकारिता दिवस विशेष ☆
☆ जबलपुर की वेब पत्रकारिता और साहित्य तथा समाज में उसका योगदान ☆
पौराणिक संदर्भो का स्मरण करें तो नारद मुनि संभवतः पहले पत्रकार कहे जा सकते हैं, इसी तरह युद्ध भूमि से लाइव रिपोर्टिंग का पहला संदर्भ संजय द्वारा धृतराष्ट्र को महाभारत के युद्ध का हाल सुनाने का है.
वर्तमान युग में विश्व में पत्रकारिता का आरंभ सन् 131 ईसा पूर्व रोम में माना जाता है. तब वहाँ “Acta Diurna” (दिन की घटनाएं) किसी बड़े प्रस्तर पट या धातु की पट्टी पर वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति, नागरिकों की सभाओं के निर्णयों और ग्लेडिएटरों की लड़ाइयों के परिणामों के बारे में सूचनाएं समाचार अंकित करके रोम के मुख्य स्थानों पर रखी जाती थीं.मध्यकाल में यूरोप के व्यापारिक केंद्रों में ‘सूचना-पत्र ‘ निकाले जाने लगे जिनमें कारोबार, क्रय-विक्रय और मुद्रा के मूल्य में उतार-चढ़ाव के समाचार लिखे जाते थे. ये सारे ‘सूचना-पत्र ‘ हाथ से ही लिखे जाते थे. 15वीं शताब्दी के मध्य में योहन गूटनबर्ग ने छापने की मशीन का आविष्कार किया. असल में उन्होंने धातु के अक्षरों का आविष्कार किया. फलस्वरूप किताबों का ही नहीं, अखबारों का भी प्रकाशन संभव हो सका. 16वीं शताब्दी के अंत में, यूरोप के शहर स्त्रास्बुर्ग में, योहन कारोलूस नाम का कारोबारी धनवान ग्राहकों के लिये सूचना-पत्र लिखवा कर वितरित करता था, पर हाथ से बहुत सी प्रतियों की नक़ल करने का काम महंगा और धीमा था. अतः वह छापे की मशीन ख़रीद कर 1605 में समाचार-पत्र छापने लगा. समाचार-पत्र का नाम था ‘रिलेशन’, यह विश्व का प्रथम मुद्रित समाचार-पत्र माना जाता है.
हिंदी पत्रकारिता का तार्किक और वैज्ञानिक आधार पर काल विभाजन करना कुछ कठिन कार्य है. हिंदी पत्रकारिता का उद्भव सन् 1826 से 1867 माना जाता है. 1867 से 1900 के समय को हिंदी पत्रकारिता के विकास का समय कहा गया है. 1900 से 1947 के समय को हिंदी पत्रकारिता के उत्थान का समय निरूपित किया गया है. जबलपुर में इसी अवधि में पत्रकारिता विकसित हुई. 1947 से अब तक के समय को स्वातंत्र्योत्तर पत्रकारिता कहा जाता है. स्वातंत्र्योत्तर पत्रकारिता में अखबार, पत्रिकायें, रेडियो तथा २० वीं सदी के अंतिम दो दशको में टी वी पत्रकारिता का उद्भव हुआ. २१वी सदी के आरंभ के साथ इंटरनेट तथा सोशल मीडीया का विस्तार हुआ और जब हम हिन्दी के परिदृश्य में इस प्रौद्योगिकी परिवर्तन को देखते हैं तो हिंदी पर इसके प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखते हैं. 21 अप्रैल, 2003 की तारीख वह स्वर्णिम तिथि है जब रात्रि 22:21 बजे हिन्दी के प्रथम ब्लॉगर, मोहाली, पंजाब निवासी आलोक ने अपने ब्लॉग ‘9 2 11’ पर अपना पहला ब्लॉग-आलेख हिन्दी वर्णाक्षरों में इंटरनेट पर पोस्ट किया था. इस तारीख को हिन्दी वेब पत्रकारिता का प्रारंभ कहा जाना चाहिये.
पत्रकारिता आधुनिक सभ्यता का एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें समाचारों का एकत्रीकरण, समाचार लिखना, रिपोर्ट करना, सम्पादित करना और समाचार तथा साहित्य का सम्यक चित्रांकन व प्रस्तुतीकरण आदि सम्मिलित हैं.
सूचना और साहित्य किसी भी सभ्य समाज की बौद्धिक भूख मिटाने के लिये अनिवार्य जरूरत है. तकनीक के विकास के साथ इस आवश्यकता को पूरा करने के संसाधन बदलते जा रहे हैं.हस्त लिखित अखबार और पत्रिकायें, फिर टंकित तथा साइक्लोस्टायल्ड अथवा फोटोस्टेट पत्रिकायें, न्यूज लैटर या पत्रक, एक एक अक्षर को फर्मे पर कम्पोज करके तथा फोटो सामग्री के ब्लाक बनाकर मुद्रित अखबार की तकनीक, विगत कुछ दशको में तेजी से बदली है और अब बड़े तेज आफसेट मुद्रण की मशीने सुलभ हैं, जिनमें ज्यादातर कार्य वर्चुएल साफ्ट कापी में कम्प्यूटर पर होता है. समाचार संग्रहण व उसके अनुप्रसारण के लिये टेलीप्रिंटर की पट्टियो को अभी हमारी पीढ़ी भूली नही है. आज हम इंटरनेट से ईमेल पर पूरे के पूरे कम्पोज अखबारी पन्ने ही यहाँ से वहाँ ट्रांस्फर कर लेते हैं.
सामाजिक बदलाव में सर्वाधिक महत्व विचारों का ही होता है.लोकतंत्र में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका के तीन संवैधानिक स्तंभो के बाद पत्रकारिता को चौथे स्तंभ के रूप में मान्यता दी गई क्योकि पत्रकारिता वैचारिक अभिव्यक्ति का माध्यम होता है, आम आदमी की नई प्रौद्योगिकी तक पहुंच और इसकी त्वरित स्वसंपादित प्रसारण क्षमता के चलते सोशल मीडिया व ब्लाग जगत को लोकतंत्र के पांचवे स्तंभ के रूप में देखा जा रहा है. वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ समय में कई सफल जन आंदोलन इसी सोशल मीडिया के माध्यम से खड़े हुये हैं. हमारे देश में भी बाबा रामदेव, अन्ना हजारे के द्वारा भ्रष्टाचार के विरुद्ध तथा दिल्ली के नृशंस सामूहिक बलात्कार के विरुद्ध बिना बंद, तोड़फोड़ या आगजनी के चलाया गया जन आंदोलन, और उसे मिले जन समर्थन के कारण सरकार को विवश होकर उसके सम्मुख किसी हद तक झुकना पड़ा. इन आंदोलनो में विशेष रुप से नई पीढ़ी ने इंटरनेट, मोबाइल एस एम एस और मिस्डकाल के द्वारा अपना समर्थन व्यक्त किया.तब से होते निरंतर प्रौद्योगिकी विकास के साथ हिन्दी के महत्व को स्वीकार करते हुये ही बी बी सी, स्क्रेचमाईसोल, रेडियो जर्मनी,टी वी चैनल्स, तथा देश के विभिन्न अखबारो तथा न्यूज चैनल्स ने भी अपनी वेबसाइट्स पर पाठको के ब्लाग के पन्ने बना रखे हैं.बदलते तकनीकी परिवेश के चलते अब हर हाथ में एंड्रायड मोबाइल आता जा रहा है, समाचार के लिये एप्प उपलब्ध करवाये जा रहे हैं.
ब्लागर्स पार्क दुनिया की पहली ब्लागजीन के रूप में नियमित रूप से मासिक प्रकाशित हो रही है. यह पत्रिका ब्लाग पर प्रकाशित सामग्री को पत्रिका के रूप में संयोजित करने का अनोखा कार्य कर रही है.मुझे गर्व है कि मैं इसके मानसेवी संपादन मण्डल का सदस्य हूं. अपने नियमित स्तंभो में प्रायः समाचार पत्र ब्लाग से सामग्री उधृत करते हैं. हिन्दी ब्लाग के द्वारा जो लेखन हो रहा है उसके माध्यम से साहित्य, कला समीक्षा, फोटो, डायरी लेखन आदि आदि विधाओ में विशेष रूप से युवा रचनाकार अपनी नियमित अभिव्यक्ति कर रहे हैं. वेब दुनिया, जागरण जंकशन, नवभारत टाइम्स जैसे अनेक हिन्दी पोर्टल ब्लागर्स को बना बनाया मंच व विशाल पाठक परिवार सुगमता से उपलब्ध करवा रहे हैं.और उनके लेखन के माध्यम से अपने पोर्टल पर विज्ञापनो के माध्यम से धनार्जन भी करने में सफल हैं. हिन्दी और कम्प्यूटर मीडिया के महत्व को स्वीकार करते हुये ही अपने वोटरो को लुभाने के लिये राजनैतिक दल भी इसे प्रयोग करने को विवश हैं. हिन्दी न जानने वाले राजनेताओ को हमने रोमन हिन्दी में अपने भाषण लिखकर पढ़ते हुये देखा ही है.
‘महर्षि जाबालि की तपोभूमि, नर्मदांचल, संस्कारधानी जबलपुर सारस्वत संपदा से सदैव सम्पन्न रही है. वसुधैव कुटुम्बकम् की वैचारिक उद्घोषणा वैदिक भारतीय संस्कृति की ही देन है. वैज्ञानिक अनुसंधानो, विशेष रूप से संचार क्रांति तथा आवागमन के संसाधनो के विकास ने तथा विभिन्न देशो की अर्थव्यवस्था की परस्पर प्रत्यक्ष व परोक्ष निर्भरता ने इस सूत्र वाक्य को आज मूर्त स्वरूप दे दिया है. हम भूमण्डलीकरण के युग में जी रहे हैं. सारा विश्व कम्प्यूटर चिप और बिट में सिमटकर एक गांव बन गया है. लेखन, प्रकाशन, पठन पाठन में नई प्रौद्योगिकी की दस्तक से आमूल परिवर्तन होते जा रहे हैं. नई पीढ़ी अब बिना कलम कागज के कम्प्यूटर पर ही लिख रही है,प्रकाशित हो रही है, और पढ़ी जा रही है. ब्लाग तथा सोशल मीडीया वैश्विक पहुंच के साथ वैचारिक अभिव्यक्ति के सहज, सस्ते, सर्वसुलभ, त्वरित साधन बन चुके हैं. वेब-मीडिया सर्वव्यापकता को चरितार्थ करता है जिसमें ख़बरें दिन के चौबीसों घंटे और हफ़्ते के सातों दिन उपलब्ध रहती हैं.
लिखते हुए गर्व होता है कि श्री हेमन्त बावनकर जी ने अकेले दम पर सीनियर सिटीजन होते हुए भी स्वयं के दम पर अपने ही व्यक्तिगत संसाधनों से न्यूनतम समय मे 2 लाख से अधिक हिट्स पाने वाली हिंदी, मराठी व अंग्रेजी साहित्य की अत्यंत उच्च स्तरीय वेबसाइट www.e-abhivyakti.com बनाकर प्रतिदिन सुबह नियमित प्रकाशन का बीड़ा उठाया हुआ है । दुनियाभर के पाठकों को हर सुबह इसके नए अंक की उत्सुकता से प्रतीक्षा रहती है ।
इंडिया बुक्स आफ रिकॉर्डस ने उनके इस महत्वपूर्ण कार्य को रिकार्ड में लेकर उन्हें सम्मानित भी किया है ।
जबलपुर वेब मीडीया की पत्रकारिता में पीछे नहीं है, श्री चैतन्य भट्ट समाचार विचार नामक पोर्टल चला रहे हैं जिसमें साहित्य, सामयिक आलेख कवितायें तथा समाचार नियमित रूप से अपडेट किये जाते हैं. इसकी हिट १००० से उपर प्रतिदिन है. वेब पता है http://samachar-vichar.com/. इसी तरह http://www.palpalindia.com के वेब पते से पलपलइंडिया नामक पोर्टल जबलपुर से चलाया जा रहा है जिसमें आशुतोष असर व अन्य मित्र बढ़िया वेब पत्रकारिता कर रहे हैं. जबलपुर पर वेब साइट्स में http://www.jabalpur.astha.net/ जबलपुर आस्थानेट का भी जिक्र जरूरी है. “दिव्य नर्मदा” जिसके मुद्रित अंक भी पहले प्रकाशित होते रहे हैं, तथा उसके नियमित प्रकाशन में आरही आर्थिक कठिनाईयो के चलते, जिसे वेब पत्रिका बनाने में मेरा विचार, तकनीकी सहयोग व योगदान ही मूल में रहा है. इसके संपादक मण्डल में भी मुझे ड़खा गया है, भाई संजीव सलिल इसे बेहद गंभीरता से चला रहे हैं और इस साहित्यिक वेब पत्रिका के हिट सारी दुनिया से मिल रहे हैं इसका वेब पता divyanarmada.blogspot.com है. प्रतिवाद डाट काम, वेबदुनिया, जागरण जंक्शन, नवभारत टाइम्स ब्लाग, रेडियो मिर्ची ब्लाग्स, स्क्रेच माई सोल ब्लागर्स पार्क, दैनिक भास्कर, आदि सामूहिक ब्लाग्स पर भी जबलपुर से प्रतिदिन विविध सामग्री पोस्ट की जा रही है. हिन्दी साहित्य संगम नाम से वेब डोमेन पर विजय तिवारी किसलय नियमित लिख रहे हैं तथा जबलपुर के साहित्य जगत की विविध हलचलें वेब पर एक सर्च में सुलभ हैं. फेसबुक इन दिनो सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया है. हिन्दी एक्सप्रेस का पेज https://www.facebook.com/pages/Madhya-Pradesh-Hindi-Express एवं जबलपुर न्यूज का पन्ना https://www.facebook.com/Jabalpur.News समाचारो का लोकप्रिय पेज है. इसके सिवा अनेक युवा समूहो ने जबलपुर, पर केंद्रित ग्रुप बना रखे हैं. जबलपुर विभिन्न शासकीय व गैर शासकीय संस्थानो की वेब साइटें, फेसबुक पेज आदि भी सूचना प्रसारण का महत्वपूर्ण योगदान समाज को दे रहे हैं. मेरे फेसबुक पेज पर जिन भी आयोजनो में मैं उपस्थित हो पाता हूं उनका संक्षिप्त विवरण तथा चित्र कार्यक्रम स्थल से ही पोस्ट करना मेरी आदत में है, जिसके परिणाम यह होते हैं कि मुझसे फेसबुक पर जुड़े तथा मेरे फालोअर लगभग ५००० लोगो तक वह आयोजन तुरंत पहुंच जाता है और उसकी त्वरित प्रतिक्रिया भी मिलती है. यही त्वरित स्वसंपादित प्रकाशन वेब की सबसे बड़ी विशेषता है. यूं तो जबलपुर से ज्योतिष, कुकरी, टूरिज्म, नौकरी, फाइनेस आदि विषयो पर अनेक लोग वेब पर अपने व्यवसायिक हितो के लिये लिख रहे हैं पर जो सार्वजनिक हित के लिये सक्रिय हैं उनमें http://mahendra-mishra1.blogspot.in/ महेंद्र मिश्र, समय चक्र http://sanskaardhani.blogspot.in/ गिरीश बिल्लौरे मिस फिट, http://nomorepowertheft.blogspot.in/ विवेक रंजन श्रीवास्तव “बिजली चोरी के विरुद्ध जन जागरण”, “संस्कृत का मजा हिन्दी में”, मेरी कवितायें, तथा नमस्कार ब्लाग के साथ चर्चा योग्य हैं.
http://hindisahityasangam.blogspot.in/, http://mymaahi.blogspot.in/ महेश ब्रम्हेते “माही “, http://apnajabalpur.blogspot.in/ नितिन पटेल “शेष अशेष”, http://chakreshsurya.blogspot.in/ चक्रेश सूर्या “सूर्या “, http://www.janbharat.blogspot.in/ अजय गुप्ता जनभारत, http://swapniljain1975.blogspot.in सवप्निल जैन हमारा जबलपुर एवं अंग्रेजी में जबलपुर डायरी http://www.jabalpurdiary.com/blogs.php आदि भी प्रमुख ब्लाग हैं.
बहुत जरुरी है कि कम से कम जबलपुर के सभी निजी ब्लाग व वेब पन्ने एक दूसरे को ब्लागरोल पर जोड़ें जिससे उनका व जबलपुर का व्यपक हित ही होगा.
यह सही है कि अभी ब्लाग लेखन नया है, पर जैसे जैसे नई कम्प्यूटर साक्षर पीढ़ी बड़ी होगी, इंटरनेट और सस्ता होगा तथा आम लोगो तक इसकी पहुंच बढ़ेगी यह वर्चुएल लेखन और भी ज्यादा सशक्त होता जायेगा, एवं भविष्य में लेखन क्रांति का सूत्रधार बनेगा. जैसे जैसे वेब की पठनीयता बढ़ेगी वेब पत्रकारो को विज्ञापन मिलेंगे और वेब पत्रकारिता कोरी लफ्फाजी या हाई प्रोफाइल बनने के स्वांग से बढ़कर आजीविका का संसाधन भी बन सकेगी. फिलहाल जबलपुर की वेब पत्रकारिता विकास के युग में है और नियमित रूप से समाज और साहित्य को अपना सामग्री योगदान तथा इससे जुड़े लोगो को एक सशक्त मंच दे रही है.
© विवेक रंजन श्रीवास्तव, जबलपुर
ए १, शिला कुंज, नयागांव,जबलपुर ४८२००८
मो ७०००३७५७९८