सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान”
( सुश्री दीपिका गहलोत ” मुस्कान “ जी मानव संसाधन में वरिष्ठ प्रबंधक हैं। एच आर में कई प्रमाणपत्रों के अतिरिक्त एच. आर. प्रोफेशनल लीडर ऑफ द ईयर-2017 से सम्मानित । आपने बचपन में ही स्कूली शिक्षा के समय से लिखना प्रारम्भ किया था। आपकी रचनाएँ सकाळ एवं अन्य प्रतिष्ठित समाचार पत्रों / पत्रिकाओं तथा मानव संसाधन की पत्रिकाओं में भी समय समय पर प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में आपकी कविता पुणे के प्रतिष्ठित काव्य संग्रह “Sahyadri Echoes” में प्रकाशित हुई है। आज प्रस्तुत है उनकी एक सार्थक लघुकथा – समझदारी का पाठ )
? समझदारी का पाठ ?
लॉकडाउन खुलने की प्रक्रिया चालू हो चुकी थी पर अभी भी स्कूल बंद थे।
सोनू स्कूल बंद होने की वजह से घर में बैठ-बैठ कर बहुत परेशान हो गया था। सावधानी बरतने के लिए मम्मी सोसाइटी में भी नहीं जाने देती थी। वो बाहर खेलने जाने के लिए मम्मी से बहुत लड़ता था पर उसका, मम्मी पर कोई असर नहीं होता था और सोनू नाराज़ होकर खाना भी नहीं खाता।
अब थक हार कर, वो रोज़ मन लगाने के लिए बालकनी में बैठने लगा और बाहर देखा करता। स्वस्थ रहने के लिए सोनू के पापा ने उसे जल्दी उठाना चालू कर दिया था ताकि सुबह-सुबह व्यायाम कर सके। धीरे-धीरे सोनू को जल्दी उठने की आदत पड़ने लगी।
एक दिन सुबह वो 5 बजे ही उठ गया और जा कर बालकॉनी में बैठ गया और बाहर देखने लगा। तभी उसने देखा चौकीदार अंकल का बेटा गोलू सोसाइटी के गाड़ियाँ साफ़ कर रहा था। सोनू ने जिज्ञासा वश पापा से पूछा की “इस माहौल में वो तो बाहर जा सकता है पर हम क्यों नहीं ?”
पापा ने बताया ” चौकीदार अंकल के पैर में चोट लगने की वजह से वो गाड़ियाँ साफ़ नहीं कर सकते और अगर गाड़ियाँ साफ़ नहीं करेंगे तो उन्हें गाडी साफ़ करने के पैसे नहीं मिलेगा और फिर घर खर्च कैसे चलेगा। इसलिए उनका बेटा उनका काम करता है। काम के साथ सेहत का भी ध्यान रखना है इसलिए वो सुबह जल्दी काम निबटा कर वापस घर चला जाता है। ”
पापा की बात सुन सोनू की आँख में पानी आ गया और खुद पर शर्म आने लगी, पापा ने सोनू को रोने की वजह पूछी।
सोनू बोला ” एक गोलू है जो मज़बूरी में घर खर्च चलाने के लिए घर से अपनी परवाह किये बिना बाहर निकल रहा है और एक मैं हूँ जो सिर्फ खेलने के लिए बाहर जाने की ज़िद्द करता हूँ| वो मुझसे छोटा होकर भी कितना समझदार है और मैं। अब से मैं कभी ज़िद्द नहीं करूंगा और जब तक सब कुछ सामान्य नहीं हो जाता तब तक घर के बाहर जाने की बात भी नहीं करूंगा। ”
इस छोटी सी घटना ने सोनू को समझदारी का पाठ सीखा दिया जिसे उसने ज़िंदगी भर याद रखा।
© सुश्री दीपिका गहलोत “मुस्कान ”
पुणे, महाराष्ट्र