श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’
( श्री भगवान् वैद्य ‘ प्रखर ‘ जी का ई- अभिव्यक्ति में हार्दिक स्वागत है। आप हिंदी एवं मराठी भाषा के वरिष्ठ साहित्यकार एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपका संक्षिप्त परिचय ही आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचायक है।
संक्षिप्त परिचय : 4 व्यंग्य संग्रह, 3 कहानी संग्रह, 2 कविता संग्रह, 2 लघुकथा संग्रह, मराठी से हिन्दी में 6 पुस्तकों तथा 30 कहानियाँ, कुछ लेख, कविताओं का अनुवाद प्रकाशित। हिन्दी की राष्ट्रीय-स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में विविध विधाओं की 1000 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित। आकाशवाणी से छह नाटक तथा अनेक रचनाएँ प्रसारित
पुरस्कार-सम्मान : भारत सरकार द्वारा ‘हिंदीतर-भाषी हिन्दी लेखक राष्ट्रीय पुरस्कार’, महाराष्ट्र राजी हिन्दी साहित्य अकादमी, मुंबई द्वारा कहानी संग्रहों पर 2 बार ‘मूषी प्रेमचंद पुरस्कार’, काव्य-संग्रह के लिए ‘संत नामदेव पुरस्कार’ अनुवाद के लिए ‘मामा वारेरकर पुरस्कार’, डॉ राम मनोहर त्रिपाठी फ़ेलोशिप। किताबघर, नई दिल्ली द्वारा लघुकथा के लिए अखिल भारतीय ‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान 2018’
हम आज प्रस्तुत कर रहे हैं श्री भगवान वैद्य ‘प्रखर’ जी द्वारा सुप्रसिद्ध वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उज्ज्वला केळकर जी की एक भावप्रवण अप्रतिम मराठी कविता ‘त्यावेळी’ का अतिसुन्दर हिंदी भावानुवाद ‘उस समय ’ जिसे हम आज के ही अंक में ही प्रकाशित कर रहे हैं।
☆ उस समय ☆
उस समय लगा था
हम दोनों
एक दूसरे के लिए ही है
जैसे दो देह
एक मन
दो सांस
एक जीवन
पर
पुल के नीचे से
कुछ पानी बह गया
तब ध्यान में आया
अपने खिलने के मौसम भिन्न भिन्न है
और पतझड़ के भी
अब हम स्वतंत्र होकर सहला रहे हैं
पंछियों की स्मृतियां
बहार गुजर जाने के बाद की
और बाट जोह रहे है
अपने पतझड़ के बाद आनेवाली
नयी बहार की
श्री भगवान् वैद्य ‘प्रखर’
30 गुरुछाया कॉलोनी, साईं नगर अमरावती – 444 607
मोबाइल 8971063051