लोकमान्य हास्य योग संघाच्या बावीसाव्व्या वर्धापन दिनानिमित्त
श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे
(वरिष्ठ मराठी साहित्यकार श्रीमति उर्मिला उद्धवराव इंगळे जी का धार्मिक एवं आध्यात्मिक पृष्ठभूमि से संबंध रखने के कारण आपके साहित्य में धार्मिक एवं आध्यात्मिक संस्कारों की झलक देखने को मिलती है. इसके अतिरिक्त ग्राम्य परिवेश में रहते हुए पर्यावरण उनका एक महत्वपूर्ण अभिरुचि का विषय है। श्रीमती उर्मिला जी के “साप्ताहिक स्तम्भ – केल्याने होत आहे रे ” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है उनके द्वारा रचित लोकमान्य हास्य योग संघ, पुणे के बावीसवें स्थापना दिवस पर एक कविता “लोकमान्य हास्य योग संघ वर्धापनदिन”। कविता का प्रकार – मुक्तछंद है। ई- अभिव्यक्ति की और से लोकमान्य हास्य योग संघ, पुणे को बावीसवें स्थापना दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें।)
☆0 साप्ताहिक स्तंभ –केल्याने होतं आहे रे # 21 ☆
☆ लोकमान्य हास्य योग संघ वर्धापनदिन ☆
©️®️उर्मिला इंगळे, सतारा
दिनांक:-१६-२-२०२०