☆ संस्थाएं / Organisations ☆
☆ हिन्दी परिपक्वता हेतु समर्पित संस्था – हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर ☆
साहित्यिक गतिविधियों की बात करें तो पूरे मध्य प्रदेश में संस्कारधानी जबलपुर का नाम सबसे पहले लिया जाता है। देश में प्रयागराज (इलाहाबाद) के पश्चात जबलपुर ही एक ऐसा शहर है जहाँ लगभग हिन्दी साहित्य की सभी विधाओं के राष्ट्रस्तरीय साहित्यकारों ने अपनी श्रेष्ठता प्रमाणित की है। सुभद्रा कुमारी चौहान, भवानी प्रसाद तिवारी, द्वारिका प्रसाद मिश्र, हरिशंकर परसाई जैसे दिग्गजों को कौन नहीं जानता। जबलपुर के ही कामता प्रसाद गुरु की व्याकरण ने हिंदी को जो आयाम और दिशा दी है, उसके लिए सम्पूर्ण राष्ट्र उनके प्रति सदैव कृतज्ञ रहेगा। वर्तमान तक पहुँचते पहुँचते हिन्दी साहित्य का सृजन-प्रवाह धीमा तो नहीं हुआ परन्तु हिन्दी व्याकरण, शाब्दिक शुद्धता तथा रस-छंद-अलंकार की ओर अपेक्षानुरूप ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
बिना व्याकरण ज्ञान, बिना हिन्दी शब्दों की शुद्धता तथा हिन्दी साहित्य के अथाह सागर में बिना डुबकी लगाए ही लोग हिन्दी के मोती अर्जित करना चाहते हैं। बिना परिश्रम के कवि और लेखक बनना चाहते हैं। अपनी प्रायोजित प्रसिद्धि पाना चाहते हैं। ये लोग अल्पकालिक प्रसिद्धि की चाह में तरह-तरह के हथकण्डे अपनाने से भी परहेज नहीं करते। स्तरहीन लेखन से स्वयं को श्रेष्ठ दिखाना चाहते हैं, जबकि श्रेष्ठ होना और श्रेष्ठता प्रदर्शित करने में बहुत अंतर होता है। परस्पर पीठ थपथपाने का प्रचलन आज इतना अधिक हो गया है कि श्रेष्ठ साहित्य और साहित्यकार हाशिये पर जाते दिख रहे हैं। गहन अध्ययन, समयदान व चिंतन-मनन के पश्चात लिखे श्रेष्ठ और सद्साहित्य को आज पाठकों के लाले पड़ने लगे हैं। लोग स्तरहीन, त्रुटिपूर्ण और अर्थहीन साहित्य पढ़ कर ही सुखानुभूति करने लगा है। उपरोक्त टीस और अकुलाहट की परिणति ही “हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर” है।
हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर अपनी विशिष्ट साहित्य गतिविधियों को रचनात्मक स्वरूप प्रदान करने हेतु कटिबद्ध है। छद्म प्रचार-प्रसार से परे प्रतिवर्ष अपने स्थापना दिवस पर एक गरिमामय कार्यक्रम के साथ पूरे वर्ष हिन्दी भाषा, हिन्दी साहित्य एवं विभिन्न विधाओं की गोष्ठियों के माध्यम से यह साहित्य संगम अपनी वेबसाइट “हिन्दी साहित्य संगम डॉट कॉम” हिन्दी ब्लॉग “हिन्दी साहित्य संगम डॉट ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम तथा व्हाट्सएप समूह “हिन्दी साहित्य संगम” के माध्यम से हिन्दी रचना संसार में निरंतर सक्रियता बनाए हुए है। इस संस्था में सदस्यता शुल्क का कोई प्रावधान नहीं है। संस्कारधानी के इन्द्र बहादुर श्रीवास्तव, रमेश सैनी, मनोज शुक्ल, राजेश पाठक ‘प्रवीण’, राजीव गुप्ता, रमाकान्त ताम्रकार, अरुण यादव, विजय तिवारी ‘किसलय’ जैसे लोग इस संस्था के आधार स्तंभ हैं। छोटे-छोटे समूहों में एकत्र होकर अथवा ऑन लाइन हिन्दी साहित्य प्रेमियों को हिन्दी की बारीकियों, हिन्दी शब्दों की संरचना, हिन्दी व्याकरण, छंद-रचना तथा काव्य में रुचि रखने वाले नवागंतुक साहित्यकारों को निःशुल्क हर समय मार्गदर्शन दिया जा रहा है। प्रादेशिक, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों का लाभान्वित होना संस्था की सार्थकता का परिचायक है। ‘हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर’ के संस्थापक विजय तिवारी किसलय विगत 30 वर्ष से तन-मन-धन से हिन्दी साहित्य प्रेमियों को शुद्ध हिन्दी, स्तरीय हिन्दी साहित्य, हिन्दी काव्य एवं छांदिक मार्गदर्शन प्रदान करते आ रहे हैं। हिन्दी के प्रति कृतज्ञभाव रखने वाले श्री किसलय को हिन्दी सेवा में ही परमानंद प्राप्त होता है। भविष्य में इनकी अभिलाषा है कि शुद्ध हिन्दी, हिन्दी व्याकरण, छांदिक ज्ञान तथा हिन्दी भाषा में सृजन की जानकारी प्रदान करने वाली नियमित कार्यशालाएँ प्रारम्भ कर सकें। इनका कहना है कि आज केवल वही राष्ट्र विकसित और श्रेष्ठ हैं जिनकी अपनी भाषा है और जहाँ के लोग अपनी भाषा पर गौरवान्वित होते हैं। हमें भी अपनी हिन्दी को अपनाने का संकल्प लेना होगा। यहॉं ध्यातव्य है कि विश्व की समस्त भाषाओं में सबसे ज्यादा शब्द भंडार हमारी हिन्दी भाषा का ही है, बस हमें उन्हें अपनाने और प्रसारित करने का बीड़ा भर उठाना है और यह कार्य हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर निश्छल भाव से भविष्य में भी करता रहेगा।
साभार : डॉ विजय तिवारी ‘किसलय’
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ब्लॉग : हिन्दी साहित्य संगम जबलपुर (hindisahityasangam.blogspot.com)
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈