English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of social media # 227 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

 

? Anonymous Litterateur of social media # 227 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 227) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. An alumnus of IIM Ahmedabad was involved in various Artificial and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IIM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..! 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 227 ?

☆☆☆☆☆

एक नफरत ही नहीं

दुनिया में  दर्द का सबब ….

मोहब्बत भी सकूँ वालों को

बड़ी तकलीफ़ देती है….

☆☆

Hatred  is  not  only  the

Cause of pain in this world

Love  also  hurts  a lot to

those who live in peace…!

☆☆☆☆☆

हर किसी के नसीब में

कहाँ लिखी होती हैं चाहतें

कुछ लोग दुनिया में आते हैं

सिर्फ तन्हाइयों के लिए…

☆☆

When do the wishes ever get

materialised in everyone’s fate

Some  people  just  come to

the world to be  loners only…

☆☆☆☆☆

कोई तो जुर्म रहा होगा…

जिस में हर शख़्स था शामिल

तभी  तो  हर  शख़्सियत

मुँह छुपाए फिर रही है..!

☆☆

There musta been some crime

Which had everyone  involved

Why  else  every person here

would  be  hiding  his  face ..!

☆☆☆☆☆

वक़्त के नाखून

बहुत गहरा नोंचते हैं दिल को

तब जाके कुछ जख़्म

तज़ुर्बा बनके नज़र आते हैं…

☆☆

Talons of the time tear up

The heart too deep then only

Some wounds manifest as

An experienced wisdom…

☆☆☆☆☆

~ Pravin Raghuvanshi

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 226 – जोगी जी! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी एक कविता – जोगी जी!)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 226  ☆

☆ जोगी जी! ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सदाचार का डालिए,

चौक रंगीला द्वार।

सद्भावों की फाग गा,

मेटें सब तकरार।।

जोगी जी सा रा रा रा

बाधाओं की लकड़ियाँ,

दें होरी में बार।

पीर गुलेरी सब जलें,

बचे न एकऊ खार।।

जोगी जी सारा रा रा

राजनीति की होलिका,

करे नहीं तकरार।

नेता-अफसर कर सकें,

लोकनीति से प्यार।।

जोगी जी सारा रा रा

भुज भरकर मिलिए गले,

बढ़े खूब अपनत्व।

संसद से दूरी मिटे,

बढ़े खूब बंधुत्व।।

जोगी जी सा रा रा रा

सुख पिचकारी दें भिगा,

रंग हर्ष का, डाल।

मस्तक पर शोभित रहे,

यश का लाल गुलाल।।

जोगी जी सा रा रा रा

हिंदी मैदा माढ़िए,

उर्दू मोयन डाल।

देशज मेवाएँ भरें,

गुझिया बने कमाल।।

जोगी जी सा रा रा रा

परंपरा बेसन बने,

नवाचार हो तेल।

खांय-खिलाएँ पपड़ियाँ,

जी भर होली खेल।।

जोगी जी सा रा रा रा

कविता पिचकारी बना,

भरें छंद का रंग।

रस-लय की ठण्डाई पी,

करें गीत गा जंग।।

जोगी जी सा रा रा रा

फाग कबीरा गाइए,

भर मस्ती में झूम।

ढोल-मँजीरा बजाएँ,

खूब मचाएँ धूम।।

जोगी जी सा रा रा रा

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१३.३.२०२५

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (17 मार्च से 23 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (17 मार्च से 23 मार्च 2025) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

जय श्री राम। इस सप्ताह में 19 मार्च को रंग पंचमी है। आप सभी को रंग पंचमी की हार्दिक बधाई।

वक्त अच्छा था, वक्त अच्छा है

आगे भी अच्छा वक्त आएगा।

गम ना कर, शुक्रिया कर भगवान का।

जिसने तेरा वक्त अच्छा बनाया।

आपका अच्छा समय ईश्वर की कृपा से ही मिलता है। परंतु आपको अच्छे समय का उपयोग करना चाहिए जिससे आगे का समय भी अच्छे ढंग से बीते। अगले सप्ताह अर्थात 17 मार्च से 23 मार्च 2025 तक के सप्ताह को अच्छा बिताने के लिए मैं पंडित अनिल पांडे आपके पास इस साप्ताहिक राशिफल को लेकर आ रहा हूं।

इस सप्ताह सूर्य, वक्री बुध, वक्री शुक्र तथा बक्री राहु मीन राशि में गोचर करेंगे इनके अलावा मंगल मिथुन राशि में, गुरु वृष राशि में और शनि कुंभ राशि में विचरण करेंगे।

आइये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह सूर्य, वक्री शुक्र, वक्री बुध तथा वक्री राहु यह चारों ग्रह आपकी द्वादश भाव में है। राहु को छोड़कर शुक्र और बुध दोनों ग्रह अस्त भी है। इनके अलावा एकादश भाव में स्थित शनि भी अस्त है। इन सभी ग्रहों के कारण आपके खर्च और आए दोनों में कमी आएगी। कचहरी के कार्यों में आप सावधानी पूर्वक कार्य करने पर सफलता भी पा सकते हैं। आपका आपके जीवनसाथी का और माताजी पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध थोड़े तनावपूर्ण हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 फरवरी कार्यों को करने के लिए उपयुक्त है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको सफलता मिलने में काफी परेशानी हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धन आने की उम्मीद की जा सकती है। अस्त होने के कारण बक्री बुध और शुक्र धन लाभ में बाधक नहीं बन पाएंगे। गलत रास्ते से भी धन आने का योग है। कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। इस सप्ताह आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए 19, 20 और 21 तारीख तनावपूर्ण हो सकते हैं। प्रेम संबंधों के लिए भी ये तारीख ठीक नहीं है। इस पूरे सप्ताह आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप भगवान शिव का प्रतिदिन दूध और जल से अभिषेक करें तथा प्रतिदिन रुद्राष्टक का भी पाठ करें। सप्ताह के सभी दिन एक जैसे हैं।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। भाग्य से भी आपको मदद मिल सकती है। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। खर्चों में वृद्धि हो सकती है। अगर आप प्रयास करेंगे तो नीच के चंद्रमा के षठ भाव में होने के कारण अपने शत्रुओं को परास्त कर सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च विभिन्न अनुकूल है। 19, 20 और 21 को अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन लाल मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का और माता जी तथा पिता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपकी संतान का आपको अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। भाग्य से कभी मदद मिलेगी और कभी नहीं मिल पाएगी। इस सप्ताह आपके भाग्य भाव में तीन वक्री ग्रह होने के कारण भाग्य से मदद मिलने में थोड़ी कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च लाभदायक है। आपकी संतान को 19, 20 और 21 तारीख को कुछ नुकसान हो सकता है। 22 और 23 मार्च को आपको सतर्क रहकर कार्य करने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका आपके जीवनसाथी का, माता जी और पिताजी का तथा संतान का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको कमर या गर्दन में दर्द हो सकता है। इस सप्ताह आपके अष्टम भाव में राहु के साथ-साथ वक्री बुध और वक्री शुक्र भी हैं। इस कारण से आपको दुर्घटनाओं के प्रति सतर्क रहना चाहिए। कार्यालय में आपकी स्थिति सामान्य रहेगी। इस सप्ताह आपको 19, 20 और 21 तारीख को अपने प्रतिष्ठा के प्रति सर्तक रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्व शीर्ष का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवनसाथी का और आपके माता जी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपके राज्य भाव में अपनी शत्रु राशि में मंगल बैठा हुआ है, जिसके कारण आपको अपने कार्यालय में थोड़ी बहुत परेशानी आ सकती है। भाग्य आपका सामान्य रूप से साथ देगा। आपका पराक्रम चंद्रमा के नीच भंग राजयोग के कारण बढ़ जाएगा। भाई बहनों के साथ आपके संबंध भी अच्छे हो जाएंगे। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च किसी भी कार्य को करने के लिए लाभदायक है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

तुला राशि

इस सप्ताह आपका आपकी माताजी, पिताजी का और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। छठे भाव में बैठे सूर्य के कारण अगर आप प्रयास करेंगे तो आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं। शत्रु क्षैत्रीय मंगल के कारण भाग्य से आपको काम मदद मिल पाएगी। आपको अपने परिश्रम पर ज्यादा विश्वास करना होगा। आपको अपने संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च परिणाम दायक है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको धन की कमी हो सकती है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। धन आने की संभावना है। आपको जनता में प्रतिष्ठा प्राप्त होगी। दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप चाहेंगे तो आपको भाई बहनों से सहयोग प्राप्त हो सकता है। 19, 20 और 21 तारीख को आपको स्वास्थ्य की थोड़ी समस्या हो सकती है। सप्ताह के बाकी दिन ठीक हैं। 17 और 18 तारीख को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन शिव पंचाक्षरी स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

धनु राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके जीवन साथी को रक्त संबंधी कोई समस्या हो सकती है। आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। भाई बहनों का आपके सहयोग प्राप्त होगा। कार्यालय में आपको थोड़ा बहुत सम्मान प्राप्त हो सकता है। आपको पेट संबंधी समस्या भी हो सकती है। इस सप्ताह 22 और 23 मार्च कार्यों को करने के लिए परिणाम दायक हैं। 19, 20 और 21 तारीख को अगर आप प्रयास करेंगे तो आपको कचहरी के कार्यों में सफलता प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह आपके परिवार के सभी सदस्यों का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। भाग्य आपका साथ देगा। लंबी यात्रा का योग भी बन सकता है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। आप अपने शत्रुओं को पराजित कर सकते हैं परंतु इसके लिए आपको अत्यंत परिश्रम करना पड़ेगा। कचहरी के कार्यों पर अगर आप ध्यान देंगे तो सफलता प्राप्त हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 17 और 18 मार्च कार्यों को करने के लिए अनुकूल हैं। 19, 20 और 21 तारीख को आपको चाहिए कि आप धन संबंधी मामले को सावधानी के साथ निपटाएं अन्यथा नुकसान हो सकता है। 22 और 23 तारीख को आपको कोई भी कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गाय को हरा चारा खिलाएं। इस सप्ताह, सप्ताह के सभी दिन एक जैसे हैं।

कुंभ राशि

यह सप्ताह आपके पास धन आने का अच्छा योग है। आपका तथा आपके माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आपके जीवनसाथी के गरदन या कमर में दर्द हो सकता है। आपको अपने संतान से कम सहयोग मिलेगा। इस सप्ताह 19, 20 और 21 तारीख को कार्यालय में आपको सतर्क होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन काली उड़द की दाल का दान करें और शनिवार को शनि मंदिर में जाकर शनि देव की आराधना करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह सामान्य रूप से आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं। आपके माता जी को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है। आपकी प्रतिष्ठा में गिरावट भी संभव है। 19, 20 और 21 मार्च को भाग्य आपका विशेष रूप से साथ दे सकता है। कचहरी के कार्यों में सावधान रहें। आपके जीवनसाथी को कष्ट संभव है। इस सप्ताह आपके लिए 22 और 23 मार्च कार्यों को करने के लिए लाभप्रद हैं। 17 और 18 मार्च को आपको सावधान रहकर कार्यों को करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन मसूर की दाल का दान करें और मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

ध्यान दें कि यह सामान्य भविष्यवाणी है। अगर आप व्यक्तिगत और सटीक भविष्वाणी जानना चाहते हैं तो आपको मुझसे दूरभाष पर या व्यक्तिगत रूप से संपर्क कर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहिए। मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

 राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – कथा चर्चा ☆ क्लासिक किरदार – “ओ हरामजादे” – लेखक – स्व. भीष्म साहनी ☆ चर्चा – श्री कमलेश भारतीय ☆ ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी , बी एड , प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । यादों की धरोहर हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह -एक संवाददाता की डायरी को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह-महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

पुनर्पाठ में आज प्रस्तुत है स्व भीष्म साहनी जी की एक कालजयी रचना “ओ हरमजादे” पर श्री कमलेश भारतीय जी की कथा चर्चा।

☆ कथा चर्चा ☆ क्लासिक किरदार – “ओ हरामजादे” – लेखक – स्व. भीष्म साहनी  ☆ चर्चा – श्री कमलेश भारतीय ☆

यह दैनिक ट्रिब्यून का एक रोचक रविवारीय स्तम्भ था – “क्लासिक किरदार“। यानी किसी कहानी का कोई किरदार आपको क्यों याद रहा ? क्यों आपका पीछा कर रहा है? – कमलेश भारतीय

प्रसिद्ध कथाकार भीष्म साहनी की कहानी ओ हरामजादे मुझे इसलिए बहुत पसंद है क्योंकि जब मैं अपने शहर से सिर्फ सौ किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में नौकरी करने नया नया आया तब एक शाम मैं बस स्टैंड पर अपने शहर को जाने की टिकट लेने कतार में खड़ा था कि पीछे से आवाज आई – केशी, एक टिकट मेरी भी ले लेना। यह मेरे बचपन के दोस्त सतपाल की आवाज थी।

कितना रोमांचित हो गया था मैं कि चंडीगढ़ के भीड़ भाड़ भरे बस स्टैंड में किसी ने मेरे निकनेम से पुकारा। आप सोचिए कि हजारों मील दूर यूरोप के किसी दूर दराज के इलाके में बैठा कोई हिंदुस्तानी कितना रोमांचित हो जाएगा यदि उसे कोई दूसरा भारतीय मिल जाए ।

ओ हरामजादे कहानी यहीं से शुरू होती है जब मिस्टर लाल की पत्नी नैरेटर को इंडियन होने पर अपने घर चलने की मनुहार लगाती है और घर में अपने देश और शहर को नक्शों में ढूंढते रहने वाले पति से मिलाती है। लाल में कितनी गर्मजोशी आ जाती है और वह सेलिब्रेट करने के लिए कोन्याक लेकर आ जाता है। फिर धीरे-धीरे कैसे लाल रूमानी देशप्रेम से कहीं आगे निकल जालंधर की गलियों में माई हीरां गेट के पास अपने घर पहुंच जाता है। जहां से वह भाई की डांट न सह पाने के कारण भाग निकला था और विदेश पहुंच कर एक इंजीनियर बना और आसपास खूब भले आदमी की पहचान तो बनाई लेकिन कोई ओ हरामजादे की गाली देकर स्वागत् करने वाला बचपन का दोस्त तिलकराज न पाकर उदास हो जाता। इसलिए वह कभी कुर्ता पायजामा तो कभी जोधपुरी चप्पल पहन कर निकल जाता कि हिंदुस्तानी हूं, यह तो लोगों को पता चले ।

आखिर वह जालंधर जाता क्यों नहीं ? इसी का जवाब है : ओ हरामजादे । लाल एक बार अपनी विदेशी मेम हेलेन को जालंधर दिखाने गया था। तब बच्ची मात्र डेढ़ वर्ष की थी। दो तीन दिन लाल को किसी ने नहीं पहचाना तब उसे लगा कि वह बेकार ही आया लेकिन एक दिन वह सड़क पर जा रहा था कि आवाज आई : ओ हरामजादे, अपने बाप को नहीं पहचानता ? उसने देखा कि आवाज लगाने वाला उसके बचपन का दोस्त तिलकराज था । तब जाकर लाल को लगा कि वह जालंधर में है और जालंधर उसकी जागीर है । तिलकराज ने लाल को दूसरे दिन अपने घर भोजन का न्यौता दिया और वह इनकार न कर सका । पत्नी हेलेन को चाव से तैयार करवा कर पहुंच गया। तिलकराज ने खूब सारे सगे संबंधी और कुछ पुराने दोस्त बुला रखे थे। हेलेन बोर होती गयी। पर दोस्त की पत्नी यानी भाभी ने मक्की की रोटी और साग खिलाए बिना जाने न दिया। लाल ने भी कहा कि ठीक है फिर रसोई में ही खायेंगे। पंजाबी साग और मक्की की रोटी नहीं छोड़ सकता। वह भाभी को एकटक देखता रहा जिसमें उसे अपनी परंपरागत भाभी नजर आ रही थी पर घर लौटते ही पत्नी हेलेन ने जो बात कही उससे लाल ने गुस्से में पत्नी को थप्पड़ जड़ दिया क्योंकि हेलेन ने कहा कि तुम अपने दोस्त की पत्नी के साथ फ्लर्ट कर रहे थे। उस घटना के तीसरे दिन वह लौट आया और फिर कभी भारत नहीं लौटा। फिर भी एक बात की चाह उसके मन में अभी तक मरी नहीं है।

इस बुढ़ापे में भी मरी नहीं कि सड़क पर चलते हुए कभी अचानक कहीं से आवाज आए – ओ हरामजादे । और मैं लपककर उस आदमी को छाती से लगा लूं यह कहते हुए  उसकी आवाज फिर से लड़खड़ा गयी। लाल आंखों से ओझल नहीं होता। पूरी तरह भारतीयता और पंजाबियत में रंगा हुआ जो अभी तक इस इंतजार में है कि कहीं से बचपन का दोस्त कोई तिलकराज उसे ओ हरामजादे कह कर सारा प्यार और बचपन लौटा दे। कैसे भीष्म साहनी के इस प्यारे चरित्र को भूल सकता है कोई ?  कम से कम वे तो नहीं जो अपने शहरों से दूर रहते हैं चाहे देश चाहे विदेश में। वे इस आवाज़ का इंतजार करते ही जीते हैं।

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

संपर्क : 1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-१७ ☆ श्री सुरेश पटवा ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। आज से प्रत्यक शनिवार प्रस्तुत है  यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा)

? यात्रा संस्मरण – हम्पी-किष्किंधा यात्रा – भाग-१७ ☆ श्री सुरेश पटवा ?

हम लोग हम्पी भ्रमण करके शाम को सात बजे होटल वापस पहुंचने वाले थे। तभी राजेश जी ने बस में ही सभी को हनुमान महोत्सव और शोधपत्र वाचन हेतु होटल के कॉन्फ्रेंस हॉल में आठ बजे तक पहुंचने के निर्देश दिए। सभी हल्का आराम कर स्नान आदि करके नियत स्थान पर पहुंच मुख्य अतिथि कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी. डी. परमशिवमूर्ति का इंतज़ार करने लगे। मुख्य अतिथि साढ़े आठ बजे पहुँचे।

इस प्रकार हनुमान महोत्सव का मुख्य आयोजन 29 सितंबर को कन्नड़ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बी. डी. परमशिवमूर्ति के मुख्य आतिथ्य और डॉक्टर राजेश श्रीवास्तव की अध्यक्षता में आरम्भ हुआ। इस अवसर पर रामायण केन्द्र की पत्रिका उर्वशी के हनुमान विशेषांक सहित अन्य पुस्तकों का लोकार्पण भी किया जाएगा। हम्पी विश्वविद्यालय के अनेक प्रोफेसर और यात्रा के साथियों ने हनुमान प्रसंग पर अपने शोधपत्र प्रस्तुत किए। सभी अतिथियों का अभिनंदन किया गया। हमने भी “सर्वकालिक प्रबंधन गुरु हनुमान” शोध पत्र निम्नानुसार प्रस्तुत किया।

☆ शोध पत्र – सर्वकालिक प्रबंधन गुरु हनुमान ☆

इस समय, जब भारतीय अर्थ व्यवस्था उड़ान भरने (टेक ऑफ़ स्टेज) को तैयार है। प्रबंधन सूत्रों के पौराणिक आधार खोजना हमारी आवश्यकता है कि किस तरह अत्याधुनिक प्रबंधकीय सिद्धांत सनातन वांग्मय साहित्य में समाविष्ट रहे हैं।

हमने स्टेट बैंक में 37 वर्ष सेवा की है, जिसमें से 32 वर्ष प्रशासन-प्रबंधन के विभिन्न उच्चतम पदों पर कार्य निष्पादन किया है। 05 वर्ष बैंक के प्रशिक्षण केंद्र में बैंक प्रबंधकों को प्रबंधकीय प्रशिक्षण दिया है। मध्यभारत ग्रामीण बैंक में तीन वर्ष महाप्रबंधक (प्रशासन) पद पर कार्यरत रहे। इस दौरान नेतृत्व क्षमता और प्रबंधन पर अनेक पुस्तकों का अध्ययन किया था। उनमें स्टीफन रिचर्ड कोवे (Stephen Richard Covey) द्वारा लिखित पुस्तक “सेवन हैबिट्स ऑफ़ हाईली इफेक्टिव पीपल” एक अद्भुत किताब है। जिसमें व्यवस्थित कार्य निष्पादन द्वारा वांछित परिणाम प्राप्ति हेतु 07 ऐंसी आदतों का उल्लेख किया गया है, जो जीवन में लक्ष्य हासिल करने हेतु आवश्यक होती हैं। यह पुस्तक जीवन प्रबंधन की गीता कही जा सकती है।

यह एक अद्भुत संयोग है कि बाईसवीं सदी में उद्भूत प्रबंधन सिद्धांत त्रेता युग में हनुमान जी द्वारा प्रयोग किए जा रहे थे। इसीलिए पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुस्लिम होकर भी हनुमान जी की छोटी सी धातु प्रतिमा अपने साथ रखते थे। यहाँ सनातन दर्शन की सर्वकालिक महानता परिलक्षित होती है। हम इन सात आदतों का विश्लेषण हनुमान जी के जीवन वृत्त से करेंगे।

हम जानते हैं कि एक उम्र के बाद आदमी आदतों का पुंज होता है। लेकिन ये आदतें जिन पर हम बातें करेंगे कुछ अलग क़िस्म की हैं। इन्हें होशोहवास में सीखना और ग्रहण करना पड़ता है। इन आदतों से मानसिक तनाव के बग़ैर उभरती प्रभावशीलता (इफेक्टिवनेस) से वांछनीय परिणाम प्राप्त करके उन परिणामों की सम्भाल की जा सकती है। इनके पालन से तनाव प्रबंधन स्वमेव होता चलता है।

प्रबंधकीय क्षमता का आधार नैतिक आचरण और व्यक्ति में निहित मूल्य होते हैं। लेखक नैतिकता के साथ मूल्यों को संयुक्त करके सार्वभौमिक कालातीत सिद्धांत विकसित करने की बात करता है। ऐसा करने के लिए सिद्धांतों और मूल्यों को अलग करना पड़ता है। लेखक सिद्धांतों को अंतर्वैयक्तिक संबंधों के प्रभावी नियमों के रूप में देखता है, जिसके दर्शन हमें हनुमान जी के व्यक्तित्व में होते हैं। जबकि व्यक्तिपरक आंतरिक मूल्य उनके व्यक्तित्व के अविभाज्य अंग हैं। मूल्य लोगों के व्यवहार को नियंत्रित करते हैं, जबकि सिद्धांत अंततः परिणाम निर्धारित करते हैं। हनुमान के जीवन वृत्त में कर्तव्य परायणता मूल्य और स्वामीभक्ति सिद्धांत दृष्टिगोचर होते हैं। पुस्तक में सात आदतों को एक श्रृंखला में प्रस्तुत किया गया है, जो निर्भरता से आत्म निर्भरता तदुपरांत परस्पर निर्भरता से सुखद कार्यप्रणाली द्वारा जीवन की राह आसान बनाते हैं।

दो लोग एक ही चीज़ को दो अलग दृष्टिकोण से देख सकते हैं। उन्हें एक बिंदु पर आकर परिपक्वता स्थापित करना होता है। परिपक्वता के तीन क्रमिक चरण हैं: निर्भरता, आत्मनिर्भरता और अन्योन्याश्रय। जन्म के समय, हर कोई निर्भर होता है, और निर्भरता के लक्षण लंबे समय तक बने रह सकते हैं; फिर वह परिवार और मित्रों के सहयोग से आत्मनिर्भर होना आरम्भ करता है। यह परिपक्वता की पहली अवस्था है। इस अवस्था में तीन आदतें जीवन प्रबंधन की नींव रखती हैं।

*

पहली तीन आदतों में से प्रत्येक का उद्देश्य  व्यक्ति को आत्म निर्भरता प्राप्त करने में मदद करना है। हम देखते हैं कि हनुमान जी जन्म से ही आत्मनिर्भर हैं। पहली तीन आदतों के बाद की तीन आदतों का उद्देश्य परस्पर निर्भरता प्राप्त करने में मदद करना है, और सातवीं आदत का उद्देश्य इन उपलब्धियों को बनाए रखने हेतु सतत तैयारी में निहित  है। हनुमान के व्यक्तित्व में इन सात आदतों का विस्मयी समावेश देखने को मिलता है। इसका अर्थ यह हुआ कि हिंदुओं के दर्शन में प्रबंधन के गुणों का समावेश रहा है। जिन्हें कल्पनाशीलता से पुराणों में उतारा गया था। इन्हें जानने और समझने की ज़रूरत है।

पहली तीन आदतों का लक्ष्य शिशुवत पराधीनता से आत्म निर्भरता द्वार आत्म-निपुणता का विकास करना है।

पहली आदत : “सतत सक्रियता” (Proactive)

सक्रियता पहली आदत है, जो हनुमान जी को निरंतर परिणाम प्राप्ति में सहायक होती है। इससे हनुमान जी की सक्रियता का पता चलता है। वे जन्मते ही सूर्य के पास पहुँच जाते हैं। पूरे जीवन निष्क्रिय परिलक्षित नहीं होते हैं।  

सक्रियता का अर्थ है अपने ज्ञान और अनुभवों को सृजनात्मक विश्लेषण बुद्धि द्वारा श्रेष्ठ कार्यों में सतत लगाए रखना। बाहरी प्रतिक्रिया की जिम्मेदारी लेना, सकारात्मक प्रतिक्रिया देने और स्थिति को सुधारने के लिए पहल करना। जब उपलब्धि का वातावरण बनने लगता है तब विरोधी आपको उत्तेजित करने की कोशिश करते हैं। जैसे लंका जाते समय हनुमान जी को सुरसा उन्हें रोकने की कोशिश करती है। तब हनुमान बुद्धिमत्ता से उसका वचन पूरा करके निकल जाते हैं। “उत्तेजना और प्रतिक्रिया के बीच यह चुनने का अधिकार आपका है कि कैसे प्रतिक्रिया करनी है”, और आपकी सहमति के बिना कोई भी आपकी भावना को चोट नहीं पहुंचा सकता है। लेखक किसी की प्रतिक्रियाओं पर और उसके प्रभाव के केंद्र पर ध्यान केंद्रित करने पर चर्चा करते हैं।

आदत 2: “परिणाम को ध्यान में रखकर शुरुआत करना” (Begin with the end in mind)

लेखक इस बात पर जोर देता है कि आपका ध्यान अंतिम परिणाम पर केंद्रित होना चाहिए अर्थात् जीवन का “एक व्यक्तिगत मिशन” निर्धारित कर उस दिशा में काम करें। आपको संकल्पना करना है कि आपको भविष्य में कैसे याद किया जाना चाहिए? प्रभावी होने के लिए आपको उसी दिशा में सिद्धांतों के आधार पर कार्य करने और अपने मिशन की लगातार समीक्षा करने की आवश्यकता है।

हनुमान जी का मिशन पहले सुग्रीव की सेवा उसके बाद श्रीराम की सेवा में जीवन अर्पण करना था। आज भी उन्हें इसी रूप में स्मरण किया जाता है। आपकी सक्रियता मिशन की दिशा में होनी चाहिए। आपको यह निश्चित करना आवश्यक है कि संसार जीवन की संध्या में आपको किस रूप में जाने- एक प्रबुद्ध आदमी, धनवान व्यक्ति, त्यागी पुरुष या भले दयालु दानी इंसान या लालची दुश्चरित्र व्यक्ति। तदनुसार संकल्पित छवि के अनुसार मिशन आपके जीवन निर्वाह का तरीक़ा हो।

आदत 3: “प्राथमिकता तय करते रहें” (Put first thing first)

आपको अपनी प्राथमिकताओं को अत्यावश्यक (Urgent) और महत्वपूर्ण Important) में बाँट कर कार्य निष्पादन करना चाहिए। इस पद्धति से कार्य निष्पादन के चार युग्म बनते हैं।

1. अत्यावश्यक (Urgent) और महत्वपूर्ण Important)।

कौन सा काम अत्यावश्यक है और कौन सा महत्वपूर्ण है, अत्यावश्यक कार्य का निपटान पहले हो चाहे वह कितना भी कठिन क्यों न हो। जैसे लंका जाकर सीता माता का पता लगाना और रावण के दरबारियों व निवासियों को आतंकित करना है। जब लक्ष्मण को शक्ति लगती है तब जड़ी-बूटी लाना अत्यावश्यक हो गया था। तब हनुमान भरोसे पर खरा उतरते हैं। यदि आपको यात्रा पर जाना है तो समय पर आरक्षण करवाना अत्यावश्यक है, उसे निपटायें।

2. अत्यावश्यक नहीं लेकिन महत्वपूर्ण

कार्य सूची में अत्यावश्यक कार्य लंबित न हो तब महत्वपूर्ण कार्यों को हाथ में लें, इन्हें पूरा करने की योजना बनाएँ। निठल्ले ना बैठ जाएँ। लंका से लौटकर हनुमान वहाँ की स्थितियों के अनुसार सैनिकों को तैयार करते हैं। आपको यात्रा पर जाना है। आरक्षण हो गया है तो यात्रा का बैग तैयार करके रख लें। अंतिम समय की प्रतीक्षा में तनाव पैदा होता है, ख़ाली समय का सदुपयोग उत्तम नीति है।

3. अत्यावश्यक लेकिन अमहत्वपूर्ण

कोई कार्य अत्यावश्यक है लेकिन महत्वपूर्ण नहीं लगता फिर भी उसे निरंतर करते रहना है, जैसे नियमित व्यायाम, निरंतर अध्ययन और आपसी संबंधों को मज़बूत करना। हनुमान व्यायाम द्वारा तंदुरुस्त रहते हैं और सेना की तैयारी में निरंतर रत रहते हैं।

4. अनावश्यक और अमहत्वपूर्ण।

यह देखा गया है कि लोग अक्सर दूसरों या जिन चीजों पर उनका कोई प्रभाव या अधिकार नहीं होता है, उन फ़िज़ूल कार्यों पर अनावश्यक समय और ऊर्जा खर्च करते रहते हैं। इस तरह के तुच्छ ध्यान भटकाने वाली चीजों पर ध्यान ना देकर आप सार्थक योजना बनाने में संलग्न होते रह सकते हैं। हनुमान कभी निठल्ले नहीं बैठते।

लेखक का मत है कि लोगों को अपना अधिकांश समय पद्धति I और II पर खर्च करना चाहिए, लेकिन कई लोग पद्धति IV में बहुत अधिक समय बिताते हैं। पद्धति तीन निरंतर करने वाले कार्य हैं।

हनुमान के जीवन से सीख मिलती है कि वे ज़रूरत होने कर अत्यावश्यक कार्यों हेतु उपलब्ध होते हैं। अनावश्यक कार्यों में ऊर्जा और समय नष्ट नहीं करते।

ये पहली तीन आदतें ख़ुद के आंतरिक प्रबंधन से संबंधित हैं।

क्रमशः…

© श्री सुरेश पटवा 

भोपाल, मध्य प्रदेश

*≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 151 ☆ गीत – ।मानवता को महका दे भारत का गर्व होली है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

 

☆ “श्री हंस” साहित्य # 151 ☆

☆ गीत – ।मानवता को महका दे भारत का गर्व होली है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।

नफरत को मिटा दे और मीठी हो जाती बोली है।।

*

लोग छूटे भूले बिसरे भी मिल जाते हैं होली में।

पत्थर में भी प्रेम के फूल खिल जाते हैं होली में।।

छोटे बड़े का भेद मिटा दे   वह त्यौहार होली है।

दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।

*

रंगारंग रंगोली के रंग   गिरते हैं सबकी झोली में।

काले नीले पीले सब चलते हैं मिल कर टोली में।।

भांग ठंडाई जो दुनिया भुला दे वो त्यौहार होली है।

दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।

*

होलिका दहन में भस्म हो जातें हैं सब ही राग द्वेष।

बन जाती सब की एक बोली और एक जैसा भेष।।

दूरियों की दीवारों कोआग लगा दे वो त्यौहार होली है।

दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।

*

गले से गले दिल से दिल मिलाने का पर्व होली है।

सदियों से चला आ रहा भारत का गर्व होली है।।

जो सारी मानवता को महका दे वो त्यौहार होली है।

दिलों को जो प्रेम से रंगा दे वह त्यौहार होली है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा #218 ☆ शिक्षाप्रद बाल गीत – कविता – अपना भारत… ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित – “कविता  – अपना भारत। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे.।) 

☆ काव्य धारा # 218

☆ शिक्षाप्रद बाल गीत – अपना भारत…  ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

अपना भारत है सबसे पुराना

दुनिया का एक अद्भुत खजाना

*

पेड़, पर्वत, नदी और नाले,

खेत, खलिहान वन सब निराले

यहीं गंगा है औ’ वह हिमालय

जिसको दुनिया ने बेजोड़ माना ॥

*

इसकी धरती उगलती है सोना

कला हाथों का मानो खिलौना

आज नई रोशनी में भी दिखता

इसका इतिहास सदियों पुराना ॥

*

जो विदेशों से भी यहाँ आये,

वे भी बस गये, रहे न पराये

 लोगों में है मोहब्बत कुछ ऐसी

जानते सबको अपना बनाना ॥

*

गाँवों में आज भी है सरलता,

 नगरों में तो है नव युग मचलता ।

बढ़ते – विज्ञान को भी हमें ही

प्रेम का रास्ता है दिखाना

*

 सेनानियों ने था देखा जैसा सपना,

 बनाना वैसा भारत है अपना ।

 हमें मिल जुल के बढ़ना है आगे,

देखकर के बदलता जमाना ॥

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख # 235 ☆ फागुन मास सुहावन लागे… ☆ श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ ☆

श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

(ई-अभिव्यक्ति में संस्कारधानी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’ जी द्वारा “व्यंग्य से सीखें और सिखाएं” शीर्षक से साप्ताहिक स्तम्भ प्रारम्भ करने के लिए हार्दिक आभार। आप अविचल प्रभा मासिक ई पत्रिका की  प्रधान सम्पादक हैं। कई साहित्यिक संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदों पर सुशोभित हैं तथा कई पुरस्कारों/अलंकरणों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। आपके साप्ताहिक स्तम्भ – व्यंग्य से सीखें और सिखाएं  में आज प्रस्तुत है एक विचारणीय रचना “फागुन मास सुहावन लागे। इस सार्थक रचना के लिए श्रीमती छाया सक्सेना जी की लेखनी को सादर नमन। आप प्रत्येक गुरुवार को श्रीमती छाया सक्सेना जी की रचना को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  – आलेख  # 235 ☆ फागुन मास सुहावन लागे

रंगों की बौछार में भींगते हुए लोग सकारात्मकता के साथ श्यामल हो जाना चाहते हैं। बरसाना, नंद गाँव, वृंदावन की बात ही क्या, यहाँ फगुआ गाते हुए भक्त लठ्ठमार होली का आनन्द भी उठाते हैं। रंगभरी ग्यारस से जो गुलाल उड़ना शुरू होता है, वो रंग पंचमी पर जाकर पूर्ण होता है …

ग्वालवाले झूम जाते, मास फागुन रंग में।

कृष्ण राधामय हुए अब, होलिका हुड़दंग  में।।

 धड़कनों को  थाम रखते, ले  गुलालन  हाथ में।

रूप वृन्दावन सुहावन, गोप ग्वाले साथ में।।

संस्कारों को जीवित रखने का प्रबल माध्यम हमारे त्यौहार होते हैं जो न केवल मिलजुलकर रहना सिखाते वरन एक दूसरे का सम्मान, बड़ों का आदर, छोटों को स्नेह करना सिखाते हैं। प्राकृतिक रंगों के साथ जुड़कर अपने घरों में हरी धनिया, बथुआ,पालक, चुकंदर, गाजर, टेसू के फूल के द्वारा रंग बनाइए और उससे खेलें। आजकल तो व्यवस्थित कालोनियों में एक साथ मिलकर ,तय समय में ऐसे ही रंगो का प्रयोग हो रहा है। घर के बनें पकवान विशेषकर गुझिया, दही बड़ा, काँजी बड़ा, शक्कर पारा, सलोनी , पापड़ी, खाजा व कचौड़ियों का स्वाद  इसमें चार चाँद लगा देता है।

आप सभी को होलिकोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ। रंगोत्सव में सारे भेदभाव मिटाकर एक दूसरे के अपना बनाइए तभी सच्चे मायनों में वसुधैव कुटुंबकम सार्थक होगा।

©  श्रीमती छाया सक्सेना ‘प्रभु’

माँ नर्मदे नगर, म.न. -12, फेज- 1, बिलहरी, जबलपुर ( म. प्र.) 482020

मो. 7024285788, [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ विवेक साहित्य # 341 ☆ आलेख – “मुगल भारत में इसलिए स्थाई हुए क्योंकि उन्होंने भारतीय पर्वों की परवाह की…” ☆ श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 341 ☆

?  आलेख – मुगल भारत में इसलिए स्थाई हुए क्योंकि उन्होंने भारतीय पर्वों की परवाह की…  ? श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ☆

विवेक रंजन श्रीवास्तव
भोपाल
होली रंगों का त्योहार है। रंग खुशी के प्रतीक होते हैं। दुखद है कि आज गंगा जमनी तहजीब की बात तो होती है पर जो लोग अपने हित साधन के लिए यह बात करते हैं वे ही उस पर अमल नहीं करते। इतिहास के पन्नों में देखें तो भारत में मुसलमान केवल इसलिए यहां के निवासी बन सके क्योंकि उन्होंने हिंदुस्तान की संस्कृति को अपनाया । मुगल बादशाहों के समय में होली के त्योहार का खूब जिक्र मिलता है। इतिहास के जानकार बताते हैं कि मुगल शासन में बादशाहों को रंग से कोई परहेज नहीं था । मुगल शासन काल में मवेशी के सींगो के खोल में रंग भरकर पिचकारी के रूप में इस्तेमाल कर रंग फेंका जाता था। बादशाह जहांगीर के समय में बांस की पिचकारी बनाकर उसमें रंग भरकर वह अपने महल के दरबारी और राज्यों के साथ होली खेलते थे। यह उल्लेख साहित्य में वर्णित है। बादशाह मोहम्मद शाह के होली खेलने का जिक्र इतिहास में दर्ज है। जहांगीर काल में जहांगीर द्वारा होली खेलने की कई पेंटिंग्स आज भी मौजूद हैं। प्लास्टिक का आविष्कार मुगल शासन काल में तो नहीं हुआ था। तब बांस की पिचकारी बनाकर , या धातु की पिचकारी का उपयोग किया जाता था। ग़ुलाल और वनस्पतियों, खास कर टेसू के फूलों के रंगों को पानी में घोलकर पिचकारी में भरा जाता था। जिससे होली खेली जाती थी। यह प्रथा भारत की संस्कृति का हिस्सा है।आज भी कई ऐसे मुस्लिम परिवार हैं जो होली का त्योहार गर्व से खेलते हैं। होली को ईद e गुलाबी कहा जाता था । अकबर का जोधाबाई के साथ और जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन है. पत्थर के बड़े हौद में रंग बनाया जाता था। अतः आज रंग का विरोध परम्परा या सांस्कृतिक न होकर राजनैतिक अधिक दिखता है।

© श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

म प्र साहित्य अकादमी से सम्मानित वरिष्ठ व्यंग्यकार

संपर्क – ए 233, ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी भोपाल 462023

मोब 7000375798, ईमेल [email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ ≈

Please share your Post !

Shares

हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ समय चक्र # 242 ☆ बाल कविता – होली का त्योहार… ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ ☆

डॉ राकेश ‘चक्र

(हिंदी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी  की अब तक कुल 148 मौलिक  कृतियाँ प्रकाशित। प्रमुख  मौलिक कृतियाँ 132 (बाल साहित्य व प्रौढ़ साहित्य) तथा लगभग तीन दर्जन साझा – संग्रह प्रकाशित। कई पुस्तकें प्रकाशनाधीन। जिनमें 7 दर्जन के आसपास बाल साहित्य की पुस्तकें हैं। कई कृतियां पंजाबी, उड़िया, तेलुगु, अंग्रेजी आदि भाषाओँ में अनूदित । कई सम्मान/पुरस्कारों  से  सम्मानित/अलंकृत। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा बाल साहित्य के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य श्री सम्मान’ और उत्तर प्रदेश सरकार के हिंदी संस्थान द्वारा बाल साहित्य की दीर्घकालीन सेवाओं के लिए दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मान ‘बाल साहित्य भारती’ सम्मान, अमृत लाल नागर सम्मानबाबू श्याम सुंदर दास सम्मान तथा उत्तर प्रदेश राज्यकर्मचारी संस्थान  के सर्वोच्च सम्मान सुमित्रानंदन पंतउत्तर प्रदेश रत्न सम्मान सहित पाँच दर्जन से अधिक प्रतिष्ठित साहित्यिक एवं गैर साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित एवं पुरुस्कृत। 

 आदरणीय डॉ राकेश चक्र जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 संक्षिप्त परिचय – डॉ. राकेश ‘चक्र’ जी।

आप  “साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र” के माध्यम से  उनका साहित्य प्रत्येक गुरुवार को आत्मसात कर सकेंगे।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – समय चक्र – # 242 ☆ 

☆ बाल कविता – होली का त्योहार…  ☆ डॉ राकेश ‘चक्र’ 

 होली का त्योहार

बने हैं चाट पकौड़ी

आलू टिक्की, पापड़, सेमें

स्वाद मूँग मंगौड़ी।।

 *

गरम – गरम आलू हैं छोले

बढ़िया उर्द कचौड़ी

बेसन के भी सेव खा रहे

मौड़ा सब ही मौड़ी।।

 *

रंग गुलाल उड़े हैं केसर

मस्ती ही मस्ती है

जमकर खेलें, हुरियारे सब

रँगी गली बस्ती है।।

 *

जमकर खाएँ चाट पकौड़ी

सी – सी कर हुरियारे

खूब मना त्योहार होलिका

जोकर से मुँह कारे।।

© डॉ राकेश चक्र

(एमडी,एक्यूप्रेशर एवं योग विशेषज्ञ)

90 बी, शिवपुरी, मुरादाबाद 244001 उ.प्र.  मो.  9456201857

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

Please share your Post !

Shares