(श्री सुरेश पटवा जी भारतीय स्टेट बैंक से सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों स्त्री-पुरुष “, गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकश।आज प्रस्तुत है आपकी ग़ज़ल “सारी रात गुज़ार देते बातों में ही…”।)
ग़ज़ल # 53 – “सारी रात गुज़ार देते बातों में ही…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’
(बहुमुखी प्रतिभा के धनी श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं। आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका एक भावप्रवण मुक्तक ।।हर दिन इक़ नया संग्राम है यह जिन्दगी।।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 44 ☆
☆ मुक्तक ☆ ।।हर दिन इक़ नया संग्राम है यह जिन्दगी।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆
(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी द्वारा रचित एक ग़ज़ल – “हैरान हो रहे हैं सब देखने वाले हैं…” । हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।)
☆ काव्य धारा #110 ☆ ग़ज़ल – “हैरान हो रहे हैं सब देखने वाले हैं…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆
विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ?
☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (12 दिसंबर से 18 दिसंबर 2022) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆
भाग्य और परिश्रम के बारे में बहुत सारे तक दिए जाते हैं एक तर्क यह भी है की
तुम्हारे भाग्य में सब कुछ है देखो ।
कभी सही मंजिल पहचान के तो देखो ।।
वक्त तो लगेगा ही ऊंचाइयों तक पहुंचने में ।
अपने हौसलों को तो आसमां तक उड़ा के तो देखो ।।
आपके अपने भाग्य में सब कुछ है । यह सब कुछ आपको कब मिलेगा यह जान पाना कठिन है । 12 दिसंबर से 18 दिसंबर 2022 अर्थात विक्रम संवत 2079 शक संवत 1944 के पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी से कृष्ण पक्ष की दसवीं तक के सप्ताह में आपको भाग्य के कारण क्या-क्या मिलेगा मैं पंडित अनिल पाण्डेय आपको बताने जा रहा हूं।
इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा कर्क राशि में रहेगा । इसके उपरांत सिंह और कन्या राशि से गोचर करता हुआ 18 दिसंबर को 6:30 सायं काल से तुला राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य प्रारंभ में वृश्चिक राशि में रहेंगे तथा 16 दिसंबर को 7:07 रात से धनु राशि में प्रवेश करेंगे । इस पूरे सप्ताह मंगल वृष राशि में वक्री रहेंगे , बुध धनु राशि में रहेंगे , गुरु मीन राशि में रहेंगे , शनि मकर राशि में रहेंगे , शुक्र धनु राशि में रहेंगे तथा राहु मेष राशि में गोचर करेंगे।
आइए अब हम राशि वार राशिफल की चर्चा करते हैं।
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह मिलाजुला परिणाम लेकर आएगा । सप्ताह के अंत में भाग्य अच्छा साथ देगा । सप्ताह के प्रारंभ में छोटी मोटी दुर्घटना हो सकती है । आपको संतान से कम सहयोग प्राप्त होगा । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें । इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 दिसंबर उपयोगी और सार्थक हैं । 16-17 और 28 नंबर को आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।
वृष राशि
इस सप्ताह भाग्य आपका साथ देगा । धन आने की उम्मीद की जा सकती है । दुर्घटनाओं से बचने का प्रयास करें । आपको अपनी संतान से सहयोग नहीं प्राप्त होगा । छात्रों की पढ़ाई में बाधा आ सकती है । आपके सुख में कमी होगी । कार्यालय में आपकी स्थिति अच्छी रहेगी । इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 दिसंबर उत्तम और लाभप्रद है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रात काल स्नान करने के उपरांत तांबे के पात्र में जल अक्षत और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को उनके मंत्रों से जल अर्पण करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है ।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के वे जातक जो अविवाहित हैं उनके विवाह की उत्तम प्रस्ताव आएंगे । अगर आप प्रयास करेंगे तो विवाह तय हो सकता है । आपके कुछ लोग आपकी विवाह में बाधा भी बन सकते हैं । कृपया ऐसे लोगों से सावधान रहें । भाग्य आपका साथ देगा । तंत्रिका तंत्र में पीड़ा हो सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 16 17 और 18 दिसंबर कार्यों को सफल बनाने के लिए उत्तम है । आपको इन दिनों का भरपूर उपयोग करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
कर्क राशि
अविवाहित जातकों के लिए यह उत्तम अवसर है ।उनके विवाह के प्रस्ताव आएंगे। आपका भाग्य पूरी तरह से आपकी मदद करेगा । परंतु आपके कुछ नजदीकी लोग आपके रिश्ते को बिगाड़ने का प्रयास करेंगे । आपको अपने संतान से अच्छा सुख प्राप्त होगा । विद्या का अच्छा योग है । छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी । पिताजी को कष्ट हो सकता है । आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । 12 और 13 दिसंबर फलदायक और लाभदायक है । आपको 12 और 13 दिसंबर को अपने कार्यों को करने का पूरा प्रयास करना चाहिए। । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं । सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।
सिंह राशि
इस सप्ताह आपको नरम और गरम दोनों तरह के फल प्राप्त होंगे । आपके शत्रु शांत रहेंगे परंतु समाप्त नहीं होंगे । आपको अपने संतान से सुख प्राप्त होगा । भाग्य इस सप्ताह आपकी मदद बिल्कुल नहीं करेगा । जनता में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी । सुख में वृद्धि होगी । माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है । इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 दिसंबर लाभदायक और फलदायक हैं । 12 और 13 दिसंबर को आप कई कार्यों में असफल हो सकते हैं । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव का अभिषेक करें और प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
कन्या राशि
इस सप्ताह आपकी कुंडली के गोचर में घर धन आने का उत्तम योग है । यह धन आपको अपनी मेहनत के कारण मिलेगा । भाई बहनों से आपका स्नेह बढ़ेगा । क्रोध में वृद्धि होगी । माताजी और पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । भाग्य से थोड़ी बहुत मदद मिलेगी । इस सप्ताह आपके लिए 16 17 और 18 दिसंबर सफलता दायक है। जिन कार्यों में आप बहुत दिन से सफल नहीं हो रहे हैं उनको 16 17 या अट्ठारह को करने का प्रयास करें । सफल होंगे । 14 और 15 दिसंबर को आपको सचेत रहकर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौमाता को दें । सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह धन लेकर आ रहा है । क्रोध की मात्रा में थोड़ी वृद्धि होगी । भाग्य साथ देगा । भाई बहनों के साथ संबंध अच्छे होंगे । संतान का सहयोग प्राप्त हो सकता है । पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है । कार्यालय में आप की स्थिति में थोड़ा गिरावट होगी । इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 दिसंबर अत्यंत उत्तम है । आपके सभी लंबित कार्य अगर आप चाहें तो इन दोनों तारीखों में संपन्न हो जाएंगे । 16-17 और 18 दिसंबर को आपको सावधान रहकर कार्य करना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें । सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
वृश्चिक राशि
आपके आत्मसम्मान में वृद्धि होगी । आपके अंदर कार्य करने की क्षमता एवं कार्य करवाने की क्षमता दोनों में वृद्धि होगी । धन आने का योग है परंतु यह अल्प मात्रा में आएगा । बहनों से संबंध अच्छे रहेंगे । भाग्य कम साथ देगा । शादी ब्याह के संबंधों में छोटी मोटी परेशानी आ सकती है । जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । शत्रु का विनाश होगा । इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 दिसंबर लाभप्रद है । आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह चीटियों को दाना दें । सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।
धनु राशि
आपके पास धन आने का ठीक ठाक योग है। आपको कचहरी के कार्यों में सफलता मिलेगी । आपके पुत्र को कुछ हानि हो सकती है । माताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपके पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी आ सकती है । आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा । अगर आप अविवाहित हैं तो आपके विवाह के प्रस्ताव आ सकते हैं । प्रेम संबंधों में वृद्धि होगी । आपके लिए 16 ,17 और अट्ठारह दिसंबर शुभ फलदाई हैं । 12 और 13 दिसंबर को आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप विष्णु सहस्त्रनाम का प्रतिदिन जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों को इस सप्ताह के पुर्वाध में धन मिलने की उम्मीद है । उसके उपरांत धन प्राप्त नहीं होगा । भाई बहनों से संबंध उत्तम रहेंगे । आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा । जीवनसाथी के गर्दन या कमर में दर्द हो सकता है । आपके प्रेम संबंध में बाधा आ सकती है । संतान का सुख प्राप्त होगा । भाग्य सामान्य है । इस सप्ताह आपके लिए 12 और 13 दिसंबर उत्तम और लाभप्रद है । 14 और 15 दिसंबर को आपके कुछ कार्य खराब हो सकते हैं । कृपया सावधान रहें । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप राम रक्षा स्त्रोत का प्रतिदिन जाप करें । सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।
कुंभ राशि
इस सप्ताह आपको कचहरी के कार्यों में सफलता मिलने का अद्भुत योग है। । धन आने की भी अच्छी उम्मीद है। । बहनों से संबंध ठीक रहेगा । भाइयों से कुछ तकरार हो सकती है । परंतु वे संबंधी बाद में ठीक हो जाएंगे । पिताजी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । कार्यालय में आपको मान सम्मान प्राप्त होगा । भाग्य ठीक-ठाक है । माताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा । आपका और आपके जीवन साथी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा । इस सप्ताह आपके लिए 14 और 15 दिसंबर सफलता दायक हैं । सप्ताह के बाकी दिन आपको सावधान रहना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शुक्रवार को किसी मंदिर में जाकर पुजारी जी को सफेद वस्त्रों का दान दें ।सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह अच्छा है । उनका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा । ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी । समाज में इज्जत मिलेगी । भाग्य साथ देगा । पुत्र पुत्रियों की उन्नति होगी। । परीक्षा में सफलता प्राप्त होगी । धन आने का योग है । कार्यालय में आपको प्रतिष्ठा प्राप्त होगी । इस सप्ताह आपके लिए 16 ,17 और अट्ठारह दिसंबर उत्तम और कार्य सिद्धि दायक है । 14 और 15 दिसंबर को आपको अपने कार्यों में सावधानी बरतना चाहिए । इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन गौ माता को हरा चारा दें । सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।
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मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें।
(डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं। साप्ताहिक स्तम्भ “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से हम आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का वैश्विक महामारी और मानवीय जीवन पर आधारित एक अत्यंत विचारणीय आलेख अधूरी ख़्वाहिशें। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की लेखनी को इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य # 160 ☆
☆ अधूरी ख़्वाहिशें ☆
‘कुछ ख़्वाहिशों का अधूरा रहना ही ठीक है/ ज़िंदगी जीने की चाहत बनी रहती है।’ गुलज़ार का यह संदेश हमें प्रेरित व ऊर्जस्वित करता है। ख़्वाहिशें उन स्वप्नों की भांति हैं, जिन्हें साकार करने में हम अपनी सारी ज़िंदगी लगा देते हैं। यह हमें जीने का अंदाज़ सिखाती हैं और जीवन-रेखा के समान हैं, जो हमें मंज़िल तक पहुंचाने की राह दर्शाती है। इच्छाओं व ख़्वाहिशों के समाप्त हो जाने पर ज़िंदगी थम-सी जाती है; उल्लास व आनंद समाप्त हो जाता है। इसलिए अब्दुल कलाम जी ने खुली आंखों से स्वप्न देखने का संदेश दिया है। ऐसे सपनों को साकार करने हित हम अपनी पूरी शक्ति लगा देते हैं और वे हमें तब तक चैन से नहीं बैठने देते; जब तक हमें अपनी मंज़िल प्राप्त नहीं हो जाती। भगवद्गीता में भी इच्छाओं पर अंकुश लगाने की बात कही गई है, क्योंकि वे दु:खों का मूल कारण हैं। अर्थशास्त्र में भी सीमित साधनों द्वारा असीमित इच्छाओं की पूर्ति को असंभव बताते हुए उन पर नियंत्रण रखने का सुझाव दिया गया है। वैसे भी आवश्यकताओं की पूर्ति तो संभव है; इच्छाओं की नहीं।
इस संदर्भ में मैं यह कहना चाहूंगी कि अपेक्षा व उपेक्षा दोनों मानव के लिए कष्टकारी व उसके विकास में बाधक होते हैं। इसलिए उम्मीद मानव को स्वयं से रखनी चाहिए, दूसरों से नहीं। प्रथम मानव को उन्नति के पथ पर अग्रसर करता है; द्वितीय निराशा के गर्त में धकेल देता है। सो! गुलज़ार की यह सोच भी अत्यंत सार्थक है कि कुछ ख़्वाहिशों का अधूरा रहना ही कारग़र है, क्योंकि वे हमारे जीने का मक़सद बन जाती हैं और हमारा मार्गदर्शन करती हैं। जब तक ख़्वाहिशें ज़िंदा रहती हैं; मानव निरंतर सक्रिय व प्रयत्नशील रहता है और उनके पूरा होने के पश्चात् ही सक़ून प्राप्त करता है।
‘ख़ुद से जीतने की ज़िद्द है/ मुझे ख़ुद को ही हराना है/ मैं भीड़ नहीं हूं दुनिया की/ मेरे अंदर एक ज़माना है।’ जी हां! मानव से जीवन में संघर्ष करने के पश्चात् मील के पत्थर स्थापित करना अपेक्षित है। यह सात्विक भाव है। यदि हम ईर्ष्या-द्वेष को हृदय में धारण कर दूसरों को पराजित करना चाहेंगे, तो हम स्व-पर व राग-द्वेष में उलझ कर रह जाएंगे, जो हमारे पतन का कारण बनेगा। सो! हमें अपने अंतर्मन में स्पर्द्धा भाव को जाग्रत करना होगा और अपनी ख़ुदी को बुलंद करना होगा, ताकि ख़ुदा भी हमसे पूछे कि बता! तेरी रज़ा क्या है? विषम परिस्थितियों में स्वयं को प्रभु-चरणों में समर्पित करना सर्वश्रेष्ठ उपाय है। सो! हमें वर्तमान के महत्व को स्वीकारना होगा, क्योंकि अतीत कभी लौटता नहीं और भविष्य अनिश्चित है। इसलिए हमें साहस व धैर्य का दामन थामे वर्तमान में जीना होगा। इन विषम परिस्थितियों में हमें आत्मविश्वास रूपी धरोहर को थामे रखना है तथा पीछे मुड़कर कभी नहीं देखना है।
संसार में असंभव कुछ भी नहीं। हम वह सब कर सकते हैं, जो हम सोच सकते हैं और हम वह सब सोच सकते हैं; जिसकी हमने आज तक कल्पना नहीं की। कोई भी रास्ता इतना लम्बा नहीं होता; जिसका अंत न हो। मानव की संगति अच्छी होनी चाहिए और उसे ‘रास्ते बदलो, मुक़ाम नहीं’ में विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि पेड़ हमेशा पत्तियां बदलते हैं, जड़ें नहीं। जीवन संघर्ष है और प्रकृति का आमंत्रण है। जो स्वीकारता है, आगे बढ़ जाता है। इसलिए मानव को इस तरह जीना चाहिए, जैसे कल मर जाना है और सीखना इस प्रकार चाहिए, जैसे उसको सदा ज़िंदा रहना है। वैसे भी अच्छी किताबें व अच्छे लोग तुरंत समझ में नहीं आते; उन्हें पढ़ना पड़ता है। श्रेष्ठता संस्कारों से मिलती है और व्यवहार से सिद्ध होती है। ऊंचाई पर पहुंचते हैं वे लोग जो प्रतिशोध नहीं, परिवर्तन की सोच रखते हैं। परिश्रम सबसे उत्तम गहना व आत्मविश्वास सच्चा साथी है। किसी से धोखा मत कीजिए; न ही प्रतिशोध की भावना को पनपने दीजिए। वैसे भी इंसान इंसान को धोखा नहीं देता, बल्कि वे उम्मीदें धोखा देती हैं, जो हम किसी से करते हैं। जीवन में तुलना का खेल कभी मत खेलें, क्योंकि इस खेल का अंत नहीं है। जहां तुलना की शुरुआत होती है, वहां अपनत्व व आनंद भाव समूल नष्ट हो जाता है।
ऐ मन! मत घबरा/ हौसलों को ज़िंदा रख/ आपदाएं सिर झुकाएंगी/ आकाश को छूने का जज़्बा रख। इसलिए ‘राह को मंज़िल बनाओ,तो कोई बात बने/ ज़िंदगी को ख़ुशी से बिताओ तो कोई बात बने/ राह में फूल भी, कांटे भी, कलियां भी/ सबको हंस के गले से लगाओ, तो कोई बात बने।’ उपरोक्त स्वरचित पंक्तियों द्वारा मानव को निरंतर कर्मशील रहने का संदेश प्रेषित है, क्योंकि हौसलों के जज़्बे के सामने पर्वत भी नत-मस्तक हो जाते हैं। ऐ मानव! अपनी संचित शक्तियों को पहचान, क्योंकि ‘थमती नहीं ज़िंदगी, कभी किसी के बिना/ यह गुज़रती भी नहीं, अपनों के बिना।’ सो! रिश्ते-नातों की अहमियत समझते हुए, विनम्रता से उनसे निबाह करते चलें, ताकि ज़िंदगी निर्बाध गति से चलती रहे और मानव यह कह उठे, ‘अगर देखना है मेरी उड़ान को/ थोड़ा और ऊंचा कर दो मेरी उड़ान को।’
(डॉ भावना शुक्ल जी (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान किया है। हम ईश्वर से \प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत है “भावना के दोहे”।)
(आदरणीय श्री संतोष नेमा जी कवितायें, व्यंग्य, गजल, दोहे, मुक्तक आदि विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं. धार्मिक एवं सामाजिक संस्कार आपको विरासत में मिले हैं. आपके पिताजी स्वर्गीय देवी चरण नेमा जी ने कई भजन और आरतियाँ लिखीं थीं, जिनका प्रकाशन भी हुआ है. आप डाक विभाग से सेवानिवृत्त हैं. आपकी रचनाएँ राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित होती रहती हैं। आप कई सम्मानों / पुरस्कारों से सम्मानित/अलंकृत हैं. “साप्ताहिक स्तम्भ – इंद्रधनुष” की अगली कड़ी में आज प्रस्तुत है “मन पर दोहे”। आप श्री संतोष नेमा जी की रचनाएँ प्रत्येक शुक्रवार आत्मसात कर सकते हैं।)
(डॉ. ऋचा शर्मा जी को लघुकथा रचना की विधा विरासत में अवश्य मिली है किन्तु ,उन्होंने इस विधा को पल्लवित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । उनकी लघुकथाएं और उनके पात्र हमारे आस पास से ही लिए गए होते हैं , जिन्हें वे वास्तविकता के धरातल पर उतार देने की क्षमता रखती हैं। आप ई-अभिव्यक्ति में प्रत्येक गुरुवार को उनकी उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है एक विचारणीय लघुकथा ‘क्या था यह ?’। डॉ ऋचा शर्मा जी की लेखनी को इस लघुकथा रचने के लिए सादर नमन।)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संवाद # 106 ☆
☆ लघुकथा – क्या था यह ?— ☆ डॉ. ऋचा शर्मा ☆
अरे ! क्या हो गया है तुझे ? कितने दिनों से अनमयस्क – सा है ? चुप्पी क्यों साध ली है तूने। जग में एक तू ही तो है जो पराई पीर समझता है। जाने – अनजाने सबके दुख टटोलता रहता है। क्या मजाल की तेरी नजरों से कोई बच निकले। तू अक्सर बिन आवाज रो पड़ता है और दूसरों को भी रुला देता है। कभी दिल आए तो बच्चों सा खिलखिला भी उठता है। तू तो कितनों की प्रेरणा बना और ना जाने कितनों के हाथों की धधकती मशाल। अरे! चारण कवियों की आवाज बन तूने ही तो राजाओं को युद्ध में विजय दिलवाई। कभी मीरा के प्रेमी मन की मर्मस्पर्शी आवाज बना, तो कभी वीर सेनानियों के चरणों की धूल। तूने ही सूरदास के वात्सल्य को मनभावन पदों में पिरो दिया और विरहिणी नागमती की पीड़ा को कभी काग, तो कभी भौंरा बन हर स्त्री तक पहुँचाया। समाज में बड़े- बड़े बदलाव, क्रांति कौन कराता है? तू ही ना!
देख ना, आज भी कितना कुछ घट रहा है आसपास तेरे। ऐसे में सब अनदेखा कर मुँह सिल लिया है या गांधारी बन बैठा। मैं जानता हूँ तू ना निराश हो सकता है न संवेदनहीन। तूने ही कहा था ना – ‘नर हो ना निराश करो मन को’। तुझे चलना ही होगा, चल उठ, जल्दी कर। मानों किसी ने कस के झिझोंड़ दिया हो उसे। कवि मन हकबकाया – सा इधर – उधर देख रहा था। क्या था यह ? अंतर्मन की आवाज या सपना?