English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 176 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain (IN) Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 176 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 176) ?

Captain Pravin Raghuvanshi NM—an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’. He is also the English Editor for the web magazine www.e-abhivyakti.com.  

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc.

Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi. He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper. The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his Naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Awards and C-in-C Commendation. He has won many national and international awards.

He is also an IMM Ahmedabad alumnus.

His latest quest involves writing various books and translation work including over 100 Bollywood songs for various international forums as a mission for the enjoyment of the global viewers. Published various books and over 3000 poems, stories, blogs and other literary work at national and international level. Felicitated by numerous literary bodies..!

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 176 ?

☆☆☆☆☆

तूफ़ां के से  हालात  है

ना किसी सफर में रहो.

पंछियों से है गुज़ारिश 

रहो सिर्फ अपने शज़र में

☆☆ 

There’re stormy conditions

Don’t set sail for any voyage

Pleading with the avian-world

To keep nestled in their trees

☆☆☆☆☆

ईद का चाँद बन, बस रहो 

अपने ही घरवालों के संग,

ये उनकी खुशकिस्मती है

कि बस हो उनकी नज़र में…

☆☆ 

Even in once in blue moon,

Don’t step out, be with family

It’s a  blissful  fortune only

That you’re before their eyes

☆☆☆☆☆

माना बंजारों की तरह

घूमते ही रहे डगर-डगर…

वक़्त का तक़ाज़ा है अब 

☆☆ 

Agreed like gypsies, you’ve

Been wandering endlessly

It’s  the  need  of  hour that

You stay in your own town…

☆☆☆☆☆

रहो सिर्फ अपने ही शहर में …

तुमने कितनी खाक़ छानी 

हर  गली  हर  चौबारे  की,

थोड़े  दिन की  तो बात है 

बस रहो सिर्फ अपने घर में…

☆☆ 

Much did you wander around

Every nook and every corner,

It’s a matter of few days only

Keep staying in your house…

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 175 ☆ सॉनेट – सैनिक ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है सॉनेट – सैनिक।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 175 ☆

☆ सॉनेट – सैनिक ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सीमा मुझ प्रहरी को टेरे।

*

फल की चिंता करूँ न किंचित।

करूँ रक्त से धरती सिंचित।।

*

शौर्य-पराक्रम साथी मेरे।।

अरिदल जब-जब मुझको घेरे।

*

माटी में मैं उन्हें मिलाता।

दूध छठी का याद कराता।।

महाकाल के लगते फेरे।।

*

सैखों तारापुर हमीद हूँ।

होली क्रिसमस पर्व ईद हूँ।

वतन रहे, होता शहीद हूँ।।

*

जान हथेली पर ले चलता।

अरि-मर्दन के लिए मचलता।

काली-खप्पर खूब से भरता।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

१७-२-२०२२

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (26 फरवरी से 3 मार्च 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (26 फरवरी से 3 मार्च 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

सभी मित्रों को पंडित अनिल पाण्डेय का नमस्कार। आज मैं आप सभी से 26 फरवरी से 3 मार्च 2024 अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के फाल्गुन कृष्ण पक्ष की द्वितीया से फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में चर्चा करूंगा।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा सिंह राशि में रहेगा। 26 तारीख को 7:15 से कन्या राशि में प्रवेश करेगा। 28 फरवरी को 6:40 सायं काल से तुला राशि में गोचर करेगा। 1 मार्च को 4:21 रात अंत से वृश्चिक राशि में पहुंच जाएगा।

इस पूरे सप्ताह सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में रहेंगे। मंगल और शुक्र मकर राशि में गोचर करेंगे। गुरु मेष राशि में रहेगा तथा राहु मीन राशि में भ्रमण करेगा।

इस सप्ताह 26, 27, 29 फरवरी तथा 1 2 और 3 मार्च को विवाह मुहूर्त है। मुंडन, उपनयन और गृह प्रवेश का कोई मुहूर्त नहीं है। 26 फरवरी को गृहारंभ का, 29 फरवरी को अन्नप्राशन का तथा 26 और 29 फरवरी को नामकरण का मुहूर्त है। 3 मार्च को व्यापार मुहूर्त है।

पूरे सप्ताह में सर्वार्थ सिद्धि योग नहीं है।

आइये अब हम राशिवार राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जीवनसाथी के पेट में समस्या हो सकती है। अगर आप कर्मचारी अधिकारी हैं तो कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी। अगर आप व्यापार करना चाह रहे हैं तो इस सप्ताह आपके लिए अच्छा अवसर है। इस सप्ताह आपके पास धन आने की मात्रा में कमी होगी। संतान को लाभ होगा। दुर्घटना हो सकती है। 29 फरवरी और 1 मार्च आपके लिए आनंददायक है। दो और तीन मार्च को आप दुर्घटनाओं से बच सकते हैं। 26, 27 और 28 फरवरी को आपको सतर्क रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन आदित्य हृदय स्त्रोत का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपके खर्चे में वृद्धि होगी। गलत ढंग से धन आ सकता है। कार्यालय में आपकी स्थिति थोड़ी कमजोर हो सकती है। भाग्य आपका प्रबल रूप से साथ देगा। भाई बहनों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं। संतान का आपको थोड़ा बहुत सहयोग प्राप्त हो सकता है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को थोड़ी सी मानसिक समस्या हो सकती है। कचहरी के कार्यों में सफलता मिलने की उम्मीद कम रहेगी। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पूरे सप्ताह कोई भी कार्य पूरी सावधानी के साथ करें। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप घर की बनी पहली रोटी गौ माता को दें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

मिथुन राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने की मात्रा में वृद्धि होगी। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो आपका प्रभाव अपने कार्यालय में बढ़ेगा। आपको अपने अधिकारियों से व्यर्थ में नहीं उलझना चाहिए। भाग्य से मिलने वाले लाभ में कमी होगी। दुर्घटनाओं से आपको सावधान रहना चाहिए। पिताजी के स्वास्थ्य में खराबी हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। संतान से आपको कोई विशेष मदद प्राप्त नहीं होगी। छात्रों की पढ़ाई में बाधा आ सकती है। इस सप्ताह 26, 27 और 28 फरवरी आपके लिए उत्तम है। दो और तीन मार्च को आपको अपने शत्रुओं से राहत मिल सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार उत्तम चलेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपको ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की बीमारी हो सकती है। पिताजी का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। माताजी के स्वास्थ्य थोड़ी समस्या है। भाग्य आपका साथ नहीं देगा। वर्तमान समय में आप पर शनि की अढ़ैया चल रही है। अढ़ैया की परेशानियों में कमी आएगी। इसके अलावा दुर्घटना हो सकती है। शासन के साथ संपर्क ठीक हो सकते हैं। इस सप्ताह आपके लिए 29 फरवरी और 1 मार्च अनुकूल है। दो और तीन मार्च को आपके पुत्र को कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। भाग्य आपका साथ देगा। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। शत्रु शांत हो जाएंगे। जीवनसाथी का स्वास्थ्य थोड़ा खराब हो सकता है। आपको नसों के संबंध में कोई बीमारी हो सकती है। कचहरी के कार्यों में सावधानी बरतें। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 और 28 को धन आने का योग है। दो और तीन मार्च को आपके सुख में कमी आ सकती है। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह मोती की माला धारण करें। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य ठीक रहेगा। परंतु जीवनसाथी के स्वास्थ्य में समस्या आ सकती है। गुप्त शत्रु नुकसान कर सकते हैं। उनसे सावधान रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपके संतान की उन्नति हो सकती है। आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। आपके खर्चों में वृद्धि होगी। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 और 28 फरवरी किसी भी कार्य को करने के लिए अनुकूल है। दो और तीन मार्च को आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप स्नान करने के उपरांत तांबे के पात्र में जल और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

यह सप्ताह आपके जीवनसाथी के लिए अत्यंत उत्तम है। आपके पास धन के आने की मात्रा में वृद्धि होगी। भाई बहनों के साथ ठीक-ठाक संबंध रहेंगे। छात्रों की पढ़ाई में बाधा पड़ेगी। संतान से आपके सहयोग प्राप्त नहीं होगा। शत्रु शांत रहेंगे। कचहरी के कार्यों में रिस्क ना लें। कार्यालय में आपकी स्थिति थोड़ी कमजोर हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 29 फरवरी और 1 मार्च शुभ और लाभदायक हैं। दो और तीन मार्च को आपके पास धन आ सकता है। 26, 27 और 28 फरवरी को आपको सावधान रहकर कोई भी कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

इस सप्ताह आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य भी उत्तम रहेगा। परंतु माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। आपके संतान को इस सप्ताह कष्ट हो सकता है। इस सप्ताह आपके सुख में थोड़ी कमी आएगी। भाई बहनों के साथ उत्तम संबंध रहेंगे। इस समय आप शनि की अढ़ैया के प्रभाव में हैं। जिसके कारण आपको कई परेशानियां हो रही होंगी। उनमें कमी आएगी। समाज में आपकी प्रतिष्ठा में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 और 28 थोड़ा लाभदायक होगा। सप्ताह के बाकी सभी दिन आपको सतर्क रहना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह प्रतिदिन भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

धनु राशि

आपका और आपके जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। धन आने की मात्रा में वृद्धि होगी। आपके संतान को सुख प्राप्त होगा। संतान का आपको उत्तम सहयोग मिलेगा। छात्रों की पढ़ाई ठीक चलेगी। भाई बहनों के साथ सामान्य संबंध होंगे। भाग्य आपका थोड़ा बहुत साथ देगा। आपके पराक्रम में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 और 28 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए शुभ है। दो और तीन तारीख को आपको कचहरी के कार्यों में लाभ प्राप्त हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

आपका स्वास्थ्य इस सप्ताह ठीक-ठाक रहेगा। अगर आप अविवाहित हैं तो विवाह के अच्छे प्रस्ताव आएंगे। धन आने का योग है। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक रहेगी। भाग्य आपका साथ देगा। दूर देश में की यात्रा हो सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध में दुराव आएगा। आप की आंख में कष्ट भी हो सकता है। आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। उसके प्रभाव में काफी कमी आएगी। जिसके कारण आपकी परेशानियां कम होगी। इस सप्ताह आपके लिए 29 फरवरी और 1 मार्च उत्तम है। दो और तीन मार्च को आपके पास धन आने का योग है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

इस सप्ताह आप कचहरी के कार्यों में सफल हो सकते हैं। धन आने में बाधा है। भाई बहनों के साथ उत्तम संबंध रहेंगे। भाग्य साथ दे सकता है। इस समय आप पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। उसके बुरे प्रभाव में कमी आएगी। आपको कई मानसिक परेशानियां हो सकती हैं। उनका ध्यान रखें। जीवनसाथी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी और माताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपको पूरे सप्ताह सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप पूरे सप्ताह भगवान शिव का अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपके पास धन आने का उत्तम योग है। कचहरी के कार्यों में इस सप्ताह आपके रिस्क नहीं लेना चाहिए। अगर आप अधिकारी या कर्मचारी हैं तो कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक ही रहेगी। भाग्य से कोई विशेष मदद नहीं मिलेगी। आपके पेट में समस्या हो सकती है। इस समय आप पर शनि की साढ़ेसाती भी चल रही है। इस सप्ताह शनि की साढ़ेसाती के प्रभाव में कमी आएगी। इस सप्ताह आपके लिए 26, 27 और 28 जनवरी उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शिव पंचाक्षर मंत्र का प्रतिदिन जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक: 

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – मी प्रवासिनी ☆ “चला बालीला…” – भाग – ५ ☆ सौ राधिका भांडारकर ☆

सौ राधिका भांडारकर

☆ “चला बालीला…” – भाग – ५ ☆ सौ राधिका भांडारकर 

चांडी सार पासून सानुर एक दीड तासावरच आहे.(by road)  बॅगा पॅक करून, भरपेट नाश्ता करून आम्ही निघालो. दोन निळ्या रंगाच्या स्वच्छ आणि आरामदायी टॅक्सीज आमच्यासाठी हजरच होत्या ऐटदार गणवेशातले हसतमुख ड्रायव्हर्स  आमच्यासाठी स्वागताला उभे  होते. दीड दोन तासातच आम्ही आमच्या कर्मा रॉयल सानुर रिसॉर्टला पोहोचलो.  पुन्हा एक सुंदर अद्ययावत सुविधांचा बंगला.  सभोवताली आल्हाददायी रोपवाटिका आणि जलतरण तलाव. इथे एक आवर्जून सांगावसं वाटतं की प्रत्येक शयनगृहात शयनमंचावर चाफ्याची फुले पसरलेली होती आणि हिरव्या पानांच्या कलात्मक रचनेत वेलकम असे लिहिले होते. मन छान गुलाबी होउन गेले हो!

वातावरणात काहीशी उष्णता आणि दमटपणा असला तरी थकवा मात्र जाणवत नव्हता. मन ताजे प्रफुल्लित होते. एका वेगळ्याच सुगंधी, मधुर आणि थंड पेयाने आमचे शीतल स्वागतही झाले. प्रत्येक टप्प्याटप्प्यावर आम्ही ८० च्या उंबरठ्यावरचे सहा जण नकळतच वय विसरत होतो हे मात्र खरे.

इथे आम्ही फक्त एकच दिवस थांबणार होतो.

संध्याकाळी जवळच असलेल्या सिंधू बीचवर जायचे आम्ही ठरवले. इथल्या अनेक दुकानांची नावे, समुद्रकिनार्‍यांची नावे, अगदी माणसांची विशेषनामेही  संस्कृत भाषेतील आहेत.  पुराणातल्या व्यक्तींची नावे आहेत.  जरी बालीनीज लिपीतल्या पाट्या वाचता येत नसल्या तरी इंग्लिश भाषांतरातील भगवान, कृष्णा, महादेव सिंधू अशी नावे कळत होती.नावात काय आहे आपण म्हणतो पण परदेशी गेल्यावर आपल्या भाषेतलं नाव आपुलकीचं नातं लगेच जोडतं.

संध्याकाळी बीचवर फिरायचे व तिथेच रेस्टॉरंट मध्ये स्थानिक खाद्यपदार्थांचा आस्वाद घ्यायचा आम्ही ठरवले. हा समुद्रकिनारा काहीसा चौपाटी सदृश होता. पर्यटकांची गर्दी होती. फारशी स्वच्छता ही नव्हती. फेरीवाले, किनाऱ्यावरची दुकाने ,हॉटेल्स यामुळे या परिसरात गजबज आणि काहीसा व्यापारी स्पर्श होता.  पण बाली बेट हे खास सहल प्रेमींसाठीच असल्यामुळे वातावरणात मात्र मौज मजा आनंद होता.  तिथे चालताना मला पालघरच्या केळवा बीचची आठवण झाली. रोजच्या कमाईवर उदरनिर्वाह करणारी गरीब विक्रेती माणसं, यात अधिक तर स्त्रियाच होत्या.  इथे भाजलेली कणसे आणि शहाळी पिण्याचा काहीसा ग्रामीण आनंद आम्ही लुटला. पदार्थ ओळखीचे जरी असले तरी चावीमध्ये बदल का जाणवतो? इथले मीठ तिखट, आपले मीठ तिखट हे वेगळे असते का? की जमीन, पाणी, अक्षांश रेखांश या भौगोलिक घटकांचा परिणाम असतो? देशाटन करताना या अनुभवांची खरोखरच मजा येते.

इथल्या फेरीवाल्यांकडे आम्ही अगदी निराळीच कधी न पाहिलेली न खाल्लेली अशी स्थानिक फळे ही  चाखली. मॅंगो स्टीन नावाचे वरून लाल टरफल असलेले टणक फळ फारच रसाळ आणि मधुर होतं .फोडल्यावर आत मध्ये लसणाच्या पाकळ्यासारखे छोटे गर होते. काहीसं किचकट असलं तरी हे स्थानिक फळ आम्हाला खूपच आवडलं. 

बालीमध्ये भरपूर फळे मिळतात.  अननस, पपनस, पपया, फणस, आंबे पेरू या व्यतिरिक्त इथली दुरियन (काटेरी फणसासारखं पण लहान ), लाल रंगाचं केसाळ मधुर चवीचं राम्बुबुटन,टणक  टरफल फोडून आत काहीसा करकरीत सफरचंदासारखा गर असलेले सालक.. असा बालीचा  रानमेवा खाऊन आम्ही तृप्त झालो. 

 पाणी प्यावं बारा गावचं, चाखावा रानमेवा देशोदेशीचा—— असंच म्हणेन मी.

सी फुड साठी प्रसिद्ध असलेलं हे बाली बेट.  शाकाहारी लोकांसाठी भरपूर पर्याय असले तरी मासे प्रेमी लोकांसाठी मात्र येथे खासच मेजवानी असते असे म्हटले तर ते चुकीचे नाही.

समुद्रकिनाऱ्यावर आम्ही असे खात पीत भरपूर भटकलो. सहा म्हातारे तरुण तुर्क!  

आता आम्हाला  स्थानिक मासे खाण्याचा आनंद लुटायचा होता. मेरीनो नावाचे एक बालीयन रेस्टॉरंट आम्हाला आवडले.  किनाऱ्यावरचे सहा जणांचे टेबल आम्ही सुरक्षित केले. कसलीच घाई नव्हती. आरामशीर मासळी भोजनाचा आनंद लुटायचा हेच आमचे ध्येय होते. सारेच स्वप्नवत होते. समुद्राची गाज ,डोक्यावर ढगाळलेलं आकाश आणि टेबलावर मस्त तळलेले खमंग चमचमीत ग्रेव्हीतले मोठे झिंगे( प्राॅन्स) , टुना मासा आणि इथला प्रसिद्ध बारा मुंडी मासा. सोबतीला सुगंधी गरम आणि नरम वाफाळलेला भात आणि हो.. सोनेरी जलपानही. रसनेला आणखी काय हवे हो? गोड गोजीर्‍या बालीयन लेकी आम्हाला अगदी प्रेमाने वाढत होत्या! बाळपणीच्या, तरुणपणीच्या आठवणीत रमत आम्ही सारे तृप्तीचा ढेकर देत फस्त केले.  वृद्धत्वातही शैशवाला जपण्याचा अनुभव अविस्मरणीय होता. नंतर पावसाच्या सरी बरसु लागल्या. भिजतच आम्ही मुख्य रस्त्यावर आलो आणि टॅक्सी करून रिसॉर्टवर परतलो. जेवणाचे बिल अडीच लाख आयडिआर, आणि टॅक्सीचे बिल तीस हजार आयडिआर. धडाधड नोटा मोजताना आम्हाला खूपच मजा वाटायची.

आता आमच्या सहलीचे तीनच दिवस उरलेले होते आणि या पुढच्या तीन दिवसाचा आमचा मुक्काम कर्मा कंदारा येथे होता. कंदारा मधली  कर्मा ग्रुपची ही प्रॉपर्टी केवळ रमणीय होती. निसर्ग, भूभागाची नैसर्गिक उंच सखलता, चढ-उतार जसेच्या तसे जपून इथे जवळजवळ ७० बंगले बांधलेले आहेत. आमचा ६७ नंबरचा बंगला फारच सुंदर होता.आरामदायी, सुरेख डेकाॅर, सुविधायुक्त, खाजगी जलतरण तलाव, खुल्या आकाशाखाली ध्यानाची केलेली व्यवस्था वगैरे सगळं मनाला प्रफुल्लित करणार होतं. रिसेप्शन काउंटर पासून आमचा बंगला काहीसा दूर होता. पण इकडून तिकडे जायला बग्या होत्या.  एकंदरीत इथली सेवेतली तत्परता अनुभवताना समाधान वाटत होते. बारीक डोळ्यांची गोबर्‍या गालांची, चपट्या नाकांची, ठेंगणी गुटगुटीत बाली माणसं आणि त्यांची कार्यक्षमता प्रशंसनीय होती. त्यांच्या बोलण्या वागण्यात एक प्रकारचा उबदारपणा होता.  वास्तविक फारसे उद्योगधंदे नसलेला हा प्रदेश. शेती, मच्छीमारी या व्यतिरिक्त पर्यटन हाच त्यांचा मुख्य व्यवसाय.  त्यांचे सारे जीवन हे देशोदेशाहून येणाऱ्या पर्यटकांवरच अवलंबून. त्यामुळे पर्यटकांना जास्तीत जास्त कसे खूश ठेवता येईल  यावरच त्यांचा भर असावा.

यानिमित्ताने दक्षिण पूर्व आशिया खंडातल्या इंडोनेशियाबद्दलही माहिती मिळत होती. इथल्या बाली  बेटावर आमचं सध्याचं वास्तव्य होतं. मात्र जकार्ता राजधानी असलेला  इंडोनेशिया म्हणजे जवळजवळ १७००० बेटांचा समूह हिंदी आणि पॅसिफिक महासागरात पसरलेला आहे. हिंदू आणि बुद्ध धर्माचे वर्चस्व असले तरी ८७ टक्के लोक मुस्लिम आहेत. जवळजवळ तीन शतके इथे डच्यांचे राज्य होते. १७ ऑगस्ट १९४५ साली नेदरलँड पासून ते स्वतंत्र झाले आणि प्रेसिडेन्शिअल युनिटरी स्टेट ऑफ द रिपब्लिक ऑफ इंडोनेशिया म्हणून ओळखले जाऊ लागले जगातली तिसरी मोठी लोकशाही येथे आहे २००४  पासून जोकोविडो हे इंडोनेशियाचे अध्यक्ष आहेत. अनेक नैसर्गिक आपत्ती, भौगोलिक विषमता, जात, धर्म भाषेतील अनेकता सांभाळत इंडोनेशियाची इकॉनॉमी ही जगात सतराव्या नंबर वर आहे. 

इथल्या वास्तव्यातलं आमचं आजचं प्रमुख आकर्षण होतं ते म्हणजे बाली फायर डान्स . अग्नी नृत्य.  याविषयी आपण पुढच्या भागात वाचूया.

 – क्रमशः भाग पाचवा  

© सौ. राधिका भांडारकर

ई ८०५ रोहन तरंग, वाकड पुणे ४११०५७

मो. ९४२१५२३६६९

[email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “अथांगता…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “अथांगता– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सागराच्या अथांगतेला

न्याहाळत  बसतो

क्षितिजाशी दर्याचे मिलन

 मनी साठवतो

*

उसळत्या लाटांचे  नर्तन 

 उत्साहे पाहतो

पाहता सागर अवघा 

शरिरी भिनतो

*

शेकडो नद्यांचे मिलन 

सागराशी होता

सर्वांना तो आपल्यात

सामावूनी घेतो

*

नर्तन  करती लाटा की

नद्यांचे पाणी

नदिच्या पाण्याच्या जणू

तो लहरी करतो

*

अथांग जलनिधी पुढती

त्याची प्रचंड ताकत 

किती न्याहाळू  तरीही

तृप्ततेचा आभास न होतो ।।।। 

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-6 – कौई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-6 – कौई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(प्रत्येक शनिवार प्रस्तुत है – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर”)

सच! कितनी प्यारी पंक्तियाँ हैं :

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन

प्यारे प्यारे दिन,

वो मेरे प्यारे पल छिन!

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन!

नहीं हम सब जानते हैं कि बीते हुए दिन कभी नहीं लौटते, बस उन दिनों की यादें शेष रह जाती हैं। मेरे पास भी बस यादें ही बची हैं, जालंधर में बिताये सुनहरी दिनों कीं! बात हो रही थी डाॅ तरसेम गुजराल के संपादन में प्रकाशित कथा संकलन ‘खुला आकाश,  की और उसमें प्रकाशित कथाकारों की ! इसमें खुद तरसेम गुजराल, रमेश बतरा, योगेन्द्र कुमार मल्होत्रा (यकम), राजेन्द्र चुघ, रमेंद्र जाखू, कमलेश भारतीय, सुरेंद्र मनन, विकेश निझा वनऔर मुकेश सेठी जैसे दस कथाकार शामिल थे। आपस में हम सब मज़ाक में कहते थे कि हम दस नम्बरी लेखकों में शामिल हैं। हम में से विकेश निझावन अम्बाला शहर में रहते थे जिन्होंने आजकल “पुष्पांजलि’ जैसी शानदार मासिक पत्रिका का प्रकाशन शुरू कर रखा है। इनके पास मैं और मुकेश सेठी नवांशहर से अम्बाला जाते और उन बसंती दिनों में रात का सिनेमा शो भी देखते। विकेश निझावन की कहानियों को जालंधर दूरदर्शन पर नाट्य रूपांतरण कर प्रसारित किया गया तब उनकी खूब चर्चा हुई। यही नहीं उन्हें हिसार में प्रसिद्ध कवि उदयभानु हंस ने हंस पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया। जिन दिनों मुझे हरियाणा ग्रंथ अकादमी का उपाध्यक्ष बनाया गया  तब हिसार से चंडीगढ़ जाते या लौटते समय मैं ड्राइवर को उनके घर गाड़ी रोकने को कहता। विकेश निझावन का घर बिल्कुल मेन सड़क पर ही है और हम चाय की चुस्कियों के साथ पुराने दिनों को याद करते। इनके पापा डाॅक्टर थे।विकेश ने पुष्पगंधा’ के कथा विशेषांक में मेरी कहानी भी चुनी। छोटे बच्चों का स्कूल यानी किनरगार्डन भी चलाते रहे।

 हम वरिष्ठ व चर्चित कथाकारों स्वदेश दीपक व राकेश वत्स के संग भी बैठते और कथा लिखने पर बातें करते करते कथा लेखन की बारीकियाँ भी सीखते!  अफसोस आज न स्वदेश दीपक हैं और न ही राकेश वत्स! स्वदेश दीपक के प्रथम कथा संग्रह- अश्वारोही को हम दोनों ने राजेन्द्र यादव के अक्षर प्रकाशन से मंगवाया और खूब डूब कर, गहरे से पढ़ा। ये अलग तरह की कहानियों का संकलन है। स्वदेश दीपक फिर एच आर धीमान के सुझाव पर नाटक लिखने लगे और उनका लिखा नाटक-कोर्ट मार्शल न जाने देश भर में कहां कहां मंचित किया गया! फिर उन्होंने मेरे द्वारा दैनिक ट्रिब्यून के लिए हुई इंटरव्यू में कहा भी कि कहानियों के पाठक कम और नाटक के दर्शक ज्यादा होते हैं और इनका दर्शकों पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है। देर तक मन पर प्रभाव बना रहता है। दुख यह है कि स्वदेश दीपक के अंदर कहीं गहरे उदासी और आत्मघाती भावना किसी कोने में रहती थी जिसके चलते एक बार रसोई गैस सिलेंडर से खुद को जला लिया और पीजीआई, चंडीगढ़ में दाखिल करवाया गीता भाभी ने! उन दिनों तक मैं देनिक ट्रिब्यून में उपसंपादक हो चुका था। यह सन् 1990 के आसपास की बात होगी ! मैने संपादक विजय सहगल को यह जानकारी दी तो उन्होंने मेरे साथ फोटोग्राफर मनोज महाजन को भेजा कि उनसे हो सके तो कुछ बात करके आऊं‌! हम दोनों पीजीआई गये। बैड के पास गीता भाभी उदास बैठी थीं और मनोज ने पट्टियों में लिपटे स्वदेश दीपक की फोटो खींची और मैने रिपोर्ट लिखी- ‘स्वदेश दीपक को अपनों का इंतजार’ जिसमें चोट हरियाणा साहित्य अकादमी पर की गयी थी कि ऐसे चर्चित कथाकार की कोई सहायता क्यों नहीं की जा रही। मेरी रिपोर्ट का असर भी हुआ। अकादमी ने बिना देरी किये पांच हजार रुपये देने की घोषणा कर दी। इस रिपोर्ट की कटिंग बहुत साल तक मेरे पर्स में पड़ी रही। पता नहीं क्यों? तब तो स्वदेश दीपक बच गये क्योंकि अभी उन्हें हिंदी साहित्य को शोभायात्रा जैसा नाटक और मैने मांडू नहीं देखा जैसी कृतियाँ देनी थीं लेकिन फिर कुछ वर्षों बाद वही आत्मघाती भावना ने जोर मारा और वे बिना बताये घर से चले गये! कोई नहीं

जानता कि उनका अंतिम समय कहाँ और कैसे हुआ!  राकेश वत्स भी पिंजौर जाते हुए बुरी तरह दुर्घटनाग्रस्त हुए और उनके इलाज़ उपचार में शास्त्री नगर में बनाया खूबसूरत मकान भी बिक गया लेकिन वे नही बच पाये! वैसे वे स्कूटर पर ही चंडीगढ़ आते जाते। हमने भी उनके स्कूटर की सवारी का लुत्फ चंडीगढ़ में अनेक बार उठाया। उनकी भी इंटरव्यू करने जब अम्बाला छावनी गया था तब अपना शानदार मकान दिखाते बड़े चाव से बताया था कि यह मकान मैंने अपनी मेहनत से बनाया है लेकिन अफसोस वही मकान बेच कर भी उन्हें बचाया न जा सका! राकेश वत्स सरस्वती विद्यालय नाम से प्राइवेट संस्था चलाते थे और उन्होंने ‘मंच’ नामक पत्रिका भी निकाली और ‘सक्रिय’ कहानी आंदोलन चलाने की कोशिश की जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। दोनों की कहानियों को मैंने हरियाणा ग्रंथ अकादमी की कथा समय पत्रिका में प्रकाशित किया और सम्मान राशि इनके परिवारजनों को भिजवाई। स्वदेश दीपक की कहानी महामारी और राकेश वत्स की कहानी आखिरी लड़ाई प्रकाशित की। तब इनकी पत्नी नवल किशोरी ने मुझे आशीष दी थी, आज वे भी इस दुनिया में नहीं है। स्वदेश दीपक की सम्मान राशि  इनकी बेटी पारूल को भिजवाई जो अब इंडियन एक्सप्रेस में सीनियर पत्रकार हैं और उसका पंजाब विश्वविद्यालय में एडमिशन फाॅर्म लेकर देने मैं ही उसे लेकर गया था, प्यारी बेटी की तरह क्योंकि मैं दैनिक ट्रिब्यून की ओर से पंजाब विश्वविद्यालय की कवरेज करता था तो मेरी सीनियर डाॅ रेणुका नैयर ने पारूल को विश्वविद्यालय लेकर जाने को कहा था। पारूल आज भी मेरे सम्पर्क में है। राकेश वत्स के बेटे बल्केश से कभी कभार बात हो जाती है !

खैर! आप भी सोचते होंगे कि कहाँ जालंधर और कहाँ अम्बाला छावनी पर  मैं और मुकेश सेठी एकसाथ अम्बाला छावनी और जालंधर जाते थे और बाद में चंडीगढ़ भी साथ रहा। मुकेश सेठी और जालंधर के किस्से कल आपको सुनाऊंगा!

आज यहीं विराम देना पड़ेगा यही कहते हुए कि –

कोई लौटा दे मेरे बीते पल छिन‌!

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #224 – 111 – “शहादत तय होती है परवाना की…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल शहादत तय होती है परवाना की…” ।)

? ग़ज़ल # 111 – “शहादत तय होती है परवाना की…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

मुहब्बत में अक्सर रोना पड़ता है,

आसुओं से दामन धोना पड़ता है।

शहादत तय होती है परवाना की,

रोशन शम्मा  को होना पड़ता है।

इश्क़ कितना  भी सच्चा हो जाये,

इल्ज़ामे जफ़ा  तो ढोना पड़ता है।

वस्ल के हालत कितने भी बनते हों,

यूँ कभी तन्हा  भी सोना  पड़ता है।

बन गए अगर शौहर बीबी तो भी तो,

बीज  झूठे  सच्चे  बोना  पड़ता  है। 

आख़िरी मंज़िल फ़िराक़ की होती है,

यदाकदा लिहाफ़ भिगोना पड़ता है।

इश्क़ की फ़ितरत इस तरहा ही होती,

महबूब को  आतिश खोना पड़ता है।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 103 ☆ ग़ज़ल – वक्त किस्मत हालात  किससे  शिकवा करें ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 103 ☆

☆ ग़ज़ल – वक्त किस्मत हालात  किससे  शिकवा करें ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1] मतला

अपने ही आज अब क्यों बेगाने हो गए।

नहीं मिलने के ही  लाखों बहाने हो गए।।

[2]    हुस्ने मतला

उनके अब तो आसमानी निशाने हो गए।

न जाने कौन से उनके   दोस्ताने हो गए।।

[3]

अब वो मुस्कराते नहीं हैं   देख  कर भी।

तरीके बात करने के   अनजाने हो गए।।

[4]

नए दौर के नए चलन में अब वो आए हैं।

लगता है कि  हम तो माल  पुराने हो गए।।

[5]

नजर से नजर देख कर  अब मिलाते नहीं।

अंदाज ही उनके नजर को   बचाने हो गए।।

[6]

देख देख कर ही रुख  की बेरुखी उनकी।

हमारे अब तो रास्ते सारे ही वीराने हो गए।।

[7]

वक्त किस्मत हालात  किससे  शिकवा करें।

दुनिया सामने सारे अफसाने फसाने हो गए।।

[8]

जिनके बिन कटती नहीं थी इक पल जिंदगी।

बात करे हुए    उनसे ही अब  जमाने हो गए।।

[9]

हंस समझ   कर बदलते तौर तरीके आज के।

शहर में कदम कदम पर अब मयखाने हो गए।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 165 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “कृषि प्रधान है देश हमारा…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “कृषि प्रधान है देश हमारा ..। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “कृषि प्रधान है देश हमारा ” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

कृषि प्रधान है देश हमारा हम सब भारतवासी

धर्म-कर्म के क्षेत्र अनेकों, ज्यों मथुरा औ’ काशी।

 

कई ऋतुएँ आ समय-समय पर सुन्दर इसे बनाती

फल सब्जी, अनाज भेदों सब झोली में भर जाती।

 

सूरज तपता यहाँ तेज तब होती धरती प्यारी

सभी एक से व्याकुल होते राही हो या संन्यासी।

 

आग बरसी, लू चलती है बहता बहुत पसीना

ठंडी जगह और पानी बिन मुश्किल होता जीना।

 

तब काले मेघों के सँग आ नभ में वर्षा रानी

लाती हवा फुहारों के संग बरसाती है पानी।

 

वर्षा के स्वागत में खुश हो पेड़ हरे हो जाते

पशु-पक्षी हर्षित होते नर-नारी हँसते गाते ।

 

खेत, बाग, वन सुन्दर सजते पहने चूनर धानी

चारों ओर नदी नालों में दिखता पानी-पानी ।

 

पावस की बूँदें दुनिया में नया रंग भर जाती

बहू-बेटियाँ खुश गाँवों में नित त्यौहार मनाती ।

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – प्रतिमेच्या पलिकडले ☆ “संध्याछाया भिवविती हृदया…” ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर ☆

श्री नंदकुमार पंडित वडेर

? प्रतिमेच्या पलिकडले ?

“संध्याछाया भिवविती हृदया…” ☆ श्री नंदकुमार पंडित वडेर 

… संध्याकाळच्या परतीच्या वाटेवर थव्यातून जात होतो…कळले नव्हते सकाळी तेव्हा घरट्यापासून किती लांबवर आलो होतो… पिल्लांच्यासाठी आणि तिच्या ओढीसाठी घरट्याकडे,  अंतरामागुन अंतर कापत जात होतो…कितीतरी वेळ पंख पसरून हवेत विहरत निघलो पण घरट्याच्या झाडाजवळ काही अजून  पोहचलो नव्हतो… सोबत घेतलेला होता चिमणचारा कच्चा बच्च्या पिलांना आणि आणि तिच्यासाठीही… त्याचं ओझं काहीच वाटत नव्हतं…आतुरतेने वाट  पाहत बसली असतील माझी घरट्याच्या तोंडाशी… चिवचिवाट किलबिलाटाचा करत असतील कलकलाट झाडावरती…रातकिड्यांना रागावून सांगत असतील तुमची किर्र किर्र नंतर करा रे संध्याकाळ उतरून गेल्यावर…येणारेत आमचे बाबा आता एवढ्यात या संधिप्रकाशात… फुलेल आनंदाचा गुलाल मग सारा घरट्यात… मग सांडून जाऊ दे काळोखाचे साम्राज्य.. पण पण त्या आधी आमचा बाबा घरी आलेला असूदे… “

“… का कुणास ठाऊक आता आताशा  मला दम लागुन राहिला…लांब पल्ल्याच्या झपाट्याला श्वास कमी पडू लागला..दिवसभर काही जाणवत नाही पण संध्याकाळी घरट्याकडे परताना थव्याबरोबर विहरणे जमत नाही… हळूहळू मग  मागे मागे पडत जातो… नि थवा मात्र ‘त्याचं कायं येईल तो मागाहून… कशास थांबावे त्याच्यासाठी.. ‘नि मला न घेताच तसाच पुढे निघून जातो… क्षणभराचे कसंनुसे होते मला.. धैर्य एकवटून पुन्हा पंख जोराने फडफडवत त्यांच्या बरोबर जाण्याचा प्रयत्न करतो… पण पण तो  आटापिटा आता पूर्ण पणे निष्फळ ठरतो.. सगळे त्राण, अवसान कधीच संपलेले असते.. आता फक्त काही वेळ  विश्रांती घेणे गरजेचे ठरते… आंगातुक मला..वाटेवरील झाडे नि त्यावरील आमचेच जातभाई आसरा देण्यावरून कालवा कालवा करतात.. ‘तू  इथं थांबू नको बाबा तुझ्या ईथे असण्याने आमच्या शांतेत येतेय बाधा… ‘मग तसाच नदीच्या प्रवाहातला काळ्या कातळावर जरा विसावतो… चौफेर नजर फिरवतो… शांत एकसुरीचा जलप्रवाह कातळावर डचमळून जातो…नदीतील कातळाचा हुंकार ऐकू येतो.. ‘तू पूर्ण अंधार पडण्याआधी तूझ्या घरट्याकडे जाशील बरं… रात्र गडद होत जाईल तसं नदीचं पाणी शांत गहिरं होत जाईल.. काही जलचर आवाज न करता मग या कातळावर येतील  नि तुला पाहून त्यांना आयतीच मेजवानी होईल…’असा त्याचा मित्रत्त्वाचा सबुरीचा सल्ला.. भले मदतीला मर्यादा असल्या तरी त्याच्या… अस्ताचा सूर्य सांगत असतो… मंद मंद गतीने मी अस्ताचलाला जाई पर्यंत तू त्त्वरेने उडत उडत जा.. आपल्या घरट्यात पोहचून जाशील…माझ्याकडे  वेळ आहे फारच थोडा…तो संपला कि अंधाराचा उधळीत येईल काळाघोडा… आभाळाने घातले आपल्या डोळी काजळ गडद अंधाराचे.. ते पाहूनी भिउनी मान लवूनी बसले तृणपाती किनाऱ्यावरचे… आ वासूनी धावून येती अंगावर काळे काळे बागुलबुवांची तरूवर नि झाडेझुडे… थकल्या तनाला , बळ कुठले मिळण्याला,… भीतीच्या काट्याने थडथड  लागली मनाला… राहिले घरटे दूर माझे… त्राण नाही उरले या देहात… जरी उडून जावे करून जीवाचा तो निर्धार…  अर्ध्यावरती  हा डावच संपणार…समीप आलेला अंत ना चुकणार..आणि घरचे माझे नि मी घरच्यांना कायमचा मुकणार… वियोगाची आली अवचित अशी घडी… लागले नेत्र ते पैलथडी… मी जाता मागे घरच्यांना कशी मिळावी माझी कुडी…आठवणीचीं  राहावी एकतरी जुडी..

©  नंदकुमार पंडित वडेर

विश्रामबाग, सांगली

मोबाईल-99209 78470 ईमेल –[email protected]

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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