English Literature – Poetry ☆ Anonymous litterateur of Social Media # 172 ☆ Captain Pravin Raghuvanshi, NM ☆

Captain Pravin Raghuvanshi, NM

? Anonymous Litterateur of Social Media # 172 (सोशल मीडिया के गुमनाम साहित्यकार # 172) ?

Captain Pravin Raghuvanshi —an ex Naval Officer, possesses a multifaceted personality. He served as a Senior Advisor in prestigious Supercomputer organisation C-DAC, Pune. He was involved in various Artificial Intelligence and High-Performance Computing projects of national and international repute. He has got a long experience in the field of ‘Natural Language Processing’, especially, in the domain of Machine Translation. He has taken the mantle of translating the timeless beauties of Indian literature upon himself so that it reaches across the globe. He has also undertaken translation work for Shri Narendra Modi, the Hon’ble Prime Minister of India, which was highly appreciated by him. He is also a member of ‘Bombay Film Writer Association’.

Captain Raghuvanshi is also a littérateur par excellence. He is a prolific writer, poet and ‘Shayar’ himself and participates in literature fests and ‘Mushayaras’. He keeps participating in various language & literature fests, symposiums and workshops etc. Recently, he played an active role in the ‘International Hindi Conference’ at New Delhi.  He presided over the “Session Focused on Language and Translation” and also presented a research paper.  The conference was organized by Delhi University in collaboration with New York University and Columbia University.

हिंदी साहित्य – आलेख ☆ अंतर्राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन ☆ कैप्टन प्रवीण रघुवंशी, एन एम्

In his naval career, he was qualified to command all types of warships. He is also an aviator and a Sea Diver; and recipient of various awards including ‘Nao Sena Medal’ by the President of India, Prime Minister Award and C-in-C Commendation.

Captain Pravin Raghuvanshi is also an IIM Ahmedabad alumnus. His latest quest involves social media, which is filled with rich anonymous literature of nameless writers, shared on different platforms, like, WhatsApp / Facebook / Twitter / Your quotes / Instagram etc. in Hindi and Urdu, he has taken the mantle of translating them as a mission for the enjoyment of the global readers. Enjoy some of the Urdu poetry couplets as translated by him.

हम ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी के “कविता पाठ” का लिंक साझा कर रहे हैं। कृपया आत्मसात करें।

फेसबुक पेज लिंक  >>कैप्टेन प्रवीण रघुवंशी जी का “कविता पाठ” 

? English translation of Urdu poetry couplets of Anonymous litterateur of Social Media # 172 ?

☆☆☆☆☆

Mystical Time… ☆

वक्त का क्या भरोसा, आज तुम्हारा     

तो  कल  हमारा  होगा…

ये  वक्त  है जनाब,  क्या  पता 

कि  कब  बदल  जाएगा…!

☆☆

Who could unravel the time, today it’s

yours but tomorrow it may be mine…

Time is too elusive Sire, who can ever

predict when will it change…!

☆☆☆☆☆

 ☆ Visual Scripting… ☆ 

आँखों से भी लिखी जाती हैं

तमाम दिल की दास्तानें,

हर कहानी को कलम की

जरूरत नहीं हुआ करती…!

☆☆

Many a story of the heart are

scripted through the eyes only

Not that every single folklore

necessarily needs a pen…!

☆☆☆☆☆

☆ Life Story… ☆ 

है उतना ही खूबसूरत मेरी कहानी

में तेरा यूं आना, फिर चले जाना…

जैसा ज़िंदगी के खूबसूरत लम्हों

को अपने ही अंदाज़ से गंवाना…!

☆☆

Your coming into my life-story and

then leaving, was as dazzling as

losing the ravishing moments of

life in a truly awe-inspiring way..!

☆☆☆☆☆

© Captain Pravin Raghuvanshi, NM

Pune

≈ Editor – Shri Hemant Bawankar/Editor (English) – Captain Pravin Raghuvanshi, NM ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 170 ☆ दोहा सलिला – अक्षर आराधना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है दोहा सलिला – अक्षर आराधना)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 170 ☆

☆ दोहा सलिला – अक्षर आराधना ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

सूर्य रश्मि लोरी सुना, कहे जगो हे राम!

राजकुमार उठो करो, धन्य धरा भू धाम।।

कोहरा घूँघट ओट से, कर चितवन का वार।

रश्मि निमंत्रण दे करो, सबसे सब दिन प्यार।।

वाक् ब्रह्म है नाद हरि, ताल- थाप शिव जान।

स्वर सरगम शारद-रमा, उमा तान मतिमान।।

योग प्रयोग करें सतत, मिट जाए हर रोग।

हों वियोग अति भोग से, संयम सदा सुयोग।।

मिला मुकद्दर मुफ्त में, मान महज मेहमान।

अवसर-कशिश की कशिश, घरवाली वत जान।।

श्याम पूर्ण हो शुभ्र से, शुभ्र श्याम से पूर्ण।

शुभ न अशुभ बिन शुभ रहे, अशुभ बिना शुभ चूर्ण।।

कर अक्षर आराधना, होगा नहीं अभाव।

भाव शब्द में रस भरे, सब से कर निभाव।।

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२.५.२०२२ 

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 जनवरी से 28 जनवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

विज्ञान की अन्य विधाओं में भारतीय ज्योतिष शास्त्र का अपना विशेष स्थान है। हम अक्सर शुभ कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त, शुभ विवाह के लिए सर्वोत्तम कुंडली मिलान आदि करते हैं। साथ ही हम इसकी स्वीकार्यता सुहृदय पाठकों के विवेक पर छोड़ते हैं। हमें प्रसन्नता है कि ज्योतिषाचार्य पं अनिल पाण्डेय जी ने ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के विशेष अनुरोध पर साप्ताहिक राशिफल प्रत्येक शनिवार को साझा करना स्वीकार किया है। इसके लिए हम सभी आपके हृदयतल से आभारी हैं। साथ ही हम अपने पाठकों से भी जानना चाहेंगे कि इस स्तम्भ के बारे में उनकी क्या राय है ? 

☆ ज्योतिष साहित्य ☆ साप्ताहिक राशिफल (22 जनवरी से 28 जनवरी 2024) ☆ ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय ☆

संस्कृत में एक श्लोक है जिस मैं दिए गए मार्गदर्शन का पालन हम सभी को करना ही चाहिए।

उद्यमेन हि सिद्धयन्ति कार्याणि न मनोरथैः।

न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः।।

इसका श्लोक के अनुसार कोई भी कार्य करने से होता है केवल मन में इच्छा रखने से नहीं होता है। एक ज्योतिषी आपको अच्छे समय के बारे में बता सकता है परंतु उपलब्धि प्राप्त करने के लिए आपको ही कार्य करने पड़ेंगे। आप सभी को पंडित अनिल पांडे का नमस्कार राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई। आज मैं आपको 22 जनवरी से 28 जनवरी अर्थात विक्रम संवत 2080 शक संवत 1945 के पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी से माघ मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तक के सप्ताह के साप्ताहिक राशिफल के बारे में बताऊंगा।

इस सप्ताह प्रारंभ में चंद्रमा वृष राशि में रहेगा। उसके उपरांत 22 तारीख को 5:45 सायंकाल से मिथुन राशि में प्रवेश करेगा। चंद्रमा 24 तारीख को 1:53 रात से कर्क राशि में गोचर करेगा और 27 तारीख को 12:18 दिन से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। इस पूरे सप्ताह सूर्य मकर राशि में, मंगल, शुक्र और बुध धनु राशि में, गुरु मेष राशि में, शनि कुंभ राशि में और वक्री राहु मीन राशि में रहेगा।

आप सभी को ज्ञात है कि खरमास समाप्त हो गए हैं। अतः मंगल कार्य तेजी से प्रारंभ हो गये हैं। इस सप्ताह 22, 27 और 28 जनवरी को विवाह मुहूर्त, 25 जनवरी को गृहारंभ मुहूर्त, 22 और 24 जनवरी को गृह प्रवेश का मुहूर्त, और 25 और 26 जनवरी को व्यापार का मुहूर्त है। इस सप्ताह उपनयन, अन्नप्राशन, मुंडन और नामकरण के कोई मुहूर्त नहीं है।

इस सप्ताह 22 तारीख को सूर्योदय से 5:58 रात अंत तक तथा 25 तारीख को सूर्योदय से रात अंत तक सर्वार्थ सिद्ध योग है।

आइये अब हम राशिफल की चर्चा करते हैं।

मेष राशि

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। माता जी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। पिताजी और जीवनसाथी के स्वास्थ्य में थोड़ी परेशानी रहेगी। जीवनसाथी को पेट की समस्या हो सकती है। संतान का सुख आपके उत्तम मिलेगा। संतान आपका सहयोग करेगी। अगर आपकी एक से ज्यादा संतान है तो कम से कम एक संतान आपका सहयोग नहीं कर पाएगी। भाग्य आपका साथ देगा। कार्यालय में आपकी प्रतिष्ठा में गिरावट होगी। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए उत्तम है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गरीबों को चावल का दान दें। सप्ताह का शुभ दिन बृहस्पतिवार है।

वृष राशि

इस सप्ताह आपका, आपके जीवन साथी का, आपके माता जी का और आपके पिताजी का अर्थात पूरे परिवार का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपको अपनी संतान से सहयोग प्राप्त होगा। भाग्य आपका कम साथ देगा। आपको अपने परिश्रम पर विश्वास करना होगा। आपके कार्य आपके परिश्रम के भरोसे ही होंगे। आपके खर्चों में वृद्धि होगी। स्थानांतरण भी हो सकता है। इस सप्ताह आप कचहरी के कार्यों में रिस्क नहीं लें। भाई बहनों का आपके सहयोग प्राप्त नहीं होगा। इस सप्ताह आपके लिए 22 तथा 27 और 28 तारीख किसी भी कार्य को करने के लिए उपयुक्त है। सप्ताह के बाकी दिन भी ठीक-ठाक है। धन के मात्रा में थोड़ी कमी रह सकती है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन और विशेष कर मंगलवार को हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम तीन बार हनुमान चालीसा का जाप करें जिससे कि आप दुर्घटनाओं से बच सके। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मिथुन राशि

अविवाहित जातकों के लिए यह सप्ताह उत्तम है। आपके विवाह के उत्तम प्रस्ताव आएंगे। अगर दशा और अंतर्दशा ठीक रही तो विवाह तय होकर हो भी सकता है। प्रेम संबंधों में वृद्धि हो सकती है। आपका और आपके जीवनसाथी का तथा आपके माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में समस्या रह सकती है। भाग्य इस सप्ताह आपका साथ देगा। दुर्घटनाओं से आपको बचने का प्रयास करना चाहिए। धन आने का सामान्य योग है। कार्यालय में आप उग्र रहेंगे। अपने स्वभाव में थोड़ा सा आपको परिवर्तन लाना चाहिए, जिससे फालतू का झगड़ा ना हो। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख लाभदायक है। 22 तारीख को आपको सतर्क रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप आदित्य हृदय स्त्रोत का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

कर्क राशि

इस सप्ताह आपका और आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। आपके जीवनसाथी का और आपकी माता जी के स्वास्थ्य में थोड़ी समस्या हो सकती है। भाग्य इस सप्ताह आपका बिल्कुल साथ नहीं देगा। आपको हर कार्य को करने के लिए विशेष रूप से प्रयास करने पड़ेंगे। आपको नसों की पीड़ा हो सकती है। आपके सभी शत्रु आपके प्रयासों से परास्त हो सकते हैं। आपका व्यापार सामान्य रहेगा। धन आने की मात्रा में थोड़ी कमी हो सकती है। कार्यालय में आपको सावधान भी रहना चाहिए। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 के दोपहर तक का समय किसी भी कार्य को करने के लिए फलदायक है। सप्ताह के बाकी दिनों में 23 और 24 तारीख को आपको सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह शनिवार को मंदिर में जाकर शनि देव की पूजा अर्चना करें तथा प्रतिदिन सायं काल को पीपल के पेड़ के नीचे एक मिट्टी का दीपक जलाकर पीपल की सात बार परिक्रमा करें। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

सिंह राशि

इस सप्ताह आपको अपने संतान से उत्तम सहयोग प्राप्त होगा। संतान का प्रमोशन भी हो सकता है। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। इस सप्ताह अगर उनका कोई रिजल्ट आता है तो उत्तम रहेगा। इस सप्ताह आपको दुर्घटनाओं से और बीमारियों से सतर्क रहना चाहिए। अगर कहीं कोई शारीरिक परेशानी है तो आपको तत्काल डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। भाग्य इस सप्ताह आपका पूर्ण रूपेण साथ देगा। धन की मात्रा बढ़ सकती है। व्यापार ठीक-ठाक चलेगा। जीवनसाथी का स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। आपका, आपकी माताजी का और पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक-ठाक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 22 तथा 27 और 28 तारीख फलदायक है। 25, 26 और 27 की दोपहर तक कोई भी कार्य को करने के लिए आपको अत्यंत सावधान होकर कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको थोड़ी बहुत मानसिक कष्ट भी हो सकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन रविवार है।

कन्या राशि

इस सप्ताह आपके सुख में वृद्धि होगी। माता जी का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहेगा। पिताजी का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। आपके पास धन आने की मात्रा में कमी आ सकती है। व्यापार में लाभ में भी कमी होगी। आपका और आपके जीवन साथी में से किसी एक का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। आपको अपनी संतान से कोई सहयोग प्राप्त नहीं होगा। भाग्य सामान्य है। भाग्य से कोई बहुत बड़ी उम्मीद ना करें। आपको इस सप्ताह कोई भी कार्य करने के लिए परिश्रम थोड़ा ज्यादा करना पड़ेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख लाभदायक है। 27 और 28 तारीख को आपको कोई भी कार्य करने के पहले पूरी योजना बनाकर तथा पूरी सावधानी के साथ ही करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप शनिवार को दक्षिण मुखी हनुमान जी के मंदिर में जाकर कम से कम पांच बार हनुमान चालीसा का जाप करें। हनुमान जी के मंदिर में दर्शन करने के लिए आपको प्रतिदिन जाना चाहिए। सप्ताह का शुभ दिन बुधवार है।

तुला राशि

आप का स्वास्थ्य ठीक-ठाक रहेगा। कभी-कभी आपके पेट में समस्या हो सकती है। आपके पिताजी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा परंतु मां का स्वास्थ्य में खराबी आ सकती है। आपको अपनी संतान से अच्छा सहयोग प्राप्त होगा। छात्रों की पढ़ाई उत्तम चलेगी। भाइयों के साथ संबंध ठीक-ठाक रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 जनवरी के दोपहर तक का समय ठीक-ठाक है। इन तारीखों में आप जो भी कार्य करेंगे उसमें अधिकांश में आप सफल रहेंगे। आपको 22 तारीख को सावधान रहकर कोई कार्य करना है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रातः काल स्नान के उपरांत तांबे के पत्र में जल अक्षत और लाल पुष्प लेकर भगवान सूर्य को जल अर्पण करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह ठीक-ठाक है। इस सप्ताह आपको धन लाभ होने की संभावना है। भाग्य आपका साथ देगा। भाई और बहनों के साथ आपकी तकरार संभव है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आ सकती है। संतान से आपके सहयोग प्राप्त नहीं होगा। आपके पेट में मामूली पीड़ा हो सकती है। इस सप्ताह आपके लिए 22, 27 और 28 जनवरी परिणाम दायक हैं। किसी भी कार्य में अच्छे परिणाम पाने के लिए आपको इन तारीखों का इस्तेमाल करना चाहिए। 23 और 24 तारीख को आपको सतर्क रह कर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप काले कुत्ते को रोटी खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन सोमवार है।

धनु राशि

यह सप्ताह आपको मिश्रित फल देगा। धन आने की मात्रा में कमी रहेगी। लाभ की मात्रा में भी कमी होगी। भाई बहनों के साथ संबंध ठीक रहेंगे। आंखों में कोई पीड़ा हो सकती है। मानसिक पीड़ा भी संभव है। माता जी के स्वास्थ्य में खराबी आएगी। पिताजी का स्वास्थ्य सामान्य रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख उत्तम और लाभप्रद हैं। सप्ताह के बाकी दिनों में आपको सतर्क रहने की आवश्यकता है। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप गाय को हरा चारा खिलाएं। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

मकर राशि

इस सप्ताह भाग्य आपका साथ दे सकता है। लंबी यात्रा का योग भी बन सकता है। कचहरी के कार्यों में सफलता की उम्मीद है। धन आने के रास्ते खुलेंगे। आपके स्वास्थ्य में थोड़ी खराबी आएगी। आपको मानसिक परेशानी हो सकती है। माता जी का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। पिताजी को थोड़ी बहुत परेशानी संभव है। पिताजी को चाहिए तो अपने पेट पर विशेष रूप से ध्यान दें। इस सप्ताह आपके लिए 25, 26 और 27 की दोपहर तक का समय ठीक है। 25, 26, 27 की दोपहर तक आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी। 27 और 28 को किसी भी कार्य को करने में आपको पूरी सावधानी बरतनी चाहिए। इसके अलावा 23 और 24 तारीख को भी आपको सावधान रहना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि गणेश अथर्वशीर्ष का प्रतिदिन पाठ करें। सप्ताह का शुभ दिन शुक्रवार है।

कुंभ राशि

आपका स्वास्थ्य ठीक रहने की संभावना है। जीवन साथी के नसों में पीड़ा हो सकती है। उनके गर्दन और कमर में दर्द होना संभव है। धन थोड़ी मात्रा में आएगा। कचहरी के कार्यों में आपको विशेष लाभ नहीं होगा। लॉटरी आदि में रिस्क ना लें। भाग्य से आपको कोई विशेष मदद नहीं मिल सकती है। भाई बहनों के साथ संबंध सामान्य रहेंगे। इस सप्ताह आपके लिए 22, 27 और 28 तारीख विशेष फलदायक है। 25, 26 और 27 तारीख को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। आपको चाहिए कि आप इस सप्ताह भगवान शिव का प्रतिदिन अभिषेक करें। सप्ताह का शुभ दिन शनिवार है।

मीन राशि

इस सप्ताह आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। यदि आप अविवाहित हैं तो आपको नये विवाह संबंधों में विशेष सावधान रहना चाहिए। धन आने का योग है परंतु धन अल्प मात्रा में आएगा। कार्यालय में आपकी स्थिति ठीक-ठाक रहेगी। भाई बहनों के साथ टकराव हो सकता है। आपका और आपके जीवन साथी दोनों के स्वास्थ्य में थोड़ी दिक्कत रहेगी। आपका अपने संतान के साथ संबंध ठीक रहेगा। इस सप्ताह आपके लिए 23 और 24 तारीख उत्तम है। 27 और 28 तारीख को आपको सावधान रहकर कोई कार्य करना चाहिए। इस सप्ताह आपको चाहिए कि आप प्रतिदिन रुद्राष्टक का जाप करें। सप्ताह का शुभ दिन मंगलवार है।

आपसे अनुरोध है कि इस पोस्ट का उपयोग करें और हमें इस पोस्ट के बारे में बतायें।

मां शारदा से प्रार्थना है या आप सदैव स्वस्थ सुखी और संपन्न रहें। जय मां शारदा।

राशि चिन्ह साभार – List Of Zodiac Signs In Marathi | बारा राशी नावे व चिन्हे (lovequotesking.com)

निवेदक:-

ज्योतिषाचार्य पं अनिल कुमार पाण्डेय

(प्रश्न कुंडली विशेषज्ञ और वास्तु शास्त्री)

सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता, मध्यप्रदेश विद्युत् मंडल 

संपर्क – साकेत धाम कॉलोनी, मकरोनिया, सागर- 470004 मध्यप्रदेश 

मो – 8959594400

ईमेल – 

यूट्यूब चैनल >> आसरा ज्योतिष 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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मराठी साहित्य – इंद्रधनुष्य ☆ भारतरत्न किताबाचे उपेक्षित मानकरी –  भाग-1 – लेखक : श्री सुभाषचंद्र सोनार☆ प्रस्तुती – श्री सुनीत मुळे ☆

? इंद्रधनुष्य ?

☆ भारतरत्न किताबाचे उपेक्षित मानकरी –  भाग-1 – लेखक : श्री सुभाषचंद्र सोनार☆ प्रस्तुती – श्री सुनीत मुळे ☆

भारतरत्न किताबाचे उपेक्षित मानकरी : …. नाना जगन्नाथ शंकरशेठ. 

आपण एतद्देशीय लोक जगन्नाथ शंकरशेठ यांचे अत्यंत ऋणी आहोत. कारण ज्ञानाचे बीज पेरण्यात ते अग्रेसर होते; इतकेच नव्हे तर सध्या त्याची जी जोमाने वाढ झाली आहे त्याचे सर्व श्रेय त्यांनाच आहे.

– दादाभाई नौरोजी

आमच्या जातिव्यवस्थेचा डंख, महामानवांनाही चुकला नाही. परिणामी सामान्य माणसासारखी, असामान्य माणसं देखील, जातिव्यवस्थेची बळी ठरली आहेत. आमच्या देशात नावलौकिकासाठी, व्यक्तीचं नुसतं कार्यकर्तृत्व पुरेसं नसतं. तर त्याला जातीच्या प्रमाणपत्राचीही जोड असावी लागते. जातीचं प्रमाणपत्र हे अनेकदा, प्रगतीपत्रकावरही कुरघोडी करतं. तुमच्याकडे प्रस्थापित जातीचं प्रमाणपत्र असेल, तर मग तुमच्या राई एवढ्या कर्तृत्वाचेही पर्वत उभे केले जातील. आणि ते नसेल, तर तुमच्या पर्वता एवढ्या कर्तृत्वाचीही राई राई केली जाईल. याचं ज्वलंत उदाहरण म्हणजे नाना जगन्नाथ शंकर शेठ!

आज नाना जगन्नाथ शंकर शेठांची २१२ वी जयंती. हे नाना कोण? असा प्रश्न काहींना पडेल, तर काही म्हणतील हे नाव ऐकल्यासारखं वाटतं, पण हे गृहस्थ कोण ते मात्र आठवत नाही. नानांचं योगदान आणि कार्यकर्तृत्वाचा परिचय असणारेही आहेत, पण थोडेच.

मित्रहो, नानांची एका वाक्यात ओळख सांगायची तर, नाना जगन्नाथ शंकर शेठ हे भारतीय रेल्वेचे जनक आहेत, एवढं सांगितलं तरी पुरेसं आहे. पण ते नानांच्या कार्यकर्तृत्वरुपी हिमनगाचं फक्त टोक आहे. एवढं नानांचं योगदान विशाल आहे.

१० फेब्रुवारी १८०३ रोजी मुंबईत, एका धनाढ्य सोनार (दैवज्ञ) परिवारात, नानांचा जन्म झाला. कुशाग्र बुद्धीच्या नानांचं शिक्षण घरीच झालं. तरुणपणी आपला वडीलोपार्जित व्यापाराचा वारसा तर नानांनी समर्थपणे चालवलाच, पण समाजकारण, अर्थकारण, राजकारण, शिक्षण, कला, विज्ञान अशा जीवनाच्या अनेक क्षेत्रात, त्यांच्या अश्वमेधी अश्वाने निर्विघ्न संचार करुन, नानांच्या कार्यकर्तृत्वाची पताका चौफेर फडकवली. त्यामुळेच आचार्य अत्रेंनी ‘मुंबईचा अनभिषिक्त सम्राट’ असं त्यांचं सार्थ वर्णन केलं आहे.

नाना हे फक्त धनाढ्य नव्हते, गुणाढ्यही होते. नाना इतके धनाढ्य होते की, प्रसंगी इंग्रज सरकारलाही ते अर्थसहाय्य पुरवित, आणि नाना इतके गुणाढ्य होते की, अनेक महत्वपूर्ण प्रश्नांवर इंग्रज अधिकारी, नानांशी परामर्श करीत. नाना जणू त्यांचे थिंक टँक होते. धनाचा आणि गुणांचा असा मनोरम आविष्कार क्वचितच पहायला मिळतो.

मुंबई या आपल्या जन्मभूमि आणि कर्मभूमिवर नानांचं निरतिशय प्रेम होतं. भारतात सुरु होणा-या नव्या गोष्टींचा मुळारंभ, हा मुंबईपासूनच झाला पाहिजे, हा नानांचा ध्यास होता. इंग्रजांची भारतातील राजधानी कलकत्ता होती. तरीही या देशात रेल्वेचा मुळारंभ मुंबईपासून झाला, त्याचं सर्व श्रेय नानांना आहे. हे पाहून मला मेहदी हसन यांच्या गजलेतील — 

‘मैंने किस्मत की लकीरों से चुराया है तुझे।’

—- या काव्यपंक्तींचं स्मरण होतं.

आज रेल्वे ही मुंबईची लाईफलाईन (जीवनरेखा) बनली आहे. पण खरोखरच ‘दैवज्ञ’ नानांनी, नियतीच्या हातातली लेखणी काढून घेऊन, स्वहस्ते ती जीवनरेखा मुंबईच्या करतलांवर रेखली आहे. त्यासाठी आपल्या संवादकुशलतेने त्यांनी इंग्रज अधिका-यांचं मन वळवलं. त्यांना सर्वप्रकारच्या सहकार्याचं आश्वासनही दिलं. त्यासाठी १८४३ साली ग्रेट ईस्टर्न रेल्वे कंपनीच्या स्थापनेसाठी पुढाकार घेतला. नुसता पुढाकारच घेतला नाही, तर या कंपनीच्या तीन प्रवर्तकांपैकी एक प्रवर्तक नानाच होते. तसेच रेल्वेच्या कार्यालयासाठी स्वत:च्या घरात जागा उपलब्ध करुन देऊन, नानांनी रेल्वेच्या मार्गातील तोही अडथळा दूर केला. अशाप्रकारे १६ एप्रिल १८५३ रोजी, मुंबई-ठाणे या मार्गावर धावलेली ही रेल्वे, फक्त भारतातील पहिली रेल्वे नव्हती, तर आशिया खंडातील पहिली रेल्वे होती. मुंबई आणि पुणे या दोन महानगरांना जोडणा-या, बोरीबंदर-पुणे या रेल्वेमार्गाचे जनकही, नानाच आहेत. नानांच्या या बहुमोल कार्याचा गौरव इंग्रज सरकारने सोन्याचा पास देऊन केला. त्यायोगे नानांना रेल्वेच्या पहिल्या वर्गातून, प्रवासाची सुविधा सरकारने उपलब्ध करुन दिली.

नानांच्या लोककार्याच्या यज्ञाची सांगता इथेच होत नाही, तर मुंबई विद्यापीठ, ग्रँट मेडिकल कॉलेज, लॉ कॉलेज, जे. जे. स्कूल अॉफ आर्टस, एल्फिन्स्टन कॉलेज या शिक्षणसंस्थांच्या उभारणीत, नानांनी महत्वपूर्ण भूमिका बजावली. स्रीशिक्षणाचेही नाना पुरस्कर्ते होते. मुलींसाठी त्यांनी स्वखर्चाने स्वत:च्या घरात शाळा सुरु केली. तसेच मुलींसाठी शाळा सुरु करणा-या रेव्हरंड विल्सन यांना शाळेसाठी, गिरगावात जागा उपलब्ध करुन दिली. तत्पूर्वी सन १८४६-४७ मध्ये नानांनी महाराष्ट्रभर हिंडून, शैक्षणिक परिस्थितीची पहाणी करुन, आपले अनुभव बोर्ड अॉफ एज्युकेशनचे अध्यक्ष, सर अर्स्किन पेरी यांना कळविले. त्यातूनच महाराष्ट्रात सार्वत्रिक शिक्षणाचा पाया घातला गेला. त्यामुळेच आचार्य अत्रेंनी म्हटले आहे, “आज मुंबई इलाख्यामध्ये विद्यादानाचा जो विराट वृक्ष पसरलेला दिसतो त्याचे बीजारोपण नाना शंकरशेट यांनी केले आहे हे प्रत्येक महाराष्ट्रीयाने ध्यानात धरावेत. आम्ही हे म्हणतो असे नव्हे तर महर्षि दादाभाई नौरोजींनीच मुळी तसे लिहून ठेवलेले आहे.”

– क्रमशः भाग पहिला  

लेखक : -सुभाषचंद्र सोनार, राजगुरुनगर.

प्रस्तुती : श्री सुनीत मुळे 

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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मराठी साहित्य – चित्रकाव्य ☆– “इथवर जगल्या आयुष्याचे…” – ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

सुश्री नीलांबरी शिर्के

?️?  चित्रकाव्य  ?️?

? – “इथवर जगल्या आयुष्याचे– ? ☆ सुश्री नीलांबरी शिर्के ☆

चार घरच्या समवयस्क मैत्रिणी

अनुभव मोठा गाठी बांधुनी

निवांत बसुनी घर ओट्यावर

भवताल सारा घेती समजुनी

इथवर जगल्या आयुष्याचे

चेहर्‍यावरती तेज झळकते

पचवून साऱ्या सुखदुःखाला

ताठ कण्याने निवांत बसते

संस्कृतीची कास धरुनी

प्रत्येकीची वेगळी  कहाणी

नऊवारी साडीतल्या मैत्रिणी

ठेवती महाराष्ट्राची शान जपोनी

© सुश्री नीलांबरी शिर्के

मो 8149144177

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-1 ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

श्री कमलेश भारतीय 

(जन्म – 17 जनवरी, 1952 ( होशियारपुर, पंजाब)  शिक्षा-  एम ए हिंदी, बी एड, प्रभाकर (स्वर्ण पदक)। प्रकाशन – अब तक ग्यारह पुस्तकें प्रकाशित । कथा संग्रह – 6 और लघुकथा संग्रह- 4 । ‘यादों की धरोहर’ हिंदी के विशिष्ट रचनाकारों के इंटरव्यूज का संकलन। कथा संग्रह – ‘एक संवाददाता की डायरी’ को प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मिला पुरस्कार । हरियाणा साहित्य अकादमी से श्रेष्ठ पत्रकारिता पुरस्कार। पंजाब भाषा विभाग से  कथा संग्रह- महक से ऊपर को वर्ष की सर्वोत्तम कथा कृति का पुरस्कार । हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तीन वर्ष तक उपाध्यक्ष । दैनिक ट्रिब्यून से प्रिंसिपल रिपोर्टर के रूप में सेवानिवृत। सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन व पत्रकारिता)

☆ संस्मरण – मेरी यादों में जालंधर – भाग-1 ☆ श्री कमलेश भारतीय ☆

(ई-अभिव्यक्ति के प्रबुद्ध पाठकों के लिए आदरणीय श्री कमलेश भारतीय जी ने अपने संस्मरणों की शृंखला मेरी यादों में जालंधर के प्रकाशन के आग्रह को सहर्ष स्वीकार किया, हार्दिक आभार। आज से आप प्रत्येक शनिवार – साप्ताहिक स्तम्भ – “मेरी यादों में जालंधर” पढ़ सकेंगे।)

आज मेरी यादों का कारवां जालंधर की ओर जा रहा है, जो पंजाब की सांस्कृतिक व साहित्यिक राजधानी कहा जा सकता है। नवांशहर से मात्र पचास-पचपन किलोमीटर दूर! यहाँ मेरी बड़ी बुआ सत्या नीला महल मौहल्ले में रहती थीं और उन दिनों बस स्टैंड बिल्कुल रेलवे स्टेशन से कुछ दूरी पर ही धा। सत्या बुआ की शादी के बाद कई साल तक उनके कोई संतान नहीं हुई तो मेरी दादी साग व अन्य सौगातें देकर मुझे सत्या बुआ के यहाँ भेजा करती थीं । मेरी गर्मियों की दो महीने की छुट्टियां भी वहीं कटतीं ताकि बुआ को संतान न होने की कमी महसूस न हो। मेरे फूफा जी पुलिस में थे तो मौहल्ले के बच्चे मुझे सिपाही का बेटा कहकर बुलाते। पतंगबाजी का शौक़ मुझे भी था और फूफा जी को भी। वे छत पर चढ़कर बड़े बड़े पतंग उड़ाते जिन्हें छज्ज कहा जाता था । वे मुझे दूसरों के पतंग काटने के गुर भी सिखाते और छुट्टियां खत्म होने पर बहुत सारे पतंग और पक्की डोर तोहफे के तौर पर देते ।

नीला महल मौहल्ले के पास ही  एक छोटी सी लाईब्रेरी भी थी। दोपहर के समय मैं वहाँ समय बिताया करता। इसके कुछ आगे मशहूर माई हीरां गेट था। जहाँ ज्यादातर हिंदी व संस्कृत की किताबों के भारतीय संस्कृत भवन व दीपक पब्लिशर्स आज तक याद हैं । संस्कृत भवन के स्वामी तो हमारे शारदा मौहल्ले के दामाद थे। उनका बेटा राकेश मेरा दोस्त था और मैं संस्कृत भवन पर भी पुस्तकें उठा कर पढ़ता रहता था। आज जो फगवाड़ा में लवली यूनिवर्सिटी है, उनकी जालंधर छावनी में सचमुच मिठाइयों की बड़ी मशहूर दुकान थी । इस पर कभी हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला ने चुटकी भी ली थी। अब लवली यूनिवर्सिटी खूब फल फूल चुकी है।

मेरे फूफा जी का एक बार एक्सीडेंट हो गया और उनकी तीमारदारी में मुझे तीन माह सिविल अस्पताल में रहना पड़ा। वहाँ शाम के समय ईसा मसीह के अनुयायी अपना साहित्य बांटने आते जिनका इतना ही सार याद है कि एक अच्छा चरवाहा अपनी भेड़ों को अच्छी चारागाह में ले जाता है, ऐसे ही यीशु हमें अच्छी राह पर ले जाते हैं। अब समझता हूँ कि कैसे वे अपना साहित्य पढ़ाते थे !

दसवीं के बाद साहित्य में मेरी रूचि बढ़ गयी। संयुक्त पंजाब के सभी हिंदी, उर्दू व पंजाबी के अखबार यहीं से प्रकाशित होते थे और नये बस स्टैंड के पास ही आकाशवाणी का जालंधर केंद्र था। यहाँ मुझे पहली बार डाॅ चंद्रशेखर ने युववाणी में काव्य पाठ का अवसर दिलाया। इसके बाद जालंधर दूरदर्शन भी बना जहाँ मुझे रचना हिंदी कार्यक्रम के पहले एपीसोड में  ही जगदीश चंद्र वैद के सुझाव पर आमंत्रित किया गया। जालंधर आकाशवाणी व दूरदर्शन से ही अनेक पंजाबी गायक निकले जिनमें से गुरदास मान भी एक हैं। नववर्ष पर विशेष प्रोग्राम में गुरदास मान को अवसर मिला और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। काॅमेडी में विक्की ने भी नाम कमाया। नेत्र सिंह रावत, संतोष मिश्रा,रवि दीप, लखविंदर जौहल, पुनीत सहगल, के के रत्तू, मंगल ढिल्लों आदि कुछ नाम याद हैं। मंगल ढिल्लों न्यूज़ रीडर थे बाद में एक्टर बने और कुछ समय पहले ही उनका निधन हुआ। लखविंदर जौहल का लिश्कारा प्रोग्राम खूब लोकप्रिय रहा। पुनीत सहगल आजकल जालंधर दूरदर्शन के कार्यकारी प्रमुख हैं। संतोष मिश्रा कुछ समय हिसार दूरदर्शन के निदेशक भी रहे।  इनकी बेटी सुगंधा मिश्रा कपिल शर्मा के काॅमेडी शो के कुछ एपीसोड में भी आई।

कभी आकाशवाणी व दूरदर्शन के बाहर कतारें लगी रहती थीं लेकिन अब वह बीते जमाने की बाते़ं हो गयीं। आकाशवाणी में एक बार लक्ष्मेंद्र चोपड़ा भी निदेशक रहे तो श्रीवर्धन कपिल भी। विश्व प्रकाश दीक्षित बटुक और सोहनसिंह मीशा प्रसिद्ध पंजाबी कवि और डाॅ रश्मि खुराना  हिंदी और देवेंद्र जौहल पंजाबी कार्यक्रम के प्रोड्यूसर रहे। हरभजन बटालवी भी याद आ रहे हैं। लक्ष्मेंद्र चोपड़ा आजकल सेवानिवृत्ति के बाद गुरुग्राम में रह रहे हैं। आकाशवाणी से ही माइक के आगे बोलना सीखा।

वीर प्रताप अखबार में मेरी लघु कथा आज का रांझा को प्रथम स्थान मिला।  यहाँ मेरी सत्यानंद शाकिर,  इंद्र जोशी, दीदी, आचार्य संतोष से लेकर गुरमीत बेदी और सुनील प्रभाकर से भी मुलाकातें होती रहीं। सुनील प्रभाकर बाद में दैनिक ट्रिब्यून में सहयोगी बने और गुरमीत बेदी हिमाचल पब्लिक सर्विस रिलेशन से सेवानिवृत्त हुए। सुनील प्रभाकर भी सेवानिवृत्त  हो चुके हैं। गुरमीत बेदी ने पर्वत राग पत्रिका भी निकाली। उन दिनों वीर प्रताप और हिंदी मिलाप की तूती बोलती थी। हिंदी मिलाप में तो कभी प्रसिद्ध निदेशक रामानंद सागर व हिंदी के प्रसिद्ध लेखक रवींद्र कालिया भी उप संपादक रहे। दोनों अखबार बंद हो चुके हैं। सिर्फ पंजाब केसरी, दैनिक सवेरा, उत्तम हिन्दू और अजीत समाचारपत्र ही हिंदी में चल रहे हैं। हिंदी मिलाप का हैदराबाद संस्करण चल रहा है। अजीत समाचार के संपादन में सतनाम माणक व सिमर सदोष चर्चित हैं। सिमर सदोष वीर प्रताप, हिंदी मिलाप और आज कल अजीत में साहित्य संपादक के रूप में लंबी पारी खेल रहे हैं। उन्हें पंजाब की नयी पीढ़ी को व लघुकथा को आगे बढ़ाने का श्रेय जाता है पर वे हैंडल विद केयर इंसान हैं । बहुत भावुक व सरल। मैंने यह बात पिछले साल उनकी पंकस अकादमी के समारोह में कह दी जो उन्हें खूब पसंद आई लेकिन एक दूसरे साहित्कार को यह बात हजम नहीं हुई। छब्बीस साल से सिमर पंकस अकादमी चला रहे हैं। न जाने कितने साहित्यकारों को सम्मानित कर चुके हैं। बड़ी लम्बी सूची है जिनमें एक नाम मेरा भी शामिल है। जालंधर की साहित्यिक यात्रा का अगला भाग अगले शनिवार। इंतज़ार कीजिये।

क्रमशः…. 

© श्री कमलेश भारतीय

पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी

1034-बी, अर्बन एस्टेट-।।, हिसार-125005 (हरियाणा) मो. 94160-47075

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आतिश का तरकश #220 – 107 – “नाराज़ी इतनी ठीक ना है…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ☆

श्री सुरेश पटवा

(श्री सुरेश पटवा जी  भारतीय स्टेट बैंक से  सहायक महाप्रबंधक पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं और स्वतंत्र लेखन में व्यस्त हैं। आपकी प्रिय विधा साहित्य, दर्शन, इतिहास, पर्यटन आदि हैं। आपकी पुस्तकों  स्त्री-पुरुष “गुलामी की कहानी, पंचमढ़ी की कहानी, नर्मदा : सौंदर्य, समृद्धि और वैराग्य की  (नर्मदा घाटी का इतिहास) एवं  तलवार की धार को सारे विश्व में पाठकों से अपार स्नेह व  प्रतिसाद मिला है। श्री सुरेश पटवा जी  ‘आतिश’ उपनाम से गज़लें भी लिखते हैं ।प्रस्तुत है आपका साप्ताहिक स्तम्भ आतिश का तरकशआज प्रस्तुत है आपकी भावप्रवण ग़ज़ल नाराज़ी इतनी ठीक ना है…” ।)

? ग़ज़ल # 107 – “नाराज़ी इतनी ठीक ना है…” ☆ श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’ ?

तुमको  कहते हैं  लोग  मेरी जाने जाँ,

लेकर मेरा दिल बन गई मेरी जाने जाँ।

तुम आग तन बदन में लगाकर जाती हो

लहराती हो जब ज़ुल्फ़ें छत पर जाने जाँ।

तुमने मुझ पर नाराज़ होना छोड़ दिया,

नाराज़ी इतनी  ठीक ना  है जाने जाँ।

दुनियादारी में खोई हो तुम तो जानम,

तुम खूब बहाने क्यूँ  बनाती जाने जाँ।

तुम खुलकर भी तो मिल नहीं पाती हो,

आतिश को रहती हो  भर्माती जाने जाँ।

© श्री सुरेश पटवा ‘आतिश’

भोपाल, मध्य प्रदेश

≈ सम्पादक श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 97 ☆ मुक्तक ☆ ।।चलो शिद्दत से मंजिल खुद कदम चूम लेती है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

☆ “श्री हंस” साहित्य # 97 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।।चलो शिद्दत से मंजिल खुद कदम चूम लेती है।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस” ☆ 

[1]

चाहो शिद्दत से हर सपना   साकार होता है।

बिन इच्छा शक्ति यह   निराधार ही होता है।।

हमारा जोशो जनून बनता ऊर्जा का खजाना।

अगर   सामने लक्ष्य हमारा लगातार होता है।।

[2]

बीता समय कभी  आगे को   बढ़ाता नहीं है।

और आज भी कभी लौट कर आता नहीं है।।

वर्तमान में ही समाहित है भविष्य का रहस्य।

भूतकाल से भविष्य का रास्ता जाता नहीं है।।

[3]

समस्या के भीतर निहित होता समाधान है।

जीवन ही समस्या और जीवन ही निदान है।।

पीड़ा का स्वागत करो कि मजबूत बनाती है।

युगों से जाना   माना यही   एक विधान है।।

[4]

गलती से सीखो यह  अनुभव  ज्ञान देती है।

ये जिंदगी हर कदम कोई इम्तिहान कहती है।।

आशा विश्वास की ऊर्जा मत  गँवाना कभी।

फिर मंजिल आकर खुद  कदम चूम लेती है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेलीईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com, मोब  – 9897071046, 8218685464

संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ काव्य धारा # 160 ☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “अनुपम भारत…” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ ☆

प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

(आज प्रस्तुत है गुरुवर प्रोफ. श्री चित्र भूषण श्रीवास्तव जी  द्वारा रचित एक भावप्रवण रचना  – “परीक्षाओं से डर मत मन…। हमारे प्रबुद्ध पाठकगण प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ जी  काव्य रचनाओं को प्रत्येक शनिवार आत्मसात कर सकेंगे।) 

☆ ‘चारुचन्द्रिका’ से – कविता – “अनुपम भारत” ☆ प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’ 

अपने में आप सा है, भारत हमारा प्यारा

जग में चमकता जगमग जैसे गगन का तारा।

हैं भूमि भाग अनुपम नदियाँ-पहाड़ न्यारे

उल्लास से तरंगित सागर के सब किनारे ।

ऋतुएँ सभी रंगीली, फल-फूल सब रसीले

इतिहास गर्वशाली, आँचल सुखद सजीले।

है सभ्यता पुरानी, परहित की भावनाएँ

सत्कर्ममय हो जीवन है मन की कामनाएँ।

गाँवों में भाईचारे का सुखद स्नेह व्याप्त था।

हवाएँ नरम थीं, मौसम सुहावना था।

लोगों में सरलता है दिन-रात सब सुहाने

त्यौहार प्रीतिमय हैं, अनुरागसिक्त गाने।

रामायण और गीता ज्ञान की अद्वितीय पुस्तकें हैं

जो मन को विचलित नहीं होना, बल्कि स्थिर रहना सिखाती हैं।

ये देश है सुहाना, धर्मों का मेला

असहाय भी न पाता, खुद को जहाँ अकेला।

आध्यात्मिक है चिन्तन, धार्मिक विचारधारा

संसार से अलग है, भारत पुनीत प्यारा।

है ‘एकता विविधता में’ लक्ष्य अति पुराना

भारत ‘विदग्ध’ जग का आदर्श है सुहाना ।

© प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव ‘विदग्ध’

ए २३३ , ओल्ड मीनाल रेजीडेंसी  भोपाल ४६२०२३

मो. 9425484452

[email protected]

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य #215 ☆ ज़िंदगी उत्सव है… ☆ डॉ. मुक्ता ☆

डॉ. मुक्ता

डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य” के माध्यम से  हम  आपको प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू कराने का प्रयास करते हैं। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का  मानवीय जीवन पर आधारित एक अत्यंत विचारणीय आलेख ज़िंदगी उत्सव है। यह डॉ मुक्ता जी के जीवन के प्रति गंभीर चिंतन का दस्तावेज है। डॉ मुक्ता जी की  लेखनी को  इस गंभीर चिंतन से परिपूर्ण आलेख के लिए सादर नमन। कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें।) 

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य  # 215 ☆

☆ ज़िंदगी उत्सव है

‘कुछ लोग ज़िंदगी होते हैं / कुछ लोग ज़िंदगी में होते हैं / कुछ लोगों से ज़िंदगी होती है और कुछ लोग होते हैं, तो ज़िंदगी होती है’… इस तथ्य को उजागर करता है कि इंसान अकेला नहीं रह सकता; उसे चंद लोगों के साथ की सदैव आवश्यकता होती है और उनके सानिध्य से ज़िंदगी हसीन हो जाती है। वास्तव में वे जीने का मक़सद होते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि दोस्त, किताब, रास्ता और सोच सही व अच्छे हों, तो जीवन उत्सव बन जाता है और ग़लत हों, तो मानव को गुमराह कर देते हैं। सो! दोस्त सदा अच्छे, सुसंस्कारित, चरित्रवान् व सकारात्मक सोच के होने चाहिएं। परंतु यह तभी संभव है, यदि वे अच्छे साहित्य का अध्ययन करते हैं, तो सामान्यतः वे सत्य पथ के अनुगामी होंगे और उनकी सोच सकारात्मक होगी। यदि मानव को इन चारों का साथ मिलता है, तो जीवन उत्सव बन जाता है, अन्यथा वे आपको उस मुक़ाम पर लाकर खड़ा कर देते हैं; जहां का हर रास्ता अंधी गलियों में जाकर खुलता है और लाख चाहने पर भी इंसान वहां से लौट नहीं सकता। इसलिए अच्छे लोगों की जीवन में बहुत अहमियत होती है। वे हमारे प्रेरक व पथ-प्रदर्शक होते हैं और उनसे स्थापित संबंध शाश्वत् होते हैं।

यह भी अकाट्य सत्य है कि रिश्ते कभी क़ुदरती मौत नहीं मरते, इनका कत्ल इंसान कभी नफ़रत, कभी नज़रांदाज़ी, तो कभी ग़लतफ़हमी से करता है, क्योंकि घृणा में इंसान को दूसरे के गुण और अच्छाइयां दिखाई नहीं देते। कई बार इंसान अच्छे लोगों के गुणों की ओर ध्यान ही नहीं देता; उनकी उपेक्षा करता है और ग़लत लोगों की संगति में फंस जाता है। इस प्रकार दूसरे के प्रति ग़लतफ़हमी हो जाती है। अक्सर वह अन्य लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है और कई बार हम किसी के प्रति ग़लत धारणा बना लेते हैं। इस प्रकार इंसान अच्छे लोगों को नज़रांदाज़ करने लग जाता है और उनकी सत्संगति व साहचर्य से वंचित हो जाता है।

परंतु संसार में यदि मनुष्य को अपनी ओर आकर्षित करने वाला कोई है, तो वह प्रेम है और इसका सबसे बड़ा साथी है आत्मविश्वास। सो! प्रेम ही पूजा है। प्रेम द्वारा ही हम प्रभु को भी अपने वश में कर सकते हैं और आत्मविश्वास रूपी पतवार से कठिन से कठिन आपदा का सामना कर, सुनामी की लहरों से भी पार उतर कर अपनी मंज़िल तक पहुंच सकते हैं। इस प्रकार प्रेम व आत्मविश्वास की जीवन में अहम् भूमिका है… उन्हें कभी ख़ुद से अलग न होने दें। इसलिए किसी के प्रति घृणा व मोह का भाव मत रखें, क्योंकि वे दोनों हृदय में स्व-पर व राग-द्वेष के भाव उत्पन्न करते हैं। मोह में हमारी स्थिति उस अंधे की भांति हो जाती है; जो सब कुछ अपनों को दे देना चाहता है। मोह के भ्रम में इंसान सत्य से अवगत नहीं हो पाता और ग़लत काम करता है। वह राग-द्वेष का जनक है और उसे त्याग देना ही श्रेयस्कर है। हम सब एक-दूसरे पर आश्रित हैं और एक-दूसरे के बिना अधूरे व अस्तित्वहीन हैं… यही रिश्तों की गरिमा है; खूबसूरती है। इसीलिए कहा जाता है ‘दिल पर न लो उनकी बातें /जो दिल में रहते हैं’ अर्थात् जिन्हें आप अपना स्वीकारते हैं, उनकी बातों का बुरा कभी मत मानें। वे सदैव आपके हित मंगल कामना करते हैं; ग़लत राहों पर चलने से आपको रोकते हैं; विपत्ति व विषम परिस्थिति में ढाल बनकर खड़े हो जाते हैं। हमें उनका साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। जब हम यह समझ लेते हैं कि ‘वे ग़लत नहीं हैं; भिन्न हैं। उस स्थिति में सभी शंकाओं व समस्याओं का अंत हो जाता है, क्योंकि हर इंसान का सोचने का ढंग अलग-अलग होता है।’

‘ज़िंदगी लम्हों की किताब है /सांसों व ख्यालों का हिसाब है / कुछ ज़रूरतें पूरी, कुछ ख्वाहिशें अधूरी / बस इन्हीं सवालों का जवाब है ज़िंदगी।’ सांसों का आना-जाना हमारे जीवन का दस्तावेज़ है। जीवन में कभी भी सभी ख्वाहिशें पूरी नहीं होती, परंतु ज़रूरतें आसानी से पूरी हो जाती हैं। वास्तव में ज़िंदगी इन्हीं प्रश्नों का उत्तर है और बड़ी लाजवाब है। इसलिए मानव को हर क्षण जीने का संदेश दिया गया है। शायद! इसलिए कहा जाता है कि ख्वाहिशें तभी मुकम्मल अर्थात् पूरी होती हैं/ जब शिद्दत से भरी हों और उन्हें पूरा करने की/ मन में इच्छा व तलब हो। तलब से तात्पर्य है, यदि आपकी इच्छा-शक्ति प्रबल है, तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। आप आसानी से अपनी मंज़िल को प्राप्त कर सकते हैं और हर परिस्थिति में सफलता आपके कदम चूमेगी।

सो! कुछ बातें, कुछ यादें, कुछ लोग और उनसे बने रिश्ते लाख चाहने पर भी भुलाए नहीं जा सकते, क्योंकि उनकी स्मृतियां सदैव ज़हन में बनी रहती हैं। जैसे इंसान अच्छी स्मृतियों में सुक़ून पाता है और बुरी स्मृतियां उसके जीवन को जहन्नुम बना देती हैं। इसीलिए कहा जाता है कि जो भी अच्छा लगे, उसे ग्रहण कर लो; अपना लो, क्योंकि यही सबसे उत्तम विकल्प होता है। जो मानव दोष-दर्शन की प्रवृत्ति से निज़ात नहीं पाता, सदैव दु:खी रहता है। अच्छे लोगों का साथ कभी मत छोड़ें, क्योंकि वे तक़दीर से मिलते हैं। दूसरे शब्दों में वे आपके शुभ कर्मों का फल होते हैं। ऐसे लोग दुआ से मिलते हैं और कुछ लोग दुआ की तरह होते हैं जो आपकी तक़दीर बदल देते हैं। इसलिए कहा जाता है, ‘रिश्ते वे होते हैं, जहां शब्द कम, समझ ज़्यादा हो/ तक़रार कम, प्यार ज़्यादा हो/ आशा कम, विश्वास ज़्यादा हो। यही है रिश्तों की खूबसूरती।’ जब इंसान बिना कहे दूसरे के मनोभावों को समझ जाए; वह सबसे सुंदर भाषा है। मौन विश्व की सर्वोत्तम भाषा है, जहां तक़रार अर्थात् विवाद कम, संवाद ज़्यादा होता है। संवाद के माध्यम से मानव अपनी प्रेम की भावनाओं का इज़हार कर सकता है। इतना ही नहीं, दूसरे पर विश्वास होना कारग़र है, परंतु उससे उम्मीद रखना दु:खों की जनक है। इसलिए आत्मविश्वास संजोकर रखें, क्योंकि इसके माध्यम से आप अपनी मंज़िल पर पहुंच सकते हैं।

सुख मानव के अहं की परीक्षा लेता है और दु:ख धैर्य की और दोनों परीक्षाओं में उत्तीर्ण व्यक्ति का जीवन सफल होता है। सो! मानव को सुख में अहंकार से न फूलने की शिक्षा दी गई है और दु:ख में धैर्यवान बने रहने को सफलता की कसौटी स्वीकारा गया है। अहं मानव का सबसे बड़ा शत्रु व सभी रोगों की जड़ है। वह वर्षों पुरानी मित्रता में पल-भर में सेंध लगा सकता है; पति-पत्नी में अलगाव का कारण बन सकता है। वह हमें एक-दूसरे के क़रीब नहीं आने देता। इसलिए अच्छे लोगों की संगति कीजिए; उनसे संबंध बनाइए; कानों-सुनी बात पर नहीं, आंखों देखी पर विश्वास कीजिए। स्व-पर व राग-द्वेष को त्याग ‘सर्वे भवंतु सुखीनाम्’ को जीवन का मूलमंत्र बना लीजिए, क्योंकि इंसान का सबसे बड़ा शत्रु स्वयं उसका अहम् है। सो! उससे सदैव कोसों दूर रहिए। सारा संसार आपको अपना लगेगा और जीवन उत्सव बन जाएगा।

© डा. मुक्ता

माननीय राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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