आपल्या समुहातील लेखिका व कवयित्री सौ. विद्या वसंत पराडकर यांच्या ‘श्रावणगीत’ या कवितेस, माय मराठी व स्टोरी मिरर यांनी आयोजित केलेल्या काव्य स्पर्धेत पुरस्कार प्राप्त झाला आहे.सौ. पराडकर यांचे समुहातर्फे मनःपूर्वक हार्दिक अभिनंदन .??
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
ई – अभिव्यक्तीतर्फे त्यांचे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा.
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈
आपल्या समुहातील ज्येेष्ठ लेखिका व अनुवादकार श्रीमती मीनाक्षी सरदेसाई याचे एक नवीन पुस्तक नुकतेच प्रकाशित झाले आहे.पुणे येथील अरिहंत प्रकाशनाने त्यांचे ढोल-ढकेल हे हिंदी कथांचा मराठीत अनुवाद केलेल्या कथांचा संग्रह प्रकाशित केला आहे. त्याबद्दल समुहातर्फे त्यांचे हार्दिक अभिनंदन !
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
ई – अभिव्यक्तीतर्फे त्यांचे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा.
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈
? श्री संजय भारद्वाज जी का कवितासंग्रह ‘क्रौंच’ लोकार्पित ?
कहन के साथ/ मेरा मौन भी बाँचा जाय
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं हिन्दी आंदोलन परिवार के संस्थापक-अध्यक्ष संजय भारद्वाजजी के कवितासंग्रह क्रौंच का लोकार्पण 31 अक्टूबर को ऑनलाइन हुआ। यह उनका पाँचवाँ कवितासंग्रह है। क्षितिज प्रकाशन ने इसे प्रकाशित किया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी के पूर्व कार्याध्यक्ष प्रो. नंदलाल पाठक जी ने की। उन्होंने कहा कि “संजय भारद्वाज कवितावादी हैं। उन्होंने अपनी कविता में छंद, लय, ताल, संगीत का कोई सहारा नहीं लिया है। यह दर्शाता है कि सच्ची कविता को बैसाखी की आवश्यकता नहीं होती।”
मुख्य अतिथि और ‘नवनीत’ के सम्पादक श्री विश्वनाथ सचदेव जी ने अपने भाषण से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि “संजय भारद्वाज का अनुभव जगत व्यापक है। उनकी कविताएँ अपने शब्दों के बीच की खाली जगह को पढ़ने के लिए पाठक को आमंत्रित करती हैं। यह इन कविताओं की सबसे बड़ी शक्ति है। ये कविताएँ पाठक के दिल को प्रभावित करती हैं।”
विश्व हिन्दी सचिवालय के समन्वयक श्री अनूप भार्गव जी ने कहा कि “आज के समय में साहित्यिक पुस्तक का लोकार्पण बड़ी हिम्मत का काम है। लोकार्पित संग्रह में प्रकाशित संजय जी का साहित्य ही उनके व्यक्तित्व का परिचायक है। साहित्यकार होने के साथ हिन्दी के लिए एक जुनून भी उनमें है।”
श्री संजय भारद्वाज जी ने कविता की अपनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे नाटकों से कविता के प्रदेश में आए। उन्होंने कहा कि कविता स्वत: संभूता है। ज्वालामुखी-सी बाहर आनेवाली कविता साहित्य का शुद्धतम रूप है। कवि ने अपनी प्रतिनिधि रचना़ओं का पाठ भी किया। उनकी कविता ‘जब कभी / मेरा कहा आँका जाय / कहन के साथ / मेरा मौन भी बाँचा जाय’का उल्लेख प्रत्येक वक्ता ने किया।
‘क्रौंच’ का मुखपृष्ठ प्रस्तर कला की मर्मज्ञ सुश्री अनिता दुबे ने बनाया है। उन्होंने इसकी पृष्ठभूमि बनी क्रौंच शृंखला की एक कविता का उल्लेख किया।
कार्यक्रम का सटीक संचालन कवयित्री चित्रा देसाई ने किया।
स्वागत वक्तव्य क्षितिज समूह की प्रमुख श्रीमती सुधा भारद्वाज ने किया। आभार प्रदर्शन सुश्री कृतिका भारद्वाज ने किया।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार एवं साहित्यप्रेमी उपस्थित थे।
साभार श्रीमती ऋता सिंह
? ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री संजय भारद्वाज जी को उनकी इस विशेष उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई ?
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल ‘लघुकथा के परिन्दे ‘ फेसबुक समूह की ऑनलाइन साप्ताहिक लघुकथा गोष्ठी सम्पन्न
लघुकथा में ज़र्रे को आफताब बनाने की सामर्थ्य – डॉ.प्रभुदयाल मढ़इया ‘विकल’
लघुकथा लेखन में सहजता सरलता होना आवश्यक –सुरेश पटवा
भोपाल | लघुकथा में ज़र्रे को आफताब बनाने की ताकत होती है ,लघुकथाओं में जीवन के विविध रंग आते हैं ,लघुकथा में कथ्य का विस्तार सम्भव नहीं ,यह उदगार हैं वरिष्ठ साहित्यका उपन्यासकार लघुकथा लेखक डॉ प्रभुदयाल मढ़ईया ‘विकल’ (मुम्बई) के जो लघुकथा शोध केंद्र भोपाल द्वारा आयोजित साप्ताहिक ऑन-लाइन गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए अपनी बात रख रहे थे ,इस अवसर पर उन्होंने अपनी लघुकथा ‘काजल’ का वाचन भी किया |
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश पटवा ने कहा कि ‘लघुकथा लेखन में सहजता सरलता होना आवश्यक है ,इसमें ‘कहन’ यानी कथा तत्व और ‘पहन’ यानी रस अलंकार मुहावरे युक्त प्रभावी भाषा शिल्प की आवश्यकता होती है साथ ही छन्न ,सन्न, और प्रसन्न की बात कहते हुए बताया कि ‘गर्म तवे पर पानी की बूंद सा लघुकथा का त्वरित प्रभाव हो जिससे पाठक एकदम अवाक हतप्रभ यानी सन्न रह जाये और अंततः लघुकथा के प्रभाव से पाठक श्रोता गदगद होकर प्रसन्न हो जाये |
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि श्री सुरेश कुशवाह ‘तन्मय’ ने केंद्र द्वारा आयोजित इन आयोजनों की प्रशंसा करते हुए इन आयोजनों को लघुकथा के विकास के लिए आवश्यक कदम बताया ,इस अवसर पर उन्होंने अपनी लघुकथा ‘नचिकेता प्रश्न ‘ का वाचन किया |
कार्यक्रम के प्रारम्भ में गोष्ठी के संयोजक सुपरिचित लघुकथाकार मुज़फ्फर इकबाल सिद्दीकी ने मंचस्थ अतिथियों एवम।लघुकथा पाठ के लिये आमंत्रित लघुकथाकारों का स्वागत किया | ततपश्चात सुपरिचित लघुकथाकार और गोष्ठी संयोजक चित्रा राघव राणा के संचालन में गोष्ठी प्रारम्भ हुई सर्वप्रथम श्री आशीष जौहरी ने ‘न्यूज रूम’ लघुकथा का वाचन किया जिसमें नेताओं की मिलीभगत से फर्जी पुलिस एनकाउंटर पर सवाल उठाया गया | ‘ निर्जन पगडंडी’ लघुकथा को निम्मी गुप्ता (सूरत) ने प्रस्तुत किया जिसमें आज के समाज।में असुरक्षित बेटियों के हालात की ओर हमारा ध्यान आकर्षित किया गया | गोष्ठी के क्रम को आगे बढ़ाया जनकजा कान्त शरण ने ‘डूबता सूरज’ लघुकथा के माध्यम से जिसमें बुजुर्गों और बच्चों की सामाजिक दशा पर प्रश्न उठाया गया ,श्रीमती कमलेश चौरसिया (नागपुर) ने ‘धर्म का विस्तार’ लघुकथा प्रस्तुत की जिसमे बढ़ती धार्मिक कट्टरता और रोटी के प्रश्न पर अंगुली उठायी गई है | श्री ओम सपरा (दिल्ली) ने ‘विदेशिया’ लघुकथा के माध्यम से कोरोना काल की महामारी में लोगों की अमानवीयता के चेहरे को बेनकाब किया | श्री हरदीप सबरवाल ने गोष्ठी के क्रम।को आगे बढ़ाते हुए ‘तर्क की मौत’ लघुकथा द्वारा धार्मिक पाखंड पर तीखा प्रहार किया | डॉ प्रतिभा त्रिवेदी ने ‘सोशल डिस्टेन्स’ लघुकथा के माध्यम से बुजुर्गों की उपेक्षा का दर्द अभिव्यक्त किया ,श्री नेतराम भारती (दौसा राजस्थान) ने ‘मेडम का दुःख ‘ लघुकथा के माध्यम से शादी की आयु निकल जाने के दर्द को अभिव्यक्त किया ,गोष्ठी के क्रम।को आगे बढ़ाया डॉ दिलीप बच्चानी ,मारवाड़ (राजस्थान) ने ‘सम्वेदना का विसर्जन ‘ लघुकथा के माध्यम से जिसमें नवीन विषय में चिकित्सा विज्ञान को जोड़ते हुए हमारे संकीर्ण धार्मिक रीति रिवाजों पर प्रहार किया ,कार्यक्रम।के अंत में श्रीमती राजश्री शर्मा (खंडवा) ने ‘त्यौहार’ लघुकथा के माध्यम से हमारे समाज।परिवार के ताने बाने को प्रभावी अभिव्यक्ति प्रदान की |
गोष्ठी में पढ़ी गई लघुकथाओं पर समीक्षक लघुकथाकार घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की लघुकथाओं के शीर्षक से लेकर उनके कथ्य शिल्प भाषा शैली और उद्देश्य पर अपनी बात रखी ,कार्यक्रम के अंत में डॉ मौसमी।परिहार ने सभी जनों।का आभार प्रकट किया ,इस आयोजन में डॉ कर्नल गिरजेश सक्सेना ,श्री गोकुल सोनी, श्रीमती मधुलिका सक्सेना ,श्रीमती कांता राय सहित अनेक लघुकथा प्रेमी उपस्थित थे।
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
श्री सुरेश पटवा द्वारा रचित नर्मदा और पलकगाथा पुस्तकों का भव्य लोकार्पण संपन्न
भोपाल। “लोकमंगल की नदी है नर्मदा, यह सिर्फ एक नदी नहीं हमारी पूरी सभ्यता है| नदियाँ हमें संस्कार देती हैं, नदियों से ही हमारा जीवन और अस्तित्व है| विकास के नाम पर धनपशु नदियों को निगल रहे हैं| इस आसन्न संकट और इसकी भयावहता को समझ साहित्यकार इस दिशा में कार्य करें।” – यह कथन है पद्मश्री श्री विजयदत्त श्रीधर, संस्थापक-निदेशक, माधवराव सप्रे समाचार पत्र संग्राहलय का जो मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, हिंदी भवन, भोपाल द्वारा साहित्यकार श्री सुरेश पटवा की सद्य प्रकाशित कृतियों ‘नर्मदा’ एवम ‘पलकगाथा’ उपन्यास के लोकार्पण अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने विचार प्रकट कर रहे थे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यर्पण कर आयोजन का शुभारंभ किया तथा श्रीमती जया केतकी ने सुमधुर सरस्वती वंदना प्रस्तुत की ततपश्चात डॉ सुनीता खत्री,श्रीमती सीमा नेमा,श्री सूर्यप्रकाश जोशी ने मंचस्थ अतिथियों का पुष्प एवम।पुस्तक से स्वागत किया| आयोजन में नर्मदा परिक्रमा करने वाले सुरेश पटवा जी के सहयात्री मित्रों श्री जगमोहन अग्रवाल एवम श्री मुंशी पाटकर ने भी मंचस्थ अतिथियों एवम सुरेश पटवा जी का पुष्पहारों से स्वागत किया।
इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए मध्यप्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति हिंदी भवन के अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुबे ने कहा कि – “अब साहित्यकार नदियों के संरक्षण हेतु कलम ही नहीं, कुदाल भी चलाएं। लेखक ने लोकार्पित हुई अपनी कृतियों के माध्यम से नदियों और समाज की रुग्ण दशा का प्रभावी और मार्मिक चित्रण किया है।” कार्यक्रम में समिति के मंत्री संचालक कैलाशचन्द्र पन्त ने पुस्तक के लेखक श्री पटवा का शॉल, श्रीफल और पुष्पहार से सम्मान किया।
इस अवसर पर स्वागत उदबोधन हिंदी भवन के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने प्रस्तुत किया| पुस्तकों के लेखक सुरेश पटवा ने अपनी सृजन यात्रा के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी|पुस्तक केंद्रित समीक्षा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ, रामवल्लभ आचार्य एवम डॉ. मोहन तिवारी आनन्द ने प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का संचालन घनश्याम मैथिल ‘अमृत’ ने किया और अंत में श्रीमती कांता राय ने आभार प्रकट किया| इस अवसर पर श्री विनोद जैन, गोकुल जैन, चंद्रभान राही, बिहारीलाल सोनी, अशोक धमेनियाँ, अशोक दुबे, अशोक तिवारी, मधुलिका, महेश कुमार सक्सेना, विपिनबिहारी बाजपेई, राजुरकर राज, डॉ जयजय राम आनन्द ,जवाहर सिंह सहित नगर के अनेक गणमान्य साहित्यकार एवम पुस्तक प्रेमी उपस्थित थे।
? ई- अभिव्यक्ति परिवार की और से श्री सुरेश पटवा जी का हार्दिक अभिनंदन ?
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
ज्येष्ठोत्सव, पुणे यांच्यातर्फे आयोजित काव्यपूर्ती स्पर्धेत आपल्या समुहातील कवयित्री सौ.ज्योत्स्ना तानवडे यांना द्वितीय क्रमांक प्राप्त झाला आहे. त्याबद्दल त्यांचे समुहातर्फे हार्दिक अभिनंदन.
या स्पर्धेत कवितेच्या पहिल्या चार ओळी दिल्या होत्या आणि पुढील कविता लगेच 45 मिनीटात पूर्ण करावयाची होती.त्यांच्या या शीघ्र रचनेबद्दल मनःपूर्वक अभिनंदन !
ई – अभिव्यक्तीतर्फे त्यांचे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा.
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे ≈
श्री सुरेश पटवा जी की पुस्तकों “नर्मदा” एवं “पलकगाथा” का लोकार्पण ☆ आयोजन – मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, भोपाल
सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री सुरेश पटवा जी की दो पुस्तकें आध्यात्मिक पर्यटन पर “नर्मदा” और नर्मदा घाटी की एक बस्ती पर रचित उपन्यास “पलकगाथा” मार्च 2020 में छपकर आ गई थीं परंतु कोरोना महामारी से उनका लोकार्पण सम्भव नहीं हो सका था।
मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के तत्वावधान में इन दोनों पुस्तकों का लोकार्पण हिंदी भवन के महादेवी सभागार, भोपाल के साहित्य मनीषियों द्वारा साहित्य रसिकों हेतु दिनांक 23 अक्टूबर 2021 को अपरांह 4:00 बजे किया जा रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष श्री सुखदेव प्रसाद दुबे जी करेंगे।
भोपाल में माधव राव सप्रे राष्ट्रीय समाचार पत्र संग्रहालय जिसमें एक लाख से अधिक पुस्तकों और संदर्भ ग्रंथों के रूप में अक्षय ज्ञान स्त्रोत उपलब्ध हैं, के संस्थापक निदेशक पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर मुख्य अतिथि होंगे।
“नर्मदा” पुस्तक की समीक्षा मध्यप्रदेश लेखक संघ के यशस्वी अध्यक्ष और वरिष्ठतम साहित्यकार ड़ा.राधा वल्लभ आचार्य करेंगे।
“पलक गाथा” की समीक्षा अखिल भारतीय स्तर पर सक्रिय तुलसी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष, मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी पुरस्कृत ड़ा. मोहन तिवारी ‘आनंद’ करेंगे।
इस गरिमामयी साहित्य समागम में आपकी उपस्थिति एवं स्नेह आपको साहित्य की वर्तमान प्रवृत्ति और प्रकृति से तादात्म्य बिठाने हेतु वांछनीय है।
≈ ब्लॉग संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
निर्मला माठपती फाउंडेशन आयोजित पुस्तक स्पर्धा २०२०- २०२१
या स्पर्धेसाठी विविध साहित्य प्रकारातील एकेक पुस्तक निवडण्यात आले. या स्पर्धेत ई-अभिव्यक्तीच्या लेखिका सौ. नीलम माणगावे यांच्या किती सावारावा तोल या कथासंग्रहास प्रथम क्रमांकाचे परितोषिक मिळाले.
ई – अभिव्यक्तीतर्फे त्यांचे अभिनंदन व पुढील वाटचालीसाठी शुभेच्छा.