(सुप्रसिद्ध गांधीवादी चिंतक श्री राकेश कुमार पालीवाल जी वर्तमान में महानिदेशक (आयकर), हैदराबाद के पद पर पदासीन हैं। गांधीवादी चिंतन के अतिरिक्त कई सुदूरवर्ती आदिवासी ग्रामों को आदर्श गांधीग्राम बनाने में आपका महत्वपूर्ण योगदान है। आपने कई पुस्तकें लिखी हैं जिनमें ‘कस्तूरबा और गाँधी की चार्जशीट’ तथा ‘गांधी : जीवन और विचार’ प्रमुख हैं।)
(श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के इस महाभियान में ई- अभिव्यक्ति अपने सामाजिक दायित्व से विमुख नहीं हो सकता। हम आपके ऐसे सभी मानवीय महाभियानों के सहभागी हैं। )
☆ Campaign against Spitting ☆
☆ थूकने और थूक लगाने की बुरी आदत छोड़ो अभियान ☆
थूकने और थूक लगाने की बुरी आदत छोड़ो अभियान :
आपको याद होगा हम कई साल से घर, दफ्तर, बसों, बैंकों, बाजारों आदि में लोगों को समझाने का यह अभियान चला रहे हैं कि कहीं भी थूकने और कागजों और नोटों पर थूक लगाने से कई बीमारियां फैलती हैं।
आजकल कोरोना की महामारी भी थूक से फ़ैल रही है। कृपया इस संदेश को अपने घर, दफ्तर बैंको, बाजारों और जहां तक संभव हो वहां तक फैलाइए और बिना खर्च किए जनसेवा का आनन्द उठाइए।
कहीं भी थूकने की आदत तुरंत छोड़ें।
किताबों और फाइलों के पन्नों को पलटते हुए थूक मत लगाएं।
नोटों को गिनते हुए थूक का प्रयोग मत करें।
जब आप नोटों या कागजों पर थूक लगाते हैं ध्यान रहे उसमें पहले भी किसी का थूक लगा होगा। आप उससे बीमारी ले भी रहे हैं और थूक लगाकर किसी को दे भी रहे हैं।
कृपया यह बुरी आदत खुद भी छोड़ें और आराम से समझाकर दूसरों से भी छुड़वाए।
☆ कृपया कार्यालयों/सार्वजनिक स्थलों के डस्टबिन को पीकदान न बनायें ☆
(आप सब से करबद्ध प्रार्थना है इस महाअभियान पर सबके साथ चलिए और प्रण लीजिये – हम चलेंगे दो कदम)
(मानवता के हित में श्री राकेश कुमार पालीवाल जी एवं डॉ निशा पचौरी जी के फेसबुक से पेज साभार)
☆ आपकी अब तक की रिश्तों / संबंधों पर आधारित सर्वोत्कृष्ट रचनाएँ आमंत्रित ☆
यह कोई प्रतियोगिता नहीं है। हम आपकी मनोभावनाओं को प्रबुद्ध पाठकों तक पहुँचाने के लिए एक एक मंच प्रदान कर रहे हैं।
सम्माननीय लेखक गण / प्रबुद्ध पाठक गण,
ये रिश्ते भी बड़े अजीब होते हैं, जो हमें पृथ्वी के किसी भी कोने में बसे जाने अनजाने लोगों से आपस में अदृश्य सूत्रों से जोड़ देते हैं। अब मेरा और आपका ही रिश्ता ले लीजिये। आप में से कई लोगों से न तो मैं व्यक्तिगत रूप से मिला हूँ और न ही आप मुझसे व्यक्तिगत रूप से मिले हैं किन्तु, स्नेह का एक बंधन है जो हमें बांधे रखता है। आप में से कई मेरे अनुज/अनुजा, अग्रज/अग्रजा, मित्र, परम आदरणीय /आदरणीया, गुरुवर और मातृ पितृ सदृश्य तक बन गए हैं। ये अदृश्य सम्बन्ध मुझमें ऊर्जा का संचार करते हैं। मेरा सदैव प्रयास रहता है और ईश्वर से कामना करता हूँ कि मैं अपने इन सम्बन्धों को आजीवन निभाऊं। और आपसे भी अपेक्षा रखता हूँ कि मेरे प्रति यह स्नेह ऐसा ही बना रहेगा।
मेरा और आपका सम्बन्ध मात्र रचनाओं के आदान प्रदान तक ही सीमित नहीं है, इस सम्बन्ध में हमारी संवेदनाएं भी जुडी हुई हैं। संभवतः संवेदनहीन सम्बन्ध कभी सार्थक नहीं होते।
मैंने ऊपर जिन संबंधों की चर्चा की है उनमें रक्त संबंधों के अतिरिक्त भी ऐसे कई सम्बन्ध हैं जिन पर अति सुन्दर साहित्य रचा गया है। मेरा मानना है कि कोई भी साहित्य जो आज तक रचा गया है उसका आधार कोई सम्बन्ध या रिश्ता न हो ऐसा शायद ही संभव हो । कई सम्बन्ध ऐसे होते हैं जिनके बारे में हम भावनात्मक रूप से लिख देते हैं किन्तु, वे सम्बन्ध परिपेक्ष्य में रहते हैं ।
ई-अभिव्यक्ति साहित्य में सकारात्मक नए प्रयोग करने के लिए कटिबद्ध है। मेरे उपरोक्त विचारों से आप निश्चित रूप से सहमत होंगे। इस पूरी प्रक्रिया में मन में एक विचार आया कि क्यों न आपसे रिश्तों या संबंधों पर आधारित रचनाएँ आमंत्रित की जाएँ और अपने प्रबुद्ध पाठकों से एक नवीन रूप से साझा की जाएँ।
वैसे तो पारिवारिक रिश्तों की एक लम्बी फेहरिश्त है जिनमें प्रपौत्र-प्रपौत्री से लेकर परनाना-परनानी, परदादा-परदादी तक जिनसे हम प्रतिदिन रूबरू होते रहते हैं । वैसे ही सामाजिक संबंधों की भी असीमित लम्बी फेहरिश्त है। कुछ सम्बन्ध और रिश्ते जो इस समय मेरे मस्तिष्क में आ रहे हैं आपसे उदाहरणार्थ साझा करने का प्रयास करता हूँ। इससे परे भी आपके मस्तिष्क में कई सम्बन्धो होंगे जो हम साझा करना चाहेंगे ।
पति पत्नी, प्रेमी प्रेमिका, मित्र, पड़ौसी तो सामान्य हैं ही। आज जब इंसानियत तार तार हो रही है ऐसे में मानवीय सम्बन्ध, हमारा राष्ट्र से सम्बन्ध, प्रकृति एवं पर्यावरण से सम्बन्ध, पालतू एवं अन्य जानवरों से सम्बन्ध, थर्ड जेंडर जो कभी कभार हमसे रूबरू होते हैं उनसे सम्बन्ध, समाज में बमुश्किल स्वीकार्य रिश्ते (लिव-इन रिलेशनशिप, समलैंगिक) और ऐसे बहुत सारे सम्बन्ध और रिश्ते जो आपके विचारों में आ रहे हैं और मेरे विचारों में नहीं आ पा रहे हैं। कहने का तात्पर्य यह कि कोई भी और कैसा भी सम्बन्ध या रिश्ता न छूटने पाये।
तो फिर देर किस बात की कलम / कम्प्यूटर कीबोर्ड पर शुरू हो जाइये और भेज दीजिये किसी भी संबंध / रिश्ते पर आधारित अपनी अब तक की सर्वोत्कृष्ट हिंदी/मराठी /अंग्रेजी भाषा में अधिकतम दो रचनाएँ (कविता /लघुकथा /आलेख / संस्मरण / लघुनाटिका / कलात्मक चित्र / आपके द्वारा खिंचा गया फोटोग्राफ ) अधिकतम 750-1000 शब्दों में निम्न ईमेल आई डी पर
समय सीमा – जितनी जल्दी हम आपके कार्य को सर्वोत्कृष्ट आकार दे सकें।
आयु सीमा – मनोभावनाओं की कोई आयु सीमा नहीं होती।
आपकी अनुमति / रचनाओं की मौलिकता – ई-अभिव्यक्ति को किसी भी रूप में प्रकाशित करने की स्वतंत्रता की आपकी अनुमति के साथ रचना पर कॉपीराइट आपका। रचनाएँ / कलाकृतियां मौलिक एवं आपकी स्वरचित /स्वयं की होनी चाहिए।
हाँ रचना प्रेषित करते समय ई-अभिव्यक्ति के मूलमंत्र जो डॉ राजकुमार “सुमित्र” जी के आशीर्वचन में व्याप्त है का अवश्य ध्यान रखें।
सन्दर्भ : अभिव्यक्ति
संकेतों के सेतु पर, साधे काम तुरन्त ।
दीर्घवायी हो जयी हो, कर्मठ प्रिय हेमन्त ।।
काम तुम्हारा कठिन है, बहुत कठिन अभिव्यक्ति।
बंद तिजोरी सा यहाँ, दिखता है हर व्यक्ति ।।
मनोवृत्ति हो निर्मला, प्रकट निर्मल भाव।
यदि शब्दों का असंयम, हो विपरीत प्रभाव।।
सजग नागरिक की तरह, जाहिर हो अभिव्यक्ति।
सर्वोपरि है देशहित, बड़ा न कोई व्यक्ति ।।
– डॉ राजकुमार “सुमित्र”
हमारे आमंत्रण पर रिश्तों से सम्बंधित अतिसुन्दर संवेदनशील रचनाएँ हमारे पास आई हैं और सतत आ रही हैं, जिनका संकलन का कार्य भी चल रहा है। उन रचनाओं को अतिसुन्दर स्वरुप में प्रस्तुत करने का प्रयास जारी है।
हाँ, अपने मित्र लेखकों / प्रबुद्ध पाठकों से इस जानकारी को अवश्य साझा कर इस अनुष्ठान में सहयोग करें।
आपकी अब तक की सर्वोत्कृष्ट रचनाओं की प्रतीक्षा में।
☆ कनिष्ठ महाविद्यालयीन मराठी विषयाच्या शिक्षकांसाठी राज्यस्तरीय लॉकडाउन कथा स्पर्धा 2020 ☆
चला उचला पेन लिहा सुंदर कथा
महाराष्ट्र राज्यातील कनिष्ठ महाविद्यालयातील मराठी विषयाच्या माझ्या सर्व शिक्षक मित्र-मैत्रिणी व बंधु-भगिनींनो आपल्या देशावर ‘कोरोना’ चे प्रचंड मोठे संकट आले आहे. अशावेळी मा.पंतप्रधान, मा.मुख्यमंत्री, मा.शिक्षणमंत्री, मा.आरोग्यमंत्री यांनी आपल्या सर्वांना स्वतःची काळजी घेण्यासाठी घरातून बाहेर न पडण्याची कळकळीची विनंती केली आहे. आपण त्या आवाहानाचे पालन करण्यासाठी, देशहितासाठी हातभार लावू या.
साधारण एक महिन्याचा हा कालखंड आपल्या सर्वांची परीक्षा बघणारा असला तरी वाचन,लेखन करणारांना ही संधी आहे. आपला हा वेळ सत्कारणी लागावा तसेच आपला लेखनाचा छंद जोपासता यावा यासाठी आमच्या ग्रंथालयाच्यावतीने ही स्पर्धा आयोजित केली आहे.
सहभागासाठी हे लक्षात घ्या…..
या स्पर्धेसाठी कोणतेही शुल्क नाही.
स्पर्धा फक्त कनिष्ठ महाविद्यालयातील मराठी विषय शिकवणाऱ्या शिक्षकांसाठी आहे.
कथा मराठी भाषेत असावी. पूर्वप्रकाशित असू नये.
कथा शब्दमर्यादा १५०० इतकी असावी.
कथा स्वतःची आहे याचे स्वतःच्या सहीचे प्रमाणपत्र जोडावे.
सोबत आपण कार्यरत असलेल्या कनिष्ठ महाविद्यालयाचे ओळखपत्र झेरॉक्स जोडावी.
आपले सध्याचे दोन आयडेंटिटी फोटो पाठवावे.
कथा कोणत्याही विषयावर असावी परंतु बीभत्स, अश्लील लेखन नसावे.
कथा कागदाच्या एकाच बाजूला स्वच्छ सुंदर अक्षरात लिहिलेली अथवा टाईप केलेली असावी. ईमेल पाठवू नये.पोस्टाने पाठवावी.
परिक्षकांनी नाकारलेल्या कथा संदर्भात कोणीही संपर्क साधू नये.
निवड झालेल्या कथा लेखकांना फोन अथवा पत्राद्वारे कळविले जाईल.
आपली कथा खालील पत्त्यावर दि.२५ एप्रिल ते १० मे २०२० पर्यंत पाठवावी. त्यानंतर आलेल्या कथांचा विचार केला जाणार नाही.
पहिल्या पाच कथांना ग्रंथ, सुंदर स्मृतीचिन्ह व रोख रक्कम देऊन गौरविण्यात येईल.
कथा पाठवताना त्याची मूळ प्रत पाठवून झेरॉक्स आपल्याकडे ठेवावी.
कथा स्वतःच्या जबाबदारीवर पाठवावी गहाळ झाल्यास आम्ही जबाबदार नाही.
कथा पोहचली की नाही यासाठी खालील फोनवर फोन करावा.
परीक्षकांचा निर्णय अंतिम राहिल.सगळ्याच कथा चांगल्या असतात. वादविवाद टाळा.
पहिले बक्षीस-स्मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र व रु.२०००/
दुसरे बक्षीस- स्मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र व रु १५००/
सरे बक्षीस- स्मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र व रु.१०००/
चौथे व पाचवे बक्षीस – स्मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र व रु.५००/प्रत्येकी.
इतर निवडक पंचवीस कथांना स्मृतिचिन्ह, प्रमाणपत्र देऊन गौरविण्यात येईल.
भविष्यात निवडक तीस कथांचा कथासंग्रह प्रकाशित करण्याचा मनोदय आहे.
बक्षीस समारंभास येण्यासाठी अथवा जाण्यासाठी कोणताही खर्च दिला जाणार नाही.
आपला नम्र
प्रा.दादाराम साळुंखे
अध्यक्ष- महाराष्ट्र राज्य कनिष्ठ महाविद्यालयीन मराठी विषय संघटना, शाखा सातारा.
कथा या पत्त्यावर पाठवावी.
समाजभूषण बाबूराव गोखले सार्वजनिक ग्रंथालय विद्यानगर सैदापूर ता.कराड जि.सातारा. पिन-४१५१२४
☆राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा – मानवता के हित में सकारात्मक सन्देश ☆
(ई- अभिव्यक्ति सम्पूर्ण विश्व में विश्वयुद्ध से भी भयावह इस दौर में ईश्वर से मानवीय संवेदनाओं एवं मानवता की रक्षा की कामना करता है। बस पहल आपको करनी है। )
☆यह साहस और रौशनी दिखाने का समय है ☆
लेखक का काम रोशनी दिखाना होता है न कि डर बढ़ाना या निराशा फैलाना। यह दहशत फैलाने का समय नहीं है बल्कि, साहस, संयम और धैर्य के साथ मजबूती से खड़े होकर एहतियात बरतने का समय है।
ऐसे समय में लेखन और पत्रकारिता की जिम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है।
कोरोना से बचाव के पांच सुझाव :
(यह एक बायालोजिस्ट के नाते दे रहा हूं)
सोशल डिस्टेंसिंग तो सबसे कारगर उपाय है ही, इसके साथ निम्न उपाय भी बहुत महत्वपूर्ण हैं ….
डर, क्रोध, नकारात्मक सोच और स्ट्रैस हमारे शरीर की इम्यूनिटी कमजोर करते हैं और सकारात्मकता एवं हल्का फुल्का हास्य एवम मन पसन्द काम (पढ़ना, लिखना, बागवानी आदि) हमारी इम्यूनिटी बढ़ाते हैं और स्वस्थ एवं सुरक्षित रखते हैं।
थोड़ी देर धूप में रहना, कपड़ों को धूप देना बहुत लाभकारी है
स्वास्थ्यवर्धक ताजा पका सात्विक भोजन बीमारी को दूर रखता है।
अच्छी नींद और दोपहर भोजन के बाद आराम जरूर कीजिए
कुछ दिन के लिए कोरोना के डरावने टी वी समाचारों, व्हाटसएप मेसेज और नकारात्मक फेसबुक पोस्ट से दूर रहें।
यह पांच सूत्रीय फार्मूला लाक डाउन में स्वस्थ और प्रसन्न रहने का आजमाया हुआ नुस्खा है। इसमें आयुर्वेद एवम बायलॉजी का ज्ञान और ख़ाकसार का अनुभव शामिल है
इसका कोई कापी राइट नहीं है। जो चाहे कापी पेस्ट कर सकता है।
– डॉ आरके पालीवाल
☆अभावों व कठिनाईयों का दृढ़ इच्छाशक्ति से सामना करना होगा ☆
मैं हिन्दी साहित्य संगम, विसुधा सेवा समिति एवं पाथेय संस्था की ओर से आप सभी को कोविड-19 अर्थात कोरोना वायरस बीमारी-2019 के संदर्भ में अवगत कराना चाहता हूँ कि इस विश्वव्यापी महामारी के प्रकोपकाल में जब इस बीमारी का निरोधक टीका अभी तक नहीं बना है, न ही इसका समुचित इलाज सुगम हुआ है, तब इन विषम परिस्थितियों में इससे बचाव के दृष्टिगत हमारा सबसे सामाजिक दूरी बनाए रखना ही श्रेष्ठ एवं सुरक्षित उपाय है। हमें थोड़े या बड़े अभावों व कठिनाईयों का दृढ़ इच्छाशक्ति से सामना करना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं शासन-प्रशासन के निर्देशों का पालन करना हमारा नैतिक दायित्व है। हमारे सहयोगी रवैये के चलते निश्चित रूप से हम कोरोना वायरस की बीमारी पर नियंत्रण पा सकेंगे। उम्मीद है, हम स्वस्फूर्त भाव से इन बातों पर अमल करेंगे।
सबके स्वस्थ रहने की कामना सहित।
– डॉ विजय तिवारी ‘किसलय‘, जबलपुर
☆राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा ☆
मानव सभ्यता के इतिहास में आज वक़्त के इस पड़ाव पर हम ‘विजय’ और ‘पराजय’ के बीच मे खड़े हैं. हमारी थोड़ी सी कोताही ‘दुर्भाग्य’ में बदल सकती है. इतने विशाल राष्ट्र को ‘लॉक-डाउन’ करना प्रधानमंत्री जी का बहुत बड़ा निर्णय है. प्रधानमंत्री जी ने हाथ जोड़कर निवेदन किया है, इसे मान लेना ही देशहित में है. यह सच है कि राष्ट्रीय धैर्य की परीक्षा की इस कठिन घड़ी में वक़्त एक तरह से ठहर सा गया है. इस विकसित सभ्यता के इतिहास में इसके पहले आदमी इस कदर लाचार कब हुआ था, पता नहीं. शायद प्रकृति आज हम इंसानों की परीक्षा ले रही है और कह रही है कि- “सुनो, मेरे ख़िलाफ़ हर साजिश का हिसाब, हर इंसान को करना होगा.”
ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में जब दुनिया एक ‘ग्लोबल विलेज’ बन गयी है, इसमें हम सबके सुख ही नहीं बल्कि हम सबके दुःख भी एक हो गए हैं. बेशक हम सबके लिए ये दिन कठिन परीक्षा के दिन हैं. वैश्विक संकट संसार की सभ्यताओं के परीक्षण का एक प्रयोजन भी होता है. मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत और हम भारत के लोग इस आपदा पर ऐतिहासिक जीत हासिल करेंगें. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आज जो कहा है वह सब उन्होंने देश और दुनिया के Epidemiologists, Virologists, Scientists के द्वारा सुझाए गए सुझावों के आधार पर कहा है. इसलिए हमें उनके दिशा-निर्देशों को बस मानते जाना है.
यह संघर्ष प्रकृति की दो सफ़ल species का संघर्ष है और हम सर्वाधिक सफ़ल species थे और रहेंगे. अकाल और महामारी इस देश की सामूहिक-स्मृति के लिए कोई नई बात नहीं है, हालाँकि यह जरूर है कि इस बार चुनौती बहुत बड़ी है. हमने ‘Small pox’ जैसे जानलेवा वायरस को हराया है जिसमें भारत ने अग्रणी भूमिका निभाई थी. ‘पोलियो’ और ‘प्लेग’ को हराया है, ‘स्वाइन फ्लू’ को भी नियंत्रित किया है. हमारी यह पावन भारत भूमि युद्धों से भले ही परेशान रही हो, मानवीय उत्पातों ने भले ही इसे रक्त रंजित किया हो, लेकिन प्रकृति की सर्वाधिक चहेती भूमि भी यही रही है, जहाँ समुद्र है तो रेगिस्तान भी है, जहाँ जंगल हैं तो हिमाच्छादित विशाल पर्वत भी हैं. तभी हर रंग, रूप, संस्कृति और भौगोलिक क्षेत्र के करोड़ों लोग हज़ारों वर्षों से यहाँ रहकर इसे सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व का देश बनाते हैं. भारत की गौरवशाली संस्कृति में रचे-बसे हम लोग अपने भोजन में कुछ ऐसी औषधियों का उपयोग करते आए हैं, जो हमारी इम्युनिटी को बढ़ाती हैं. हम लोग हज़ारों सालों से हाथ मिलाने के बजाय ‘नमस्ते’ कर रहे हैं, पशुओं की पूजा कर रहे हैं, शाकाहारी भोजन कर रहे हैं और घर में प्रवेश करने के बाद नियमित हाथ-पैर धोते हैं. भारत की रक्षा हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कर रही है और इसका मूल हमारी जीवन-शैली में है और यह वही जीवन-शैली है, जिसे अस्वच्छ मानकर पश्चिम एक लम्बे अर्से से हमारा उपहास उड़ाता रहा है. हम भोजन में भरपूर हल्दी लेने वाले लोग हैं इसलिए हम इतनी जल्दी बीमार नहीं पड़ते. हम भारत के लोग अक्सर बिना किसी ग्लानि और लज्जा के कहते हैं कि यह देश तो भगवान भरोसे चल रहा है- “जेहि विधि राखे राम…”. इस भाव के पीछे हमारा आशय यह होता है कि प्रकृति की स्वयं की जो चैतन्य-मेधा है, भारत की गति-मति उसके अनुरूप है. इस सच से मुँह नहीं मोड़ा जा सकता कि भोजन और भजन का जीवन में बड़ा महात्म्य है. जो तामसी और विषाक्त भोजन नहीं करेगा, आहार में औषध के तत्वों का सम्यक निर्वाह करेगा और जीवन के उपादानों, देवताओं और मातृभूमि के प्रति परम्परा से ही धन्यभाव रखेगा, वह प्राकृत-चेतना के प्रकोप का भाजन नहीं बनेगा. और फिर अगर सर्वनाश में सच्चरित्र का भी अवसान होना ही विधि के विधान में लिखा है तो कम से कम वह अपने साथ प्रारब्ध की गठरी लेकर नहीं जाएगा. मुझे भरोसा है कि हम इस वैश्विक त्रासदी पर जल्द ही विजय प्राप्त करेंगें. इस आश्वस्ति के मूल में परम्परा से संचित कर्म और संस्कार का चिंतन समाया हुआ है.
“जो जहाँ हैं वहीं ठहर जाइए,
वक़्त माकूल नहीं है सफर के लिए.”
– डॉ राजेश पाठक ‘प्रवीण ‘, सनाढ्य संगम, जबलपुर
☆जान है तो जहां है ☆
चीन मध्ये निर्माण झालेल्या कोरोना नावाच्या विषाणू ची सगळ्या जगात दहशत निर्माण झाली आहे. या विषाणू ची बाधा म्हणजे “महामारी” असे दृश्य दिसतेय, पूर्वी “करोना” नावाची एक शूज कंपनी होती, या कंपनीची चप्पल वापरल्याचेही मला स्मरते आहे..आज एक मजेशीर विचार मनात आला, हा “क्राऊन” च्या आकाराचा विषाणू विधात्या च्या पायताणाखाली चिरडला जावा.हीच प्रार्थना!
या आपत्तीमुळे संपूर्ण मानवजात हादरली आहे.योग्य काळजी तर आपण घेतच आहोत, घरात रहातोय, घरातली सर्व कामं स्वतः करतोय, कौटुंबिक सलोखा राखतोय, प्रत्येकाला ही जाणीव आहेच, “जान है तो जहां है।”
(मानवता के हित में श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से पेज साभार)
श्री राकेश कुमार पालीवाल
☆ जनता कर्फ्यू : एक वैज्ञानिक और नायाब कदम : हम चलेंगे दो कदम ☆
(ई- अभिव्यक्ति सम्पूर्ण विश्व में विश्वयुद्ध से भी भयावह इस दौर में ईश्वर से मानवीय संवेदनाओं एवं मानवता की रक्षा की कामना करता है। बस पहल आपको करनी है। )
प्रधान मंत्री जी ने टी वी पर आने से पहले अपनी टीम से काफी विचार विमर्श किया होगा। उसी के बाद उन्होंने रविवार की छुट्टी के दिन जनता कर्फ्यू का नायाब तरीका चुना है।
इसे आप वैज्ञानिक दृष्टि से देखिए। रविवार की छुट्टी के दिन 14 घंटे का बन्द वायरस के फैलने की चेन की काफी हद तक कमर तोड़ सकता है और हम इटली और स्पेन बनने से बच सकते हैं जिन्होंने रविवार की छुट्टी में सार्वजनिक स्थलों पर मटर गस्ती करके इसे पूरे देश में फैला दिया था।
इसका दूसरा लाभ यह मिलेगा कि हम एक देश के रूप में किसी भी आपदा का सामना करने के लिए तैयार दिखेंगे और जरूरत पड़ी तो ऐसे कर्फ्यू कुछ और दिन ज्यादा देर के लिए लागू कर कोरोना को पूरी तरह अलविदा कह देंगे।
जनता कर्फ्यू से कोई नुकसान नहीं है। फिर भी यदि सिर्फ आलोचना के लिए आलोचना करना ही यदि हमारा धर्म है तो हमारी नकारात्मकता को कोई कम नहीं कर सकता।
हमने तो एक कदम आगे बढ़कर शनिवार की छुट्टी को भी जनता कर्फ्यू में शामिल कर दो दिन घर में रहने का मन बना लिया है। अपने आफिस के सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से भी यही अपील की है कि जब तक बहुत जरूरी नहीं हो घर से बाहर नहीं निकलें।
जैसे बूंद बूंद से समुद्र बनता है वैसे ही एक एक व्यक्ति के घर में रुकने से सड़क, बाज़ार और शहर की भीड़ कम होगी। आज यही हमारे और देश के हित में है।
आमीन।
(मानवता के हित में श्री राकेश कुमार पालीवाल जी के फेसबुक से पेज साभार)
(आप सब से करबद्ध प्रार्थना है इस वैज्ञानिक और नायाब कदम पर सबके साथ चलिए और प्रण लीजिये – हम चलेंगे दो कदम)
☆ विश्ववाणी हिंदी संस्थान एवं लघुकथा शोध केंद्र जबलपुर का संयुक्त आयोजन ☆
आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
जबलपुर संभाग आरंभ से लघुकथा का गढ़ रहा है। कुँवर प्रेमिल और मैंने बहुत सी सामग्री उपलब्ध करा दी है। दिवंगत लघुकथाकारों और जिनके संकलन नहीं हैं, ऐसे लघुकथाकारों की लघुकथाएँ तुरंत संरक्षित की जाना आवश्यक है। मैं “जबलपुर में लघुकथा” शीर्षक से संकलन तैयार कर रहा हूँ। सभी से अनुरोध है कि अपने परिचित लघुकथाकारों के नाम, पते, चलभाष क्रमांक, चित्र व लघुकथाएँ मुझे वाट्सएप क्रमांक ९४२५१८३२४४ या ईमेल [email protected] पर अविलंब भेजें। पूर्व प्रकाशित लघुकथाओं के साथ पत्रिका का नाम, वर्ष, माह तथा संपादक का संपर्क भेजें। सभी सहयोगियों का नामोल्लेख संकलन में किया जाएगा।
अन्य स्थानों से लघुकथाएँ और जानकारी भेजें। ऐसे संग्रह हर स्थान के लिए तैयार किये जा रहे हैं।
आमंत्रण
लघुकथाकार अपना परिचय (नाम, जन्म तिथि, माता-पिता-जीवनसाथी, शिक्षा, प्रकाशित एकल पुस्तकें, स्थायी पता, दूरभाष/चलभाष, ईमेल आदि) तथा ५ मौलिक लघुकथाएँ, मौलिकता प्रमाणपत्र सहित [email protected] पर ईमेल करें।
जिलेवार/विषयवार लघुकथाकारों की जानकारी सूचीबद्ध की जाना है। अन्य दिवंगत तथा समकालिक लघुकथाकारों की जानकारी एकत्र कर भेजें।
☆ लघुकथा शोध केंद्र, भोपाल एवं विश्व वाणी हिंदी संस्थान, जबलपुर द्वारा लघु कथा गोष्ठी आयोजित☆
जबलपुर, १४-३-२०१६। विश्व वाणी हिंदी संस्थान अभियान के ४०१ विजय अपार्टमेंट जबलपुर स्थित मुख्यालय में ख्यात छंद शास्त्री आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी की अध्यक्षता में देश की जानी-मानी लघुकथाकार आदरणीया सुश्री कांता राय जी के मुख्य आतिथ्य में लघु कथा गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कांता जी ने लघुकथा शोध केंद्र भोपाल के गठन व् गतिविधियों की जानकारी दी। लघुकथा विधा को आगे ले जाने के लिए लगातार लघुकथा गोष्ठियों की आवश्यकता पर बल दिया । कम शब्दों में अपनी बात कह सकने की क्षमता रखने वाली लघुकथा आज के जीवन में एक बहुत सार्थक विधा के रूप में साहित्य के एक विशेष अंग के रूप में उभरकर कर हमारे सामने है। कांता जी ने जबलपुर में लघुकथा शोध संस्थान भोपाल की ईकाई स्थापित करने की घोषणा करते हुए आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ को संरक्षक, पवन जैन-मधु जैन को संयोजक तथा विश्ववाणी हिंदी संस्थान – अभियान को सहयोगी संस्था घोषित किया।
सलिल जी ने विश्ववाणी हिंदी संस्थान जबलपुर के उद्देश्यों और कार्यक्रमों से अवगत कराया तथा कुछ लघुकथा में संक्षिप्तता, सारगर्भितता, व्यंजनात्मता, मार्मिकता आदि को आवश्यक बताते हुए उदाहरण प्रस्तुत किये। लघुकथा के उद्भव, विधान, विकास यात्रा, मध्य प्रदेश और जबलपुर के अवदान आदि पर विस्तृत चर्चा हुई।
सर्व आदरणीय सुरेश कुशवाहा तन्मय, मीना भट्ट, पुरुषोत्तम भट्ट, डॉ. कामना श्रीवास्तव, पवन जैन, मधु जैन, प्रभात दुबे, अर्चना राय, श्री राय, छाया सक्सेना, छाया त्रिवेदी, विनीता श्रीवास्तव, डॉ. भावना दीक्षित, मिथिलेश बड़गैंया, डॉ. राजलक्ष्मी शिवहरे, सुरेंद्र सिंह पवार, रमाशंकर खरे आदि ने विमर्श में सार्थक सहभागिता की। सभी उपस्थित लघुकथाकारों की लघुकथाओं पर वाचन पश्चात चर्चा की गयी।
☆ पाथेय की आयोजना – अलंकरण सम्मान / कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा ‘ तारिका ‘ की काव्य कृति “सत्व” विमोचित ☆
पाथेय संस्था द्वारा गुरुवार 12 मार्च 2020 को अलंकरण एवं कृति विमोचन अवसर पर “वर्तिका साहित्यिक संस्था” जबलपुर को सम्मानित किया।
मुख्य अतिथि – महामहोपाध्याय डॉ हरिशंकर दुबे, अध्यक्ष – डॉ राजकुमार सुमित्र, वरिष्ठ पत्रकार, विशष्ट अतिथि – श्री बसंत शर्मा, सीनियर डी सी एम, रेलवे, श्रीमती गीता शरत तिवारी, वरिष्ठ समाजसेवी, श्रीमती पलक तिवारी गायकवाड़ आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
इस अवसर पर डॉ हरिशंकर दुबे जी को जीवनश्री अलंकरण सम्मान से अलंकृत किया गया। कलासाधिका शिक्षाविद मीनाक्षी शर्मा “तारिका” की काव्य कृति “सत्व” का विमोचन संपन्न हुआ।
श्री विजय नेमा अनुज, विवेक रंजन श्रीवास्तव, विजय तिवारी ,राजेश पाठक प्रवीण,सुशील श्रीवास्तव, राजेन्द्र मिश्र,मनोज शुक्ल, इन्द्रबहादुर श्रीवास्तव, दीपक तिवारी, सन्तोष नेमा, गणेश श्रीवास्तव , श्रीमती सलमा जमाल, प्रभा विश्वकर्मा, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, रत्ना ओझा आदि संस्था के सभी सदस्य इस अवसर पर मंच पर उपस्थित रहे।
पाथेय संस्था को संस्था के संयोजक विजय नेमा अनुज ने ऐसे प्रशंसनीय कार्य के लिये साधुवाद एवं बधाई दी।
प्रस्तुति – श्री विजय नेमा ‘अनुज’
ई-अभिव्यक्ति द्वारा पाथेय एवं वर्तिका को हार्दिक बधाई।
☆ अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर ‘पाथेय’ एवं ‘वर्तिका’ महिला प्रकोष्ठ का संयुक्त आयोजन सम्पन्न ☆
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाथेय संस्था एवं वर्तिका महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में महिला काव्य गोष्ठी का आयोजन कला वीथिका में किया गया। काव्य गोष्ठी में 30 से अधिक महिला रचनाकारों ने नारी उत्थान से संदर्भित मनभावन कविताओं को प्रस्तुत कर समाज को जागरण का संदेश यह आयोजन पाथेय संस्था द्वारा नगर के 8 युवा कलाकारों की चित्रकला प्रदर्शनी के समापन किया गया। इस अवसर पर प्रदर्शनी के निर्देशक कलाकार प्रमोद कुशवाहा के साथ 8 युवा कलाकारों को सम्मानित किया गया।
यह सम्मान वर्तिका एवं पाथेय से विजय नेमा अनुज, राजेश पाठक ‘प्रवीण’, दीपक तिवारी, छाया त्रिवेदी, मीना भट्ट, निर्मला तिवारी, अर्चना मलैया, राजलक्ष्मी शिवहरे ने प्रदान किया। इस अवसर पर रचनाकारों एवं अतिथियों के साथ विशिष्टजनों को भी भव्य पेंटिंग प्रदान करके सम्मानित किया गया। लगभग 50 से अधिक पेंटिंग्स प्रदान की गईं।
ई-अभिव्यक्ति द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर पाथेय एवं वर्तिका को इस आयोजन के लिए हार्दिक बधाई।