आपल्या समुहातील कथाकार लेखक श्री दीपक तांबोळी यांचे आतापर्यंत अनेक कथासंग्रह प्रकाशित झालेले असून सर्वच कथासंग्रहांना अनेक राज्यस्तरीय पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत.
अलिकडेच त्यांचा ‘वाटणी’ हा कथासंग्रह प्रकाशित झाला आहे.या कथासंग्रहालाही सात पुरस्कार प्राप्त झाले आहेत.
श्री.दीपक तांबोळी यांच्या या यशस्वी कारकिर्दीबद्दल ई-अभिव्यक्ती मराठी तर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा !
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ लघुकथा लेखन सर्टिफिकेट से सम्मानित – अभिनंदन ☆
भोपाल, 20 जून, 2024: ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ को रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, मानविकी एवं उदार कला संकाय, प्रवासी भारतीय साहित्य एवं संस्कृति शोध केंद्र द्वारा आयोजित लघुकथा लेखन कौशल, सर्टिफिकेट कोर्स त्रैमासिक पाठ्यक्रम (01.11.2023-30.01.2024) पूर्ण करने के उपरांत यह लघुकथा लेखन सर्टिफिकेट प्रदान किया गया।
यह सर्टिफिकेट उन्हें भोपाल में आयोजित केरबींद्रनाथ टैगोर दीक्षांत समारोह में प्रदान किया गया। श्री क्षत्रिय ने वर्ष 2024 की परीक्षा 91% अंकों के साथ उत्तीर्ण की थी। दीक्षांत समारोह का आयोजन रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की कथा भवन में किया गया था। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुल उपकुलपति डॉक्टर संगीता जौहरी, मानविकी की सभापति रुचि मिश्रा तिवारी, कोर्स के प्रवक्ता डॉक्टर अशोक भाटिया, कोर्स की कोऑर्डिनेटर कांता राय, आई सेक्ट प्रभारी सहित पूरी टीम उपस्थित थी। समारोह में भारत भर से पधारे हुए विद्यार्थी भी शामिल हुए।
यह उल्लेखनीय है कि रबींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भारत का एकमात्र विश्वविद्यालय है जिसने लघुकथा लेखन में सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किया है। ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के बारे में:
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ एक हिंदी लेखक, बाल साहित्यकार और उपन्यासकार हैं। वे रतनगढ़, नीमच, मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी रचनाओं के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं, जिनमें बाल साहित्यकार मास्टर श्री गेंदालाल जायसवाल बाल साहित्यकार सम्मान 2024, नेपाल-भारत साहित्य सेतु सम्मान-2018, नेपाल-भारत अंतरराष्ट्रीय रत्न सम्मान-2018 (बीरगंज नेपाल) और विशिष्ट प्रतिभा सम्मान 2019 शामिल हैं।
यह सम्मान ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और उनके साहित्यिक क्षेत्र में किए गए योगदान को दर्शाता है।
ई- अभिव्यक्ति परिवार की ओर से श्री ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ जी को इस विशिष्ट उप्लब्धि के लिए हार्दिक बधाई
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील कवयित्री सौ जयश्री पाटील यांच्या बालजगत’ या कवितासंग्रहाने, अ.भा.शब्दमंथन साहित्य समुह, स्वदेशी भारत सन्मान पुरस्कार, प्रज्ञा बहुउद्देशीय संस्था पुरस्कार, तितिक्षा इंटरनॅशनल आणि अमरेंद्र भास्कर बालकुमार साहित्य संस्था पुणे यांचा पुरस्कार असे पाच पुरस्कार प्राप्त केले आहेत.सौ. जयश्री पाटील यांच्या या यशाबद्दल त्यांचे ई-अभिव्यक्ती समुहाकडून मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील लेखनासाठी शुभेच्छा.!
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
महाराष्ट्र शासनाचा उपक्रम व सांगली मिरज कुपवाड महानगरपालिका यांच्या संयुक्त विद्यमाने आणि लोकमान्य टिळक स्मारक मंदिर सांगली यांनी आयोजित केलेल्या निबंध स्पर्धेत, आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सौ.पुष्पा प्रभुदेसाई यांना प्रथम पुरस्कार मिळाला आहे. निबंधाचा विषय होता “नदीचे प्रदूषण थांबविण्यासाठी वैयक्तिक व सामाजिक जबाबदारी”.
समुहातर्फे त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि शुभेच्छा !💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
– सद्मार्ग मिशन, खड़की, पुणे द्वारा रामोत्सव आयोजित – ☆ साभार – श्री संजय भारद्वाज –
अनन्य होकर भी राम सहज हैं, अतुल्य होकर भी राम सरल हैं, अद्वितीय होकर भी राम हरेक को उपलब्ध हैं। डाकू रत्नाकर ने ‘मरा-मरा’ जपना शुरू किया और राम-राम तक आ पहुँचा। व्यक्ति जब सत्य भाव और करुण स्वर से ‘मरा-मरा’ जपने लगे तो उसके भीतर करुणासागर राम आलोकित होने लगते हैं।
राम का शाब्दिक अर्थ हृदय में रमण करने वाला है। राम का विस्तार शब्दातीत है। यह विस्तार लोक के कण-कण तक पहुँचता है और राम अलौकिक हो उठते हैं। कहा गया है, ‘रमते कणे कणे, इति राम:’.. जो कण-कण में रमते हों, वही श्रीराम हैं।
ये विचार ज्ञानमार्ग के पथिक, तत्वश्री संजय भारद्वाज के हैं। खडकी स्थित श्रीराम मंदिर में सद्मार्ग मिशन ने ‘रामोत्सव’ का आयोजन किया था। वे उत्सव में श्रीराम के जीवन के विभिन्न आयामों पर प्रबोधन कर रहे थे।
इस अवसर पर श्रीराम स्तुति, श्रीरामरक्षास्तोत्रम् एवं हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ हुआ। श्रीमती मधु शर्मा ने भजन प्रस्तुत किए। श्री आशु गुप्ता ने साज-संगत की। श्री सुरेन्द्र बढ़े और अनिरुद्ध स्वामी सत्संग मंडल ने विशेष सहयोग किया।
इस उत्सव को सफल बनाने के लिए श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नरेंद्र बागनाईक, सदस्य स्नेहल पृथ्वीराज, पं. हरीश पांडेय, कृतिका भारद्वाज ने विशेष परिश्रम किया।
रामोत्सव को व्यापक जनसमर्थन मिला। अनेक क्षेत्रों के गणमान्य उत्सव में उपस्थित थे।
साभार – श्री संजय भारद्वाज
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
– विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर – अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ –
विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान जबलपुर द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी अखिल भारतीय दिव्य नर्मदा अलंकरण २०२३-२४ हेतु प्रविष्टियाँ आमंत्रित की जा रही हैं। वर्ष २०२३-२४ में अलंकरणों हेतु निम्नानुसार प्रविष्टियाँ (पुस्तक की २ प्रतियाँ, पुस्तक तथा लेखक संबंधी संक्षिप्त विवरण प्रथक कागज पर तथा सहभागिता निधि ३०० रु., संयोजक आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’, सभापति, विश्ववाणी हिंदी संस्थान अभियान, ४०१, विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१, वाट्सऐप ९४२५१८३२४४ पते पर आमंत्रित हैं।
प्रविष्टि प्राप्ति हेतु अंतिम तिथि ३० जून २०२४ है।
संस्था के निर्णायक मण्डल का निर्णय स्वीकार्य होने पर ही प्रविष्टि भेजें। सहभागिता निधि वाट्सऐप ९४२५१८३२४४ पर भेज कर स्नैपशॉट भेजिए। प्रविष्टि हेतु पुस्तक के साथ लेखक का सूक्ष्म परिचय तथा पुस्तक संबंधी जानकारी अलग कागज पर भेजें तथा संस्थान द्वारा घोषित निर्णय मान्य होने की सहमति भी अंकित करें।
०२. परम ज्योति देवी हिन्दी रत्न अलंकरण, ११,००१ रु.समग्र अवदान, गद्य। सौजन्य : इं. ॐ प्रकाश यति,नोएडा।
०३. शकुंतला अग्रवाल नवांकुर अलंकरण,५५०१ रु. प्रथम कृति (वर्ष २०२२ से २०२४)। सौजन्य : श्री अमरनाथ अग्रवाल जी, लखनऊ।
०४. राजधर जैन ‘मानस हंस’ अलंकरण, ५००१ रु., समीक्षा, मीमांसा । सौजन्य : डाॅ. अनिल जैन जी, दमोह।
०५. जवाहर लाल चौरसिया ‘तरुण’ हिंदी भूषण अलंकरण,५१०० रु., निबंध / संस्मरण / यात्रावृत्त। सौजन्य : सुश्री अस्मिता शैली जी, जबलपुर।
०६. धीरेन्द्र खरे स्मृति हिंदी भूषण अलंकरण, ५१०० रु., उपन्यास। सौजन्य : श्रीमती वसुधा वर्मा, श्री रचित खरे, श्री विभोर खरे।
०७. कमला शर्मा स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., हिंदी गजल (मुक्तिका, गीतिका, तेवरी, सजल, पूर्णिका आदि)। सौजन्य : श्री बसंत कुमार शर्मा जी, बिलासपुर।
०८. सिद्धार्थ भट्ट स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., कहानी/लघु कथा (लघुकथा, बोध कथा, बाल कथा, दृष्टांत कथा आदि)। सौजन्य : श्रीमती मीना भट्ट जी, जबलपुर।
०९. डाॅ. शिवकुमार मिश्र स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., छंद (भारतीय/अभारतीय)। सौजन्य : डाॅ. अनिल वाजपेयी जी, जबलपुर।
१०. सुरेन्द्रनाथ सक्सेना स्मृति हिन्दी गौरव अलंकरण, २१०० रु., गीत, नवगीत । सौजन्य : श्रीमती मनीषा सहाय जी, जबलपुर।
११. डॉ. अरविन्द गुरु स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु., कविता। सौजन्य : डॉ. मंजरी गुरु जी, रायगढ़।
१२. विजय कृष्ण शुक्ल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु., व्यंग्य लेख। सौजन्य : डॉ. संतोष शुक्ला।
१३. शिवप्यारी देवी-बेनीप्रसाद स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु.। बाल साहित्य (गद्य,पद्य), सौजन्य : डॉ. मुकुल तिवारी, जबलपुर।
१४. डॉ. सोम भूषण लाल स्मृति हिंदी गौरव अलंकरण, २१०० रु.।
१५. सत्याशा साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., बुंदेली साहित्य। सौजन्य : डा. साधना वर्मा जी, जबलपुर।
१६. रायबहादुर माताप्रसाद सिन्हा साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., राष्ट्रीय देशभक्ति साहित्य। सौजन्य : सुश्री आशा वर्मा जी, जबलपुर।
१७. कवि राजीव वर्मा स्मृति कला श्री अलंकरण, ११०० रु., गायन-वादन-चित्रकारी आदि। सौजन्य : आर्किटेक्ट मयंक वर्मा, जबलपुर।
१८. सुशील वर्मा स्मृति समाज श्री अलंकरण, ११०० रु., वानिकी, पर्यावरण व समाज सेवा। सौजन्य : श्रीमती सरला वर्मा भोपाल।
१९. अतुल श्रीवास्तव स्मृति साहित्य श्री अलंकरण, ११०० रु., धर्म, अध्यात्म, दर्शन। सौजन्य : श्रीमती तनुजा श्रीवास्तव, रायगढ़।
साक्षात्कार, व्याकरण, पुरातत्व, पर्यटन, आत्मकथा, तकनीकी लेखन, आध्यात्मिक/धार्मिक लेखन, विधि, चिकित्सा, कृषि आदि क्षेत्रों की श्रेष्ठ कृतियों पर अलंकरण तथा पुस्तकोपहार प्रदान किए जाएँगे।
अलंकरण स्थापना
अनुवाद, तकनीकी लेखन, विधि, चिकित्सा, आध्यात्म, हाइकु (जापानी छंद), सोनेट, रुबाई, कृषि, ग्राम विकास, जन जागरण तथा अन्य विधाओं में अपने पूज्यजन /प्रियजन की स्मृति में अलंकरण स्थापना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। अलंकरणदाता अलंकरण निधि के साथ ११००/- (अलंकरण सामग्री हेतु) जोड़कर ९४२५१८३२४४ पर भेज कर सूचित करें।
टीप : उक्त अनुसार किसी अलंकरण हेतु प्रविष्टि न आने अथवा प्रविष्टि स्तरीय न होने पर वह अलंकरण अन्य विधा में दिया अथवा स्थगित किया जा सकेगा। अंतिम तिथि के पूर्व तक नए अलंकरण जोड़े जा सकेंगे।
पुस्तक प्रकाशन
कृति प्रकाशित कराने, भूमिका/समीक्षा लेखन हेतु पांडुलिपि सहित संपर्क करें। संस्था की संरक्षक सदस्यता (सहयोग निधि १ लाख रु.) ग्रहण करने पर एक १५० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का तथा आजीवन सदस्यता (सहयोग निधि २५ हजार रु.) ग्रहण करने पर ६० पृष्ठ तक की एक पांडुलिपि का प्रकाशन समन्वय प्रकाशन, जबलपुर द्वारा किया जाएगा। संरक्षकों का वार्षिकोत्सव में सम्मान किया जाएगा।
पुस्तक विमोचन
कृति विमोचन हेतु कृति की ५ प्रतियाँ, सहयोग राशि २१०० रु. रचनाकार तथा किताब संबंधी जानकारी ३० जुलाई तक आमंत्रित है। विमोचित कृति की संक्षिप्त चर्चा कर, कृतिकार का सम्मान किया जाएगा।
वार्षिकोत्सव, ईकाई स्थापना दिवस, किसी साहित्यकार की षष्ठि पूर्ति, साहित्यिक कार्यशाला, संगोष्ठी अथवा अन्य सारस्वत अनुष्ठान करने हेतु इच्छुक ईकाइयाँ / सहयोगी सभापति से संपर्क करें।
नई ईकाई
संस्था की नई ईकाई आरंभ करने हेतु प्रस्ताव आमंत्रित हैं। नई ईकाई हेतु कम से कम ११ सदस्य होना अनिवार्य है। वार्षिक सदस्यता सहयोग निधि ११००/-, हर ईकाई १००/- प्रति वर्ष प्रति सदस्य केंद्र को भेजेगी। केंद्र ईकाई द्वारा वार्षिकोत्सव या अन्य कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु केन्द्रीय पदाधिकारी भेजेगा। केन्द्रीय समिति के कार्यक्रमों में सहभागिता हेतु ईकाई से प्रतिनिधि आमंत्रित किए जाएँगे।
सभापति- आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’
अध्यक्ष- बसंत शर्मा
उपाध्यक्ष- जय प्रकाश श्रीवास्तव, मीना भट्ट
सचिव – छाया सक्सेना, अनिल बाजपेई, मुकुल तिवारी
कोषाध्यक्ष – डॉ. अरुणा पांडे
प्रकोष्ठ प्रभारी – अस्मिता शैली, मनीषा सहाय।
जबलपुर, १५.५.२०२४
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील ज्येष्ठ कवी श्री रवींद्र सोनावणी यांना, शब्दसेतू साहित्य मंच, पुणे आयोजित काव्यलेखन स्पर्धेत प्रथम पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. ई- अभिव्यक्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा💐
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
– २९ मई २०२४ को अहिल्यानगर (अहमदनगर) में राष्ट्रीय हिंदी लघुकथा सम्मेलन का आयोजन –
अहिल्यानगर – साहित्य समाज का दर्पण होता है। हिंदी साहित्य में लघुकथाओं के द्वारा समाज से जुड़े अनेक प्रश्न उपस्थित किए जाते हैं तथा पाठक उन पर चिंतन प्रारंभ कर देता है। साहित्य समाज को संस्कारित भी करता जाता है।
अहमदनगर में लघुकथाकारों को मंच प्रदान कराने हेतु २९ मई २०२४ के दिन, स्नेहालय पुनर्वसन संकुल, एम आय डी सी में राष्ट्रीय स्तर पर हिंदी लघुकथा सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है, यह जानकारी संयोजक डॉ गिरीश कुलकर्णी तथा डॉ ऋचा शर्मा द्वारा प्राप्त हुई।
स्नेहालय, डॉ शंकर केशव आडकर चैरिटेबल ट्रस्ट, आचार्य जगदीशचंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति, हिंदी सृजन सभा तथा लघुकथा शोध केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘लघुकथा : वर्तमान स्वरूप और संभावनाएं’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। इसमें पूरे देश से लघुकथाकार, हिंदी भाषा तथा साहित्यप्रेमी शामिल हो रहे हैं।
दिनांक २९ मई को सुबह ९ बजे से शाम ५ बजे तक सम्पन्न होनेवाली संगोष्ठी में दिल्ली के वरिष्ठ लघुकथाकार डॉ बलराज अग्रवाल, पुणे के डॉ दामोदर खडसे, हरियाणा करनाल के डॉ अशोक भाटिया, नागपुर के डॉ मिथिलेश अवस्थी, लघुकथा शोध केंद्र समिति भोपाल मध्यप्रदेश की निदेशक श्रीमती कांता रॉय, पुणे की श्रीमती नरेंद्र कौर छाबड़ा, आदि मान्यवरों का मार्गदर्शन प्राप्त होगा ।
दोपहर के सत्र में ‘लघुकथाकार तथा पाठक’ चर्चा – सत्र सम्पन्न होगा। आचार्य जगदीशचंद्र मिश्र लघुकथा सम्मान समिति अहमदनगर की ओर से देशव्यापी लघुकथा प्रतियोगिता आयोजित की गई है। पुरस्कार प्राप्त लघुकथाकारों को पुरस्कृत तथा सम्मानित किया जाएगा ।
इस सम्मेलन में सभी साहित्यप्रेमियों का स्वागत है। यह पूर्णत: नि:शुल्क है। इस कार्यक्रम की संयोजिका डॉ ऋचा शर्मा ने राष्ट्रीय लघुकथा सम्मेलन में अधिक से अधिक संख्या में सहभागी होने का आवाहन किया है। अधिक जानकारी के लिए ८९९९०३९८८२ नंबर पर संपर्क करें।
संयोजिका – डॉ. ऋचा शर्मा
प्रोफेसर एवं अध्यक्ष – हिंदी विभाग, अहमदनगर कॉलेज, अहमदनगर. – 414001, e-mail – [email protected]मोबाईल – 09370288414.
संयोजक – लघुकथा शोध केंद्र ,अहमदनगर तथा हिंदी सृजन सभा, अहमदनगर
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈
आपल्या समुहातील ज्येष्ठ लेखिका सुश्री नीला देवल यांच्या ‘अग्निशिखा’ या कादंबरीस सुचेतस् आर्टस् या संस्थेचा कै.सर्जेराव माने स्मृती कादंबरी पुरस्कार प्राप्त झाला आहे. ई अभिव्यक्ती परिवाराकडून त्यांचे मनःपूर्वक अभिनंदन आणि पुढील वाटचालीसाठी हार्दिक शुभेच्छा !
संपादक मंडळ
ई अभिव्यक्ती मराठी
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – श्रीमती उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈
☆ हिंदी आंदोलन परिवार, पुणे का वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह सम्पन्न ☆
जब राजनीति लड़खड़ाती है, साहित्य उसे सहारा देता है – डॉ. राजेंद्र श्रीवास्तव
“हिंदी आंदोलन परिवार की 29 वर्ष की यात्रा गौरवशाली है। हिंआंप के आरम्भ से मैं इससे जुड़ा हूँ। इस संस्था से बहुत कुछ सीखने के लिए मिला है। पं. जवाहरलाल नेहरु और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर साथ खड़े थे। अचानक नेहरु जी लड़खड़ा गए। उन्हें थामते हुए दिनकर जी ने कहा कि जब-जब राजनीति लड़खड़ाती है, तब-तब साहित्य उसे सहारा देता है। साहित्य, धर्म, जाति व भौगौलिक सीमाओं से परे होता है। हिंआंप इसी सार्वभौम साहित्य का साकार रूप है।”
उपरोक्त उद्गार बैंक ऑफ महाराष्ट्र के राजभाषा प्रमुख डा. राजेन्द्र श्रीवास्तव के हैं। हिंदी आंदोलन परिवार के वार्षिक हिंदी उत्सव और सम्मान समारोह में उपस्थित जनो को वे कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में संबोधित कर रहे थे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एसएनडीटी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर चंद्रकांत मिसाल ने उनत्तीस वर्षों से गतिशील हिंआंप की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उन्होंने संस्था की अखंड सक्रियता का संदर्भ देते हुए ग़ज़ल के कुछ शेर सुनाए। आपने कहा कि हिंआंप का हर छोटा-बड़ा आयोजन जीवन में एक प्रेरक पाठ पढ़ने का अवसर होता है। संस्था के घोष-शब्द और घोषगीत में निहित विशद अर्थ की भी आपने चर्चा की।
हिंदी आंदोलन परिवार के संस्थापक, अध्यक्ष श्री संजय भारद्वाज ने कहा कि हिआंप की 29 वर्ष की यात्रा में ध्येयनिष्ठा, अविराम श्रम, अनुशासन और समर्पित कार्यकर्ताओं का बड़ा योगदान है। मासिक साहित्यिक गोष्ठियाँ संस्था की प्राणवायु हैं। विशेष बात यह कि जो ऊर्जा और आत्मविश्वास 29 वर्ष पूर्व था, वह अब भी बना हुआ है। हिंआंप अब तक 296 गोष्ठियाँ कर चुका है। ‘उबूंटू’ अर्थात हम हैं इसलिए मैं हूँ का चैतन्य प्रतीक है हिआंप। बिना किसी अनुदान के अपने सदस्यों के दम पर खड़ा यह संगठन, इस क्षेत्र के सर्वाधिक सक्रिय संगठनों में से एक है।
हिंआप के वार्षिक हिंदी उत्सव में चार दशक से हिन्दी के अध्यापन एवं प्रचार में जुटी प्रा. नीला बोर्वणकर को हिंदीभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया। हिंदी साहित्य में उल्लेखनीय योगदान के लिए श्री आशु गुप्ता और बहुभाषी संचालन के सुप्रसिद्ध संचालिका श्रीमती नीरजा आपटे को हिन्दीश्री सम्मान प्रदान किया गया। सम्मान में स्मृतिचिह्न, शॉल, नारियल एवं तुलसी का पौधा प्रदान किया गया। श्री संजय भारद्वाज को हाल ही में महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी का छत्रपति शिवाजी महाराज राष्ट्रीय एकता जीवन गौरव सम्मान मिला है। इस उपलक्ष्य में हिंदी आंदोलन परिवार के सदस्यों के प्रतिनिधि के रूप में श्रीमती वीनु जमुआर ने उन्हें सम्मानित किया।
सरस्वती वंदना से अपना वक्तव्य आरम्भ करते हुए डॉ. बोर्वणकर ने जीवन को मिली सार्थक दिशा का श्रेय उच्च स्तर पर हिंदी के अध्ययन को दिया। हिंदी का अध्ययन मातृभाषा के प्रति आपकी नींव को और दृढ़ करता है। विशेषकर भक्तिकाल के रचनाकारों से अनन्य जीवनमूल्यों की प्राप्ति का आपने उल्लेख किया। स्रोत-भाषा मराठी से लक्ष्य-भाषा हिंदी में अनुवाद कर्म में विशेष सहयोग करनेवाले संजय भारद्वाज को उन्होंने अपना गुरु कहा।
नीरजा आपटे ने कहा कि उन्हें बोलना बहुत पसंद है। सौभाग्य है कि बोलना अर्थात मंच संचालन ही उनका कार्यक्षेत्र बना। प्रतिभा तो ईश्वर प्रदत्त होती है पर अभ्यास से उसे निखारना मनुष्य का काम होता है। विविध क्षेत्र के दिग्गजों के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम का संचालन कर पाने के लिए उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया।
आशु गुप्ता जीवन के विभिन्न पड़ावों पर लेखन के बदलते रूप की चर्चा की। कुछ पा सकने के लिए गुरु के आशीर्वाद का उल्लेख किया। उन्होंने कविताओं के अंश भी प्रस्तुत किए।
अतिथियों का परिचय सुधा भारद्वाज, अपर्णा कडसकर और अरविंद तिवारी ने दिया।
कार्यक्रम के पूर्वार्द्ध में क्षितिज इंफोटेनमेंट द्वारा कबीर-दर्शन पर आधारित संगीतमय कार्यक्रम ‘बहता समीर, गाता कबीर’ प्रस्तुत किया गया। इसका लेखन- संचालन संजय भारद्वाज ने किया। गायन सतीश कुमार का था। इस प्रस्तुति ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
हिंदी उत्सव का सटीक संचालन ऋता सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन अलका अग्रवाल ने किया। सुशील तिवारी एवं सभी विशेष सहयोगियों को स्मृतिचिह्न एवं नारियल देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उल्लेखनीय संख्या में साहित्यकार, भाषा प्रेमी और अन्य गणमान्य उपस्थित थे। प्रीतिभोज के बाद आयोजन ने विराम लिया।
– साभार – क्षितिज ब्यूरो
≈ श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈